SEK IN INDIA NEWS: जून 2021

14 अगस्त 1947 की रात को आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था

पढ़िए सत्ता के हस्तांतरण की संधि Transfer of Power Agreement यानि भारत के आज़ादी की संधि |
ये इतनी खतरनाक संधि है की अगर आप अंग्रेजों द्वारा सन 1615 से लेकर 1857 तक किये गए सभी 565 संधियों या कहें साजिस को जोड़ देंगे तो उस से भी ज्यादा खतरनाक संधि है ये | 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में | Transfer of Power और Independence ये दो अलग चीजे है | स्वतंत्रता और सत्ता का हस्तांतरण ये दो अलग चीजे है | और सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आप देखते होंगे क़ि एक पार्टी की सरकार है, वो चुनाव में हार जाये, दूसरी पार्टी की सरकार आती है तो दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री जब शपथ ग्रहण करता है, तो वो शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है, आप लोगों में से बहुतों ने देखा होगा, तो जिस रजिस्टर पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता है, उसी रजिस्टर को ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है और उस पर हस्ताक्षर के बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है | और पुराना प्रधानमंत्री निकल कर बाहर चला जाता है | यही नाटक हुआ था 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजे | लार्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी, और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया | कैसा स्वराज्य और काहे का स्वराज्य ? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? ये भी समझ लीजिये | अंग्रेज कहते थे क़ि हमने स्वराज्य दिया, माने अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा है ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे | ये अंग्रेजो का interpretation (व्याख्या) था | और हिन्दुस्तानी लोगों की व्याख्या क्या थी कि हमने स्वराज्य ले लिया | और इस संधि के अनुसार ही भारत के दो टुकड़े किये गए और भारत और पाकिस्तान नामक दो Dominion States बनाये गए हैं | ये Dominion State का अर्थ हिंदी में होता है एक बड़े राज्य के अधीन एक छोटा राज्य, ये शाब्दिक अर्थ है और भारत के सन्दर्भ में इसका असल अर्थ भी यही है | अंग्रेजी में इसका एक अर्थ है "One of the self-governing nations in the British Commonwealth" और दूसरा "Dominance or power through legal authority "| Dominion State और Independent Nation में जमीन आसमान का अंतर होता है | मतलब सीधा है क़ि हम (भारत और पाकिस्तान) आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | दुःख तो ये होता है की उस समय के सत्ता के लालची लोगों ने बिना सोचे समझे या आप कह सकते हैं क़ि पुरे होशो हवास में इस संधि को मान लिया या कहें जानबूझ कर ये सब स्वीकार कर लिया | और ये जो तथाकथित आज़ादी आयी, इसका कानून अंग्रेजों के संसद में बनाया गया और इसका नाम रखा गया Indian Independence Act यानि भारत के स्वतंत्रता का कानून | और ऐसे धोखाधड़ी से अगर इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी, आजादी है कहाँ ? और इसीलिए गाँधी जी (महात्मा गाँधी) 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में नहीं आये थे | वो नोआखाली में थे | और कोंग्रेस के बड़े नेता गाँधी जी को बुलाने के लिए गए थे कि बापू चलिए आप | गाँधी जी ने मना कर दिया था | क्यों ? गाँधी जी कहते थे कि मै मानता नहीं कि कोई आजादी आ रही है | और गाँधी जी ने स्पस्ट कह दिया था कि ये आजादी नहीं आ रही है सत्ता के हस्तांतरण का समझौता हो रहा है | और गाँधी जी ने नोआखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी | उस प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि मै हिन्दुस्तान के उन करोडो लोगों को ये सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये मै नहीं लाया | ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाये है | मै मानता नहीं कि इस देश में कोई आजादी आई है | और 14 अगस्त 1947 की रात को गाँधी जी दिल्ली में नहीं थे नोआखाली में थे | माने भारत की राजनीति का सबसे बड़ा पुरोधा जिसने हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई की नीव रखी हो वो आदमी 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में मौजूद नहीं था | क्यों ? इसका अर्थ है कि गाँधी जी इससे सहमत नहीं थे | (नोआखाली के दंगे तो एक बहाना था असल बात तो ये सत्ता का हस्तांतरण ही था) और 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई .... ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट लागू हुआ था पंडित नेहरु और अंग्रेजी सरकार के बीच में | अब शर्तों की बात करता हूँ , सब का जिक्र करना तो संभव नहीं है लेकिन कुछ महत्वपूर्ण शर्तों की जिक्र जरूर करूंगा जिसे एक आम भारतीय जानता है और उनसे परिचित है .....

इस संधि की शर्तों के मुताबिक हम आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | वो एक शब्द आप सब सुनते हैं न Commonwealth Nations | अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में Commonwealth Game हुए थे आप सब को याद होगा ही और उसी में बहुत बड़ा घोटाला भी हुआ है | ये Commonwealth का मतलब होता है समान सम्पति | किसकी समान सम्पति ? ब्रिटेन की रानी की समान सम्पति | आप जानते हैं ब्रिटेन की महारानी हमारे भारत की भी महारानी है और वो आज भी भारत की नागरिक है और हमारे जैसे 71 देशों की महारानी है वो | Commonwealth में 71 देश है और इन सभी 71 देशों में जाने के लिए ब्रिटेन की महारानी को वीजा की जरूरत नहीं होती है क्योंकि वो अपने ही देश में जा रही है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ब्रिटेन में जाने के लिए वीजा की जरूरत होती है क्योंकि वो दुसरे देश में जा रहे हैं | मतलब इसका निकाले तो ये हुआ कि या तो ब्रिटेन की महारानी भारत की नागरिक है या फिर भारत आज भी ब्रिटेन का उपनिवेश है इसलिए ब्रिटेन की रानी को पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होती है अगर दोनों बाते सही है तो 15 अगस्त 1947 को हमारी आज़ादी की बात कही जाती है वो झूठ है | और Commonwealth Nations में हमारी एंट्री जो है वो एक Dominion State के रूप में है न क़ि Independent Nation के रूप में| इस देश में प्रोटोकोल है क़ि जब भी नए राष्ट्रपति बनेंगे तो 21 तोपों की सलामी दी जाएगी उसके अलावा किसी को भी नहीं | लेकिन ब्रिटेन की महारानी आती है तो उनको भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है, इसका क्या मतलब है? और पिछली बार ब्रिटेन की महारानी यहाँ आयी थी तो एक निमंत्रण पत्र छपा था और उस निमंत्रण पत्र में ऊपर जो नाम था वो ब्रिटेन की महारानी का था और उसके नीचे भारत के राष्ट्रपति का नाम था मतलब हमारे देश का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक नहीं है | ये है राजनितिक गुलामी, हम कैसे माने क़ि हम एक स्वतंत्र देश में रह रहे हैं | एक शब्द आप सुनते होंगे High Commission ये अंग्रेजों का एक गुलाम देश दुसरे गुलाम देश के यहाँ खोलता है लेकिन इसे Embassy नहीं कहा जाता | एक मानसिक गुलामी का उदहारण भी देखिये ....... हमारे यहाँ के अख़बारों में आप देखते होंगे क़ि कैसे शब्द प्रयोग होते हैं - (ब्रिटेन की महारानी नहीं) महारानी एलिज़ाबेथ, (ब्रिटेन के प्रिन्स चार्ल्स नहीं) प्रिन्स चार्ल्स , (ब्रिटेन की प्रिंसेस नहीं) प्रिंसेस डैना (अब तो वो हैं नहीं), अब तो एक और प्रिन्स विलियम भी आ गए है |
भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया प्रचारित किया जायेगा और सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही नाम से संबोधित किया जायेगा | हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन दस्तावेजों में ये इंडिया है | संविधान के प्रस्तावना में ये लिखा गया है "India that is Bharat " जब क़ि होना ये चाहिए था "Bharat that was India " लेकिन दुर्भाग्य इस देश का क़ि ये भारत के जगह इंडिया हो गया | ये इसी संधि के शर्तों में से एक है | अब हम भारत के लोग जो इंडिया कहते हैं वो कहीं से भी भारत नहीं है | कुछ दिन पहले मैं एक लेख पढ़ रहा था अब किसका था याद नहीं आ रहा है उसमे उस व्यक्ति ने बताया था कि इंडिया का नाम बदल के भारत कर दिया जाये तो इस देश में आश्चर्यजनक बदलाव आ जायेगा और ये विश्व की बड़ी शक्ति बन जायेगा अब उस शख्स के बात में कितनी सच्चाई है मैं नहीं जानता, लेकिन भारत जब तक भारत था तब तक तो दुनिया में सबसे आगे था और ये जब से इंडिया हुआ है तब से पीछे, पीछे और पीछे ही होता जा रहा है |
भारत के संसद में वन्दे मातरम नहीं गया जायेगा अगले 50 वर्षों तक यानि 1997 तक | 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को संसद में उठाया तब जाकर पहली बार इस तथाकथित आजाद देश की संसद में वन्देमातरम गाया गया | 50 वर्षों तक नहीं गाया गया क्योंकि ये भी इसी संधि की शर्तों में से एक है | और वन्देमातरम को ले के मुसलमानों में जो भ्रम फैलाया गया वो अंग्रेजों के दिशानिर्देश पर ही हुआ था | इस गीत में कुछ भी ऐसा आपत्तिजनक नहीं है जो मुसलमानों के दिल को ठेस पहुचाये | आपत्तिजनक तो जन,गन,मन में है जिसमे एक शख्स को भारत भाग्यविधाता यानि भारत के हर व्यक्ति का भगवान बताया गया है या कहें भगवान से भी बढ़कर |
इस संधि की शर्तों के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस को जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजों के हवाले करना था | यही वजह रही क़ि सुभाष चन्द्र बोस अपने देश के लिए लापता रहे और कहाँ मर खप गए ये आज तक किसी को मालूम नहीं है | समय समय पर कई अफवाहें फैली लेकिन सुभाष चन्द्र बोस का पता नहीं लगा और न ही किसी ने उनको ढूँढने में रूचि दिखाई | मतलब भारत का एक महान स्वतंत्रता सेनानी अपने ही देश के लिए बेगाना हो गया | सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाई थी ये तो आप सब लोगों को मालूम होगा ही लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है क़ि ये 1942 में बनाया गया था और उसी समय द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और सुभाष चन्द्र बोस ने इस काम में जर्मन और जापानी लोगों से मदद ली थी जो कि अंग्रेजो के दुश्मन थे और इस आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था | और जर्मनी के हिटलर और इंग्लैंड के एटली और चर्चिल के व्यक्तिगत विवादों की वजह से ये द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ था और दोनों देश एक दुसरे के कट्टर दुश्मन थे | एक दुश्मन देश की मदद से सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजों के नाकों चने चबवा दिए थे | एक तो अंग्रेज उधर विश्वयुद्ध में लगे थे दूसरी तरफ उन्हें भारत में भी सुभाष चन्द्र बोस की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था | इसलिए वे सुभाष चन्द्र बोस के दुश्मन थे |
इस संधि की शर्तों के अनुसार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, रामप्रसाद विस्मिल जैसे लोग आतंकवादी थे और यही हमारे syllabus में पढाया जाता था बहुत दिनों तक | और अभी एक महीने पहले तक ICSE बोर्ड के किताबों में भगत सिंह को आतंकवादी ही बताया जा रहा था, वो तो भला हो कुछ लोगों का जिन्होंने अदालत में एक केस किया और अदालत ने इसे हटाने का आदेश दिया है (ये समाचार मैंने इन्टरनेट पर ही अभी कुछ दिन पहले देखा था) |
आप भारत के सभी बड़े रेलवे स्टेशन पर एक किताब की दुकान देखते होंगे "व्हीलर बुक स्टोर" वो इसी संधि की शर्तों के अनुसार है | ये व्हीलर कौन था ? ये व्हीलर सबसे बड़ा अत्याचारी था | इसने इस देश क़ि हजारों माँ, बहन और बेटियों के साथ बलात्कार किया था | इसने किसानों पर सबसे ज्यादा गोलियां चलवाई थी | 1857 की क्रांति के बाद कानपुर के नजदीक बिठुर में व्हीलर और नील नामक दो अंग्रजों ने यहाँ के सभी 24 हजार लोगों को जान से मरवा दिया था चाहे वो गोदी का बच्चा हो या मरणासन्न हालत में पड़ा कोई बुड्ढा | इस व्हीलर के नाम से इंग्लैंड में एक एजेंसी शुरू हुई थी और वही भारत में आ गयी | भारत आजाद हुआ तो ये ख़त्म होना चाहिए था, नहीं तो कम से कम नाम भी बदल देते | लेकिन वो नहीं बदला गया क्योंकि ये इस संधि में है |
इस संधि की शर्तों के अनुसार अंग्रेज देश छोड़ के चले जायेगे लेकिन इस देश में कोई भी कानून चाहे वो किसी क्षेत्र में हो नहीं बदला जायेगा | इसलिए आज भी इस देश में 34735 कानून वैसे के वैसे चल रहे हैं जैसे अंग्रेजों के समय चलता था | Indian Police Act, Indian Civil Services Act (अब इसका नाम है Indian Civil Administrative Act), Indian Penal Code (Ireland में भी IPC चलता है और Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वही भारत के IPC में "I" का मतलब Indian है बाकि सब के सब कंटेंट एक ही है, कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है) Indian Citizenship Act, Indian Advocates Act, Indian Education Act, Land Acquisition Act, Criminal Procedure Act, Indian Evidence Act, Indian Income Tax Act, Indian Forest Act, Indian Agricultural Price Commission Act सब के सब आज भी वैसे ही चल रहे हैं बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले हुए |
इस संधि के अनुसार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेंगे | शहर का नाम, सड़क का नाम सब के सब वैसे ही रखे जायेंगे | आज देश का संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, राष्ट्रपति भवन कितने नाम गिनाऊँ सब के सब वैसे ही खड़े हैं और हमें मुंह चिढ़ा रहे हैं | लार्ड डलहौजी के नाम पर डलहौजी शहर है , वास्को डी गामा नामक शहर है (हाला क़ि वो पुर्तगाली था ) रिपन रोड, कर्जन रोड, मेयो रोड, बेंटिक रोड, (पटना में) फ्रेजर रोड, बेली रोड, ऐसे हजारों भवन और रोड हैं, सब के सब वैसे के वैसे ही हैं | आप भी अपने शहर में देखिएगा वहां भी कोई न कोई भवन, सड़क उन लोगों के नाम से होंगे | हमारे गुजरात में एक शहर है सूरत, इस सूरत शहर में एक बिल्डिंग है उसका नाम है कूपर विला | अंग्रेजों को जब जहाँगीर ने व्यापार का लाइसेंस दिया था तो सबसे पहले वो सूरत में आये थे और सूरत में उन्होंने इस बिल्डिंग का निर्माण किया था | ये गुलामी का पहला अध्याय आज तक सूरत शहर में खड़ा है |
हमारे यहाँ शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों की है क्योंकि ये इस संधि में लिखा है और मजे क़ि बात ये है क़ि अंग्रेजों ने हमारे यहाँ एक शिक्षा व्यवस्था दी और अपने यहाँ अलग किस्म क़ि शिक्षा व्यवस्था रखी है | हमारे यहाँ शिक्षा में डिग्री का महत्व है और उनके यहाँ ठीक उल्टा है | मेरे पास ज्ञान है और मैं कोई अविष्कार करता हूँ तो भारत में पूछा जायेगा क़ि तुम्हारे पास कौन सी डिग्री है ? अगर नहीं है तो मेरे अविष्कार और ज्ञान का कोई मतलब नहीं है | जबकि उनके यहाँ ऐसा बिलकुल नहीं है आप अगर कोई अविष्कार करते हैं और आपके पास ज्ञान है लेकिन कोई डिग्री नहीं हैं तो कोई बात नहीं आपको प्रोत्साहित किया जायेगा | नोबेल पुरस्कार पाने के लिए आपको डिग्री की जरूरत नहीं होती है | हमारे शिक्षा तंत्र को अंग्रेजों ने डिग्री में बांध दिया था जो आज भी वैसे के वैसा ही चल रहा है | ये जो 30 नंबर का पास मार्क्स आप देखते हैं वो उसी शिक्षा व्यवस्था क़ि देन है, मतलब ये है क़ि आप भले ही 70 नंबर में फेल है लेकिन 30 नंबर लाये है तो पास हैं, ऐसा शिक्षा तंत्र से सिर्फ गदहे ही पैदा हो सकते हैं और यही अंग्रेज चाहते थे | आप देखते होंगे क़ि हमारे देश में एक विषय चलता है जिसका नाम है Anthropology | जानते है इसमें क्या पढाया जाता है ? इसमें गुलाम लोगों क़ि मानसिक अवस्था के बारे में पढाया जाता है | और ये अंग्रेजों ने ही इस देश में शुरू किया था और आज आज़ादी के 64 साल बाद भी ये इस देश के विश्वविद्यालयों में पढाया जाता है और यहाँ तक क़ि सिविल सर्विस की परीक्षा में भी ये चलता है |
इस संधि की शर्तों के हिसाब से हमारे देश में आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं दिया जायेगा मतलब हमारे देश की विद्या हमारे ही देश में ख़त्म हो जाये ये साजिस की गयी | आयुर्वेद को अंग्रेजों ने नष्ट करने का भरसक प्रयास किया था लेकिन ऐसा कर नहीं पाए | दुनिया में जितने भी पैथी हैं उनमे ये होता है क़ि पहले आप बीमार हों तो आपका इलाज होगा लेकिन आयुर्वेद एक ऐसी विद्या है जिसमे कहा जाता है क़ि आप बीमार ही मत पड़िए | आपको मैं एक सच्ची घटना बताता हूँ -जोर्ज वाशिंगटन जो क़ि अमेरिका का पहला राष्ट्रपति था वो दिसम्बर 1799 में बीमार पड़ा और जब उसका बुखार ठीक नहीं हो रहा था तो उसके डाक्टरों ने कहा क़ि इनके शरीर का खून गन्दा हो गया है जब इसको निकाला जायेगा तो ये बुखार ठीक होगा और उसके दोनों हाथों क़ि नसें डाक्टरों ने काट दी और खून निकल जाने की वजह से जोर्ज वाशिंगटन मर गया | ये घटना 1799 की है और 1780 में एक अंग्रेज भारत आया था और यहाँ से प्लास्टिक सर्जरी सीख के गया था | मतलब कहने का ये है क़ि हमारे देश का चिकित्सा विज्ञान कितना विकसित था उस समय | और ये सब आयुर्वेद की वजह से था और उसी आयुर्वेद को आज हमारे सरकार ने हाशिये पर पंहुचा दिया है |
इस संधि के हिसाब से हमारे देश में गुरुकुल संस्कृति को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा | हमारे देश के समृद्धि और यहाँ मौजूद उच्च तकनीक की वजह ये गुरुकुल ही थे | और अंग्रेजों ने सबसे पहले इस देश की गुरुकुल परंपरा को ही तोडा था, मैं यहाँ लार्ड मेकॉले की एक उक्ति को यहाँ बताना चाहूँगा जो उसने 2 फ़रवरी 1835 को ब्रिटिश संसद में दिया था, उसने कहा था "“I have traveled across the length and breadth of India and have not seen one person who is a beggar, who is a thief, such wealth I have seen in this country, such high moral values, people of such caliber, that I do not think we would ever conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, which is her spiritual and cultural heritage, and, therefore, I propose that we replace her old and ancient education system, her culture, for if the Indians think that all that is foreign and English is good and greater than their own, they will lose their self esteem, their native culture and they will become what we want them, a truly dominated nation” | गुरुकुल का मतलब हम लोग केवल वेद, पुराण,उपनिषद ही समझते हैं जो की हमारी मुर्खता है अगर आज की भाषा में कहूं तो ये गुरुकुल जो होते थे वो सब के सब Higher Learning Institute हुआ करते थे |
इस संधि में एक और खास बात है | इसमें कहा गया है क़ि अगर हमारे देश के (भारत के) अदालत में कोई ऐसा मुक़दमा आ जाये जिसके फैसले के लिए कोई कानून न हो इस देश में या उसके फैसले को लेकर संबिधान में भी कोई जानकारी न हो तो साफ़ साफ़ संधि में लिखा गया है क़ि वो सारे मुकदमों का फैसला अंग्रेजों के न्याय पद्धति के आदर्शों के आधार पर ही होगा, भारतीय न्याय पद्धति का आदर्श उसमे लागू नहीं होगा | कितनी शर्मनाक स्थिति है ये क़ि हमें अभी भी अंग्रेजों का ही अनुसरण करना होगा |
भारत में आज़ादी की लड़ाई हुई तो वो ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ था और संधि के हिसाब से ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत छोड़ के जाना था और वो चली भी गयी लेकिन इस संधि में ये भी है क़ि ईस्ट इंडिया कम्पनी तो जाएगी भारत से लेकिन बाकि 126 विदेशी कंपनियां भारत में रहेंगी और भारत सरकार उनको पूरा संरक्षण देगी | और उसी का नतीजा है क़ि ब्रुक बोंड, लिप्टन, बाटा, हिंदुस्तान लीवर (अब हिंदुस्तान यूनिलीवर) जैसी 126 कंपनियां आज़ादी के बाद इस देश में बची रह गयी और लुटती रही और आज भी वो सिलसिला जारी है |
अंग्रेजी का स्थान अंग्रेजों के जाने के बाद वैसे ही रहेगा भारत में जैसा क़ि अभी (1946 में) है और ये भी इसी संधि का हिस्सा है | आप देखिये क़ि हमारे देश में, संसद में, न्यायपालिका में, कार्यालयों में हर कहीं अंग्रेजी, अंग्रेजी और अंग्रेजी है जब क़ि इस देश में 99% लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है | और उन 1% लोगों क़ि हालत देखिये क़ि उन्हें मालूम ही नहीं रहता है क़ि उनको पढना क्या है और UNO में जा के भारत के जगह पुर्तगाल का भाषण पढ़ जाते हैं |
आप में से बहुत लोगों को याद होगा क़ि हमारे देश में आजादी के 50 साल बाद तक संसद में वार्षिक बजट शाम को 5:00 बजे पेश किया जाता था | जानते है क्यों ? क्योंकि जब हमारे देश में शाम के 5:00 बजते हैं तो लन्दन में सुबह के 11:30 बजते हैं और अंग्रेज अपनी सुविधा से उनको सुन सके और उस बजट की समीक्षा कर सके | इतनी गुलामी में रहा है ये देश | ये भी इसी संधि का हिस्सा है |
1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो अंग्रेजों ने भारत में राशन कार्ड का सिस्टम शुरू किया क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों को अनाज क़ि जरूरत थी और वे ये अनाज भारत से चाहते थे | इसीलिए उन्होंने यहाँ जनवितरण प्रणाली और राशन कार्ड क़ि शुरुआत क़ि | वो प्रणाली आज भी लागू है इस देश में क्योंकि वो इस संधि में है | और इस राशन कार्ड को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल उसी समय शुरू किया गया और वो आज भी जारी है | जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें ही वोट देने का अधिकार होता था | आज भी देखिये राशन कार्ड ही मुख्य पहचान पत्र है इस देश में |
अंग्रेजों के आने के पहले इस देश में गायों को काटने का कोई कत्लखाना नहीं था | मुगलों के समय तो ये कानून था क़ि कोई अगर गाय को काट दे तो उसका हाथ काट दिया जाता था | अंग्रेज यहाँ आये तो उन्होंने पहली बार कलकत्ता में गाय काटने का कत्लखाना शुरू किया, पहला शराबखाना शुरू किया, पहला वेश्यालय शुरू किया और इस देश में जहाँ जहाँ अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी वहां वहां वेश्याघर बनाये गए, वहां वहां शराबखाना खुला, वहां वहां गाय के काटने के लिए कत्लखाना खुला | ऐसे पुरे देश में 355 छावनियां थी उन अंग्रेजों के | अब ये सब क्यों बनाये गए थे ये आप सब आसानी से समझ सकते हैं | अंग्रेजों के जाने के बाद ये सब ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ क्योंक़ि ये भी इसी संधि में है |
हमारे देश में जो संसदीय लोकतंत्र है वो दरअसल अंग्रेजों का वेस्टमिन्स्टर सिस्टम है | ये अंग्रेजो के इंग्लैंड क़ि संसदीय प्रणाली है | ये कहीं से भी न संसदीय है और न ही लोकतान्त्रिक है| लेकिन इस देश में वही सिस्टम है क्योंकि वो इस संधि में कहा गया है | और इसी वेस्टमिन्स्टर सिस्टम को महात्मा गाँधी बाँझ और वेश्या कहते थे (मतलब आप समझ गए होंगे) |

ऐसी हजारों शर्तें हैं | मैंने अभी जितना जरूरी समझा उतना लिखा है | मतलब यही है क़ि इस देश में जो कुछ भी अभी चल रहा है वो सब अंग्रेजों का है हमारा कुछ नहीं है | अब आप के मन में ये सवाल हो रहा होगा क़ि पहले के राजाओं को तो अंग्रेजी नहीं आती थी तो वो खतरनाक संधियों (साजिस) के जाल में फँस कर अपना राज्य गवां बैठे लेकिन आज़ादी के समय वाले नेताओं को तो अच्छी अंग्रेजी आती थी फिर वो कैसे इन संधियों के जाल में फँस गए | इसका कारण थोडा भिन्न है क्योंकि आज़ादी के समय वाले नेता अंग्रेजों को अपना आदर्श मानते थे इसलिए उन्होंने जानबूझ कर ये संधि क़ि थी | वो मानते थे क़ि अंग्रेजों से बढियां कोई नहीं है इस दुनिया में | भारत की आज़ादी के समय के नेताओं के भाषण आप पढेंगे तो आप पाएंगे क़ि वो केवल देखने में ही भारतीय थे लेकिन मन,कर्म और वचन से अंग्रेज ही थे | वे कहते थे क़ि सारा आदर्श है तो अंग्रेजों में, आदर्श शिक्षा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श अर्थव्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श चिकित्सा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कृषि व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श न्याय व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कानून व्यवस्था है तो अंग्रेजों की | हमारे आज़ादी के समय के नेताओं को अंग्रेजों से बड़ा आदर्श कोई दिखता नहीं था और वे ताल ठोक ठोक कर कहते थे क़ि हमें भारत अंग्रेजों जैसा बनाना है | अंग्रेज हमें जिस रस्ते पर चलाएंगे उसी रास्ते पर हम चलेंगे | इसीलिए वे ऐसी मूर्खतापूर्ण संधियों में फंसे | अगर आप अभी तक उन्हें देशभक्त मान रहे थे तो ये भ्रम दिल से निकाल दीजिये | और आप अगर समझ रहे हैं क़ि वो ABC पार्टी के नेता ख़राब थे या हैं तो XYZ पार्टी के नेता भी दूध के धुले नहीं हैं | आप किसी को भी अच्छा मत समझिएगा क्योंक़ि आज़ादी के बाद के इन 64 सालों में सब ने चाहे वो राष्ट्रीय पार्टी हो या प्रादेशिक पार्टी, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता का स्वाद तो सबो ने चखा ही है | खैर ...............

तो भारत क़ि गुलामी जो अंग्रेजों के ज़माने में थी, अंग्रेजों के जाने के 64 साल बाद आज 2011 में जस क़ि तस है क्योंकि हमने संधि कर रखी है और देश को इन खतरनाक संधियों के मकडजाल में फंसा रखा है | बहुत दुःख होता है अपने देश के बारे जानकार और सोच कर | मैं ये सब कोई ख़ुशी से नहीं लिखता हूँ ये मेरे दिल का दर्द होता है जो मैं आप लोगों से शेयर करता हूँ |

ये सब बदलना जरूरी है लेकिन हमें सरकार नहीं व्यवस्था बदलनी होगी और आप अगर सोच रहे हैं क़ि कोई मसीहा आएगा और सब बदल देगा तो आप ग़लतफ़हमी में जी रहे हैं | कोई हनुमान जी, कोई राम जी, या कोई कृष्ण जी नहीं आने वाले | आपको और हमको ही ये सारे अवतार में आना होगा, हमें ही सड़कों पर उतरना होगा और और इस व्यवस्था को जड मूल से समाप्त करना होगा | भगवान भी उसी की मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करता है 

14 अगस्त 1947 की रात को आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था

पढ़िए सत्ता के हस्तांतरण की संधि Transfer of Power Agreement यानि भारत के आज़ादी की संधि |
ये इतनी खतरनाक संधि है की अगर आप अंग्रेजों द्वारा सन 1615 से लेकर 1857 तक किये गए सभी 565 संधियों या कहें साजिस को जोड़ देंगे तो उस से भी ज्यादा खतरनाक संधि है ये | 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में | Transfer of Power और Independence ये दो अलग चीजे है | स्वतंत्रता और सत्ता का हस्तांतरण ये दो अलग चीजे है | और सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आप देखते होंगे क़ि एक पार्टी की सरकार है, वो चुनाव में हार जाये, दूसरी पार्टी की सरकार आती है तो दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री जब शपथ ग्रहण करता है, तो वो शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है, आप लोगों में से बहुतों ने देखा होगा, तो जिस रजिस्टर पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता है, उसी रजिस्टर को ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है और उस पर हस्ताक्षर के बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है | और पुराना प्रधानमंत्री निकल कर बाहर चला जाता है | यही नाटक हुआ था 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजे | लार्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी, और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया | कैसा स्वराज्य और काहे का स्वराज्य ? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? ये भी समझ लीजिये | अंग्रेज कहते थे क़ि हमने स्वराज्य दिया, माने अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा है ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे | ये अंग्रेजो का interpretation (व्याख्या) था | और हिन्दुस्तानी लोगों की व्याख्या क्या थी कि हमने स्वराज्य ले लिया | और इस संधि के अनुसार ही भारत के दो टुकड़े किये गए और भारत और पाकिस्तान नामक दो Dominion States बनाये गए हैं | ये Dominion State का अर्थ हिंदी में होता है एक बड़े राज्य के अधीन एक छोटा राज्य, ये शाब्दिक अर्थ है और भारत के सन्दर्भ में इसका असल अर्थ भी यही है | अंग्रेजी में इसका एक अर्थ है "One of the self-governing nations in the British Commonwealth" और दूसरा "Dominance or power through legal authority "| Dominion State और Independent Nation में जमीन आसमान का अंतर होता है | मतलब सीधा है क़ि हम (भारत और पाकिस्तान) आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | दुःख तो ये होता है की उस समय के सत्ता के लालची लोगों ने बिना सोचे समझे या आप कह सकते हैं क़ि पुरे होशो हवास में इस संधि को मान लिया या कहें जानबूझ कर ये सब स्वीकार कर लिया | और ये जो तथाकथित आज़ादी आयी, इसका कानून अंग्रेजों के संसद में बनाया गया और इसका नाम रखा गया Indian Independence Act यानि भारत के स्वतंत्रता का कानून | और ऐसे धोखाधड़ी से अगर इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी, आजादी है कहाँ ? और इसीलिए गाँधी जी (महात्मा गाँधी) 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में नहीं आये थे | वो नोआखाली में थे | और कोंग्रेस के बड़े नेता गाँधी जी को बुलाने के लिए गए थे कि बापू चलिए आप | गाँधी जी ने मना कर दिया था | क्यों ? गाँधी जी कहते थे कि मै मानता नहीं कि कोई आजादी आ रही है | और गाँधी जी ने स्पस्ट कह दिया था कि ये आजादी नहीं आ रही है सत्ता के हस्तांतरण का समझौता हो रहा है | और गाँधी जी ने नोआखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी | उस प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि मै हिन्दुस्तान के उन करोडो लोगों को ये सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये मै नहीं लाया | ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाये है | मै मानता नहीं कि इस देश में कोई आजादी आई है | और 14 अगस्त 1947 की रात को गाँधी जी दिल्ली में नहीं थे नोआखाली में थे | माने भारत की राजनीति का सबसे बड़ा पुरोधा जिसने हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई की नीव रखी हो वो आदमी 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में मौजूद नहीं था | क्यों ? इसका अर्थ है कि गाँधी जी इससे सहमत नहीं थे | (नोआखाली के दंगे तो एक बहाना था असल बात तो ये सत्ता का हस्तांतरण ही था) और 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई .... ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट लागू हुआ था पंडित नेहरु और अंग्रेजी सरकार के बीच में | अब शर्तों की बात करता हूँ , सब का जिक्र करना तो संभव नहीं है लेकिन कुछ महत्वपूर्ण शर्तों की जिक्र जरूर करूंगा जिसे एक आम भारतीय जानता है और उनसे परिचित है .....

इस संधि की शर्तों के मुताबिक हम आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | वो एक शब्द आप सब सुनते हैं न Commonwealth Nations | अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में Commonwealth Game हुए थे आप सब को याद होगा ही और उसी में बहुत बड़ा घोटाला भी हुआ है | ये Commonwealth का मतलब होता है समान सम्पति | किसकी समान सम्पति ? ब्रिटेन की रानी की समान सम्पति | आप जानते हैं ब्रिटेन की महारानी हमारे भारत की भी महारानी है और वो आज भी भारत की नागरिक है और हमारे जैसे 71 देशों की महारानी है वो | Commonwealth में 71 देश है और इन सभी 71 देशों में जाने के लिए ब्रिटेन की महारानी को वीजा की जरूरत नहीं होती है क्योंकि वो अपने ही देश में जा रही है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ब्रिटेन में जाने के लिए वीजा की जरूरत होती है क्योंकि वो दुसरे देश में जा रहे हैं | मतलब इसका निकाले तो ये हुआ कि या तो ब्रिटेन की महारानी भारत की नागरिक है या फिर भारत आज भी ब्रिटेन का उपनिवेश है इसलिए ब्रिटेन की रानी को पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होती है अगर दोनों बाते सही है तो 15 अगस्त 1947 को हमारी आज़ादी की बात कही जाती है वो झूठ है | और Commonwealth Nations में हमारी एंट्री जो है वो एक Dominion State के रूप में है न क़ि Independent Nation के रूप में| इस देश में प्रोटोकोल है क़ि जब भी नए राष्ट्रपति बनेंगे तो 21 तोपों की सलामी दी जाएगी उसके अलावा किसी को भी नहीं | लेकिन ब्रिटेन की महारानी आती है तो उनको भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है, इसका क्या मतलब है? और पिछली बार ब्रिटेन की महारानी यहाँ आयी थी तो एक निमंत्रण पत्र छपा था और उस निमंत्रण पत्र में ऊपर जो नाम था वो ब्रिटेन की महारानी का था और उसके नीचे भारत के राष्ट्रपति का नाम था मतलब हमारे देश का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक नहीं है | ये है राजनितिक गुलामी, हम कैसे माने क़ि हम एक स्वतंत्र देश में रह रहे हैं | एक शब्द आप सुनते होंगे High Commission ये अंग्रेजों का एक गुलाम देश दुसरे गुलाम देश के यहाँ खोलता है लेकिन इसे Embassy नहीं कहा जाता | एक मानसिक गुलामी का उदहारण भी देखिये ....... हमारे यहाँ के अख़बारों में आप देखते होंगे क़ि कैसे शब्द प्रयोग होते हैं - (ब्रिटेन की महारानी नहीं) महारानी एलिज़ाबेथ, (ब्रिटेन के प्रिन्स चार्ल्स नहीं) प्रिन्स चार्ल्स , (ब्रिटेन की प्रिंसेस नहीं) प्रिंसेस डैना (अब तो वो हैं नहीं), अब तो एक और प्रिन्स विलियम भी आ गए है |
भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया प्रचारित किया जायेगा और सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही नाम से संबोधित किया जायेगा | हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन दस्तावेजों में ये इंडिया है | संविधान के प्रस्तावना में ये लिखा गया है "India that is Bharat " जब क़ि होना ये चाहिए था "Bharat that was India " लेकिन दुर्भाग्य इस देश का क़ि ये भारत के जगह इंडिया हो गया | ये इसी संधि के शर्तों में से एक है | अब हम भारत के लोग जो इंडिया कहते हैं वो कहीं से भी भारत नहीं है | कुछ दिन पहले मैं एक लेख पढ़ रहा था अब किसका था याद नहीं आ रहा है उसमे उस व्यक्ति ने बताया था कि इंडिया का नाम बदल के भारत कर दिया जाये तो इस देश में आश्चर्यजनक बदलाव आ जायेगा और ये विश्व की बड़ी शक्ति बन जायेगा अब उस शख्स के बात में कितनी सच्चाई है मैं नहीं जानता, लेकिन भारत जब तक भारत था तब तक तो दुनिया में सबसे आगे था और ये जब से इंडिया हुआ है तब से पीछे, पीछे और पीछे ही होता जा रहा है |
भारत के संसद में वन्दे मातरम नहीं गया जायेगा अगले 50 वर्षों तक यानि 1997 तक | 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को संसद में उठाया तब जाकर पहली बार इस तथाकथित आजाद देश की संसद में वन्देमातरम गाया गया | 50 वर्षों तक नहीं गाया गया क्योंकि ये भी इसी संधि की शर्तों में से एक है | और वन्देमातरम को ले के मुसलमानों में जो भ्रम फैलाया गया वो अंग्रेजों के दिशानिर्देश पर ही हुआ था | इस गीत में कुछ भी ऐसा आपत्तिजनक नहीं है जो मुसलमानों के दिल को ठेस पहुचाये | आपत्तिजनक तो जन,गन,मन में है जिसमे एक शख्स को भारत भाग्यविधाता यानि भारत के हर व्यक्ति का भगवान बताया गया है या कहें भगवान से भी बढ़कर |
इस संधि की शर्तों के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस को जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजों के हवाले करना था | यही वजह रही क़ि सुभाष चन्द्र बोस अपने देश के लिए लापता रहे और कहाँ मर खप गए ये आज तक किसी को मालूम नहीं है | समय समय पर कई अफवाहें फैली लेकिन सुभाष चन्द्र बोस का पता नहीं लगा और न ही किसी ने उनको ढूँढने में रूचि दिखाई | मतलब भारत का एक महान स्वतंत्रता सेनानी अपने ही देश के लिए बेगाना हो गया | सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाई थी ये तो आप सब लोगों को मालूम होगा ही लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है क़ि ये 1942 में बनाया गया था और उसी समय द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और सुभाष चन्द्र बोस ने इस काम में जर्मन और जापानी लोगों से मदद ली थी जो कि अंग्रेजो के दुश्मन थे और इस आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था | और जर्मनी के हिटलर और इंग्लैंड के एटली और चर्चिल के व्यक्तिगत विवादों की वजह से ये द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ था और दोनों देश एक दुसरे के कट्टर दुश्मन थे | एक दुश्मन देश की मदद से सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजों के नाकों चने चबवा दिए थे | एक तो अंग्रेज उधर विश्वयुद्ध में लगे थे दूसरी तरफ उन्हें भारत में भी सुभाष चन्द्र बोस की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था | इसलिए वे सुभाष चन्द्र बोस के दुश्मन थे |
इस संधि की शर्तों के अनुसार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, रामप्रसाद विस्मिल जैसे लोग आतंकवादी थे और यही हमारे syllabus में पढाया जाता था बहुत दिनों तक | और अभी एक महीने पहले तक ICSE बोर्ड के किताबों में भगत सिंह को आतंकवादी ही बताया जा रहा था, वो तो भला हो कुछ लोगों का जिन्होंने अदालत में एक केस किया और अदालत ने इसे हटाने का आदेश दिया है (ये समाचार मैंने इन्टरनेट पर ही अभी कुछ दिन पहले देखा था) |
आप भारत के सभी बड़े रेलवे स्टेशन पर एक किताब की दुकान देखते होंगे "व्हीलर बुक स्टोर" वो इसी संधि की शर्तों के अनुसार है | ये व्हीलर कौन था ? ये व्हीलर सबसे बड़ा अत्याचारी था | इसने इस देश क़ि हजारों माँ, बहन और बेटियों के साथ बलात्कार किया था | इसने किसानों पर सबसे ज्यादा गोलियां चलवाई थी | 1857 की क्रांति के बाद कानपुर के नजदीक बिठुर में व्हीलर और नील नामक दो अंग्रजों ने यहाँ के सभी 24 हजार लोगों को जान से मरवा दिया था चाहे वो गोदी का बच्चा हो या मरणासन्न हालत में पड़ा कोई बुड्ढा | इस व्हीलर के नाम से इंग्लैंड में एक एजेंसी शुरू हुई थी और वही भारत में आ गयी | भारत आजाद हुआ तो ये ख़त्म होना चाहिए था, नहीं तो कम से कम नाम भी बदल देते | लेकिन वो नहीं बदला गया क्योंकि ये इस संधि में है |
इस संधि की शर्तों के अनुसार अंग्रेज देश छोड़ के चले जायेगे लेकिन इस देश में कोई भी कानून चाहे वो किसी क्षेत्र में हो नहीं बदला जायेगा | इसलिए आज भी इस देश में 34735 कानून वैसे के वैसे चल रहे हैं जैसे अंग्रेजों के समय चलता था | Indian Police Act, Indian Civil Services Act (अब इसका नाम है Indian Civil Administrative Act), Indian Penal Code (Ireland में भी IPC चलता है और Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वही भारत के IPC में "I" का मतलब Indian है बाकि सब के सब कंटेंट एक ही है, कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है) Indian Citizenship Act, Indian Advocates Act, Indian Education Act, Land Acquisition Act, Criminal Procedure Act, Indian Evidence Act, Indian Income Tax Act, Indian Forest Act, Indian Agricultural Price Commission Act सब के सब आज भी वैसे ही चल रहे हैं बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले हुए |
इस संधि के अनुसार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेंगे | शहर का नाम, सड़क का नाम सब के सब वैसे ही रखे जायेंगे | आज देश का संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, राष्ट्रपति भवन कितने नाम गिनाऊँ सब के सब वैसे ही खड़े हैं और हमें मुंह चिढ़ा रहे हैं | लार्ड डलहौजी के नाम पर डलहौजी शहर है , वास्को डी गामा नामक शहर है (हाला क़ि वो पुर्तगाली था ) रिपन रोड, कर्जन रोड, मेयो रोड, बेंटिक रोड, (पटना में) फ्रेजर रोड, बेली रोड, ऐसे हजारों भवन और रोड हैं, सब के सब वैसे के वैसे ही हैं | आप भी अपने शहर में देखिएगा वहां भी कोई न कोई भवन, सड़क उन लोगों के नाम से होंगे | हमारे गुजरात में एक शहर है सूरत, इस सूरत शहर में एक बिल्डिंग है उसका नाम है कूपर विला | अंग्रेजों को जब जहाँगीर ने व्यापार का लाइसेंस दिया था तो सबसे पहले वो सूरत में आये थे और सूरत में उन्होंने इस बिल्डिंग का निर्माण किया था | ये गुलामी का पहला अध्याय आज तक सूरत शहर में खड़ा है |
हमारे यहाँ शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों की है क्योंकि ये इस संधि में लिखा है और मजे क़ि बात ये है क़ि अंग्रेजों ने हमारे यहाँ एक शिक्षा व्यवस्था दी और अपने यहाँ अलग किस्म क़ि शिक्षा व्यवस्था रखी है | हमारे यहाँ शिक्षा में डिग्री का महत्व है और उनके यहाँ ठीक उल्टा है | मेरे पास ज्ञान है और मैं कोई अविष्कार करता हूँ तो भारत में पूछा जायेगा क़ि तुम्हारे पास कौन सी डिग्री है ? अगर नहीं है तो मेरे अविष्कार और ज्ञान का कोई मतलब नहीं है | जबकि उनके यहाँ ऐसा बिलकुल नहीं है आप अगर कोई अविष्कार करते हैं और आपके पास ज्ञान है लेकिन कोई डिग्री नहीं हैं तो कोई बात नहीं आपको प्रोत्साहित किया जायेगा | नोबेल पुरस्कार पाने के लिए आपको डिग्री की जरूरत नहीं होती है | हमारे शिक्षा तंत्र को अंग्रेजों ने डिग्री में बांध दिया था जो आज भी वैसे के वैसा ही चल रहा है | ये जो 30 नंबर का पास मार्क्स आप देखते हैं वो उसी शिक्षा व्यवस्था क़ि देन है, मतलब ये है क़ि आप भले ही 70 नंबर में फेल है लेकिन 30 नंबर लाये है तो पास हैं, ऐसा शिक्षा तंत्र से सिर्फ गदहे ही पैदा हो सकते हैं और यही अंग्रेज चाहते थे | आप देखते होंगे क़ि हमारे देश में एक विषय चलता है जिसका नाम है Anthropology | जानते है इसमें क्या पढाया जाता है ? इसमें गुलाम लोगों क़ि मानसिक अवस्था के बारे में पढाया जाता है | और ये अंग्रेजों ने ही इस देश में शुरू किया था और आज आज़ादी के 64 साल बाद भी ये इस देश के विश्वविद्यालयों में पढाया जाता है और यहाँ तक क़ि सिविल सर्विस की परीक्षा में भी ये चलता है |
इस संधि की शर्तों के हिसाब से हमारे देश में आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं दिया जायेगा मतलब हमारे देश की विद्या हमारे ही देश में ख़त्म हो जाये ये साजिस की गयी | आयुर्वेद को अंग्रेजों ने नष्ट करने का भरसक प्रयास किया था लेकिन ऐसा कर नहीं पाए | दुनिया में जितने भी पैथी हैं उनमे ये होता है क़ि पहले आप बीमार हों तो आपका इलाज होगा लेकिन आयुर्वेद एक ऐसी विद्या है जिसमे कहा जाता है क़ि आप बीमार ही मत पड़िए | आपको मैं एक सच्ची घटना बताता हूँ -जोर्ज वाशिंगटन जो क़ि अमेरिका का पहला राष्ट्रपति था वो दिसम्बर 1799 में बीमार पड़ा और जब उसका बुखार ठीक नहीं हो रहा था तो उसके डाक्टरों ने कहा क़ि इनके शरीर का खून गन्दा हो गया है जब इसको निकाला जायेगा तो ये बुखार ठीक होगा और उसके दोनों हाथों क़ि नसें डाक्टरों ने काट दी और खून निकल जाने की वजह से जोर्ज वाशिंगटन मर गया | ये घटना 1799 की है और 1780 में एक अंग्रेज भारत आया था और यहाँ से प्लास्टिक सर्जरी सीख के गया था | मतलब कहने का ये है क़ि हमारे देश का चिकित्सा विज्ञान कितना विकसित था उस समय | और ये सब आयुर्वेद की वजह से था और उसी आयुर्वेद को आज हमारे सरकार ने हाशिये पर पंहुचा दिया है |
इस संधि के हिसाब से हमारे देश में गुरुकुल संस्कृति को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा | हमारे देश के समृद्धि और यहाँ मौजूद उच्च तकनीक की वजह ये गुरुकुल ही थे | और अंग्रेजों ने सबसे पहले इस देश की गुरुकुल परंपरा को ही तोडा था, मैं यहाँ लार्ड मेकॉले की एक उक्ति को यहाँ बताना चाहूँगा जो उसने 2 फ़रवरी 1835 को ब्रिटिश संसद में दिया था, उसने कहा था "“I have traveled across the length and breadth of India and have not seen one person who is a beggar, who is a thief, such wealth I have seen in this country, such high moral values, people of such caliber, that I do not think we would ever conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, which is her spiritual and cultural heritage, and, therefore, I propose that we replace her old and ancient education system, her culture, for if the Indians think that all that is foreign and English is good and greater than their own, they will lose their self esteem, their native culture and they will become what we want them, a truly dominated nation” | गुरुकुल का मतलब हम लोग केवल वेद, पुराण,उपनिषद ही समझते हैं जो की हमारी मुर्खता है अगर आज की भाषा में कहूं तो ये गुरुकुल जो होते थे वो सब के सब Higher Learning Institute हुआ करते थे |
इस संधि में एक और खास बात है | इसमें कहा गया है क़ि अगर हमारे देश के (भारत के) अदालत में कोई ऐसा मुक़दमा आ जाये जिसके फैसले के लिए कोई कानून न हो इस देश में या उसके फैसले को लेकर संबिधान में भी कोई जानकारी न हो तो साफ़ साफ़ संधि में लिखा गया है क़ि वो सारे मुकदमों का फैसला अंग्रेजों के न्याय पद्धति के आदर्शों के आधार पर ही होगा, भारतीय न्याय पद्धति का आदर्श उसमे लागू नहीं होगा | कितनी शर्मनाक स्थिति है ये क़ि हमें अभी भी अंग्रेजों का ही अनुसरण करना होगा |
भारत में आज़ादी की लड़ाई हुई तो वो ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ था और संधि के हिसाब से ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत छोड़ के जाना था और वो चली भी गयी लेकिन इस संधि में ये भी है क़ि ईस्ट इंडिया कम्पनी तो जाएगी भारत से लेकिन बाकि 126 विदेशी कंपनियां भारत में रहेंगी और भारत सरकार उनको पूरा संरक्षण देगी | और उसी का नतीजा है क़ि ब्रुक बोंड, लिप्टन, बाटा, हिंदुस्तान लीवर (अब हिंदुस्तान यूनिलीवर) जैसी 126 कंपनियां आज़ादी के बाद इस देश में बची रह गयी और लुटती रही और आज भी वो सिलसिला जारी है |
अंग्रेजी का स्थान अंग्रेजों के जाने के बाद वैसे ही रहेगा भारत में जैसा क़ि अभी (1946 में) है और ये भी इसी संधि का हिस्सा है | आप देखिये क़ि हमारे देश में, संसद में, न्यायपालिका में, कार्यालयों में हर कहीं अंग्रेजी, अंग्रेजी और अंग्रेजी है जब क़ि इस देश में 99% लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है | और उन 1% लोगों क़ि हालत देखिये क़ि उन्हें मालूम ही नहीं रहता है क़ि उनको पढना क्या है और UNO में जा के भारत के जगह पुर्तगाल का भाषण पढ़ जाते हैं |
आप में से बहुत लोगों को याद होगा क़ि हमारे देश में आजादी के 50 साल बाद तक संसद में वार्षिक बजट शाम को 5:00 बजे पेश किया जाता था | जानते है क्यों ? क्योंकि जब हमारे देश में शाम के 5:00 बजते हैं तो लन्दन में सुबह के 11:30 बजते हैं और अंग्रेज अपनी सुविधा से उनको सुन सके और उस बजट की समीक्षा कर सके | इतनी गुलामी में रहा है ये देश | ये भी इसी संधि का हिस्सा है |
1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो अंग्रेजों ने भारत में राशन कार्ड का सिस्टम शुरू किया क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों को अनाज क़ि जरूरत थी और वे ये अनाज भारत से चाहते थे | इसीलिए उन्होंने यहाँ जनवितरण प्रणाली और राशन कार्ड क़ि शुरुआत क़ि | वो प्रणाली आज भी लागू है इस देश में क्योंकि वो इस संधि में है | और इस राशन कार्ड को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल उसी समय शुरू किया गया और वो आज भी जारी है | जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें ही वोट देने का अधिकार होता था | आज भी देखिये राशन कार्ड ही मुख्य पहचान पत्र है इस देश में |
अंग्रेजों के आने के पहले इस देश में गायों को काटने का कोई कत्लखाना नहीं था | मुगलों के समय तो ये कानून था क़ि कोई अगर गाय को काट दे तो उसका हाथ काट दिया जाता था | अंग्रेज यहाँ आये तो उन्होंने पहली बार कलकत्ता में गाय काटने का कत्लखाना शुरू किया, पहला शराबखाना शुरू किया, पहला वेश्यालय शुरू किया और इस देश में जहाँ जहाँ अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी वहां वहां वेश्याघर बनाये गए, वहां वहां शराबखाना खुला, वहां वहां गाय के काटने के लिए कत्लखाना खुला | ऐसे पुरे देश में 355 छावनियां थी उन अंग्रेजों के | अब ये सब क्यों बनाये गए थे ये आप सब आसानी से समझ सकते हैं | अंग्रेजों के जाने के बाद ये सब ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ क्योंक़ि ये भी इसी संधि में है |
हमारे देश में जो संसदीय लोकतंत्र है वो दरअसल अंग्रेजों का वेस्टमिन्स्टर सिस्टम है | ये अंग्रेजो के इंग्लैंड क़ि संसदीय प्रणाली है | ये कहीं से भी न संसदीय है और न ही लोकतान्त्रिक है| लेकिन इस देश में वही सिस्टम है क्योंकि वो इस संधि में कहा गया है | और इसी वेस्टमिन्स्टर सिस्टम को महात्मा गाँधी बाँझ और वेश्या कहते थे (मतलब आप समझ गए होंगे) |

ऐसी हजारों शर्तें हैं | मैंने अभी जितना जरूरी समझा उतना लिखा है | मतलब यही है क़ि इस देश में जो कुछ भी अभी चल रहा है वो सब अंग्रेजों का है हमारा कुछ नहीं है | अब आप के मन में ये सवाल हो रहा होगा क़ि पहले के राजाओं को तो अंग्रेजी नहीं आती थी तो वो खतरनाक संधियों (साजिस) के जाल में फँस कर अपना राज्य गवां बैठे लेकिन आज़ादी के समय वाले नेताओं को तो अच्छी अंग्रेजी आती थी फिर वो कैसे इन संधियों के जाल में फँस गए | इसका कारण थोडा भिन्न है क्योंकि आज़ादी के समय वाले नेता अंग्रेजों को अपना आदर्श मानते थे इसलिए उन्होंने जानबूझ कर ये संधि क़ि थी | वो मानते थे क़ि अंग्रेजों से बढियां कोई नहीं है इस दुनिया में | भारत की आज़ादी के समय के नेताओं के भाषण आप पढेंगे तो आप पाएंगे क़ि वो केवल देखने में ही भारतीय थे लेकिन मन,कर्म और वचन से अंग्रेज ही थे | वे कहते थे क़ि सारा आदर्श है तो अंग्रेजों में, आदर्श शिक्षा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श अर्थव्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श चिकित्सा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कृषि व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श न्याय व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कानून व्यवस्था है तो अंग्रेजों की | हमारे आज़ादी के समय के नेताओं को अंग्रेजों से बड़ा आदर्श कोई दिखता नहीं था और वे ताल ठोक ठोक कर कहते थे क़ि हमें भारत अंग्रेजों जैसा बनाना है | अंग्रेज हमें जिस रस्ते पर चलाएंगे उसी रास्ते पर हम चलेंगे | इसीलिए वे ऐसी मूर्खतापूर्ण संधियों में फंसे | अगर आप अभी तक उन्हें देशभक्त मान रहे थे तो ये भ्रम दिल से निकाल दीजिये | और आप अगर समझ रहे हैं क़ि वो ABC पार्टी के नेता ख़राब थे या हैं तो XYZ पार्टी के नेता भी दूध के धुले नहीं हैं | आप किसी को भी अच्छा मत समझिएगा क्योंक़ि आज़ादी के बाद के इन 64 सालों में सब ने चाहे वो राष्ट्रीय पार्टी हो या प्रादेशिक पार्टी, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता का स्वाद तो सबो ने चखा ही है | खैर ...............

तो भारत क़ि गुलामी जो अंग्रेजों के ज़माने में थी, अंग्रेजों के जाने के 64 साल बाद आज 2011 में जस क़ि तस है क्योंकि हमने संधि कर रखी है और देश को इन खतरनाक संधियों के मकडजाल में फंसा रखा है | बहुत दुःख होता है अपने देश के बारे जानकार और सोच कर | मैं ये सब कोई ख़ुशी से नहीं लिखता हूँ ये मेरे दिल का दर्द होता है जो मैं आप लोगों से शेयर करता हूँ |

ये सब बदलना जरूरी है लेकिन हमें सरकार नहीं व्यवस्था बदलनी होगी और आप अगर सोच रहे हैं क़ि कोई मसीहा आएगा और सब बदल देगा तो आप ग़लतफ़हमी में जी रहे हैं | कोई हनुमान जी, कोई राम जी, या कोई कृष्ण जी नहीं आने वाले | आपको और हमको ही ये सारे अवतार में आना होगा, हमें ही सड़कों पर उतरना होगा और और इस व्यवस्था को जड मूल से समाप्त करना होगा | भगवान भी उसी की मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करता है 

कुशीनगर दूदही में ग्रामीणों की आंख में धूल झोंक कर जेबें भर रहे निजी क्लिनिक/लैब संचालक, Health & Family Welfare, Shri Alok Saxena, Additional Secretary ने दूदही प्रकरण पर दिये जांच के निर्देश,

कुशीनगर दूदही में ग्रामीणों की आंख में धूल झोंक कर जेबें भर रहे निजी क्लिनिक/लैब संचालक

फर्जी लैब संचालक एक-एक रिपोर्ट के 400 से 1000 रुपए ले रहे रहे हैं।

बीते सप्ताह पहले दूदही के निजी क्लिनिक से दवा ले रहे एक व्यक्ति ने बताया कि उसकी पत्नी प्रेग्नेंट थी जिसका इलाज कराने दूदही के अमन क्लिनिक ले गए यहां गये तो उसने खून की जांच के लिए कस्बे की धनवंतरी पैथालॉजी वाले को बुला कर जांच कराया तो महिला का ब्लड 6.6 यूनिट बताया गया जो काफी कम बताई गई।

कुशीनगर दूदही। एक ओर जहां कोरोना संक्रमण के बढऩे से जन जीवन अस्त-व्यस्त है, वहीं, दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र में फर्जी पैथालॉजी सेंटर भी लोगों को मौत के मुंह में धकेलने का निंदनीय कृत्य कर रहे हैं। बिना किसी कागजात और अनुभव के चलाए जा रहे पैथालॉजी सेंटर अस्पतालो को रोकने में प्रशासन भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।

इस तरह ग्रामीण जनता की आंख में झाेंक रहे धूल: ग्रामीण क्षेत्र के कुशीनगर के दूदही सहित छोटे-छोटे गांवों में जमकर खून की जांच केंद्र और अस्पताल संचालित है और संचालित किए जा रहे हैं। इन संचालकों के पास ना तो कोई डिग्री है और न ही इसको चलाने की कोई तकनीकी अनुभव। ऐसे में ये झोलाछाप संचालक ग्रामीणों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के दूदही में फर्जी लैब खूब फलफूल रहे हैं, दूदही में लैब की इतनी ही संख्या कहाँ से आई किसी को पता नही। यहां संचालक सिर्फ एक सिरिंज और एक मेज-कुर्सी के सहारे पैथालॉजी लैब चल रहे हैं तो वहीं दूदही में तेजी से अस्पतालों की संख्या भी बढ़ रही है। बिना मशीनों के जांच करके रिपोर्ट पेश करने वाले ये फर्जी लैब संचालक एवं डॉक्टर एक-एक रिपोर्ट के 400 से 1000 रुपए ले रहे रहे हैं और उसमें से 150-300 रुपए रेफर करने वाले डाक्टरो को भी कमीशन के रूप में दिए जा रहे है। यहां तक की झोलाछाप द्वारा कमीशन के खेल में मरीजों की जांच के लिए पसंदीदा लैब में खून का सैंपल भेज देते हैं। दिलचस्प बात ये है कि अधिकतर लैब मरीजों को खून कम हो जाने की रिपोर्ट थमा रही है और इसके इलाज की बात कहकर झोलाछाप क्लिनिक वाले भी मोटी कमाई में जुट गए हैं।
एक पीड़ित आया सामने: बीते 24 मई को दूदही अमन क्लिनिक से अपनी पत्नी का दवा इलाज कराने गए चन्दन ने बताया कि उसे पिछले एक माह से हजारों की ठगी फर्जी रिपोर्ट दिखा कर की गई। यहां गये तो उसने खून की जांच के लिए कस्बे की एक पैथालॉजी से एक युवक को बुला कर ब्लड सेम्पल दिया जहां जांच में उसकी ब्लड रिपोर्ट 6.6 थी जो काफी कम बताई गई काफी इलाज के बाद भी मरीज ठीक नही हुआ तो शक होने पर युवक ने अपनी पत्नी को लेकर कुशीनगर के जिला अस्पताल गये एक चिकित्सक के यहा परामर्श लिया तो पता चला केवल बुखार आ रहा था और ब्लड जांच रिपोर्ट 9.2 यूनिट था गलत इलाज करने से महिला और महिला के पेट पल रहे बच्चे को काफी नुकसान हुआ है। इसके बाद युवक दोनों रिपोर्ट के साथ ऑनलाइन पोर्टल के जरिये शिकायत दर्ज कराई और एक शिकायत Centralized Public Grievance Redress and Monitoring System के पास दर्ज करा कर जाँच की मांग की गई।

क्या कहते है स्वास्थ्य और परिवार कल्याण अधिकारी श्री आलोक सक्सेना (अपर सचिव)

जो भी पैथालॉजी सेंटर फर्जी चल रहे हैं उनकी जांच कराई जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। किसी भी कीमत पर उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम को लगाया जा रहा है जो जल्द ही फर्जी लैब और क्लिनिक संचालक पर नियमानुसार कार्यवाही कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दे दिए गए।

इस सम्बंध में 5 जून को प्रकाशित समाचार पढ़ने के लिए क्लिक करे 👈

कुशीनगर दूदही में ग्रामीणों की आंख में धूल झोंक कर जेबें भर रहे निजी क्लिनिक/लैब संचालक, Health & Family Welfare, Shri Alok Saxena, Additional Secretary ने दूदही प्रकरण पर दिये जांच के निर्देश,

कुशीनगर दूदही में ग्रामीणों की आंख में धूल झोंक कर जेबें भर रहे निजी क्लिनिक/लैब संचालक

फर्जी लैब संचालक एक-एक रिपोर्ट के 400 से 1000 रुपए ले रहे रहे हैं।

बीते सप्ताह पहले दूदही के निजी क्लिनिक से दवा ले रहे एक व्यक्ति ने बताया कि उसकी पत्नी प्रेग्नेंट थी जिसका इलाज कराने दूदही के अमन क्लिनिक ले गए यहां गये तो उसने खून की जांच के लिए कस्बे की धनवंतरी पैथालॉजी वाले को बुला कर जांच कराया तो महिला का ब्लड 6.6 यूनिट बताया गया जो काफी कम बताई गई।

कुशीनगर दूदही। एक ओर जहां कोरोना संक्रमण के बढऩे से जन जीवन अस्त-व्यस्त है, वहीं, दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र में फर्जी पैथालॉजी सेंटर भी लोगों को मौत के मुंह में धकेलने का निंदनीय कृत्य कर रहे हैं। बिना किसी कागजात और अनुभव के चलाए जा रहे पैथालॉजी सेंटर अस्पतालो को रोकने में प्रशासन भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।

इस तरह ग्रामीण जनता की आंख में झाेंक रहे धूल: ग्रामीण क्षेत्र के कुशीनगर के दूदही सहित छोटे-छोटे गांवों में जमकर खून की जांच केंद्र और अस्पताल संचालित है और संचालित किए जा रहे हैं। इन संचालकों के पास ना तो कोई डिग्री है और न ही इसको चलाने की कोई तकनीकी अनुभव। ऐसे में ये झोलाछाप संचालक ग्रामीणों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के दूदही में फर्जी लैब खूब फलफूल रहे हैं, दूदही में लैब की इतनी ही संख्या कहाँ से आई किसी को पता नही। यहां संचालक सिर्फ एक सिरिंज और एक मेज-कुर्सी के सहारे पैथालॉजी लैब चल रहे हैं तो वहीं दूदही में तेजी से अस्पतालों की संख्या भी बढ़ रही है। बिना मशीनों के जांच करके रिपोर्ट पेश करने वाले ये फर्जी लैब संचालक एवं डॉक्टर एक-एक रिपोर्ट के 400 से 1000 रुपए ले रहे रहे हैं और उसमें से 150-300 रुपए रेफर करने वाले डाक्टरो को भी कमीशन के रूप में दिए जा रहे है। यहां तक की झोलाछाप द्वारा कमीशन के खेल में मरीजों की जांच के लिए पसंदीदा लैब में खून का सैंपल भेज देते हैं। दिलचस्प बात ये है कि अधिकतर लैब मरीजों को खून कम हो जाने की रिपोर्ट थमा रही है और इसके इलाज की बात कहकर झोलाछाप क्लिनिक वाले भी मोटी कमाई में जुट गए हैं।
एक पीड़ित आया सामने: बीते 24 मई को दूदही अमन क्लिनिक से अपनी पत्नी का दवा इलाज कराने गए चन्दन ने बताया कि उसे पिछले एक माह से हजारों की ठगी फर्जी रिपोर्ट दिखा कर की गई। यहां गये तो उसने खून की जांच के लिए कस्बे की एक पैथालॉजी से एक युवक को बुला कर ब्लड सेम्पल दिया जहां जांच में उसकी ब्लड रिपोर्ट 6.6 थी जो काफी कम बताई गई काफी इलाज के बाद भी मरीज ठीक नही हुआ तो शक होने पर युवक ने अपनी पत्नी को लेकर कुशीनगर के जिला अस्पताल गये एक चिकित्सक के यहा परामर्श लिया तो पता चला केवल बुखार आ रहा था और ब्लड जांच रिपोर्ट 9.2 यूनिट था गलत इलाज करने से महिला और महिला के पेट पल रहे बच्चे को काफी नुकसान हुआ है। इसके बाद युवक दोनों रिपोर्ट के साथ ऑनलाइन पोर्टल के जरिये शिकायत दर्ज कराई और एक शिकायत Centralized Public Grievance Redress and Monitoring System के पास दर्ज करा कर जाँच की मांग की गई।

क्या कहते है स्वास्थ्य और परिवार कल्याण अधिकारी श्री आलोक सक्सेना (अपर सचिव)

जो भी पैथालॉजी सेंटर फर्जी चल रहे हैं उनकी जांच कराई जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। किसी भी कीमत पर उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम को लगाया जा रहा है जो जल्द ही फर्जी लैब और क्लिनिक संचालक पर नियमानुसार कार्यवाही कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दे दिए गए।

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LIC में बेटी के नाम पर जमा करें सिर्फ 150 रुपया, शादी के समय मिलेंगे 22 लाख रुपया, जानें

LIC में बेटी के नाम पर जमा करें सिर्फ 150 रुपया, शादी के समय मिलेंगे 22 लाख रुपया, जानें

दिल्ली। अगर आप अपनी बेटी के लिए पैसे बचत कर रहे हैं तो आपके पास एक शानदार स्कीम है। जहां आप अपनी बेटी के बेहतर भविष्य के इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। आज हम आपको LIC की एक ऐसी पॉलिसी के बारे में बता रहे हैं, जिसमें आपकी बेटी का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा। देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने इसके लिए एक खास स्कीम निकाली है। इस स्कीम का नाम है एलआईसी कन्यादान पॉलिसी। LIC की ये स्कीम कम आय वाले माता-पिता को बेटियों की शादी के लिए रकम जुटाने में मदद करती है। इसमें बेटी के अकाउंट में एकमुश्त 22 लाख रुपये मिलेंगे।

LIC की इस पॉलिसी के तहत आपको हर दिन दिन सिर्फ 150 रुपये निवेश करना होगा। जब आपको बेटी की शादी करनाा होगा तो 22 लाख रुपये मिलेंगे। इस पॉलिसी को लेने के बाद अगर पिता की मौत हो जाती है। तो निवेश नहीं करना पड़ेगा। पॉलिसी उसी तरह चलती रहेगी। इसके साथ ही पिता की मौत होने पर तत्काल 10 लाख रुपये मिलेंगे। इसके अलावा अगर पिता की मौत एक्सीडेंट में होतीी है तो 20 लाख रुपये मिलते हैं।

इस पॉलिसी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि जब तक बेटी का विवाह नहीं हो जाता है तब तक हर साल पढ़ाई या दूसरे खर्च के लिए 1 लाख रुपये मिलते रहेंगे। और, इसके साथ पॉलिसी भी चलती रहेगी। इस पॉलिसी के बारे में आपको अधिक जानकारी के LIC की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं या अपने नजदीकी LIC एजेंट से पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं।

LIC में बेटी के नाम पर जमा करें सिर्फ 150 रुपया, शादी के समय मिलेंगे 22 लाख रुपया, जानें

LIC में बेटी के नाम पर जमा करें सिर्फ 150 रुपया, शादी के समय मिलेंगे 22 लाख रुपया, जानें

दिल्ली। अगर आप अपनी बेटी के लिए पैसे बचत कर रहे हैं तो आपके पास एक शानदार स्कीम है। जहां आप अपनी बेटी के बेहतर भविष्य के इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। आज हम आपको LIC की एक ऐसी पॉलिसी के बारे में बता रहे हैं, जिसमें आपकी बेटी का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा। देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने इसके लिए एक खास स्कीम निकाली है। इस स्कीम का नाम है एलआईसी कन्यादान पॉलिसी। LIC की ये स्कीम कम आय वाले माता-पिता को बेटियों की शादी के लिए रकम जुटाने में मदद करती है। इसमें बेटी के अकाउंट में एकमुश्त 22 लाख रुपये मिलेंगे।

LIC की इस पॉलिसी के तहत आपको हर दिन दिन सिर्फ 150 रुपये निवेश करना होगा। जब आपको बेटी की शादी करनाा होगा तो 22 लाख रुपये मिलेंगे। इस पॉलिसी को लेने के बाद अगर पिता की मौत हो जाती है। तो निवेश नहीं करना पड़ेगा। पॉलिसी उसी तरह चलती रहेगी। इसके साथ ही पिता की मौत होने पर तत्काल 10 लाख रुपये मिलेंगे। इसके अलावा अगर पिता की मौत एक्सीडेंट में होतीी है तो 20 लाख रुपये मिलते हैं।

इस पॉलिसी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि जब तक बेटी का विवाह नहीं हो जाता है तब तक हर साल पढ़ाई या दूसरे खर्च के लिए 1 लाख रुपये मिलते रहेंगे। और, इसके साथ पॉलिसी भी चलती रहेगी। इस पॉलिसी के बारे में आपको अधिक जानकारी के LIC की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं या अपने नजदीकी LIC एजेंट से पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं।

दूदही में जिस पुल का पैसा चपत किया गया था उन पुलों का निर्माण हो रहा है। खबर का असर

दूदही हाई स्कूल से टैक्सी स्टैंड रोड़, खबर का असर जिस पुल का पैसा चपत किया गया था उन पुलों का निर्माण हो रहा है।
28 अप्रैल को प्रकाशित को खबर पढ़ने के लिए क्लिक करे।
  🖕दूदही गांधी चौक हो रही निर्माण की तस्वीर🖕

नव निर्मित नगर पंचायत दुदही में आरसीसी सड़क निर्माण हुए अभी 1 महीने भी नहीं हुए हैं और जगह-जगह सड़क टूटने लगी है।

दूदही में जिस पुल का पैसा चपत किया गया था उन पुलों का निर्माण हो रहा है। खबर का असर

दूदही हाई स्कूल से टैक्सी स्टैंड रोड़, खबर का असर जिस पुल का पैसा चपत किया गया था उन पुलों का निर्माण हो रहा है।
28 अप्रैल को प्रकाशित को खबर पढ़ने के लिए क्लिक करे।
  🖕दूदही गांधी चौक हो रही निर्माण की तस्वीर🖕

नव निर्मित नगर पंचायत दुदही में आरसीसी सड़क निर्माण हुए अभी 1 महीने भी नहीं हुए हैं और जगह-जगह सड़क टूटने लगी है।

कुशीनगर में नाबालिक युवती का अपहरण, परिजनो ने शिकायत दर्ज कराई गई।

कुशीनगर में नाबालिग युवती का अपहरण, परिजनो ने शिकायत दर्ज कराई गई।

कुशीनगर | के विशुनपुरा थाना क्षेत्र से एक नाबालिग युवती के अपहरण का मामला सामने आया है। अपहर्ता ग्राम सभा कोकिल पट्टी पोस्ट दूदही के ही रहने वाला है अपहरण कर्ता। बताया जा रहा है। नाबालिग के अपहरण का मामला बीते मंगलवार की देर रात युवती का अपहरण का मामला सामने आया है। अपहरण की यह घटना बीते मंगलवार 15 जून 2021 की रात्रि को हुआ, जब युवती रात्रि 11:00 बजे शौच के लिए घर से निकली थी। इस दौरान युवती जब देर तक घर नहीं लौटी, तो युवती के भाई ने बहन को खोजना शुरू किया। बताया जा रहा है कि युवती के बड़े भाई ने विशुनपुरा थाना में बहन के अपहरण का केस दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है। आरोप है कि कुशीनगर के विशुनपुरा थाना कि क्षेत्र के ग्राम कोकिल पट्टी निवासी बाबर पुत्र सनाउल्लाह के द्वारा पिछले 1 महीने से किसी बात को लेकर बाबर ब्लैकमेल कर रहा था।

युवती इसी कारण कई दिनों से चिंता में थी आरोप है कि दिनांक 15 जून 2021 को रात्रि 11 बजे युवती को ब्लैकमेल कर जबरजस्ती घर मे रखा लाखो का जेवरात और 50 हजार नगद मंगवाया गया जिसके बाद युवती को अपहरण कर लिया गया युवती घर से शौच के बहाने घर से निकली थी परंतु देर रात तक वापस नही लौटी तो परिजनों ने छानबीन करने सुरु कर दिया छानबीन के बाद युवती का पता नही चला तो युवती के बड़े भाई ने विशुनपुरा थाना में लिखित तहरीर दे कर कार्यवाही की मांग की गई है। युवती के परिजनों ने बताया कि वारदात की रात्रि 11:59 घर के नम्बर पर बाबर का फोन आया था युवती घर वालो से कुछ बताती उससे पहले ही मोबाइल काट कर स्विच ऑफ कर दिया गया जिसके बाद अब तक मोबाइल आन नही हुआ है। उक्त घटना से परिजनो का रो रो कर बुरा हाल है। समाचार लिखे जाने तक मुकदमा दर्ज नही हो सका पुलिस इस प्रकरण को कितनी गम्भीरता से लेती है इसका पता कुछ दिनों मे चल जाएगा परिजनों ने बताया की बाबर से उनकी पुरानी दुश्मनी है घर वालो को शक है कि पुलिस कार्यवाही जल्दी नही करती है तो युवती की कहीं हत्या न कर दिया जाए।


कुशीनगर में नाबालिक युवती का अपहरण, परिजनो ने शिकायत दर्ज कराई गई।

कुशीनगर में नाबालिग युवती का अपहरण, परिजनो ने शिकायत दर्ज कराई गई।

कुशीनगर | के विशुनपुरा थाना क्षेत्र से एक नाबालिग युवती के अपहरण का मामला सामने आया है। अपहर्ता ग्राम सभा कोकिल पट्टी पोस्ट दूदही के ही रहने वाला है अपहरण कर्ता। बताया जा रहा है। नाबालिग के अपहरण का मामला बीते मंगलवार की देर रात युवती का अपहरण का मामला सामने आया है। अपहरण की यह घटना बीते मंगलवार 15 जून 2021 की रात्रि को हुआ, जब युवती रात्रि 11:00 बजे शौच के लिए घर से निकली थी। इस दौरान युवती जब देर तक घर नहीं लौटी, तो युवती के भाई ने बहन को खोजना शुरू किया। बताया जा रहा है कि युवती के बड़े भाई ने विशुनपुरा थाना में बहन के अपहरण का केस दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है। आरोप है कि कुशीनगर के विशुनपुरा थाना कि क्षेत्र के ग्राम कोकिल पट्टी निवासी बाबर पुत्र सनाउल्लाह के द्वारा पिछले 1 महीने से किसी बात को लेकर बाबर ब्लैकमेल कर रहा था।

युवती इसी कारण कई दिनों से चिंता में थी आरोप है कि दिनांक 15 जून 2021 को रात्रि 11 बजे युवती को ब्लैकमेल कर जबरजस्ती घर मे रखा लाखो का जेवरात और 50 हजार नगद मंगवाया गया जिसके बाद युवती को अपहरण कर लिया गया युवती घर से शौच के बहाने घर से निकली थी परंतु देर रात तक वापस नही लौटी तो परिजनों ने छानबीन करने सुरु कर दिया छानबीन के बाद युवती का पता नही चला तो युवती के बड़े भाई ने विशुनपुरा थाना में लिखित तहरीर दे कर कार्यवाही की मांग की गई है। युवती के परिजनों ने बताया कि वारदात की रात्रि 11:59 घर के नम्बर पर बाबर का फोन आया था युवती घर वालो से कुछ बताती उससे पहले ही मोबाइल काट कर स्विच ऑफ कर दिया गया जिसके बाद अब तक मोबाइल आन नही हुआ है। उक्त घटना से परिजनो का रो रो कर बुरा हाल है। समाचार लिखे जाने तक मुकदमा दर्ज नही हो सका पुलिस इस प्रकरण को कितनी गम्भीरता से लेती है इसका पता कुछ दिनों मे चल जाएगा परिजनों ने बताया की बाबर से उनकी पुरानी दुश्मनी है घर वालो को शक है कि पुलिस कार्यवाही जल्दी नही करती है तो युवती की कहीं हत्या न कर दिया जाए।


गौरी इब्राहिम के प्रधान और लेखपाल की मिली भगत से सरकारी सम्पत्तियों पर अतिक्रमण बा दस्तूर जारी ?

गौरी इब्राहिम में अवैध पक्का अतिक्रमण जोर शोर से बादस्तूर जारी
ग्राम प्रधान और लेखपाल की मिली भगत से सरकारी सम्पत्तियों पर अतिक्रमण जोरो पर

कुशीनगर जनपद के तहसील तमकुहीराज ग्रामसभा गौरी इब्राहिम में स्थित आराजी नम्बर 496 सरकारी संपत्ति पर दबंगो द्वारा पक्का निर्माण का कार्य करवाने समाचार प्रकाश में आया है। 
मिली जानकारी के अनुसार गौरी इब्राहिम निवासी दर्जनों लोगो ने नायब तहसीलदार महोदय को ऑनलाइन पोर्टल के जरिये प्रार्थना पत्र दे कर शिकायत किया गया है कि आराजी नम्बर 496 में जगरनाथ सिंह के द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है। इस सम्बंध में ग्रामीणों ने बताया कि गौरी इब्राहिम में लेखपाल प्रधान की मिली भगत से सरकारी सम्पत्तियों पर दबंगो का कब्जा दिलवाने कार्य जोर शोर पर है लेखपाल पर आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने बताया लेखपाल साहब मोटी रकम ले कर दबंगो का कब्जा दिलवाने में बड़ी माहिर ब्यक्ति है इतना माहिर की इनकी मिली भगत का पता उच्च अधिकारियों को भी नही चलता और बड़ी आसानी से लेखपाल साहब सरकारी सम्पत्तियों पर अवैध निर्माण करवा देते है। गैरतलब है कि दिनांक 11 जून 2021 को जगरनाथ सिंह के द्वारा सरकारी संपत्ति पर अवैध रूप से पक्का अतिक्रमण करवा रहे इसकी सूचना तहसीलदार महोदय को दी गई जिसके बाद लेखपाल साहब ने जगरनाथ सिंह को फोन करके काम रोकवाने को कहे जिसके बाद काम रुक गया परंतु पुनः निर्माण कार्य बादस्तूर जारी है इस सम्बंध में हमारे संवादाता द्वारा लेखपाल से बात किया गया तो लेखपाल साहब ने बताया की निर्माण कार्य हो रहा था काम तत्काल प्रभाव से रोकवा दिया गया है जल्द ही वहां पैमाइस कर सीमांकन करके आवश्यक कार्यवाही की जाएगी परंतु लेखपाल साहब के बात का कोई भी प्रभाव अतिक्रमण कारियो पर नही पड़ा और अवैध निर्माण कार्य बादस्तूर जारी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ग्रामीणों के प्रार्थना पत्र पर कार्यवाही होती है या नही ?

गौरी इब्राहिम के प्रधान और लेखपाल की मिली भगत से सरकारी सम्पत्तियों पर अतिक्रमण बा दस्तूर जारी ?

गौरी इब्राहिम में अवैध पक्का अतिक्रमण जोर शोर से बादस्तूर जारी
ग्राम प्रधान और लेखपाल की मिली भगत से सरकारी सम्पत्तियों पर अतिक्रमण जोरो पर

कुशीनगर जनपद के तहसील तमकुहीराज ग्रामसभा गौरी इब्राहिम में स्थित आराजी नम्बर 496 सरकारी संपत्ति पर दबंगो द्वारा पक्का निर्माण का कार्य करवाने समाचार प्रकाश में आया है। 
मिली जानकारी के अनुसार गौरी इब्राहिम निवासी दर्जनों लोगो ने नायब तहसीलदार महोदय को ऑनलाइन पोर्टल के जरिये प्रार्थना पत्र दे कर शिकायत किया गया है कि आराजी नम्बर 496 में जगरनाथ सिंह के द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है। इस सम्बंध में ग्रामीणों ने बताया कि गौरी इब्राहिम में लेखपाल प्रधान की मिली भगत से सरकारी सम्पत्तियों पर दबंगो का कब्जा दिलवाने कार्य जोर शोर पर है लेखपाल पर आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने बताया लेखपाल साहब मोटी रकम ले कर दबंगो का कब्जा दिलवाने में बड़ी माहिर ब्यक्ति है इतना माहिर की इनकी मिली भगत का पता उच्च अधिकारियों को भी नही चलता और बड़ी आसानी से लेखपाल साहब सरकारी सम्पत्तियों पर अवैध निर्माण करवा देते है। गैरतलब है कि दिनांक 11 जून 2021 को जगरनाथ सिंह के द्वारा सरकारी संपत्ति पर अवैध रूप से पक्का अतिक्रमण करवा रहे इसकी सूचना तहसीलदार महोदय को दी गई जिसके बाद लेखपाल साहब ने जगरनाथ सिंह को फोन करके काम रोकवाने को कहे जिसके बाद काम रुक गया परंतु पुनः निर्माण कार्य बादस्तूर जारी है इस सम्बंध में हमारे संवादाता द्वारा लेखपाल से बात किया गया तो लेखपाल साहब ने बताया की निर्माण कार्य हो रहा था काम तत्काल प्रभाव से रोकवा दिया गया है जल्द ही वहां पैमाइस कर सीमांकन करके आवश्यक कार्यवाही की जाएगी परंतु लेखपाल साहब के बात का कोई भी प्रभाव अतिक्रमण कारियो पर नही पड़ा और अवैध निर्माण कार्य बादस्तूर जारी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ग्रामीणों के प्रार्थना पत्र पर कार्यवाही होती है या नही ?

जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव एक साथ होंगे। अधिसूचना 20 जून के बाद जारी होने की उम्मीद है।

जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव एक साथ होंगे। अधिसूचना 20 जून के बाद जारी होने की उम्मीद है।

जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव के लिए अधिसूचना 20 जून के बाद जारी होने की उम्मीद है। प्रदेश सरकार ने 12 जुलाई के पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का निर्णय लिया है। इसे देखते हुए तैयारियां तेजी से चल रही हैं।

Ak Sahara News उत्तर प्रदेश गोरखपुर-:  जिला पंचायत और ब्लाक प्रमुख के चुनाव एक साथ कराने की तैयारी शुरू हो गई है। चुनाव मई में ही कराने की योजना थी लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए इसे जून में कराने का निर्णय लेना पड़ा। 14 जून को त्रिस्तरीय पंचायत उपचुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव की घोषणा की जा सकती है। अफसरों ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जिले में 20 ब्लाक और जिला पंचायत सदस्यों के 68 वार्ड हैं।
20 जून के बाद जारी हो सकती है अधिसूचना
जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव के लिए अधिसूचना 20 जून के बाद जारी होने की उम्मीद है। प्रदेश सरकार ने 12 जुलाई के पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का निर्णय लिया है। इसे देखते हुए तैयारियां तेजी से चल रही हैं। पंचायती राज विभाग ने राज्य निर्वाचन आयोग को तैयारियों के संबंध में पत्र भी लिख दिया है।

204 पदों पर मतदान 12 को

त्रिस्तरीय पंचायत उपचुनाव में 12 जून को मतदान होगा। इसके लिए सभी तैयारियां तेजी से पूरी की जा रही हैं। 14 जून को मतगणना होगी। जिले में ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए 191 वार्ड, ग्राम प्रधान के लिए छह ग्राम पंचायत और बीडीसी सदस्य के सात पदों के लिए मतदान होगा। जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करने में जुटा हुआ है। जिले में ग्राम पंचायत सदस्य के 4496 पद, ग्राम प्रधान के सात और बीडीसी के नौ पद रिक्त थे। रविवार को नाम वापसी के बाद अधिकांश पदों पर निॢवरोध निर्वाचन हो चुका है। इस बार भी कुछ पदों पर नामांकन नहीं हुआ था। ग्राम प्रधान के एक पद पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ है
जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर का कहना है कि जिले में त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत उपचुनाव में 12 जून को मतदान होगा। इसके लिए सभी तैयारियां तेजी से पूरी की जा रही हैं। 14 जून को मतगणना होगी। मतगणना के तत्काल बाद परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।

जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव एक साथ होंगे। अधिसूचना 20 जून के बाद जारी होने की उम्मीद है।

जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव एक साथ होंगे। अधिसूचना 20 जून के बाद जारी होने की उम्मीद है।

जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव के लिए अधिसूचना 20 जून के बाद जारी होने की उम्मीद है। प्रदेश सरकार ने 12 जुलाई के पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का निर्णय लिया है। इसे देखते हुए तैयारियां तेजी से चल रही हैं।

Ak Sahara News उत्तर प्रदेश गोरखपुर-:  जिला पंचायत और ब्लाक प्रमुख के चुनाव एक साथ कराने की तैयारी शुरू हो गई है। चुनाव मई में ही कराने की योजना थी लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए इसे जून में कराने का निर्णय लेना पड़ा। 14 जून को त्रिस्तरीय पंचायत उपचुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव की घोषणा की जा सकती है। अफसरों ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जिले में 20 ब्लाक और जिला पंचायत सदस्यों के 68 वार्ड हैं।
20 जून के बाद जारी हो सकती है अधिसूचना
जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव के लिए अधिसूचना 20 जून के बाद जारी होने की उम्मीद है। प्रदेश सरकार ने 12 जुलाई के पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का निर्णय लिया है। इसे देखते हुए तैयारियां तेजी से चल रही हैं। पंचायती राज विभाग ने राज्य निर्वाचन आयोग को तैयारियों के संबंध में पत्र भी लिख दिया है।

204 पदों पर मतदान 12 को

त्रिस्तरीय पंचायत उपचुनाव में 12 जून को मतदान होगा। इसके लिए सभी तैयारियां तेजी से पूरी की जा रही हैं। 14 जून को मतगणना होगी। जिले में ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए 191 वार्ड, ग्राम प्रधान के लिए छह ग्राम पंचायत और बीडीसी सदस्य के सात पदों के लिए मतदान होगा। जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करने में जुटा हुआ है। जिले में ग्राम पंचायत सदस्य के 4496 पद, ग्राम प्रधान के सात और बीडीसी के नौ पद रिक्त थे। रविवार को नाम वापसी के बाद अधिकांश पदों पर निॢवरोध निर्वाचन हो चुका है। इस बार भी कुछ पदों पर नामांकन नहीं हुआ था। ग्राम प्रधान के एक पद पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ है
जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर का कहना है कि जिले में त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत उपचुनाव में 12 जून को मतदान होगा। इसके लिए सभी तैयारियां तेजी से पूरी की जा रही हैं। 14 जून को मतगणना होगी। मतगणना के तत्काल बाद परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।

दूदही में फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट बना कर डाक्टर और पैथालॉजी संचालक ने की हजारो की ठगी, स्वस्थ विभाग की उदासीनता से दूदही में फर्जी पैथलॉजी लैब क्लीनिकों का कारोबार खूब फलफूल रहा है।

स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से दूदही में फर्जी पैथलॉजी लैब, क्लीनिकों का कारोबार खूब फलफूल रहा है।
दूदही शहर में डॉक्टरों के क्लीनिक व नर्सिंग होम के आसपास कुकुरमुत्ते की तरह उपजे पैथोलॉजी लैबों में जहां एक तरफ मरीजों का आर्थिक शोषण होता है, वहीं उनके द्वारा किए गए जांच की गलत रिपोर्ट होने से मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। इसी प्रकार का ताजा मामला प्रकाश में आया है पीड़ित ने बताया कि कुछ दिन पहले दूदही गोला बाज़ार निवासी चन्दन मद्देशिया पुत्र राजेन्द्र मद्देशिया की पत्नी का 9 माह की प्रेग्नेंट है इनके पैर में कुछ दिनों से सूजन हो गया था जिसका इजाज कराने दूदही ब्लाक रोड में स्थित अमन क्लिनिक के डॉक्टर विनोद गुप्ता के पास ले गए थे। पीड़ित का आरोप है कि अमन क्लिनिक पर डॉक्टर ने पहले ब्लड जांच करवाने के लिए ब्लड सेम्पल ले कर धनवंतरी पैथालॉजी भेज दिए उसके बाद बिना चेकप किये ही महिला का इलाज किये और बोतल चढ़ाने लगे जिसके बाद महिला की हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो गई करीब एक घण्टे बाद पैथालॉजी रिपोर्ट आया जिसमे ब्लड 6.6 ब्लड बता कर हजारो का इलाज किया गया परंतु कोई फायदा नही हुआ शाम को डॉक्टर ने अस्पताल से महिला को दवा दे कर डिस्चार्ज कर दिए कुछ दिन तक इलाज कराने के बाद कोई फायदा नही हुआ तो चन्दन अपनी पत्नी को लेकर कुशीनगर के जिला अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने जांच कर इलाज किये और पुनः ब्लड चेक किये तो रिपोर्ट देख कर डॉक्टरो के होश उड़ गए जिला अस्पताल द्वारा किये गए जांच में महिला का ब्लड 9.2 यूनिट आया था डॉक्टरो ने दूदही के पैथालॉजी के रिपोर्ट को फर्जी माना और डॉक्टरों ने बताया कि केवल धन उगाई के लिए स्थानीय पैथालॉजी सेंटर संचालक और डॉक्टरो को मिली भगत हो सकती है। पीड़ित ने बताया की वो पिछले एक सप्ताह से आर्थिक और मानसिक तकलीफ झेल रहा हूँ और फर्जी रिपोर्ट के बुनियाद पर फर्जी डाक्टरो ने तकरीबन 50 हजार का चूना लगाया है। पीड़ित ने लिखित तहरीर के साथ दोनों रिपोर्ट संगलग्न कर चिकित्सा विभाग और पुलिस प्रशासन को शिकायती प्रार्थना पत्र दे कर कार्यवाही की मांग की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दोषियों कार्यवाही होती है या फिर हमेसा की तरह इस बार भी यह मामला पुरानी परंपरा की दब जाएगा या नही ?
 केवल दूदही शहर में एक दर्जन से अधिक पैथोलॉजी लैब संचालित हो रहे हैं। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग के पास दूदही के कुछ गिने चुने लैब ही रजिस्टर्ड हैं। जानकारों का कहना है कि शहर में 10 पैथोलॉजी सेंटर जांच घर ही में चल रहे है। वहीं कुछ लैब टेक्नीशियनों द्वारा भी पैथोलॉजी लैब चलाए जा रहे हैं। लेकिन सबसे अधिक संख्या वैसे पैथोलॉजी लैबों की है जिन्हें न तो डॉक्टर चला रहे हैं ना ही एलटी। ऐसे पैथोलॉजी लैब फर्जी तरीके से संचालित हो रही है। दूदही में ऐसे पैथोलॉजी लैबों की संख्या काफी अधिक हैं। केवल दूदही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल रोड़ में ही दर्जनों ऐसे लैब संचालित हैं जिनपर कहीं कोई साइन बोर्ड तक नहीं लगा है। ये डॉक्टरों के पास कार्यरत स्टॉफ की मिलीभगत से मरीज को लैब तक लाते हैं।
बाहर के डॉक्टरों के नाम पर चल रहें हैं पैथालॉजी लैब
दूदही में कुछ ऐसे पैथोलॉजी लैब भी चल रहे हैं जो किसी ऐसे डॉक्टर के नाम पर रजिस्टर्ड है जो यहां रहते तक नहीं है। उन लैबों में नौसिखिए खून निकाल रहे हैं। जांच कर रहे हैं और रिपोर्ट भी बनाकर दे दे रहे हैं। इतना ही नहीं उस रिपोर्ट पर किसी डॉक्टर का हस्ताक्षर ले लेते हैं। ये डॉक्टर कौन होता है कोई नहीं जानता। सभी की रिपोर्ट में किसी न किसी डॉक्टर का हस्ताक्षर रहता है। जबकि ऐसे कई जांच हैं जो सिर्फ एमडी (पैथोलॉजी) ही कर सकते हैं।

क्या कहते हैं दूदही CHC प्रभारी ऐ0के0 पांडेय

डॉक्टर ऐ0के0 पांडेय ने बताया कि विभाग द्वारा दिए गए गाइडलाइन के अनुसार ही पैथोलॉजी लैब का संचालन हो सकता है। इसमें माइक्रोस्कोप से होने वाली जांच सिर्फ एमडी पैथोलॉजी ही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित पैथोलॉजी लैबों पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।

दूदही में फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट बना कर डाक्टर और पैथालॉजी संचालक ने की हजारो की ठगी, स्वस्थ विभाग की उदासीनता से दूदही में फर्जी पैथलॉजी लैब क्लीनिकों का कारोबार खूब फलफूल रहा है।

स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से दूदही में फर्जी पैथलॉजी लैब, क्लीनिकों का कारोबार खूब फलफूल रहा है।
दूदही शहर में डॉक्टरों के क्लीनिक व नर्सिंग होम के आसपास कुकुरमुत्ते की तरह उपजे पैथोलॉजी लैबों में जहां एक तरफ मरीजों का आर्थिक शोषण होता है, वहीं उनके द्वारा किए गए जांच की गलत रिपोर्ट होने से मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। इसी प्रकार का ताजा मामला प्रकाश में आया है पीड़ित ने बताया कि कुछ दिन पहले दूदही गोला बाज़ार निवासी चन्दन मद्देशिया पुत्र राजेन्द्र मद्देशिया की पत्नी का 9 माह की प्रेग्नेंट है इनके पैर में कुछ दिनों से सूजन हो गया था जिसका इजाज कराने दूदही ब्लाक रोड में स्थित अमन क्लिनिक के डॉक्टर विनोद गुप्ता के पास ले गए थे। पीड़ित का आरोप है कि अमन क्लिनिक पर डॉक्टर ने पहले ब्लड जांच करवाने के लिए ब्लड सेम्पल ले कर धनवंतरी पैथालॉजी भेज दिए उसके बाद बिना चेकप किये ही महिला का इलाज किये और बोतल चढ़ाने लगे जिसके बाद महिला की हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो गई करीब एक घण्टे बाद पैथालॉजी रिपोर्ट आया जिसमे ब्लड 6.6 ब्लड बता कर हजारो का इलाज किया गया परंतु कोई फायदा नही हुआ शाम को डॉक्टर ने अस्पताल से महिला को दवा दे कर डिस्चार्ज कर दिए कुछ दिन तक इलाज कराने के बाद कोई फायदा नही हुआ तो चन्दन अपनी पत्नी को लेकर कुशीनगर के जिला अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने जांच कर इलाज किये और पुनः ब्लड चेक किये तो रिपोर्ट देख कर डॉक्टरो के होश उड़ गए जिला अस्पताल द्वारा किये गए जांच में महिला का ब्लड 9.2 यूनिट आया था डॉक्टरो ने दूदही के पैथालॉजी के रिपोर्ट को फर्जी माना और डॉक्टरों ने बताया कि केवल धन उगाई के लिए स्थानीय पैथालॉजी सेंटर संचालक और डॉक्टरो को मिली भगत हो सकती है। पीड़ित ने बताया की वो पिछले एक सप्ताह से आर्थिक और मानसिक तकलीफ झेल रहा हूँ और फर्जी रिपोर्ट के बुनियाद पर फर्जी डाक्टरो ने तकरीबन 50 हजार का चूना लगाया है। पीड़ित ने लिखित तहरीर के साथ दोनों रिपोर्ट संगलग्न कर चिकित्सा विभाग और पुलिस प्रशासन को शिकायती प्रार्थना पत्र दे कर कार्यवाही की मांग की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दोषियों कार्यवाही होती है या फिर हमेसा की तरह इस बार भी यह मामला पुरानी परंपरा की दब जाएगा या नही ?
 केवल दूदही शहर में एक दर्जन से अधिक पैथोलॉजी लैब संचालित हो रहे हैं। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग के पास दूदही के कुछ गिने चुने लैब ही रजिस्टर्ड हैं। जानकारों का कहना है कि शहर में 10 पैथोलॉजी सेंटर जांच घर ही में चल रहे है। वहीं कुछ लैब टेक्नीशियनों द्वारा भी पैथोलॉजी लैब चलाए जा रहे हैं। लेकिन सबसे अधिक संख्या वैसे पैथोलॉजी लैबों की है जिन्हें न तो डॉक्टर चला रहे हैं ना ही एलटी। ऐसे पैथोलॉजी लैब फर्जी तरीके से संचालित हो रही है। दूदही में ऐसे पैथोलॉजी लैबों की संख्या काफी अधिक हैं। केवल दूदही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल रोड़ में ही दर्जनों ऐसे लैब संचालित हैं जिनपर कहीं कोई साइन बोर्ड तक नहीं लगा है। ये डॉक्टरों के पास कार्यरत स्टॉफ की मिलीभगत से मरीज को लैब तक लाते हैं।
बाहर के डॉक्टरों के नाम पर चल रहें हैं पैथालॉजी लैब
दूदही में कुछ ऐसे पैथोलॉजी लैब भी चल रहे हैं जो किसी ऐसे डॉक्टर के नाम पर रजिस्टर्ड है जो यहां रहते तक नहीं है। उन लैबों में नौसिखिए खून निकाल रहे हैं। जांच कर रहे हैं और रिपोर्ट भी बनाकर दे दे रहे हैं। इतना ही नहीं उस रिपोर्ट पर किसी डॉक्टर का हस्ताक्षर ले लेते हैं। ये डॉक्टर कौन होता है कोई नहीं जानता। सभी की रिपोर्ट में किसी न किसी डॉक्टर का हस्ताक्षर रहता है। जबकि ऐसे कई जांच हैं जो सिर्फ एमडी (पैथोलॉजी) ही कर सकते हैं।

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