जमीदारों की जमीनी हकीकत का जिता जागता नमूना, जो देखेगा तो यह नही कहेगा कि अभी हमने जी भर के देखा नही। हमारा देश आजाद तो हो गया लेकिन जमीदारो की कुचकी चक्रवात से गरीबो को निजात अब तक नही मिला, क्या नई सरकार गरीबो को निजात दिला पाएगी ?
दुदही जनपद कुशीनगर। अमीरो के जूते गरीबो के सर पर सदा से रहे है। ऐसा लगता है की सदा तक रहेगें। सरकार सरकसो को सर करने के लिए कानून बनाती है।उसी कानून को ढाल बनाकर सरकसी करने वाले लोग अपने मकसद में कामयाब होते रहते है। आज कल लोग अपने दुश्मनो को शिकस्त कर जेल भेजवाने के लिए हरिजन उत्पीड़न, महिला उत्पीड़न जैसे जघन्य अपराधिक धाराओ में जेल भेजवाने के लिए पैसे को पानी की तरह बहा कर अपने मकशद में कामयाब हो कर अपने जित का जश्न मनाते है।
दूसरी तरफ हक और इंसाफ की लड़ाई लड़ने वाला आदमी हरिजन उत्पीड़न, महिला उत्पीड़न का शिकार होता है।
इसी क्रम में थाना विशुनपुरा अंतर्गत ग्राम बांसगांव टोला गीदहवां निवासी स्व नूर मियां नामक गरीब बेसहारा आदमी कुडवां स्टेट की भूमि जिसे सरकार ने वर्षो पूर्व में सीलिंग में निकाल दिया स्टेट के द्वारा हाईकोर्ट में मुकदमा किया गया तथा सरकार और जनता के आँख में धूल झोंक गैर कानूनी तरीके से धीरे धीरे आधे से अधिक जमीन को बिना कागज पत्र के बेंच दिया गया। नूर मियां भी कुछ जमीन स्टेट के बाबू साहब से खरीदी, पैसे के अभाव में जमीन पर पक्का निर्माण नही करा पाए। और अब जब निर्माण कराने लगे तो बाबू साहब के मैनेजर व सिपाही रोक दिए, बताते चले की जितने भी लोग सीलिंग की जमीन बाबू साहब से खरीदे हैं उन सब को खरीदते समय कोई कागज नही दिया गया है। बाबू साहब के बाद मैनेजर साहब भी पैसा लेते आये है। अलग सिपाही लोग भी पैसा लेते है। इसी क्रम में बाबू साहब का डिमांड भी बढ़ा दी। उसके बाद भी स्टेट के बाबू साहब के लालची मैनेजर व सिपाही निर्माण करने से मना किये। नही मानने पर नूर मियां के पनाती को पुलिस से पकड़वा दिए। पुरे मामले को स्थानीय पुलिस ने संज्ञान में लिया। विशुनपुरा पुलिस ने पकड़े गए आदमी को अगले दिन कुछ रूपये लेकर छोड़ दिया गया जैसा की सूत्रो ने बताया। सूत्रो ने यह भी बताया की नूर मियां के परिवार वालो से स्टेट के मैनेजर द्वारा अलग से कुछ पैसो की डिमांड की गई, डिमांड नही पूरा करने पर नूर मियां के पनाती द्वारा कराये जा रहे कार्य को रोका जाने लगा। इसी बात को लेकर बात बात में बतबढ़ हो गई बात बात में हो गई रार्र। काम रोकने के लिए स्टेट के मैनेजर के आदेश पर हमीद नामक सिपाही जबरन काम रोकने लगा न रुकने पर हवा में लाठी भांजने लगा और कई लोग घायल हो गए गुस्साए लोगो ने भी सिपाही की जमकर खातिदारी की। सिपाही लहू लुहान हो गया।सूत्र यह भी बताते है कि कुडवां स्टेट के बाबू साहब के जिरात में बाढ़ से घर से बेघर हुए यूपी बिहार के सीमावर्ती गरीब लोग बाबू साहब से जमीन खरीद कर बसने लगे स्टेट ने बिक्री किये जमीन का कोई कागज पत्र किसी को नही दिया। लोग जमीन खरीदते समय पैसे देते फिर बनाते समय भी पैसे देते ऐतराज करने वालो को उजाड़ देने की धमकी दी जाती, लोग सहम जाते मकान बनवाते समय बलरेज निकालने का अलग से पैसा लोगो को देना पड़ता है। इसी नियम और स्टेट द्वारा बनाये गए कानून से आज तक जमीन बेचीं जाती है। कुडवां स्टेट के बाबू साहब द्वारा नूर मियां के परिवार वालो को सबक सिखाने के लिए बाबू साहब का नौकर जो जाती का मुसहर है के नाम से तहरीर दे कर हरिजन उत्पीड़न का फर्जी मामला दर्ज कराया गया। मैनेजर साहब ने उन लोगो का नाम दर्ज कराया जिनसे उनको पुरानी दुश्मनी थी अथवा जो मौके पर नही थे। समाचार लिखे जाने तक मामला विचारा धिन था। समस्त विषय प्रकरण जांच का विषय है जांचोपरांत ही पता चल जायेगा की जमीनी हकीकत क्या है। बसर्तें की जांच अधिकारी ईमानदार हो।
इसी सम्बन्ध में तकरीबन 2 साल पहले कुल आठ लोगो पर स्थानीय थाना विशुनपुरा में धारा 504,506,AC एक्ट यानि हरिजन उत्पीड़न के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया है इस मुकदमे में उनका भी नाम है जिनका दूर दूर तक इससे कुछ लेना देना नही है। अब हाल ही में जुलाई 2021 में तुर्कपट्टी थाना में भी इसी तरह का मामला सामने आया है जिसमे कुडवा स्टेट के महेंद्र प्रताप के द्वारा किसी गोंड जाती के द्वारा तहरीर देकर पडरौन मडूरही जिरात के दो लोगो पर फर्जी मुकदमा लिखवाने का समाचार प्रकाश में आया है। इन लोगो का कसूर बस इतना है कि ये लोग एक अबला नारी को उसका हक दिलाने के लिए कुछ दिन से लगे है परंतु इन लोगो को डराने और धमकाने के लिए फर्जी तहरीर के आधार पर स्टेट के लोगो द्वारा फसाये जाने का मामला प्रकाश में आया है। अभी तो यह ट्रेलर है इस तरह के सैकड़ो मामले आपको स्टेट के द्वारा थाना विशुनपुरा में फर्जी मुकदमा लिखवाने के मामले है। कुडवां स्टेट द्वारा ग्रामसभा पडरौन मडूरही तप्पा रामपुर रोगहा सिधुआ जोबना तहसील तमकुहीराज जनपद कुशीनगर में स्थित सीलिंग की जमीन को आधे से अधिक जमीन को स्थानीय लेखपाल/कानूनगो की मिली भगत से बेचा जा चूका है जो गैर कानूनी है। शासन प्रशासन इसको नजर अंदाज आज तक क्यों कर रही है यह भी जांच का विषय है।
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