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रास्ते पर बह रहा गंदा पानी, बजबजाती नालियां

रास्ते पर बह रहा गंदा पानी, बजबजा रही नालियां

खबर के साथ छपी फोटो पर गौर करें। यह तस्वीर दूदही ब्लॉक के नव निर्मित नगर पंचायत दूदही के गांधी चौक राजन मिष्ठान भंडार की पीछे की है। यहां रास्ते पर भरा पानी और गंदगी से पटी बजबजाती नालियां स्वच्छता कार्यक्रम व विकास कार्यो की पोल खोल रही हैं। ये जगह दो ग्राम पंचायतों के बीच स्थित यह जगह अपेक्षा का शिकार आज तक रहा है। यहां के लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं।
दूदही ब्लॉक के नगर पंचायत दूदही व बांसगांव के बीच की स्थिति बदहाल है। यहां मुख्य सड़क पर जलभराव व गंदगी इस कदर है कि लोगों का रास्ता चलना भी दूभर है। चारों ओर पसरी पड़ी गंदगी स्वच्छ भारत अभियान को मुंह चिढ़ा रही है। यहां के लोगों को स्वच्छ पेयजल की भी किल्लत झेलनी पड़ रही है। नल के चारों ओर बजबजाती गंदगी व बदबू पेयजल को दूषित कर रही है। उमेश व योगेंद्र कहते हैं कि यहां पर कभी सफाई कर्मी नहीं आता है। नगर पंचायत की ओर से साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। पंडा बाबा व सुनील ने बताया कि सफाई के अभाव में नालियां चोक हो गई है, जिससे बाजार का गंदा पानी सड़क पर बह रहा है। साफ-सफाई न होने से संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। राजन व पवन कहते हैं कि नालियां चोक होने से गंदा पानी रास्ते पर भरा रहता है। इसी के बीच से लोगों को निकलना पड़ता है। नगर पंचायत अधिकारी ने बताया कि गंदगी के बारे में उन्हें कभी सूचित नहीं किया गया है। इस मामले को तत्काल संज्ञान में लेकर बाजार में टीम भेज कर सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराई जाएगी।

बाहरी दवाओं के भरोसे कुशीनगर जिला अस्पताल, सामान्य दवाओं को भी मोहताज हैं मरीज

बाहरी दवाओं के भरोसे कुशीनगर जिला अस्पताल, सामान्य दवाओं को भी मोहताज हैं मरीज

कुशीनगर: कुशीनगर के जिला अस्पताल का हाल बेहाल होता जा रहा है। दलालों का मंहगी दवाएं लिखवाने का दबाव और डॉक्टरों का बाहरी दवाओं में कमीशन होना रोगियों एवं उनके तीमारदारों की कमर तोड़ने का काम कर रहा है। अस्पताल की ऐसी हालत के बावजूद जिला प्रशासन जानबूझकर मुंह फेरे हुए है।

जनपद में बढ़ते संक्रामक रोगों के कारण रोगियों के आने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं अस्पताल निशुल्क दवाओं के नाम पर खोखला हो चुका है। आलम यह है कि साधारण बुखार और दर्द में दी जाने वाली सामान्य दवाईयां भी नहीं हैं। एेसे में जनता को सुलभ चिकित्सा का दावा की पोल खुलती नजर आ रही है। अस्पताल में आए मरीज रोज बाहर से दवाएं लेने को मजबूर हैं।
गौरतलब है कि दवा खत्म होने का यह सिलसिला पिछले वर्ष 2019 से लेकर अभी तक जारी है। बताते चलें कि जिला अस्पताल में आने वाली 138 दवाओं में कुल 18 दवाएं ही शेष रह गई हैं। अब वह भी समाप्ति की ओर हैं। जिले के आला अधिकारी को अस्पताल की इन समास्यायों के बारे में जानने के बावजूद अनजान बनने का प्रयास करते रहते हैं। वहीं जब इस मामले पर असपताल प्रशासन से बात करनी चाही तो किसी ने बात नहीं की और कहते रहे कि पूरे मामले की जानकारी शासन को है फिर भी कुछ कार्रवाई नहीं की जा रही है।
मरीजो से डॉक्टर साहब का दूरब्यवहार
आपको जानकर हैरानी होगी कि कोई मरीज गलती से भी डाक्टरो से पूछ लें कि दवा अस्पताल में मिलेगी या बाहर तो उस मरीज की खैर नही दिनांक 12 जुलाई 2021 को जिला अस्पताल के वार्ड नम्बर 37 में सुबह से ही भीड़ इकट्ठी रही और डॉक्टर साहब 11 बजे अस्पताल पहुंचे और आधा घण्टा बाद चाय नास्ता करने के बाद मरीजो को बारी बारी देखने का नम्बर आया तो डॉक्टर साहब किसी बात को लेकर परेशान थे और इलाज कराने आये मरीजो को फटकार लगाते हुए मात्र पांच मिनट में ही लगभग 10 मरीजो को इलाज को आस्वासन दे कर लौटा दिए लगभग लगभग सभी वार्ड के डॉक्टर साहब का ब्यहव्हार ऐसा ही है। हमे लगता है किसी को भी इस तरह इलाज कराने का शौक तो नही ही होगा। अधिक जानकारी के लिए जिला अस्पताल में इलाज करने अवश्य पधारे।
कलमकार की कलम से:- Mr. N Ansari

दूदही ब्लाक प्रमुख पद के दावेदार भाजपा समर्थित रमावती देवी 71 मत पाकर विजेता बनी

कुशीनगर के दूदही ब्लाक प्रमुख पद के दावेदार भाजपा समर्थित रमावती देवी 71 मत पाकर विजेता बनी

Kushinagar 2021 कुशीनगर में उम्‍मीदवारों की रातें जहां बीडीसी की अपने पक्ष में संंख्‍या जुटाने के लिए गुणा गणित में बीती वहीं अपने पाले के बीडीसी प्रत्‍याशियों की रखवाली भी अंतिम समय तक सियासी दलों के लिए चुनौती बनी रही।
भाजपा का बड़ा गढ़ साबित हुआ है। पंचायत चुनावों के अंतिम दौर में आज आनगर ब्‍लॉक प्रमुख पद पर मतदान हो रहा है। उम्‍मीदवारों की रातें जहां बीडीसी की अपने पक्ष में संंख्‍या जुटाने के लिए बीतीं तो वहीं अंतिम समय तक सियासी दलों के लिए बीडीसी को जुटाए रखना चुनौती बनी रही।

कुशीनगर में परिणाम घोषित : जिले के दूदही विकास खंड का परिणाम घोषित हो गया है। विकास खंड दूदही से भाजपा के रमावती देवी पत्नी लल्लन गोंड, 71 मत पाकर प्रमुख पद का चुनाव जीत गईं है वही माला देवी पत्नी सुनील गोंड को 67 वोट मिले है। जीत के बात समर्थकों में काफी उत्साह देखने को मिला।

वही चुनाव के बाद मतदान केंद्र पर बवाल होने की भी खबर आ रही है।

दूदही ब्लाक प्रमुख पद के दावेदार भाजपा समर्थित रमावती देवी 71 मत पाकर विजेता बनी

कुशीनगर के दूदही ब्लाक प्रमुख पद के दावेदार भाजपा समर्थित रमावती देवी 71 मत पाकर विजेता बनी

Kushinagar 2021 कुशीनगर में उम्‍मीदवारों की रातें जहां बीडीसी की अपने पक्ष में संंख्‍या जुटाने के लिए गुणा गणित में बीती वहीं अपने पाले के बीडीसी प्रत्‍याशियों की रखवाली भी अंतिम समय तक सियासी दलों के लिए चुनौती बनी रही।
भाजपा का बड़ा गढ़ साबित हुआ है। पंचायत चुनावों के अंतिम दौर में आज आनगर ब्‍लॉक प्रमुख पद पर मतदान हो रहा है। उम्‍मीदवारों की रातें जहां बीडीसी की अपने पक्ष में संंख्‍या जुटाने के लिए बीतीं तो वहीं अंतिम समय तक सियासी दलों के लिए बीडीसी को जुटाए रखना चुनौती बनी रही।

कुशीनगर में परिणाम घोषित : जिले के दूदही विकास खंड का परिणाम घोषित हो गया है। विकास खंड दूदही से भाजपा के रमावती देवी पत्नी लल्लन गोंड, 71 मत पाकर प्रमुख पद का चुनाव जीत गईं है वही माला देवी पत्नी सुनील गोंड को 67 वोट मिले है। जीत के बात समर्थकों में काफी उत्साह देखने को मिला।

वही चुनाव के बाद मतदान केंद्र पर बवाल होने की भी खबर आ रही है।

दूदही में दर्जनों मुन्ना भाई MBBS डाक्टरो की भरमार, कुशीनगर का स्वास्थ्य विभाग निरंकुश- आर.डी.एस शास्त्री की खास रिपोर्ट

दूदही में दर्जनों मुन्ना भाई MBBS डाक्टरो की भरमार, कुशीनगर का स्वास्थ्य विभाग निरंकुश
बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही दर्जनों पैथालॉजी
मुख्य सचिव मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार

           राधेश्याम शास्त्री स्वतंत्र पत्रकार      
         हिंदी साप्ताहिक शान ए कुशीनगर          
         बिशुनपुरा थाना/दुदही, (कुशीनगर)         

कुशीनगर के दूदही के खास सूत्रों के अनुसार कयीयों ने तो पैसे के बदौलत फर्जी डिग्रियां भी खरीद ली है और मरीजों की जिंदगी से कि कर रहे हैं।ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य महकमा ऐसे मुन्ना भाइयों से अंजान है, बल्कि हर‌ माह बंधी-बंधाई ‌रकम लेकर
कुशीनगर जनपद में स्वास्थ्य विभाग की मिली -भगत से सैकड़ों निजी पैथालॉजी, एक्सरे एवं अल्टासाउंड केंद्र कुकुरमुत्ते की तरह चलाया जा रहा है। जिससे गरीबों को इलाज के नाम पर जमकर लुटा जा रहा है। साथ ही इससे अब तक करीब मरीज काल के गाल में समा चुके हैं। ऐसे अवैध धंधेबाजों के खिलाफ आखिर प्रशासन क्यों कार्रवाई नहीं कर रहीं हैं।यह समझ से परे है।
कुशीनगर जनपद के दूदही में करीब सैकड़ों अस्पताल ऐसे हैं जिनके संचालकों द्वारा ही मरीजों का‌ इलाज किया जाता है। जबकि ऐसे लोगों में अधिकांश के पास न तो बैध  डिग्री है और न ही रजिस्ट्रेशन। यहां तक की डायग्नोस्टिक सेंटर भी बिना किसी ‌डिग्री या‌ विशेषज्ञ के ऐसे लोगों के द्वारा चलाया जा रहा है।जिनका पूर्व में ऐसे पेशे से कोई दूर दूर तक का रिश्ता नहीं रहा।
इस गोरखधंधे को फलने-फूलने का भरपूर अवसर देता रहता है। कभी-कभार कार्रवाई  भी  तभी होती है जब किसी का सुविधा शुल्क तय समय के मुताबिक नहीं पहुंच पाता। इतना ही नहीं जब कोई कार्रवाई होनी होती है चाहें स्थानीय स्तर से हो‌ या बाहरी बीच द्वारा इन मुन्ना भाइयों को जांच टीम के पहुंचने के पूर्व ही सूचनाएं मिल जाती है और ऐसे में इन सेंटरों पर पहले से ही  ताले लटक  जाते हैं।
मालूम हो कि शासन ने अवैधानिक रूप से चल रहे नसि॔गह़ोमों तथा पैंथालोजी सेंटर की जांच का आदेश व कार्रवाई करने का  आदेश समय-समय पर देता रहा है। जिससे पूरे क्षेत्र इन पैथालॉजी सेंटरों की दुकान अस्पतालों के पास ही है। जहां चित्र की पची॔ पर तत्काल जांच की जाती है।इन  केन्द्रों पर सुगर,खून, पेशाब, मलेरिया,गले, एक्सरे,अलटासाउंड के अलावा ‌लिंग परीक्षण की भी सुविधा उपलब्ध है। लेकिन पैथालॉजी के कर्मचारी रिपोर्ट देने के बजाए केवल  स्क्रीन पर दिखा देता है।और चार सौ लेकर एक हजार तक रुपए लेता है। यही हाल सूगर, ब्लड, पेशाब, मलेरिया, टायफाइड, गले ऱ़ोगों की है। जहां मुंहमांगा दाम वसूला जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो रिपोर्ट दी जाती है उस पर डाक्टर के हस्ताक्षर को अपठनीय बना दिया जाता है। जिससे उनकी रिपोर्ट महज मरीज को सांत्वना भर‌ दे जाती है और किसी सरकारी विभाग अध॔सरकारी विभाग में नौकरी पेशा ‌वाले आदमी नहीं लगा पाते। जिससे इन  मरीजों का शोषण अस्पताल कर्मचारियों की मिली-भगत से हो रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता व कथित लापरवाही के कारण   दुदही,सेवरही, तमकुही राज‌‌, खड्डा, नेबुआ‌ नौरंगिया, फाजिल नगर, हाटा, कप्तानगंज, व पडरौना के ग्रामीण इलाकों व बाजारों में इन दिनों अवैध रूप से बिना अनज्ञपति की दवा दुकानों एवं फजी॔ झोला छाप चिकित्सकों की बाढ़ सी आ गई है। बाजार हो या ग्रामीण इलाकों दोनों में ही अवैध दवा दुकानों ‌व  नीम हकीम खानदानी बैद्य, फर्जी चिकित्सकों की संख्या तकरीबन सौ के ‌आस-पास पहुंच गई है। जो क्षेत्र के गरीब,निरीह एवं पीड़ित दलित लोगों की अज्ञानता  एवं अंध विश्वास तथा विवशता का फायदा उठाकर खुलेआम उनका शोषण कर रहे हैं।‌गौर तलब है कि बिना अनुज्ञप्ति प्राप्त किए दवा की दुकानें बिहार औषधि अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुए बिना किसी  रोक-टोक से चल रही है।ऐ सी दुकानों में मरीजों का शोषण किया जाता है।
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि अधिकांश दुकानदारों द्वारा उत्तर प्रदेश से नकली एवं  एक्सपायरी तथा फिजिशियन सेम्पल की  दवा भी  बेची जा रही है।क्षेत्र में ऐसी चर्चा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग तथा जिला प्रशासन द्वारा साल दो साल में एक छोटी मछली (दवा) दुकान को पकड़ कर डृग इंस्पेक्टर अपनी खाना पूर्ति कर लेते हैं। बड़ी-बड़ी दुकानों पर तों वे झांकने तक नहीं जाते। क्योंकि वहां से सलामी हेड क्वार्टर पर पहुंच जाता है।जिन कारण वे इन बड़ी दुकानों पर ध्यान नहीं करता हैं।
विदित हो कि दवा बिक्रेता‌  ऐसे अनभिज्ञ तथा अशिक्षित गरीब वर्ग के लोगों को नकली व एक्सपायरी  दवा थमा देते हैं।नतीजतन इसके सेवन से नये-नये रोग उभरकर सामने आ जाते हैं, जो बाद में असहाय एवं गम्भीर रूप ‌अखतियार कर लेता है। फजी॔‌ चिकित्सक के चिकित्सक के चंगुल में अशिक्षित गरीब ग्रामीण महिला तथा मज़दूर किस्म के लोग ही अधिकांश फसते हैं।इन चिकित्सकों का धंधा है कि किसी भी ग़रीब मरीज को कोई भी बीमारी हुई  हो तो उसे दो,तीन  सूई,दो चार बोतल पानी चढ़ाकर  मोटी रकम लेकर आथि॔क शोषण ‌करना, ऐसे चिकित्सक के पास न कोई डिग्री ‌डिप्लोमा है और न ही किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सा संस्थान ‌का ‍पंजीयन ही। चर्चा है कि कुछ दिन किसी चिकित्सक के ‌यहां काम करने वाले कम्पाउन्डर‌ या नर्स की  क्लिनिक  खोलकर ‌चिकितसक बन जाते हैं।
बताया जाता है कि इन फजी॔ चिकित्सकों को अपने दलाल भी होते हैं  जो ग्रामीण परिवेश में पुरुष व महिला मरीजों को बहला-फुसलाकर नीम -हकीम, तथा बैद्य के क्लिनिक में ले जाते हैं। बदलें में उन्हें कमीशन दिया जाता है। वहीं कुछ फर्जी चिकित्सकों की आड़ में छिपे रूप से गभ॔पात भी कराते हैं, तथाजि ए्वज में मोटी रकम लेते हैं। इसके बाद भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के सर पर जूं तक नहीं रेंगते  हैं।
क्षेत्र के ग्रामीण जनता , समाजसेवियों, जन-प्रतिनिधियों ने एक स्वर से हिंदी ‌दैनिक  अमिट‌‌ रेखा समाचार पत्र के माध्यम से माननीय मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार से कुशीनगर जनपद  के अप्रशिक्षित बिना ‌मान्यता प्राप्त झोला छाप डाक्टरों व स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह ‌व निरंकुश अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ निष्पक्ष व निर्भीक रुप से ‌जांच-पड़ताल कराकर इन हत्यारे ‌रूपी डाक्टरों के खिलाफ विधिक कार्यवाही करने की पुरजोर मांग किया है।
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क्रमशः शेष अगले अंक में
मोबाइल वाट्सएप नम्ब र
८०५२८५५२५९

दूदही में दर्जनों मुन्ना भाई MBBS डाक्टरो की भरमार, कुशीनगर का स्वास्थ्य विभाग निरंकुश- आर.डी.एस शास्त्री की खास रिपोर्ट

दूदही में दर्जनों मुन्ना भाई MBBS डाक्टरो की भरमार, कुशीनगर का स्वास्थ्य विभाग निरंकुश
बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही दर्जनों पैथालॉजी
मुख्य सचिव मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार

           राधेश्याम शास्त्री स्वतंत्र पत्रकार      
         हिंदी साप्ताहिक शान ए कुशीनगर          
         बिशुनपुरा थाना/दुदही, (कुशीनगर)         

कुशीनगर के दूदही के खास सूत्रों के अनुसार कयीयों ने तो पैसे के बदौलत फर्जी डिग्रियां भी खरीद ली है और मरीजों की जिंदगी से कि कर रहे हैं।ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य महकमा ऐसे मुन्ना भाइयों से अंजान है, बल्कि हर‌ माह बंधी-बंधाई ‌रकम लेकर
कुशीनगर जनपद में स्वास्थ्य विभाग की मिली -भगत से सैकड़ों निजी पैथालॉजी, एक्सरे एवं अल्टासाउंड केंद्र कुकुरमुत्ते की तरह चलाया जा रहा है। जिससे गरीबों को इलाज के नाम पर जमकर लुटा जा रहा है। साथ ही इससे अब तक करीब मरीज काल के गाल में समा चुके हैं। ऐसे अवैध धंधेबाजों के खिलाफ आखिर प्रशासन क्यों कार्रवाई नहीं कर रहीं हैं।यह समझ से परे है।
कुशीनगर जनपद के दूदही में करीब सैकड़ों अस्पताल ऐसे हैं जिनके संचालकों द्वारा ही मरीजों का‌ इलाज किया जाता है। जबकि ऐसे लोगों में अधिकांश के पास न तो बैध  डिग्री है और न ही रजिस्ट्रेशन। यहां तक की डायग्नोस्टिक सेंटर भी बिना किसी ‌डिग्री या‌ विशेषज्ञ के ऐसे लोगों के द्वारा चलाया जा रहा है।जिनका पूर्व में ऐसे पेशे से कोई दूर दूर तक का रिश्ता नहीं रहा।
इस गोरखधंधे को फलने-फूलने का भरपूर अवसर देता रहता है। कभी-कभार कार्रवाई  भी  तभी होती है जब किसी का सुविधा शुल्क तय समय के मुताबिक नहीं पहुंच पाता। इतना ही नहीं जब कोई कार्रवाई होनी होती है चाहें स्थानीय स्तर से हो‌ या बाहरी बीच द्वारा इन मुन्ना भाइयों को जांच टीम के पहुंचने के पूर्व ही सूचनाएं मिल जाती है और ऐसे में इन सेंटरों पर पहले से ही  ताले लटक  जाते हैं।
मालूम हो कि शासन ने अवैधानिक रूप से चल रहे नसि॔गह़ोमों तथा पैंथालोजी सेंटर की जांच का आदेश व कार्रवाई करने का  आदेश समय-समय पर देता रहा है। जिससे पूरे क्षेत्र इन पैथालॉजी सेंटरों की दुकान अस्पतालों के पास ही है। जहां चित्र की पची॔ पर तत्काल जांच की जाती है।इन  केन्द्रों पर सुगर,खून, पेशाब, मलेरिया,गले, एक्सरे,अलटासाउंड के अलावा ‌लिंग परीक्षण की भी सुविधा उपलब्ध है। लेकिन पैथालॉजी के कर्मचारी रिपोर्ट देने के बजाए केवल  स्क्रीन पर दिखा देता है।और चार सौ लेकर एक हजार तक रुपए लेता है। यही हाल सूगर, ब्लड, पेशाब, मलेरिया, टायफाइड, गले ऱ़ोगों की है। जहां मुंहमांगा दाम वसूला जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो रिपोर्ट दी जाती है उस पर डाक्टर के हस्ताक्षर को अपठनीय बना दिया जाता है। जिससे उनकी रिपोर्ट महज मरीज को सांत्वना भर‌ दे जाती है और किसी सरकारी विभाग अध॔सरकारी विभाग में नौकरी पेशा ‌वाले आदमी नहीं लगा पाते। जिससे इन  मरीजों का शोषण अस्पताल कर्मचारियों की मिली-भगत से हो रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता व कथित लापरवाही के कारण   दुदही,सेवरही, तमकुही राज‌‌, खड्डा, नेबुआ‌ नौरंगिया, फाजिल नगर, हाटा, कप्तानगंज, व पडरौना के ग्रामीण इलाकों व बाजारों में इन दिनों अवैध रूप से बिना अनज्ञपति की दवा दुकानों एवं फजी॔ झोला छाप चिकित्सकों की बाढ़ सी आ गई है। बाजार हो या ग्रामीण इलाकों दोनों में ही अवैध दवा दुकानों ‌व  नीम हकीम खानदानी बैद्य, फर्जी चिकित्सकों की संख्या तकरीबन सौ के ‌आस-पास पहुंच गई है। जो क्षेत्र के गरीब,निरीह एवं पीड़ित दलित लोगों की अज्ञानता  एवं अंध विश्वास तथा विवशता का फायदा उठाकर खुलेआम उनका शोषण कर रहे हैं।‌गौर तलब है कि बिना अनुज्ञप्ति प्राप्त किए दवा की दुकानें बिहार औषधि अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुए बिना किसी  रोक-टोक से चल रही है।ऐ सी दुकानों में मरीजों का शोषण किया जाता है।
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि अधिकांश दुकानदारों द्वारा उत्तर प्रदेश से नकली एवं  एक्सपायरी तथा फिजिशियन सेम्पल की  दवा भी  बेची जा रही है।क्षेत्र में ऐसी चर्चा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग तथा जिला प्रशासन द्वारा साल दो साल में एक छोटी मछली (दवा) दुकान को पकड़ कर डृग इंस्पेक्टर अपनी खाना पूर्ति कर लेते हैं। बड़ी-बड़ी दुकानों पर तों वे झांकने तक नहीं जाते। क्योंकि वहां से सलामी हेड क्वार्टर पर पहुंच जाता है।जिन कारण वे इन बड़ी दुकानों पर ध्यान नहीं करता हैं।
विदित हो कि दवा बिक्रेता‌  ऐसे अनभिज्ञ तथा अशिक्षित गरीब वर्ग के लोगों को नकली व एक्सपायरी  दवा थमा देते हैं।नतीजतन इसके सेवन से नये-नये रोग उभरकर सामने आ जाते हैं, जो बाद में असहाय एवं गम्भीर रूप ‌अखतियार कर लेता है। फजी॔‌ चिकित्सक के चिकित्सक के चंगुल में अशिक्षित गरीब ग्रामीण महिला तथा मज़दूर किस्म के लोग ही अधिकांश फसते हैं।इन चिकित्सकों का धंधा है कि किसी भी ग़रीब मरीज को कोई भी बीमारी हुई  हो तो उसे दो,तीन  सूई,दो चार बोतल पानी चढ़ाकर  मोटी रकम लेकर आथि॔क शोषण ‌करना, ऐसे चिकित्सक के पास न कोई डिग्री ‌डिप्लोमा है और न ही किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सा संस्थान ‌का ‍पंजीयन ही। चर्चा है कि कुछ दिन किसी चिकित्सक के ‌यहां काम करने वाले कम्पाउन्डर‌ या नर्स की  क्लिनिक  खोलकर ‌चिकितसक बन जाते हैं।
बताया जाता है कि इन फजी॔ चिकित्सकों को अपने दलाल भी होते हैं  जो ग्रामीण परिवेश में पुरुष व महिला मरीजों को बहला-फुसलाकर नीम -हकीम, तथा बैद्य के क्लिनिक में ले जाते हैं। बदलें में उन्हें कमीशन दिया जाता है। वहीं कुछ फर्जी चिकित्सकों की आड़ में छिपे रूप से गभ॔पात भी कराते हैं, तथाजि ए्वज में मोटी रकम लेते हैं। इसके बाद भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के सर पर जूं तक नहीं रेंगते  हैं।
क्षेत्र के ग्रामीण जनता , समाजसेवियों, जन-प्रतिनिधियों ने एक स्वर से हिंदी ‌दैनिक  अमिट‌‌ रेखा समाचार पत्र के माध्यम से माननीय मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार से कुशीनगर जनपद  के अप्रशिक्षित बिना ‌मान्यता प्राप्त झोला छाप डाक्टरों व स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह ‌व निरंकुश अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ निष्पक्ष व निर्भीक रुप से ‌जांच-पड़ताल कराकर इन हत्यारे ‌रूपी डाक्टरों के खिलाफ विधिक कार्यवाही करने की पुरजोर मांग किया है।
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शहरो की तर्ज पर प्रधान ने गांव को बना दिये स्मार्ट गांव तथा स्मार्ट पार्क-: काम बोलता है। जयप्रकाश यादव

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