SEK IN INDIA NEWS

समाज सेवा का ढोंग: गरीबो को सम्पर्पित लेख

समाज सेवा का ढोंग: गरीबो को सम्पर्पित लेख

           Mr Navin Ansari

       ''सहीं समाजसेवा का दर्द......!''
                                     लेख:- नवीन अंसारी
मेरे मन में कई दिनो से यह ख्याल बार - बार आता है कि समाजसेवा का दर्द - पीड़ा केवल चंद लोगो को ही क्यों होती है. जब यह बात मेरे एक समाजसेवी मित्र से पुछी तो वह कहने लगा कि ''बांझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा....!'' मुझे उसकी बात पर गुस्सा भी आया लेकिन मैं उस समय चुप्पी साध कर मौके की तलाश में करने लगा. बैतूल जिले में भी समाजसेवा एक फैशन टीवी की तरह लोकप्रिय हो गया है. हर कोई को रह - रह कर समाजसेवा का दौरा पड़ जाता है. कई बार तो इस प्रकार के दौरे दिल के दौरे और मिर्गी के दौरे से भी खतरनाक दिखाई पड़ते है. जिसकी घर - परिवार में दो कौड़ी की इज्जत नहीं होती है ऐसे में ऐसे समाज में अपना रूतबा बए़ाने के लिए समाजसेवा का पाखण्ड करने लग जाते है. हमारे शहर और आपके शहर में ऐसे पाखंडियो की कमी नहीं होगी. समाजसेवा का सुख और उसके पीछे छुपा स्वार्थ कई बार ऐसे लोगो की जब पोल खोलता है तब ऐसे लोग किसी कों मुँह दिखाने के लायक नहीं रहते है. मुम्बई पुलिस ने बैतूल के एक समाजसेवी को जब अपनी बेटी से कम उम्र की लड़की के साथ मुम्बई की एक फाइव स्ट्रार होटल में दबोचा तो इस बात की खबर उड़ती हुई बैतूल पहुंची तो समाजसेवी को लोगो से कुछ दिनो तक अपना मुंह छुपाना पड़ा. बैतूल जिले में समाजसेवा और स्वंयसेवी संगठनो की बाढ़ सी आ गई है. हर किसी पर समाजसेवा का भूत सवार है और वह भी ऐसा की गुरू साहेब महाराज की समाधी पर लेने जाने के बाद भी नहीं उतरेगा. ऐसे लोगो के द्धारा हास्पीटल और चौक चौराहो पर समाजसेवा का नाटक किया जाता है. आज भी जिले में हजारो लोग सेवा का तरसते है लेकिन समाजसेवी इन्हे नज़र नहीं आते है. अपने घरो और दुकानो पर काम करने वाले नौकरो को सही पगार न देने वाले समाजसेवी अकसर मंहगे क्लबो और संगठनो के कत्र्ता - धत्र्ता बन कर अपना उल्लू सीधा करने में लग जाते है. जिले में समाजसेवा के रूप में लायंय क्लब जैसे संगठनो का नाम आता है जिनकी एक पार्टी में एक लाख रूपये तक खर्च हो जाता है लेकिन ऐसे लोग किसी गरीब और मजबुर व्यक्ति को चार आने की मदद तक नहीं करते है. जब बैतूल जिले के जंगलो में गीदड़ - सियार तक नहीं बचे ऐसे में कांक्रिट के जंगलो में शेर की खाल ओढ़े सिार स्वंय को लायन कहलाना पसंद करते है. समाजसेवा नाम बऔर पहचान के लिए नहीं होनी चाहिये लेकिन कोई किसी को समझाये भी कैसे क्योकि अकसर लोग कहा करते है कि ''अंधो के सामने रोओ और अपने नयन खोओ .....!'' जिले में समाजसेवा का विकृत स्वरूप देखने को मिलता रहता है. बैतूल जिला मुख्य चिकित्सालय में बीते दिनो एक गरीब परिवार को खून की तलाश में दर - दर का भिखारी तक बनना पड़ा लेकिन उसकी मदद को कोई भी समाजसेवी नहीं आया. बैतूल जिले में उन समाजसेवियो को जिन्हे समाचार पत्रो एवं न्यूज चैनलो पर स्वंय के थोबड़े को दिखाने की बीमारी रहती है ऐसे लोगो को बेनकाब करने का सहीं समय आ चुका है. बैतूल जिले में इस समय दर्जनो समाजसेवियो को जो कि देशी - विदेशी चंदा और सरकारी सहायता अपने स्वंयसेवी संगठनो के लिए प्राप्त होती है ऐसे लोगो की भी कार्य प्रणाली की समय - समय पर निगरानी करते रहनी चाहिये. समाजसेवा की आड़ में समाज और अपनो से बहिष्कृत लोग अपने हराम केचंद पैसो के बल पर किसी भी संस्था में प्रवेश पाकर उसके कत्र्ता - धत्र्ता बन जाते है. ऐसे लोगो को अकसर एक दुसरे समाजसेवा के क्षेत्र में विशेष कार्य के लिए सम्मानित एवं पुरूस्कृत करते रहते है. अकसर समाजसेवी का मान - सम्मान लोगो को मिलता नहीं बल्कि वे उसे चंद रूपयो में खरीदते है. बैतूल जिले में एक भी समाजसेवी ऐसा नहीं है जिसे किसी गरीब या मजबुर व्यक्ति द्धारा दुआ देकर सम्मानित किया गया हो. ऐसा सम्मान पाने वाले जिले में ढुंढे से नहीं मिलेगे. मेरा अपना अनुभव है कि बैतूल जैसे अभागे जिले में राष्ट्रपति से लेकर सरंपच तक से पुरूस्कृत लोगो की कमी नहीं है. जिले में ऐसे समाजसेवी एक या दो ही हो सकते है जिन्होने अपनी जमीन - जायजाद तक समाजसेवा के पागलपन के पीछे लुटा दी हो. घर की चवन्नी नहीं और रूपये का सम्मान पाने वाले जिले के कुछ तथाकथित समाज सेवक जिले में ऐसे स्वंय सेवी संगठन और समितियो को समय - समय पर रूपैया - पैसा देकर स्वंय को सबसे बड़ा समाजसेवी का मडल पा लेते है. जिले में ऐसे सामाजिक संगठन भी है जो अपनी जात - समाज की प्रतिभा को सम्मान देने के बजाय दुसरी जात और समाज को ही सम्मान देते है. ऐसा करने से उन्हे दोहरा फायदा होता है. पहला तो यह कि सारे कार्यक्रम का खर्चा मिल जाता है और दुसरा प्रचार - प्रसार भी जिसका उन्हे बरसो से इंतजार रहता है. समाजसेवा के क्षेत्र में ऐसे लोगो का नाम यदि बैतूल जिले के कारगिल चौक से सड़क पर लिखना शुरू किया जाये तो इधर मुलताई और उधर भौरा तक पहुंच जायेगा लेकिन उनका नाम लिखना खत्म नहीं होगा. छुटभैया से लेकर बड़े भैया तक समाजसेवा के क्षेत्र में बड़ा नाम और सम्मान को पा चुके लोगो के द्धारा जिले के अफसरो की निगाह में स्वंय को सबसे बड़ा समाज सेवक के रूप में स्थापित करना होता है ताकि उनकी दुकानो - प्रतिष्ठानो - मकानो में हो रही कालाबजारी - काले धंधे - काले कारनामो पर छापमार कार्यवाही न हो सके . जिले में कई तो ऐसे भी लोग है जो सिर्फ पत्रकार - पार्टी पदाधिकारी - धार्मिक संगठनो - सामाजिक संगठनो के स्वंय भू पदाधिकारी या संरक्षक बने बैठे है. समाजसेवा के बारे में कहा जाता है कि समाजसेवा एक प्रकार का मिशन है लेकिन बैतूल जिले के समाजसेवियो की हरकतो एवं उनके काले कारनामो को देख कर ऐसा नहीं लगता कि इनके लिए ऐसा कुछ है. दवाईयो की दुकानो से नकली दवा हो या फिर किसी अनाज के मालगोदाम से निकली मिलवाटी सामग्री हर किसी के पीछे उनका वह सामाजिक रूतबा होता है जिसकी वे हर बार बड़ी कीमत चुका कर समाज श्री का गले में कुत्ते की तरह पटट लगा कर घुमते है. आजकल समाजसेवा नाम मात्र कर रह गई है. दरअसल में समाजसेवा एक प्रकार की आड़ हो गई जिसके पर्दे में रह कर वह अपनी काली  करतूते कर सके. बैतूल जिले में दर्जनो महिलाओ की पेड़ और खुले आसमान के नीचे प्रसव पीड़ा हो गई लेकिन न तो कोई महिला सेवी आगे और न पीछे आई. ऐसे में चमक - धमक और चेहरे के चक्कर में कई लोग अपनी रोटी सेकती रहती है. जिले में महिला समाज सेवियो के भी किस्से किसी से छुपे नहीं है. कब किसकी और किसके साथ समाजसेवा करने में माहिर ऐसी महिलाये दर असल में नारी जाति के लिए भी कलंक है क्योकि उनके कारनामो को यदि छापा जाये तो पूरा समाचार पत्र भर जायेगा. समाजसेवा की आड़ में अनैतिकता का काला बाजार आज भी बैतूल जिले में धीरे - धीरे देह व्यापार की शक्ल लेता जा रहा है. सभी ऐसी नहीं है पर किसी ने कहा भी तो सही है कि ''एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है......!'' इस लेख के छपने के बाद उन समाजसेवियो की हेल्थ पर कोई फर्क नहीं पडऩे वाला जो कि नि:स्वार्थ समाजसेवा करते चले आ रहे है लेकिन उन लोगो की छाती पर काला नाग लोटने लग जायेगा जो कि समाज सेवा की आड़ में अनैतिकता का बाजार लगाये हुये है. मेरा इस लेख के पीछे किसी को बदनाम करने का अभिप्राय: नहीं है लेकिन जो पहले से ही बदनाम हो उसे बदनाम भी भला कैसे किया जा सकता है. समाज सेवा को एक मिशन के रूप में लेकर चलने वालो को एक बार फिर साधुवाद .

समाज सेवा का ढोंग: गरीबो को सम्पर्पित लेख

समाज सेवा का ढोंग: गरीबो को सम्पर्पित लेख

           Mr Navin Ansari

       ''सहीं समाजसेवा का दर्द......!''
                                     लेख:- नवीन अंसारी
मेरे मन में कई दिनो से यह ख्याल बार - बार आता है कि समाजसेवा का दर्द - पीड़ा केवल चंद लोगो को ही क्यों होती है. जब यह बात मेरे एक समाजसेवी मित्र से पुछी तो वह कहने लगा कि ''बांझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा....!'' मुझे उसकी बात पर गुस्सा भी आया लेकिन मैं उस समय चुप्पी साध कर मौके की तलाश में करने लगा. बैतूल जिले में भी समाजसेवा एक फैशन टीवी की तरह लोकप्रिय हो गया है. हर कोई को रह - रह कर समाजसेवा का दौरा पड़ जाता है. कई बार तो इस प्रकार के दौरे दिल के दौरे और मिर्गी के दौरे से भी खतरनाक दिखाई पड़ते है. जिसकी घर - परिवार में दो कौड़ी की इज्जत नहीं होती है ऐसे में ऐसे समाज में अपना रूतबा बए़ाने के लिए समाजसेवा का पाखण्ड करने लग जाते है. हमारे शहर और आपके शहर में ऐसे पाखंडियो की कमी नहीं होगी. समाजसेवा का सुख और उसके पीछे छुपा स्वार्थ कई बार ऐसे लोगो की जब पोल खोलता है तब ऐसे लोग किसी कों मुँह दिखाने के लायक नहीं रहते है. मुम्बई पुलिस ने बैतूल के एक समाजसेवी को जब अपनी बेटी से कम उम्र की लड़की के साथ मुम्बई की एक फाइव स्ट्रार होटल में दबोचा तो इस बात की खबर उड़ती हुई बैतूल पहुंची तो समाजसेवी को लोगो से कुछ दिनो तक अपना मुंह छुपाना पड़ा. बैतूल जिले में समाजसेवा और स्वंयसेवी संगठनो की बाढ़ सी आ गई है. हर किसी पर समाजसेवा का भूत सवार है और वह भी ऐसा की गुरू साहेब महाराज की समाधी पर लेने जाने के बाद भी नहीं उतरेगा. ऐसे लोगो के द्धारा हास्पीटल और चौक चौराहो पर समाजसेवा का नाटक किया जाता है. आज भी जिले में हजारो लोग सेवा का तरसते है लेकिन समाजसेवी इन्हे नज़र नहीं आते है. अपने घरो और दुकानो पर काम करने वाले नौकरो को सही पगार न देने वाले समाजसेवी अकसर मंहगे क्लबो और संगठनो के कत्र्ता - धत्र्ता बन कर अपना उल्लू सीधा करने में लग जाते है. जिले में समाजसेवा के रूप में लायंय क्लब जैसे संगठनो का नाम आता है जिनकी एक पार्टी में एक लाख रूपये तक खर्च हो जाता है लेकिन ऐसे लोग किसी गरीब और मजबुर व्यक्ति को चार आने की मदद तक नहीं करते है. जब बैतूल जिले के जंगलो में गीदड़ - सियार तक नहीं बचे ऐसे में कांक्रिट के जंगलो में शेर की खाल ओढ़े सिार स्वंय को लायन कहलाना पसंद करते है. समाजसेवा नाम बऔर पहचान के लिए नहीं होनी चाहिये लेकिन कोई किसी को समझाये भी कैसे क्योकि अकसर लोग कहा करते है कि ''अंधो के सामने रोओ और अपने नयन खोओ .....!'' जिले में समाजसेवा का विकृत स्वरूप देखने को मिलता रहता है. बैतूल जिला मुख्य चिकित्सालय में बीते दिनो एक गरीब परिवार को खून की तलाश में दर - दर का भिखारी तक बनना पड़ा लेकिन उसकी मदद को कोई भी समाजसेवी नहीं आया. बैतूल जिले में उन समाजसेवियो को जिन्हे समाचार पत्रो एवं न्यूज चैनलो पर स्वंय के थोबड़े को दिखाने की बीमारी रहती है ऐसे लोगो को बेनकाब करने का सहीं समय आ चुका है. बैतूल जिले में इस समय दर्जनो समाजसेवियो को जो कि देशी - विदेशी चंदा और सरकारी सहायता अपने स्वंयसेवी संगठनो के लिए प्राप्त होती है ऐसे लोगो की भी कार्य प्रणाली की समय - समय पर निगरानी करते रहनी चाहिये. समाजसेवा की आड़ में समाज और अपनो से बहिष्कृत लोग अपने हराम केचंद पैसो के बल पर किसी भी संस्था में प्रवेश पाकर उसके कत्र्ता - धत्र्ता बन जाते है. ऐसे लोगो को अकसर एक दुसरे समाजसेवा के क्षेत्र में विशेष कार्य के लिए सम्मानित एवं पुरूस्कृत करते रहते है. अकसर समाजसेवी का मान - सम्मान लोगो को मिलता नहीं बल्कि वे उसे चंद रूपयो में खरीदते है. बैतूल जिले में एक भी समाजसेवी ऐसा नहीं है जिसे किसी गरीब या मजबुर व्यक्ति द्धारा दुआ देकर सम्मानित किया गया हो. ऐसा सम्मान पाने वाले जिले में ढुंढे से नहीं मिलेगे. मेरा अपना अनुभव है कि बैतूल जैसे अभागे जिले में राष्ट्रपति से लेकर सरंपच तक से पुरूस्कृत लोगो की कमी नहीं है. जिले में ऐसे समाजसेवी एक या दो ही हो सकते है जिन्होने अपनी जमीन - जायजाद तक समाजसेवा के पागलपन के पीछे लुटा दी हो. घर की चवन्नी नहीं और रूपये का सम्मान पाने वाले जिले के कुछ तथाकथित समाज सेवक जिले में ऐसे स्वंय सेवी संगठन और समितियो को समय - समय पर रूपैया - पैसा देकर स्वंय को सबसे बड़ा समाजसेवी का मडल पा लेते है. जिले में ऐसे सामाजिक संगठन भी है जो अपनी जात - समाज की प्रतिभा को सम्मान देने के बजाय दुसरी जात और समाज को ही सम्मान देते है. ऐसा करने से उन्हे दोहरा फायदा होता है. पहला तो यह कि सारे कार्यक्रम का खर्चा मिल जाता है और दुसरा प्रचार - प्रसार भी जिसका उन्हे बरसो से इंतजार रहता है. समाजसेवा के क्षेत्र में ऐसे लोगो का नाम यदि बैतूल जिले के कारगिल चौक से सड़क पर लिखना शुरू किया जाये तो इधर मुलताई और उधर भौरा तक पहुंच जायेगा लेकिन उनका नाम लिखना खत्म नहीं होगा. छुटभैया से लेकर बड़े भैया तक समाजसेवा के क्षेत्र में बड़ा नाम और सम्मान को पा चुके लोगो के द्धारा जिले के अफसरो की निगाह में स्वंय को सबसे बड़ा समाज सेवक के रूप में स्थापित करना होता है ताकि उनकी दुकानो - प्रतिष्ठानो - मकानो में हो रही कालाबजारी - काले धंधे - काले कारनामो पर छापमार कार्यवाही न हो सके . जिले में कई तो ऐसे भी लोग है जो सिर्फ पत्रकार - पार्टी पदाधिकारी - धार्मिक संगठनो - सामाजिक संगठनो के स्वंय भू पदाधिकारी या संरक्षक बने बैठे है. समाजसेवा के बारे में कहा जाता है कि समाजसेवा एक प्रकार का मिशन है लेकिन बैतूल जिले के समाजसेवियो की हरकतो एवं उनके काले कारनामो को देख कर ऐसा नहीं लगता कि इनके लिए ऐसा कुछ है. दवाईयो की दुकानो से नकली दवा हो या फिर किसी अनाज के मालगोदाम से निकली मिलवाटी सामग्री हर किसी के पीछे उनका वह सामाजिक रूतबा होता है जिसकी वे हर बार बड़ी कीमत चुका कर समाज श्री का गले में कुत्ते की तरह पटट लगा कर घुमते है. आजकल समाजसेवा नाम मात्र कर रह गई है. दरअसल में समाजसेवा एक प्रकार की आड़ हो गई जिसके पर्दे में रह कर वह अपनी काली  करतूते कर सके. बैतूल जिले में दर्जनो महिलाओ की पेड़ और खुले आसमान के नीचे प्रसव पीड़ा हो गई लेकिन न तो कोई महिला सेवी आगे और न पीछे आई. ऐसे में चमक - धमक और चेहरे के चक्कर में कई लोग अपनी रोटी सेकती रहती है. जिले में महिला समाज सेवियो के भी किस्से किसी से छुपे नहीं है. कब किसकी और किसके साथ समाजसेवा करने में माहिर ऐसी महिलाये दर असल में नारी जाति के लिए भी कलंक है क्योकि उनके कारनामो को यदि छापा जाये तो पूरा समाचार पत्र भर जायेगा. समाजसेवा की आड़ में अनैतिकता का काला बाजार आज भी बैतूल जिले में धीरे - धीरे देह व्यापार की शक्ल लेता जा रहा है. सभी ऐसी नहीं है पर किसी ने कहा भी तो सही है कि ''एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है......!'' इस लेख के छपने के बाद उन समाजसेवियो की हेल्थ पर कोई फर्क नहीं पडऩे वाला जो कि नि:स्वार्थ समाजसेवा करते चले आ रहे है लेकिन उन लोगो की छाती पर काला नाग लोटने लग जायेगा जो कि समाज सेवा की आड़ में अनैतिकता का बाजार लगाये हुये है. मेरा इस लेख के पीछे किसी को बदनाम करने का अभिप्राय: नहीं है लेकिन जो पहले से ही बदनाम हो उसे बदनाम भी भला कैसे किया जा सकता है. समाज सेवा को एक मिशन के रूप में लेकर चलने वालो को एक बार फिर साधुवाद .

दुदही टेक्सी स्टेण्ड हनुमान मन्दिर में युवाओ ने INDIA लिख कर दिप प्रज्वलित किया गया

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              SEK IN INDIA NEWS

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता प्रदर्शित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर सम्पूर्ण देश में भी नागरिकों ने अपने घरों की लाइट बंद कर दीप प्रज्वलित किए।


05 अप्रैल (हि.स.)। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर रविवार की रात नौ बजे ही पूरा देश कोरोना वायरस के खिलाफ एकजुट नजर आया।
 कुुुशीनगर 9 बजते ही घरों में लोगों ने लाइट बुझा दी और दीये व मोमबत्ती जला दिये। इस तरह दीप प्रज्वलन से दुदही में दीवाली की छटा बिखर गई। आम से लेकर खास लोगों ने भी अपने घरों में दीये जलाए।
कोरोना वायरस के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अप्रैल की रात नौ बजे नौ मिनट तक दीप प्रज्वलन का आह्वान किया। इसे देखते हुए तीन अप्रैल से ही दीये और मोमबत्ती की खरीद चल रही थी। रविवार को दिनभर पुलिस भी जरूरतमंद लोगों को दीये और मोमबत्ती बांटने में लगी रही। सभी लोग दिन भर रात नौ बजने का इंतजार करते रहे।

घरो की बालकनी व आंगन में किया दीप प्रज्वलन
कोरोना वायरस को मात देने के लिए लोगों ने नौ बजते ही अपने-अपने घरों की लाइट बंद कर दी। इसके बाद दीपक और मोमबत्ती जलाई। युवाओं ने टाॅर्च और मोबाइल की टाॅर्च से रोशनी की। युवाओं का उत्साह इस मौके पर देखते ही बना। लोगों ने अपने घरों की छतों, फ्लैटों की बालकनी और अपने घरों के आंगन में दीपक व मोमबत्ती जलाये। 

दुदही टेक्सी स्टेण्ड हनुमान मन्दिर में युवाओ ने INDIA लिख कर दिप प्रज्वलित किया गया

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कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता प्रदर्शित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर सम्पूर्ण देश में भी नागरिकों ने अपने घरों की लाइट बंद कर दीप प्रज्वलित किए।


05 अप्रैल (हि.स.)। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर रविवार की रात नौ बजे ही पूरा देश कोरोना वायरस के खिलाफ एकजुट नजर आया।
 कुुुशीनगर 9 बजते ही घरों में लोगों ने लाइट बुझा दी और दीये व मोमबत्ती जला दिये। इस तरह दीप प्रज्वलन से दुदही में दीवाली की छटा बिखर गई। आम से लेकर खास लोगों ने भी अपने घरों में दीये जलाए।
कोरोना वायरस के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अप्रैल की रात नौ बजे नौ मिनट तक दीप प्रज्वलन का आह्वान किया। इसे देखते हुए तीन अप्रैल से ही दीये और मोमबत्ती की खरीद चल रही थी। रविवार को दिनभर पुलिस भी जरूरतमंद लोगों को दीये और मोमबत्ती बांटने में लगी रही। सभी लोग दिन भर रात नौ बजने का इंतजार करते रहे।

घरो की बालकनी व आंगन में किया दीप प्रज्वलन
कोरोना वायरस को मात देने के लिए लोगों ने नौ बजते ही अपने-अपने घरों की लाइट बंद कर दी। इसके बाद दीपक और मोमबत्ती जलाई। युवाओं ने टाॅर्च और मोबाइल की टाॅर्च से रोशनी की। युवाओं का उत्साह इस मौके पर देखते ही बना। लोगों ने अपने घरों की छतों, फ्लैटों की बालकनी और अपने घरों के आंगन में दीपक व मोमबत्ती जलाये। 

कुशीनगर= सांसद और,पुलिस अधिक्षक कुशीनगर ने वैश्विक महामारी कोरोना के खात्मे का वायस बनेगा लक्षमण रेखा दिवाली

कुशीनगर= सांसद और,पुलिस अधिक्षक कुशीनगर ने वैश्विक महामारी कोरोना के खात्मे का वायस बनेगा लक्षमण रेखा दिवाली
              SEK IN INDIA NEWS
कुशीनगर।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर पूरे देश मे कोरोना वायरस से बचाव के लिए दीप जलाने के लिए किये गए अपील के क्रम में कुशीनगर सांसद विजय कुमार दुबे ने अपने आवास पर दीप जलाया। भारतीय संस्कृति में दीप से निकला प्रकाश सूर्य को शक्ति प्रदान करता है और यही वैश्विक महामारी कोरोना के खात्मे का वायस बनेगा।
             SEK IN INDIA NEWS
इस अवसर पर सांसद विजय कुमार दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने पूरे भारत की 130 करोड़ जनता को बचाने के लिए अपने अनूठे कौशल का प्रयोग किया है। इससे कोरोना आपदा से पूरे देश को निजात मिलेगी। इस प्रकाश की ताकत से सूर्य को मिलने वाली ऊर्जा से महामारी खत्म होगी। प्रधानमंत्री जी के साथ पूरा देश इस जंग में शामिल हैं। यह मानवता को बचाने की लड़ाई है। इसमें हम लोगों की एकजुटता आवश्यक है। जनपद के नगर, चौराहों व ग्रामीण क्षेत्रों में लोगो ने बडे उत्साह से दीप, मोमबती, व टार्च , मोबाइल जलाकर कोरोना से मुक्ति का संकल्प लिया।

कुशीनगर= सांसद और,पुलिस अधिक्षक कुशीनगर ने वैश्विक महामारी कोरोना के खात्मे का वायस बनेगा लक्षमण रेखा दिवाली

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कुशीनगर।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर पूरे देश मे कोरोना वायरस से बचाव के लिए दीप जलाने के लिए किये गए अपील के क्रम में कुशीनगर सांसद विजय कुमार दुबे ने अपने आवास पर दीप जलाया। भारतीय संस्कृति में दीप से निकला प्रकाश सूर्य को शक्ति प्रदान करता है और यही वैश्विक महामारी कोरोना के खात्मे का वायस बनेगा।
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इस अवसर पर सांसद विजय कुमार दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने पूरे भारत की 130 करोड़ जनता को बचाने के लिए अपने अनूठे कौशल का प्रयोग किया है। इससे कोरोना आपदा से पूरे देश को निजात मिलेगी। इस प्रकाश की ताकत से सूर्य को मिलने वाली ऊर्जा से महामारी खत्म होगी। प्रधानमंत्री जी के साथ पूरा देश इस जंग में शामिल हैं। यह मानवता को बचाने की लड़ाई है। इसमें हम लोगों की एकजुटता आवश्यक है। जनपद के नगर, चौराहों व ग्रामीण क्षेत्रों में लोगो ने बडे उत्साह से दीप, मोमबती, व टार्च , मोबाइल जलाकर कोरोना से मुक्ति का संकल्प लिया।

क्या हिन्दू क्या मुसलमान क्या सिख क्या ईसाई सभी ने दिप प्रज्वलन कर कोरोना से जित का आगाज किया।

COVID 19 खिलाफ जंग: देशवासियों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने किया दीप प्रज्वलन, ट्वीट कर संस्कृत का श्लोक

लॉकडाउन से ठीक पहले 22 मार्च को ‘‘जनता कर्फ्यू ’’के दौरान भी लोगों ने प्रधानमंत्री की अपील पर ताली, थाली, और घंटी आदि बजा कर कोरोना वायरस संकट का मुकाबला कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों का उत्साह बढ़ाया था।

  कोरोना वायरस संकट से निपटने में राष्ट्र के ‘‘सामूहिक संकल्प और एकजुटता’’ को प्रदर्शित करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर ‘रविवार रात नौ बजे नौ मिनट तक’ करोड़ों देशवासियों ने अपने घरों की बत्ती बुझा दी और दीये, मोमबत्ती तथा मोबाइल फोन की फ्लैशलाइट जलाई। इसके साथ ही पीएम मोदी ने भी दीप प्रज्ज्वलन किया। साथ ही संस्कृत में श्लोक भी ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसंपदा ।शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥
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उल्लेखनीय है कि यह पहला मौका है जब मोदी ने ‘लॉकडाउन’ के दौरान इस वैश्विक महामारी के खिलाफ लोगों को एकजुट करने की कोशिश की।

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शहरो की तर्ज पर प्रधान ने गांव को बना दिये स्मार्ट गांव तथा स्मार्ट पार्क-: काम बोलता है। जयप्रकाश यादव

शहरो की तर्ज पर प्रधान ने गांव को बना दिये स्मार्ट गांव तथा स्मार्ट पार्क-: काम बोलता है। जयप्रकाश यादव।   जनपद कुशीनगर के ग्रामसभा ठाड़ीभार ...