SEK IN INDIA NEWS

दिल्ली-NCR में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 3.5 मापी गई तीव्रता

Earthquake News: दिल्ली-NCR में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 3.5 मापी गई तीव्रता

Earthquake News: दिल्ली-NCR में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 3.5 मापी गई तीव्रता

Earthquake News: कोरोनावायरस के कहर के बीच रविवार शाम को दिल्ली और एनसीआर में महसूस किए गए भूकंप के झटके.

नई दिल्ली: कोरोनावायरस (Coronavirus) के कहर के बीच रविवार शाम को दिल्ली और एनसीआर में भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए. भूकंप के झटके बाद लोग अपने घरों से बाहर निकल आए. दिल्ली के साथ-साथ गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप के झटके (Earthquake News) लगभग 5 सेकंड तक महसूस किए गए हैं. बता दें कि देश में कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन लगा हुआ है. भूकंप का केंद्र दिल्ली-यूपी था, वहीं इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.5 मापी गई. 
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए. आशा है कि सभी लोग सुरक्षित हों. मैं आप में से हर एक की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता हूं.

भूकंप आने पर क्या करें क्या न करें...
भूकंप आने के वक्त यदि आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें. जब तक झटके खत्म न हों, बाहर ही रहें. चलती गाड़ी में होने पर जल्द गाड़ी रोक लें और गाड़ी में ही बैठे रहें. ऐसे पुल या सड़क पर जाने से बचें, जिन्हें भूकंप से नुकसान पहुंचा हो.

भूकंप आने के वक्त यदि आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं. मज़बूत टेबल या किसी फर्नीचर के नीचे पनाह लें. टेबल न होने पर हाथ से चेहरे और सिर को ढक लें. घर के किसी कोने में चले जाएं और कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें. बिस्तर पर हैं तो लेटे रहें, तकिये से सिर ढक लें. आसपास भारी फर्नीचर हो तो उससे दूर रहें. लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें, पेंडुलम की तरह हिलकर दीवार से टकरा सकती है लिफ्ट और बिजली जाने से भी रुक सकती है लिफ्ट. कमज़ोर सीढ़ियों का इस्तेमाल न करें, आमतौर पर इमारतों में बनी सीढ़ियां मज़बूत नहीं होतीं. झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें.

अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो माचिस हरगिज़ न जलाएं क्‍योंकि इस दौरान गैस लीक होने का खतरा हो सकता है. हिलें नहीं, और धूल न उड़ाएं. किसी रूमाल या कपड़े से चेहरा ज़रूर ढक लें. किसी पाइप या दीवार को ठकठकाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके. यदि कोई सीटी उपलब्ध हो तो बजाते रहें. यदि कोई और जरिया न हो, तो चिल्लाते रहें, हालांकि चिल्लाने से धूल मुंह के भीतर जाने का खतरा रहता है, सो, सावधान रहें

दिल्ली-NCR में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 3.5 मापी गई तीव्रता

Earthquake News: दिल्ली-NCR में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 3.5 मापी गई तीव्रता

Earthquake News: दिल्ली-NCR में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 3.5 मापी गई तीव्रता

Earthquake News: कोरोनावायरस के कहर के बीच रविवार शाम को दिल्ली और एनसीआर में महसूस किए गए भूकंप के झटके.

नई दिल्ली: कोरोनावायरस (Coronavirus) के कहर के बीच रविवार शाम को दिल्ली और एनसीआर में भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए. भूकंप के झटके बाद लोग अपने घरों से बाहर निकल आए. दिल्ली के साथ-साथ गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप के झटके (Earthquake News) लगभग 5 सेकंड तक महसूस किए गए हैं. बता दें कि देश में कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन लगा हुआ है. भूकंप का केंद्र दिल्ली-यूपी था, वहीं इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.5 मापी गई. 
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए. आशा है कि सभी लोग सुरक्षित हों. मैं आप में से हर एक की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता हूं.

भूकंप आने पर क्या करें क्या न करें...
भूकंप आने के वक्त यदि आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें. जब तक झटके खत्म न हों, बाहर ही रहें. चलती गाड़ी में होने पर जल्द गाड़ी रोक लें और गाड़ी में ही बैठे रहें. ऐसे पुल या सड़क पर जाने से बचें, जिन्हें भूकंप से नुकसान पहुंचा हो.

भूकंप आने के वक्त यदि आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं. मज़बूत टेबल या किसी फर्नीचर के नीचे पनाह लें. टेबल न होने पर हाथ से चेहरे और सिर को ढक लें. घर के किसी कोने में चले जाएं और कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें. बिस्तर पर हैं तो लेटे रहें, तकिये से सिर ढक लें. आसपास भारी फर्नीचर हो तो उससे दूर रहें. लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें, पेंडुलम की तरह हिलकर दीवार से टकरा सकती है लिफ्ट और बिजली जाने से भी रुक सकती है लिफ्ट. कमज़ोर सीढ़ियों का इस्तेमाल न करें, आमतौर पर इमारतों में बनी सीढ़ियां मज़बूत नहीं होतीं. झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें.

अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो माचिस हरगिज़ न जलाएं क्‍योंकि इस दौरान गैस लीक होने का खतरा हो सकता है. हिलें नहीं, और धूल न उड़ाएं. किसी रूमाल या कपड़े से चेहरा ज़रूर ढक लें. किसी पाइप या दीवार को ठकठकाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके. यदि कोई सीटी उपलब्ध हो तो बजाते रहें. यदि कोई और जरिया न हो, तो चिल्लाते रहें, हालांकि चिल्लाने से धूल मुंह के भीतर जाने का खतरा रहता है, सो, सावधान रहें

पत्रकारों की जिंदगी दिहाड़ी मजदूर से भी बद से बदतर हालात

पत्रकारों की जिंदगी दिहाड़ी मजदूर से भी बद से बदतर हालात
                 SEK IN INDIA NEWS
       वेतन बोर्ड अ‎धिनियम 1955 वेतन बोर्ड
1950 और 60 के दशक में, जब संग‎ठित श्रम क्षेत्रक पर्याप्त संघीकरण या पर्याप्त सौदेबाजी क्षमता से र‎हित ट्रेड यू‎नियनों के ‎बिना अपने ‎विकास के उदयीमान चरण में था, सरकार ने वेतन ‎निर्धारण के क्षेत्र में उठने वाली समस्याओं के मूल्यांकन के ‎लिए अनेक वेतन बोर्डो का गठन ‎किया। वेतन बोर्ड ‎त्रिकाणीय प्रकृ‎ति के होते हैं ‎जिनमें श्र‎मिकों, कर्मचा‎रियों और स्वतंत्र सदस्यों की भागीदारी होती है और अनुशंसाओं को अं‎तिम रुप ‎दिया जाता है। समय के साथ–साथ, यह महसूस ‎किया गया ‎कि ‎‎विभिन्न क्षेत्रकों में कर्मचा‎रियों के संदर्भ में सरकार को वेतन दर ‎निर्धा‎रित करने की जरुरत नहीं है तथा यह ‎जिम्मेदारी उद्योग पर भी सौंपी जा सकती है। हालां‎कि, पत्रकारों, गैर-पत्रकार समाचारपत्रों तथा न्यूज एजेंसी के कर्मचा‎रियों के ‎लिए वेतनों का भुगतान अभी भी वेतन बोर्डों द्वारा की ‎किया जाता है क्यों‎कि वेतन बोर्डों द्वारा ‎दिया गया पा‎रितो‎षिक असं‎विधिक प्रकृ‎ति का होता है, इन वेतन बोर्डों द्वारा की गई अनुशंसाएं कानून के अंतर्गत प्रवर्तनीय नहीं होतीं।
असं‎विधिक वेतन बोर्ड की अह‎मियत समय के साथ–साथ ‎गिरती गई और 1966 के बाद गन्ना उद्योग के अलावा ‎किसी भी असं‎विधिक बोर्ड का गठन नहीं हुआ। इस प्रकार के अं‎तिम बोर्ड का गठन 1985 मे हुआ था। ट्रेड यू‎नियन, जो इन उद्योगों में मजबूती के साथ ‎विक‎सित हुए, प्रबंधन के साथ खुद से वेतन समझौता करने के ‎लिए सक्षम हैं। इस प्रचलन के भ‎विष्य में भी लगातार जारी रहने की संभावना है।
श्रमजीवी और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा की शर्तें) ‎विविध प्रावधान अ‎धिनियम, 1955 (1955 का 45) (संक्षेप में अ‎धिनियम) श्रमजीवी पत्रकारों और गैर-पत्रकार समाचारपत्र कर्मचा‎रियों की सेवा की शर्तों के ‎लिए ‎विनियमन प्रदान करता है। इस अ‎धिनियम की धारा 9 और 13सी, अन्य ‎विषयों में क्रमश: श्रमजीवी पत्रकार और गैर-पत्रकार समाचारपत्र कर्मचा‎रियों के संबंध में वेतन दरों के ‎निर्धारण अथवा सुधार के ‎लिए दो वेतन बोर्डों के गठन के ‎लिए कानून का प्रावधान मुहैया करता है। केन्द्र सरकार आवश्यकता पड़ने पर, वेतन बोर्डों का गठन करेगी ‎जिसमें समाचारपत्र प्र‎तिष्ठानों से संबं‎धित तीन व्य‎क्तियों का प्र‎तिनिधित्व होगा;
तीन व्य‎क्ति समाचार पत्र प्र‎तिष्ठानों के संबंध में ‎नियोक्ताओं का प्र‎तिनि‎धित्व करेंगे;
तीन व्य‎क्ति इस अ‎धिनियम की धारा 9 के अंतर्गत वेतन बोर्ड के ‎लिए श्रमजीवी पत्रकारों का प्र‎तिनिधित्व करेंगे और तीन व्य‎क्ति धारा 13सी के इंतर्गत गैर-पत्रकार समाचार पत्र कर्मचा‎रियों का प्र‎तिनिधित्व करेंगे।
चार स्वतंत्र व्य‎क्ति, उनमें से एक वह व्य‎क्ति होंगे जो उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं अथवा रह चुके हैं तथा उनकी ‎नियु‎क्ति अध्यक्ष के रुप में सरकार द्वारा की जाएगी।
1955 से सरकार ने श्रमजीवी पत्रकार और गैर-पत्रकार समाचारपत्र कर्मचा‎रियों के ‎लिए 6 वेतन बोर्डों का गठन कर चुकी है। ‎निम्न‎लिखित ता‎लिका में वेतन बोर्ड के गठन के ‎विवरण एवं अन्य संबं‎धित ‎विवरण ‎दिए गए हैं।
भारत सरकार ने 2007 में श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा की शर्तें) ‎विविध प्रावधान अ‎धिनियम, 1955 के प्रावधान के अनुसार छठे वेतन बोर्ड के रुप में न्यायाधीश कुरुप की अध्यक्षता में दो वेतन बोर्डों (मजी‎ठिया) का गठन ‎किया, एक श्रमजीवी पत्रकार तथा दूसरा गैर-पत्रकार समाचार पत्र कर्मचा‎रियों के ‎लिए। अध्यक्ष, न्यायाधीश के. नारायण कुरुप ने 31 जुलाई 2008 को त्यागपत्र दे ‎दिया। इसके बाद, न्यायधीश जी. आर. मजी‎ठिया ने 4 मार्च 2009 की अध्यक्ष के रुप में पदभार संभाला। माजी‎तिया वेतन बोर्ड ने भारत सरकार को 31 ‎दिसम्बर 2010 को अपनी अं‎तिम ‎रिपोर्ट सौंपी ।
सरकार ने मजी‎ठिया वेतन बोर्ड की अनुशंसाओं को स्वीकार ‎किया और इसी के अनुसार इसे प्रका‎शित ‎किया गया, दे‎खिए एस.ओ. संख्या 2532 (ई) ‎दिनांक 11/11/2011. इन अनुशंसाओं को मंत्रालय की वेबसाइट पर तथा प‎ब्लिक डोमेन में अपलोड कर ‎दिया गया। यह अ‎धिसूचना एबीपी प्राइवेट ‎लिमिटेड और एएन आर बनाम भारत संघ तथा अन्य के मामले में 2011 की ‎रिट या‎चिका (‎सिविल) संख्या 246 के प‎रिणाम के अधीन है। इसके अ‎तिरिक्त, वेतन बोर्ड की कानूनी वैधता तथा माजी‎तिया वेतन बोर्ड की अनुशसाओं को ‎‎क्रिया‎न्वित न करने के संबंध में ‎विभिन्न समाचार पत्र कर्मचा‎रियों द्वारा ‎सितम्बर 2012 तक 11 अन्य ‎रिट या‎चिकाएं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गईं। मजी‎ठिया वेतन बोर्ड की अनुशंसाओं के ‎क्रियान्वयन पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का कोई स्थगन आदेश नहीं है। सभी रिट याचिकाओं की सुनवाई 05.02.2013 को शुरू हुई और उक्त मामले समय-समय पर सुनवाई के लिए 09 जनवरी, 2014 तक जब तक कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने फैसले को सुरक्षित रखा है, प्रस्तुत होते रहे। 2011 के डब्ल्यूपी नंबर 246 और अन्य इंगित कोर्ट केसों में माननीय उच्चतम न्यायालय ने 07.02.2014 को इस निर्देश के साथ अपना फैसला सुनाया है कि:
“सभी रिट याचिकाएं खारिज कर दी गई है और मजदूरी यथा परिशोधित/निर्धारित रूप से 11.11.2011 से जब भारत सरकार ने मजिठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों को अधिसूचित किया है, देय होगा। सभी बकाये राशि को मार्च, 2014 तक सभी पात्र व्य‎‎‎क्तियों में चार समान किस्तों में 07.02.2014 से एक वर्ष के भीतर भुगतान किया जाएगा और अप्रैल, 2014 के बाद से परिशोधित मजदूरी का भुगतान जारी रखा जाएगा।”

माननीय उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त फैसले से सभी राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदेशों को मार्च, 2014 में सूचित कर दिया गया है।

अनुशंसाओं के ‎क्रियांवयन की प्राथ‎मिक ‎जिम्मेदारी राज्य सरकार/केन्द्र शा‎सित प्रदेश की है। इसी अनुसार, अ‎धिसूचना की एक प्र‎ति (‎हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों में) सभी राज्य सरकारों/केन्द्र शा‎सित प्रदेशों को इस मंत्रालय की ‎चिट्ठी ‎दिनां‎कित 24/11/2011 को भेज दी गई थी। अ‎धिसूचना के ‎क्रियान्वयन की ‎निगरानी हेतु प्रधान श्रम एवं रोजगार सलाहकार की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्तर की अनुवीक्षण स‎मिति का गठन ‎किया गया है ‎जिसमें संयुक्त स‎चिव, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एवं प्रधान श्रम आयुक्त (केंद्रीय) सदस्य के तौर पर हैं तथा उप महा‎निदेशक सदस्य स‎चिव हैं। ‎त्रिपक्षीय अनुवीक्षण स‎मिति के गठन से संबं‎धित श्रम और रोजगार मंत्रालय का ‎दिनांक 24.04.2012 का आदेश राज्यों/संघ शा‎सित प्रदेशों के सभी श्रम स‎चिवों को पृष्ठां‎कित करते हुए स‎मिति के सभी सदस्यों को भेज ‎दिया गया है।
केन्द्रीय स्तर की अनुवीक्षण स‎मिति की प्रथम बैठक प्रधान श्रम एवं रोजगार सलाहकार की अध्यक्षता में 24/09/2012 को हैदराबार में आयो‎जित की गई थी। त‎मिलनाडु, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश राज्यों से आए अ‎धिकारी बैठक में उप‎स्थित हुए। 5 पूर्वी राज्यों नामत: ‎बिहार, छत्तीसगढ़, प‎श्चिम बंगाल, झारखण्ड और उड़ीसा के संबंध में वेतन बोर्ड ‎निर्णयों के कार्यान्वयन की सं‎विधियों की समीक्षा करने के ‎लिए भुवनेश्वर में 13/09/2013 को केंद्रीय स्तर की अनुवीक्षण स‎मिति की दूसरी बैठक आयो‎जित की गई थी।पश्चिमी क्षेत्र के सात राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों अर्थात् राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गोवा, दादर एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव के लिए 21.04.2014 को इसकी तीसरी बैठक मुंबई (महाराष्ट्र) में आयोजित हुई। उतरी क्षेत्र के आठ राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों अर्थात् जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के संबंध में सीएलएमसी की चौथी बैठक दिनांक 10.06.2014 को दिल्ली (श्रम शक्ति भवन) में आयोजित की गई।

पत्रकारों की जिंदगी दिहाड़ी मजदूर से भी बद से बदतर हालात

पत्रकारों की जिंदगी दिहाड़ी मजदूर से भी बद से बदतर हालात
                 SEK IN INDIA NEWS
       वेतन बोर्ड अ‎धिनियम 1955 वेतन बोर्ड
1950 और 60 के दशक में, जब संग‎ठित श्रम क्षेत्रक पर्याप्त संघीकरण या पर्याप्त सौदेबाजी क्षमता से र‎हित ट्रेड यू‎नियनों के ‎बिना अपने ‎विकास के उदयीमान चरण में था, सरकार ने वेतन ‎निर्धारण के क्षेत्र में उठने वाली समस्याओं के मूल्यांकन के ‎लिए अनेक वेतन बोर्डो का गठन ‎किया। वेतन बोर्ड ‎त्रिकाणीय प्रकृ‎ति के होते हैं ‎जिनमें श्र‎मिकों, कर्मचा‎रियों और स्वतंत्र सदस्यों की भागीदारी होती है और अनुशंसाओं को अं‎तिम रुप ‎दिया जाता है। समय के साथ–साथ, यह महसूस ‎किया गया ‎कि ‎‎विभिन्न क्षेत्रकों में कर्मचा‎रियों के संदर्भ में सरकार को वेतन दर ‎निर्धा‎रित करने की जरुरत नहीं है तथा यह ‎जिम्मेदारी उद्योग पर भी सौंपी जा सकती है। हालां‎कि, पत्रकारों, गैर-पत्रकार समाचारपत्रों तथा न्यूज एजेंसी के कर्मचा‎रियों के ‎लिए वेतनों का भुगतान अभी भी वेतन बोर्डों द्वारा की ‎किया जाता है क्यों‎कि वेतन बोर्डों द्वारा ‎दिया गया पा‎रितो‎षिक असं‎विधिक प्रकृ‎ति का होता है, इन वेतन बोर्डों द्वारा की गई अनुशंसाएं कानून के अंतर्गत प्रवर्तनीय नहीं होतीं।
असं‎विधिक वेतन बोर्ड की अह‎मियत समय के साथ–साथ ‎गिरती गई और 1966 के बाद गन्ना उद्योग के अलावा ‎किसी भी असं‎विधिक बोर्ड का गठन नहीं हुआ। इस प्रकार के अं‎तिम बोर्ड का गठन 1985 मे हुआ था। ट्रेड यू‎नियन, जो इन उद्योगों में मजबूती के साथ ‎विक‎सित हुए, प्रबंधन के साथ खुद से वेतन समझौता करने के ‎लिए सक्षम हैं। इस प्रचलन के भ‎विष्य में भी लगातार जारी रहने की संभावना है।
श्रमजीवी और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा की शर्तें) ‎विविध प्रावधान अ‎धिनियम, 1955 (1955 का 45) (संक्षेप में अ‎धिनियम) श्रमजीवी पत्रकारों और गैर-पत्रकार समाचारपत्र कर्मचा‎रियों की सेवा की शर्तों के ‎लिए ‎विनियमन प्रदान करता है। इस अ‎धिनियम की धारा 9 और 13सी, अन्य ‎विषयों में क्रमश: श्रमजीवी पत्रकार और गैर-पत्रकार समाचारपत्र कर्मचा‎रियों के संबंध में वेतन दरों के ‎निर्धारण अथवा सुधार के ‎लिए दो वेतन बोर्डों के गठन के ‎लिए कानून का प्रावधान मुहैया करता है। केन्द्र सरकार आवश्यकता पड़ने पर, वेतन बोर्डों का गठन करेगी ‎जिसमें समाचारपत्र प्र‎तिष्ठानों से संबं‎धित तीन व्य‎क्तियों का प्र‎तिनिधित्व होगा;
तीन व्य‎क्ति समाचार पत्र प्र‎तिष्ठानों के संबंध में ‎नियोक्ताओं का प्र‎तिनि‎धित्व करेंगे;
तीन व्य‎क्ति इस अ‎धिनियम की धारा 9 के अंतर्गत वेतन बोर्ड के ‎लिए श्रमजीवी पत्रकारों का प्र‎तिनिधित्व करेंगे और तीन व्य‎क्ति धारा 13सी के इंतर्गत गैर-पत्रकार समाचार पत्र कर्मचा‎रियों का प्र‎तिनिधित्व करेंगे।
चार स्वतंत्र व्य‎क्ति, उनमें से एक वह व्य‎क्ति होंगे जो उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं अथवा रह चुके हैं तथा उनकी ‎नियु‎क्ति अध्यक्ष के रुप में सरकार द्वारा की जाएगी।
1955 से सरकार ने श्रमजीवी पत्रकार और गैर-पत्रकार समाचारपत्र कर्मचा‎रियों के ‎लिए 6 वेतन बोर्डों का गठन कर चुकी है। ‎निम्न‎लिखित ता‎लिका में वेतन बोर्ड के गठन के ‎विवरण एवं अन्य संबं‎धित ‎विवरण ‎दिए गए हैं।
भारत सरकार ने 2007 में श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा की शर्तें) ‎विविध प्रावधान अ‎धिनियम, 1955 के प्रावधान के अनुसार छठे वेतन बोर्ड के रुप में न्यायाधीश कुरुप की अध्यक्षता में दो वेतन बोर्डों (मजी‎ठिया) का गठन ‎किया, एक श्रमजीवी पत्रकार तथा दूसरा गैर-पत्रकार समाचार पत्र कर्मचा‎रियों के ‎लिए। अध्यक्ष, न्यायाधीश के. नारायण कुरुप ने 31 जुलाई 2008 को त्यागपत्र दे ‎दिया। इसके बाद, न्यायधीश जी. आर. मजी‎ठिया ने 4 मार्च 2009 की अध्यक्ष के रुप में पदभार संभाला। माजी‎तिया वेतन बोर्ड ने भारत सरकार को 31 ‎दिसम्बर 2010 को अपनी अं‎तिम ‎रिपोर्ट सौंपी ।
सरकार ने मजी‎ठिया वेतन बोर्ड की अनुशंसाओं को स्वीकार ‎किया और इसी के अनुसार इसे प्रका‎शित ‎किया गया, दे‎खिए एस.ओ. संख्या 2532 (ई) ‎दिनांक 11/11/2011. इन अनुशंसाओं को मंत्रालय की वेबसाइट पर तथा प‎ब्लिक डोमेन में अपलोड कर ‎दिया गया। यह अ‎धिसूचना एबीपी प्राइवेट ‎लिमिटेड और एएन आर बनाम भारत संघ तथा अन्य के मामले में 2011 की ‎रिट या‎चिका (‎सिविल) संख्या 246 के प‎रिणाम के अधीन है। इसके अ‎तिरिक्त, वेतन बोर्ड की कानूनी वैधता तथा माजी‎तिया वेतन बोर्ड की अनुशसाओं को ‎‎क्रिया‎न्वित न करने के संबंध में ‎विभिन्न समाचार पत्र कर्मचा‎रियों द्वारा ‎सितम्बर 2012 तक 11 अन्य ‎रिट या‎चिकाएं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गईं। मजी‎ठिया वेतन बोर्ड की अनुशंसाओं के ‎क्रियान्वयन पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का कोई स्थगन आदेश नहीं है। सभी रिट याचिकाओं की सुनवाई 05.02.2013 को शुरू हुई और उक्त मामले समय-समय पर सुनवाई के लिए 09 जनवरी, 2014 तक जब तक कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने फैसले को सुरक्षित रखा है, प्रस्तुत होते रहे। 2011 के डब्ल्यूपी नंबर 246 और अन्य इंगित कोर्ट केसों में माननीय उच्चतम न्यायालय ने 07.02.2014 को इस निर्देश के साथ अपना फैसला सुनाया है कि:
“सभी रिट याचिकाएं खारिज कर दी गई है और मजदूरी यथा परिशोधित/निर्धारित रूप से 11.11.2011 से जब भारत सरकार ने मजिठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों को अधिसूचित किया है, देय होगा। सभी बकाये राशि को मार्च, 2014 तक सभी पात्र व्य‎‎‎क्तियों में चार समान किस्तों में 07.02.2014 से एक वर्ष के भीतर भुगतान किया जाएगा और अप्रैल, 2014 के बाद से परिशोधित मजदूरी का भुगतान जारी रखा जाएगा।”

माननीय उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त फैसले से सभी राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदेशों को मार्च, 2014 में सूचित कर दिया गया है।

अनुशंसाओं के ‎क्रियांवयन की प्राथ‎मिक ‎जिम्मेदारी राज्य सरकार/केन्द्र शा‎सित प्रदेश की है। इसी अनुसार, अ‎धिसूचना की एक प्र‎ति (‎हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों में) सभी राज्य सरकारों/केन्द्र शा‎सित प्रदेशों को इस मंत्रालय की ‎चिट्ठी ‎दिनां‎कित 24/11/2011 को भेज दी गई थी। अ‎धिसूचना के ‎क्रियान्वयन की ‎निगरानी हेतु प्रधान श्रम एवं रोजगार सलाहकार की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्तर की अनुवीक्षण स‎मिति का गठन ‎किया गया है ‎जिसमें संयुक्त स‎चिव, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एवं प्रधान श्रम आयुक्त (केंद्रीय) सदस्य के तौर पर हैं तथा उप महा‎निदेशक सदस्य स‎चिव हैं। ‎त्रिपक्षीय अनुवीक्षण स‎मिति के गठन से संबं‎धित श्रम और रोजगार मंत्रालय का ‎दिनांक 24.04.2012 का आदेश राज्यों/संघ शा‎सित प्रदेशों के सभी श्रम स‎चिवों को पृष्ठां‎कित करते हुए स‎मिति के सभी सदस्यों को भेज ‎दिया गया है।
केन्द्रीय स्तर की अनुवीक्षण स‎मिति की प्रथम बैठक प्रधान श्रम एवं रोजगार सलाहकार की अध्यक्षता में 24/09/2012 को हैदराबार में आयो‎जित की गई थी। त‎मिलनाडु, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश राज्यों से आए अ‎धिकारी बैठक में उप‎स्थित हुए। 5 पूर्वी राज्यों नामत: ‎बिहार, छत्तीसगढ़, प‎श्चिम बंगाल, झारखण्ड और उड़ीसा के संबंध में वेतन बोर्ड ‎निर्णयों के कार्यान्वयन की सं‎विधियों की समीक्षा करने के ‎लिए भुवनेश्वर में 13/09/2013 को केंद्रीय स्तर की अनुवीक्षण स‎मिति की दूसरी बैठक आयो‎जित की गई थी।पश्चिमी क्षेत्र के सात राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों अर्थात् राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गोवा, दादर एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव के लिए 21.04.2014 को इसकी तीसरी बैठक मुंबई (महाराष्ट्र) में आयोजित हुई। उतरी क्षेत्र के आठ राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों अर्थात् जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के संबंध में सीएलएमसी की चौथी बैठक दिनांक 10.06.2014 को दिल्ली (श्रम शक्ति भवन) में आयोजित की गई।

ई-पास के लिए उत्तर प्रदेश में ऐसे करें अप्लाई

ई-पास के लिए उत्तर प्रदेश में ऐसे करें अप्लाई

              SEK IN INDIA NEWS
लखनऊ: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने पूरे देश में 21 दिनों का लाॉकडाउन किया है। यानी इस दौरान लोग घरों में रह रहे हैं। इस दौरान लगभग सभी कमर्शल और प्राइवेट सर्विसेज बंद हैं। कुछ जरूरी सेवाएं जैसे किराना दुकानें, मेडिकल स्टोर, अस्पताल, पेट्रोल पंप, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व टेलिकम्युनिकेशन सर्विसेज को खुला रखा गया है। लेकिन इन सेवाओं को मुहैया कराने वाले लोगों को भी कर्फ्यू पास के साथ ही कहीं आने-जाने की अनुमति दी गई है।
UP में ई-पास कौन कर सकता है अप्लाई
जैसा कि हमने बताया कि सरकार ने ई-पास लॉन्च किया है। इसका मकसद उन लोगों के लिए आने-जाने और ट्रांसपोर्टेशन में मदद करना है जो लोग जरूरी सेवाओं को मुहैया कराने के लिए ट्रैवल कर रहे हैं। इसके अलावा किसी इमरजेंसी काम के लिए भी कर्फ्यू पास अप्लाई किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि पास अप्लाई करने के लिए वैलिड रीजन होना चाहिए।

उत्तर प्रदेश में ई-पास अप्लाई करने का तरीका

1. सबसे पहले अपने स्मार्टफोन या पीसी पर ‘http://164.100.68.164/UPePass2/’ई पास अप्लाई करने के लिए क्लिक करे खोलें

2. अब सबसे ऊपर दांये कोने में दिए ePassऑप्शन पर क्लिक करें

3. अब अपना फोन नंबर का इस्तेमाल कर खुद को रजिस्टर करें और अगले स्टेप के लिए OTP एंटर करें

4. इसके बाद एक ऐप्लिकेशन खुलेगा जिसमें नाम, जन्मतिथि, जेंडर, जिला, तहसील जैसी आदि जानकारी डालनी होंगी

5. अब declaration स्वीकार करे और Submit बटन पर क्लिक करें

6. भविष्य में स्टेटस ट्रैक करने के लिए ईपासआईडी को सेव कर लें

ई-पास के लिए उत्तर प्रदेश में ऐसे करें अप्लाई

ई-पास के लिए उत्तर प्रदेश में ऐसे करें अप्लाई

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लखनऊ: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने पूरे देश में 21 दिनों का लाॉकडाउन किया है। यानी इस दौरान लोग घरों में रह रहे हैं। इस दौरान लगभग सभी कमर्शल और प्राइवेट सर्विसेज बंद हैं। कुछ जरूरी सेवाएं जैसे किराना दुकानें, मेडिकल स्टोर, अस्पताल, पेट्रोल पंप, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व टेलिकम्युनिकेशन सर्विसेज को खुला रखा गया है। लेकिन इन सेवाओं को मुहैया कराने वाले लोगों को भी कर्फ्यू पास के साथ ही कहीं आने-जाने की अनुमति दी गई है।
UP में ई-पास कौन कर सकता है अप्लाई
जैसा कि हमने बताया कि सरकार ने ई-पास लॉन्च किया है। इसका मकसद उन लोगों के लिए आने-जाने और ट्रांसपोर्टेशन में मदद करना है जो लोग जरूरी सेवाओं को मुहैया कराने के लिए ट्रैवल कर रहे हैं। इसके अलावा किसी इमरजेंसी काम के लिए भी कर्फ्यू पास अप्लाई किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि पास अप्लाई करने के लिए वैलिड रीजन होना चाहिए।

उत्तर प्रदेश में ई-पास अप्लाई करने का तरीका

1. सबसे पहले अपने स्मार्टफोन या पीसी पर ‘http://164.100.68.164/UPePass2/’ई पास अप्लाई करने के लिए क्लिक करे खोलें

2. अब सबसे ऊपर दांये कोने में दिए ePassऑप्शन पर क्लिक करें

3. अब अपना फोन नंबर का इस्तेमाल कर खुद को रजिस्टर करें और अगले स्टेप के लिए OTP एंटर करें

4. इसके बाद एक ऐप्लिकेशन खुलेगा जिसमें नाम, जन्मतिथि, जेंडर, जिला, तहसील जैसी आदि जानकारी डालनी होंगी

5. अब declaration स्वीकार करे और Submit बटन पर क्लिक करें

6. भविष्य में स्टेटस ट्रैक करने के लिए ईपासआईडी को सेव कर लें

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प्रदेश सरकार ने यह किया तय_
_*1*. सभी जिलों में 30 अप्रैल तक लॉकडाउन रहेगा। जिलों के दो वर्ग होंगे। ए वर्ग में वे जिले होंगे जहां 14 अप्रैल तक एक भी कोरोना पॉजिटिव केस नहीं मिला है। वर्ग बी में वह जिलेे होंगे जहां पॉजिटिव केस मिल चुके हैं या 14 अप्रैल तक और मिलने की आशंका है।_
ए वर्ग वाले जिलों में कुछ रियायतें दी जाएंगी।_
बी वर्ग वाले जिलों में प्रतिबंध पूरी तरह से जारी रहेगा।
2. जिलों में चिह्नित किए गए हॉटस्पॉट वाले क्षेत्रों में किसी भी तरह का मूवमेंट पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा। यहां प्रशासन राशन और अन्य जरूरी सामान की व्यवस्था करेगा।_
-3 30 अप्रैल तक प्रदेश में कहीं भी पांच से अधिक लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध रहेेगा और धारा 144 लागू रहेगी।_
4. 31 मई तक पूरे प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना अनिवार्य होगा और सोशल डिस्टेंसिंग की नीति भी इसी तारीख तक लागू रहेगी।__
6. वर्ग बी के जिलों की सीमाएं सील रहेंगी और सामान का परिवहन भी जिलों की सीमा के अंदर नहीं होगा। वर्ग ए के जिलों में जिलाधिकारी की अनुमति से परिवहन में रियायत दी जा सकती है। वर्ग ए और वर्ग बी वाले जिलों के बीच कोई आवागमन नहीं होगा। वर्तमान में लागू पास मान्य होंगे। स्वास्थ्य परीक्षण आदि जारी रहेगा।_
7. हॉटस्पॉट वाले इलाकों को छोड़कर जोखिम का आकलन कर डीएम निर्माण, औद्योगिक उत्पादन और खनन की अनुमति दे सकेंगे।_
8. स्टांप एवं रजिट्रेशन की सभी जिलों में नियमों के अधीन अनुमति।_

ये भी हुआ तय
9. ये रहेंगे बंद : होटल, धर्मशाला, होम स्टे, मॉल, सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स, जिम, रेस्टूरेंट, बार, धार्मिक संस्थान आदि बंद रहेंगे। जिलाधिकारी की अनुमति के बिना किसी कार्मिक या अन्य व्यक्ति को हटाया नहीं जाएगा।_
10*. हॉटस्पॉट को छोड़कर इनको रहेगी अनुुमति : खेती किसानी, बागवानी, मौन पालन, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन, कटाई बुवाई आदि को अनुमित रहेगी। राज्य की सीमा से बाहर और वर्ग बी वाले जिलों से श्रमिक नहीं लाए जा सकेंगे।_
11*. 15 मई तक प्रदेश के सभी स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।_
12*. अस्पतालों आदि को छोड़कर 15 मई तक प्रदेश मे एयर कंडीशनर के उपयोग पर भी रोक।_
13*. रियायत : वर्ग ए वाले जिलों के बीच सात बजे से लेकर एक बजे के बीच खुद के वाहनों से यात्रा हो सकेगी। वर्ग ए और वर्ग बी वाले जिलों के बीच वाहन नहीं चलेेंगे, केवल आवश्यक सामान की ढुलाई हो सकेगी।_
14. वर्ग ए वाले जिलों सहित अगर कहीं कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आते हैं तो प्रतिबंध अधिक सख्त किए जाएंगे।_
15. क्वारंटीन होने वालों को इधर-उधर आने-जाने की इजाजत नहीं होगी।_
16. सभी निजी अस्पताल और अन्य चिकित्सीय संस्थाएं प्रदेश में खुली रहेंगी और सोशल डिस्टेंस नीति का पालन होगा।
17. सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए मनरेगा को वर्ग ए जिलों में अनुमति होगी।

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