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यातायात व्यवस्था के प्रति आखिर क्यों गंभीर नहीं हैं मऊ के जनप्रतिनिधि, नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन, हज़ारों गाड़ियों के हुजूम से शहर का काफिया तंग, परेशान हैं जनता जनार्दन

यातायात व्यवस्था के प्रति आखिर क्यों गंभीर नहीं हैं मऊ के जनप्रतिनिधि, नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन, हज़ारों गाड़ियों के हुजूम से शहर का काफिया तंग, परेशान हैं जनता जनार्दन
                   फजलुर्रहमान अंसारी

मऊ जिला मुख्यालय के निर्माण के बाद मऊ नगरवासियों के गुमान में भी यह बात नहीं रही होगी कि जमाने की गर्दिश के साथ उनके शहर का काफिया कभी इतना तंग हो जायेगा और उसके यातायात की व्यवस्था दिन-प्रतिदिन इस कदर संगीन और तकलीफदेह हो जाएगी जिसमें उनका सांस लेना तक दूभर हो जायेगा। परिस्थिति ये है कि कलेक्ट्रेट से लेकर गाजीपुर तिराहा, भीटी, आजमगढ़ मोड़ और फिर खासतौर से शहर के पश्चिमी क्षेत्र मिर्जाहादीपुरा चौक जैसी कोई ऐसी व्यस्ततम जगह बाकी नहीं है जहां हजारों की संख्या में छोटी-बड़ी गाड़ियों का सैलाब लोगों की राह रोके न खड़ा हो जिसके चलते शहर की सभी शाहराहों पर लगने वाले लम्बे जाम के कारण आम नगरवासियों को न केवल दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है बल्कि अनावश्यक रूप से लोगों का काफी समय बरबाद होने के सबब इस महान औद्योगिक नगरी के आर्थिक और व्यापारिक हितों को भी ज़ोरदार झटका लग रहा है क्योंकि रोजमर्रा के इस जाम के चलते जो काम आधे घण्टे में मुकम्मल होना था, अब वह घण्टों में अंजाम पा रहा है। शहर की एक बड़ी मुसीबत तो यह भी है कि इसके लगभग सभी बैंक और सरकारी व गैर-सरकारी अस्पताल सामान्य रूप से शहर के सार्वजनिक मार्गाें पर ही स्थित हैं जहां बड़ी तादाद में लोगों का समूह और दायें-बायें खड़ी सैकड़ों छोटी-बड़ी गाड़ियां भी इस कष्टदायक जाम के खास कारणों में शामिल हैं। इसी प्रकार, सुब्ह होते ही जिले के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों मजदूर और आम जन जिला मुख्यालय का ही रूख करते हैं जिनके वाहनों, बाईकों और हजारों साईकिलों के हुजूम से अमूमन शहर की शाहराहें भरी-पटी रहती हैं।

मुश्किल यह भी है कि शहर में ई-रिक्शा की तादाद तकरीबन् 2500 बताई जा रही है जिसमें प्रतिदिन इजाफा भी इसलिये हो रहा है कि लाकडाऊन के सबब व्याप्त आम बेकारी, बेरोजगारी और रोजगार के अवसर पूर्णतः समाप्त हो चुके हैं जिसके चलते अक्सर नौजवान बैंकों से कर्ज लेकर एक रिक्शा खरीदते और फिर उसे लाकर शहर की तंग शाहराह पर डाल देते हैं जो चींटियों की कतार की भांति शहर की इकलौती सड़क पर रेंगते और कछुवे की चाल से अपना रास्ता तय करते नजर आते हैं जिनके लगातार आवागमन से लोगों का सड़क पार करना तक दुश्वार हो गया है। कभी-कभार तो गभ्भीर मरीजों को समय से अस्पताल पहुंचाना भी मुहाल हो जाता है। सबसे बुरा हाल तो मिर्जाहादीपुरा चौक का है जहां से प्रतिदिन हजारों छोटी-बड़ी गाड़ियों का गुजर होेता है जिसकी दोनों पटरियों पर सैकड़ोंफल और सब्जीफरोशों का मुकम्मल कब्जा है लेकिन नगरपालिका, स्थानीय पुलिस या लोकल प्रशासन को कण मात्र भी ट्रैफिक की इस दुर्व्यवस्था की कोई चिन्ता नही है और लोगों को समझ में ये नहीं आता कि आखिर उन्हें शहर या जिले की किस अथारिटी की इजाज़त या रजामन्दी हासिल है जिसके बल पर वे बेखौफ होकर न केवल सड़क की पटरी बल्कि अक्सर आधी सड़क तक ठेला और खांचा लगाकर आम राहगीरों का चलना-फिरना दूभर किये हुये हैं।

याद रहे कि मऊ जनपद का सृजन 1988 में दिवंगत कल्पनाथ राय के दौर में हुआ था। उसी दौर में कलेक्ट्रेट की इमारतें और आफिसर्स कॉलोनीज़ तो बन गईं लेकिन भविष्य में इस शहर को पेश आने वाली गभ्भीर समस्याओं और ट्रैफिक की व्यवस्था से संबंधित कोई मन्सूबाबन्दी इसलिये नहीं हो पाई कि दि0 रहनुमा ही इस संसार को अलविदा कह गये और फिर उसके बाद मऊ शहर को कोई प्रभावशाली नेतृत्व नसीब नहीं हुआ। हालांकि यह शहर चार विधायक, एक सांसद और कई राज्यमंत्रियों तक की राजनैतिक गतिविधियों का केन्द्र है लेकिन बदकिस्मती से उनमें से किसी का जनता और उसके हितों से कोई लेना-देना नहीं रहा और इन जनप्रतिनिधियों में से तो अक्सर लम्बे समय से जेल में हैं जिसके परिणामस्वरूप इस शहर को अनार्थ जीवन गुज़ारना पड़ रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि अगर सम्पूर्ण रूप से नहीं तो कम से कम आंशिक रूप से ही सही जनता को राहत पहुंचाने के लिये मऊ के इन चुने हुये रहनुमाओं को कोई कदम तो उठाना ही चाहिये।

यातायात व्यवस्था के प्रति आखिर क्यों गंभीर नहीं हैं मऊ के जनप्रतिनिधि, नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन, हज़ारों गाड़ियों के हुजूम से शहर का काफिया तंग, परेशान हैं जनता जनार्दन

यातायात व्यवस्था के प्रति आखिर क्यों गंभीर नहीं हैं मऊ के जनप्रतिनिधि, नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन, हज़ारों गाड़ियों के हुजूम से शहर का काफिया तंग, परेशान हैं जनता जनार्दन
                   फजलुर्रहमान अंसारी

मऊ जिला मुख्यालय के निर्माण के बाद मऊ नगरवासियों के गुमान में भी यह बात नहीं रही होगी कि जमाने की गर्दिश के साथ उनके शहर का काफिया कभी इतना तंग हो जायेगा और उसके यातायात की व्यवस्था दिन-प्रतिदिन इस कदर संगीन और तकलीफदेह हो जाएगी जिसमें उनका सांस लेना तक दूभर हो जायेगा। परिस्थिति ये है कि कलेक्ट्रेट से लेकर गाजीपुर तिराहा, भीटी, आजमगढ़ मोड़ और फिर खासतौर से शहर के पश्चिमी क्षेत्र मिर्जाहादीपुरा चौक जैसी कोई ऐसी व्यस्ततम जगह बाकी नहीं है जहां हजारों की संख्या में छोटी-बड़ी गाड़ियों का सैलाब लोगों की राह रोके न खड़ा हो जिसके चलते शहर की सभी शाहराहों पर लगने वाले लम्बे जाम के कारण आम नगरवासियों को न केवल दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है बल्कि अनावश्यक रूप से लोगों का काफी समय बरबाद होने के सबब इस महान औद्योगिक नगरी के आर्थिक और व्यापारिक हितों को भी ज़ोरदार झटका लग रहा है क्योंकि रोजमर्रा के इस जाम के चलते जो काम आधे घण्टे में मुकम्मल होना था, अब वह घण्टों में अंजाम पा रहा है। शहर की एक बड़ी मुसीबत तो यह भी है कि इसके लगभग सभी बैंक और सरकारी व गैर-सरकारी अस्पताल सामान्य रूप से शहर के सार्वजनिक मार्गाें पर ही स्थित हैं जहां बड़ी तादाद में लोगों का समूह और दायें-बायें खड़ी सैकड़ों छोटी-बड़ी गाड़ियां भी इस कष्टदायक जाम के खास कारणों में शामिल हैं। इसी प्रकार, सुब्ह होते ही जिले के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों मजदूर और आम जन जिला मुख्यालय का ही रूख करते हैं जिनके वाहनों, बाईकों और हजारों साईकिलों के हुजूम से अमूमन शहर की शाहराहें भरी-पटी रहती हैं।

मुश्किल यह भी है कि शहर में ई-रिक्शा की तादाद तकरीबन् 2500 बताई जा रही है जिसमें प्रतिदिन इजाफा भी इसलिये हो रहा है कि लाकडाऊन के सबब व्याप्त आम बेकारी, बेरोजगारी और रोजगार के अवसर पूर्णतः समाप्त हो चुके हैं जिसके चलते अक्सर नौजवान बैंकों से कर्ज लेकर एक रिक्शा खरीदते और फिर उसे लाकर शहर की तंग शाहराह पर डाल देते हैं जो चींटियों की कतार की भांति शहर की इकलौती सड़क पर रेंगते और कछुवे की चाल से अपना रास्ता तय करते नजर आते हैं जिनके लगातार आवागमन से लोगों का सड़क पार करना तक दुश्वार हो गया है। कभी-कभार तो गभ्भीर मरीजों को समय से अस्पताल पहुंचाना भी मुहाल हो जाता है। सबसे बुरा हाल तो मिर्जाहादीपुरा चौक का है जहां से प्रतिदिन हजारों छोटी-बड़ी गाड़ियों का गुजर होेता है जिसकी दोनों पटरियों पर सैकड़ोंफल और सब्जीफरोशों का मुकम्मल कब्जा है लेकिन नगरपालिका, स्थानीय पुलिस या लोकल प्रशासन को कण मात्र भी ट्रैफिक की इस दुर्व्यवस्था की कोई चिन्ता नही है और लोगों को समझ में ये नहीं आता कि आखिर उन्हें शहर या जिले की किस अथारिटी की इजाज़त या रजामन्दी हासिल है जिसके बल पर वे बेखौफ होकर न केवल सड़क की पटरी बल्कि अक्सर आधी सड़क तक ठेला और खांचा लगाकर आम राहगीरों का चलना-फिरना दूभर किये हुये हैं।

याद रहे कि मऊ जनपद का सृजन 1988 में दिवंगत कल्पनाथ राय के दौर में हुआ था। उसी दौर में कलेक्ट्रेट की इमारतें और आफिसर्स कॉलोनीज़ तो बन गईं लेकिन भविष्य में इस शहर को पेश आने वाली गभ्भीर समस्याओं और ट्रैफिक की व्यवस्था से संबंधित कोई मन्सूबाबन्दी इसलिये नहीं हो पाई कि दि0 रहनुमा ही इस संसार को अलविदा कह गये और फिर उसके बाद मऊ शहर को कोई प्रभावशाली नेतृत्व नसीब नहीं हुआ। हालांकि यह शहर चार विधायक, एक सांसद और कई राज्यमंत्रियों तक की राजनैतिक गतिविधियों का केन्द्र है लेकिन बदकिस्मती से उनमें से किसी का जनता और उसके हितों से कोई लेना-देना नहीं रहा और इन जनप्रतिनिधियों में से तो अक्सर लम्बे समय से जेल में हैं जिसके परिणामस्वरूप इस शहर को अनार्थ जीवन गुज़ारना पड़ रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि अगर सम्पूर्ण रूप से नहीं तो कम से कम आंशिक रूप से ही सही जनता को राहत पहुंचाने के लिये मऊ के इन चुने हुये रहनुमाओं को कोई कदम तो उठाना ही चाहिये।

आश्रय केंद्र में नही मिल रहा पशुओं को शरण पावर हाउस में पशुओं ने डाला डेरा

आश्रय केंद्र में नही मिल रहा पशुओं को शरण पावर हाउस में पशुओं ने डाला डेरा 
                    गोंडा पवन कुमार द्विवेदी
सरकार छुट्टा पशुओं को संरक्षण देने के लिए आश्रय केंद्रों पर हर महीने करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा रही है इसके बावजूद  भी क्षेत्र में आश्रय केंद्र से अधिक मवेशी सड़कों पर घूमते नज़र आ रहे हैं, मुज़ेहना ब्लॉक क्षेत्र में बनी प्रदेश की मॉडल गौ शाला में छुट्टा मवेशियों को शरण ना मिलने की वजह से मवेशियों ने पावर हॉउस को अपना बसेरा बना लिया है, शाम होते ही ये पशुओ अपना पेट भरने के लिए आस पास के खेतों में अपना तांडव शुरू कर देते है, इन छुट्टा पशुओं से ग्राम सिंहपुर बेलहरी, जोतिया, सरजू पुरवा, लालक पुरवा, सहित इर्द गिर्द के किसान अपनी फसलें बचाने के लिए रात भर जागने को मजबूर हैं।
ऐसे में ये बड़ा सवाल है की अगर किसानों को इन पशुओं की वजह से उतपन्न संकट से बचाया नही जा सकता तो फिर आश्रय केंद्र पर करोणों रूपये खर्च करने का आशय क्या है, इस परिस्थिति में यह कहा जाना अतिशयोक्ति नही होगी की जिला व स्थानीय प्रशासन छुट्टा मवेशियों से किसान की फसलें बचाने में बड़ी लापरवाही करता नज़र आ रहा है।

आश्रय केंद्र में नही मिल रहा पशुओं को शरण पावर हाउस में पशुओं ने डाला डेरा

आश्रय केंद्र में नही मिल रहा पशुओं को शरण पावर हाउस में पशुओं ने डाला डेरा 
                    गोंडा पवन कुमार द्विवेदी
सरकार छुट्टा पशुओं को संरक्षण देने के लिए आश्रय केंद्रों पर हर महीने करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा रही है इसके बावजूद  भी क्षेत्र में आश्रय केंद्र से अधिक मवेशी सड़कों पर घूमते नज़र आ रहे हैं, मुज़ेहना ब्लॉक क्षेत्र में बनी प्रदेश की मॉडल गौ शाला में छुट्टा मवेशियों को शरण ना मिलने की वजह से मवेशियों ने पावर हॉउस को अपना बसेरा बना लिया है, शाम होते ही ये पशुओ अपना पेट भरने के लिए आस पास के खेतों में अपना तांडव शुरू कर देते है, इन छुट्टा पशुओं से ग्राम सिंहपुर बेलहरी, जोतिया, सरजू पुरवा, लालक पुरवा, सहित इर्द गिर्द के किसान अपनी फसलें बचाने के लिए रात भर जागने को मजबूर हैं।
ऐसे में ये बड़ा सवाल है की अगर किसानों को इन पशुओं की वजह से उतपन्न संकट से बचाया नही जा सकता तो फिर आश्रय केंद्र पर करोणों रूपये खर्च करने का आशय क्या है, इस परिस्थिति में यह कहा जाना अतिशयोक्ति नही होगी की जिला व स्थानीय प्रशासन छुट्टा मवेशियों से किसान की फसलें बचाने में बड़ी लापरवाही करता नज़र आ रहा है।

कुशीनगर में दो कौवे की मौत, बर्ड फ्लू की आशंका से डरे ग्रामीण

कुशीनगर में दो कौवे की मौत, बर्ड फ्लू की आशंका से डरे ग्रामीण

                    SEK NEWS

उ0प्र0 कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया में शनिवार को दो कौवे मृत मिले। इसकी जानकारी होते ही ग्रामीण बर्ड फ्लू की आशंका से लोग सहम गए और पुलिस प्रशासन को सूचना दी। पुलिस ने कौवों को दफनाने के साथ मरने वाले स्थान पर चूने का छिड़काव कराया। जिले की खड्डा तहसील क्षेत्र के नौरंगिया तिराहे पर अनिल मद्धेशिया दुकान चलाकर परिवार की आजीविका चलाता है। उसकी दुकान में लगे कटरैन (टिनशेड) पर सुबह लोगों ने एक कौए को मृत देखा। 

ग्रामीण अभी इसकी चर्चा कर ही रहे थे कि किसी ने बताया कि अनिल के पड़ोसी योगेश्वर मद्धेशिया के दुकान के पीछे स्थित कब्रिस्तान में भी एक कौवा मृत पड़ा है। एक साथ दो कौवों के मरने की सूचना पूरे चौराहे पर आम हो गई। लोग बर्ड फ्लू को लेकर सशंकित हो गए। चौराहे के दुकानदार 112 टोल फ्री नम्बर डायल करने लगे। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि संतोष तिवारी ने एसओ को अवगत कराया। कुछ ही देर में एसआई अजय कुमार सिंह हमराहियों के साथ चौराहे पर पहुंचकर अनिल के कटरैन पर मृत मिले कौवे को सुनसान स्थान पर दफन कराया। कब्रिस्तान में मिले मृत कौवे तक पुलिस के पहुंचने के पहले ही उसे किसी ने कहीं दफना दिया था। पुलिस ने दोनों स्थानों पर चूने का छिड़काव कराया। एसआई अजय कुमार सिंह ने बताया कि कौवों को दफनाकर उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई है। अधिकारियों के निर्देश पर मिलने आगे की कार्रवाई की जायेगी।

कुशीनगर में बर्ड फ्लू फैलने की आशंका बहुत कम है। इसके बावजूद सतर्कता बरती जा रही है। तहसील स्तर पर टीम गठित की गई है। कौओं के मरने की जानकारी नहीं है लेकिन दो कौए मरे हैं तो वह स्वाभाविक होगी। बर्ड फ्लू की सम्भावना तब है, जबकि समूह में अचानक दर्जनों-सैकड़ों की संख्या में पक्षी मरने लगे। ऐसी स्थिति कहीं होती है तो तत्काल नोडल अधिकारी डॉ. एचएन सिंह के मोबाइल नम्बर 9415363344 पर सूचना दें। 

पशु चिकित्साधिकारी, डॉ. विनय कुमार, प्रभारी जिला

आज ही टास्क फोर्स की मीटिंग में बर्ड फ्लू के लिए टीम गठित की गई है। 10 या अधिक की संख्या में पक्षी एक साथ मरें तो बर्ड फ्लू की आशंका में जांच कराई जाती है। यह मौत स्वाभाविक हो सकती है। नेबुआ नौरंगिया क्षेत्र की टीम को विशेष निगरानी व सतर्कता के निर्देश दिए गए हैं।

कुशीनगर में दो कौवे की मौत, बर्ड फ्लू की आशंका से डरे ग्रामीण

कुशीनगर में दो कौवे की मौत, बर्ड फ्लू की आशंका से डरे ग्रामीण

                    SEK NEWS

उ0प्र0 कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया में शनिवार को दो कौवे मृत मिले। इसकी जानकारी होते ही ग्रामीण बर्ड फ्लू की आशंका से लोग सहम गए और पुलिस प्रशासन को सूचना दी। पुलिस ने कौवों को दफनाने के साथ मरने वाले स्थान पर चूने का छिड़काव कराया। जिले की खड्डा तहसील क्षेत्र के नौरंगिया तिराहे पर अनिल मद्धेशिया दुकान चलाकर परिवार की आजीविका चलाता है। उसकी दुकान में लगे कटरैन (टिनशेड) पर सुबह लोगों ने एक कौए को मृत देखा। 

ग्रामीण अभी इसकी चर्चा कर ही रहे थे कि किसी ने बताया कि अनिल के पड़ोसी योगेश्वर मद्धेशिया के दुकान के पीछे स्थित कब्रिस्तान में भी एक कौवा मृत पड़ा है। एक साथ दो कौवों के मरने की सूचना पूरे चौराहे पर आम हो गई। लोग बर्ड फ्लू को लेकर सशंकित हो गए। चौराहे के दुकानदार 112 टोल फ्री नम्बर डायल करने लगे। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि संतोष तिवारी ने एसओ को अवगत कराया। कुछ ही देर में एसआई अजय कुमार सिंह हमराहियों के साथ चौराहे पर पहुंचकर अनिल के कटरैन पर मृत मिले कौवे को सुनसान स्थान पर दफन कराया। कब्रिस्तान में मिले मृत कौवे तक पुलिस के पहुंचने के पहले ही उसे किसी ने कहीं दफना दिया था। पुलिस ने दोनों स्थानों पर चूने का छिड़काव कराया। एसआई अजय कुमार सिंह ने बताया कि कौवों को दफनाकर उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई है। अधिकारियों के निर्देश पर मिलने आगे की कार्रवाई की जायेगी।

कुशीनगर में बर्ड फ्लू फैलने की आशंका बहुत कम है। इसके बावजूद सतर्कता बरती जा रही है। तहसील स्तर पर टीम गठित की गई है। कौओं के मरने की जानकारी नहीं है लेकिन दो कौए मरे हैं तो वह स्वाभाविक होगी। बर्ड फ्लू की सम्भावना तब है, जबकि समूह में अचानक दर्जनों-सैकड़ों की संख्या में पक्षी मरने लगे। ऐसी स्थिति कहीं होती है तो तत्काल नोडल अधिकारी डॉ. एचएन सिंह के मोबाइल नम्बर 9415363344 पर सूचना दें। 

पशु चिकित्साधिकारी, डॉ. विनय कुमार, प्रभारी जिला

आज ही टास्क फोर्स की मीटिंग में बर्ड फ्लू के लिए टीम गठित की गई है। 10 या अधिक की संख्या में पक्षी एक साथ मरें तो बर्ड फ्लू की आशंका में जांच कराई जाती है। यह मौत स्वाभाविक हो सकती है। नेबुआ नौरंगिया क्षेत्र की टीम को विशेष निगरानी व सतर्कता के निर्देश दिए गए हैं।

कुशीनगर के थाना हनुमान गंज के महिला एसओ पर लकड़ी चोरी का केस दर्ज, निलम्बित

                     SEK NEWS 

कुशीनगर जनपद के हनुमानगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत  ग्रामसभा धरनीपट्टी के एक फर्नीचर की दुकान से 12 बोटा शीशम की लकड़ी चोरी होने के मामले में हनुमानगंज की एसओ विभा पांडेय को एसपी ने निलंबित कर दिया है। फर्नीचर के दुकानदार की शिकायत पर एसपी कुशीनगर ने एसओ की भूमिका संदिग्ध मानते हुए उनके खिलाफ केस दर्ज करा दिया है।

ग्रामसभा धरनीपट्टी निवासी चंदन शर्मा लकड़ी का कारोबार करने के साथ ही साथ फर्नीचर की दुकान चलाता है। कुछ दिन पूर्व चंदन शर्मा के फर्नीचर की दुकान से 12 बोटा शीशम की लकड़ी चोरी हो गई। अपने स्तर से छानबीन करने के बाद इस मामले में चंदन ने हनुमानगंज एसओ विभा पांडेय की भूमिका पर संदेह जताया। लकड़ी को पडरौना स्थित एक आरा मशीन पर चिराने की भी बात कहते हुए मौके पर पहुंच उसने अपनी लकड़ी की पहचान की गई है।
साथ ही इसकी शिकायत एसपी विनोद कुमार सिंह से की। जांच में भी एसओ की भूमिका संदिग्ध मिलने पर एसपी ने एसओ को निलंबित कर दिया। गुरुवार को एसओ के खिलाफ आरोपों की प्रथमदृष्ट्या पुष्टि होने पर केस दर्ज कर लिया गया। तहरीर लकड़ी कारोबारी ने दी है, जिस पर हनुमानगंज थाने में ही उनके खिलाफ चोरी का केस दर्ज किया गया है। हनुमानगंज के नये एसओ ज्ञानेन्द्र राय ने बताया कि निर्वतमान एसओ विभा पांडेय के खिलाफ चोरी का केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी गई है। 

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शहरो की तर्ज पर प्रधान ने गांव को बना दिये स्मार्ट गांव तथा स्मार्ट पार्क-: काम बोलता है। जयप्रकाश यादव

शहरो की तर्ज पर प्रधान ने गांव को बना दिये स्मार्ट गांव तथा स्मार्ट पार्क-: काम बोलता है। जयप्रकाश यादव।   जनपद कुशीनगर के ग्रामसभा ठाड़ीभार ...