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दिल्‍ली पहुंची Covishield Vaccine की पहली खेप

दिल्‍ली पहुंची Covishield Vaccine की पहली खेप

  कोरोना की वैक्सीन पहली खेप पुणे एयरपोर्ट पहुची

भारत सरकार से मंजूरी मिलने के साथ ही कोविशील्‍ड वैक्‍सीन को लोगों तक पहुंचाने के काम ने तेजी पकड़ ली है। पुणे से कोविशिल्ड वैक्सीन की पहली खेप इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंच चुकी है। DIAL मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया  कि  कोविड -19 वैक्‍सीन के लिए बनाये गए हमारे दो  दो कार्गो टर्मिनलों पर -20 डिग्री सेल्सियस से लेकर +25 डिग्री सेल्सियस तक तापमान रखा गया है। यहां वैक्‍सीन को  कुशलतापूर्वक सुरक्षित तरीके से रखा जा सकता है।
 COVID19 वैक्सीन वितरण प्रक्रिया पर तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन ने कहा कि  पुणे से 5.56 लाख वैक्सीन की खुराक भेजी गई है। हम आज लगभग 10.30 बजे टीके प्राप्त करेंगे। हालांकि COVAXIN की शेष 20,000 खुराक का विवरण अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। एक बार जब यह राज्य के वैक्सीन केंद्र में आ जाएगी तो हम आश्वस्त होंगे कि सब कुछ ठीक है। वैक्‍सीन को यहां आने पर शाम तक वितरित किया जाएगा। बाद में, यह ठंडे बक्सों में  रखकर वास्तविक टीकाकरण स्थल पर पहुंचाया जाएगा। 
गुजरात सरकार परिवार कल्याण के अतिरिक्त निदेशक डॉ पटेल ने बताया कि COVID19 वैक्सीन की पहली खेप आज अहमदाबाद पहुंचने वाली है। आज यहां पहुंचने वाली 2.76 लाख खुराक अहमदाबाद, गांधीनगर और भावनगर क्षेत्रों को दी जाएगी। टीकाकरण 16 जनवरी से 287 सत्र साइटों पर शुरु होगा।
इन वैक्‍सीन को महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में भेजने का कार्य एस बी लॉजिस्टिक कंपनी को सौंपा गया है।  ये कंपनी अपने रेफ्रिजरेटर वाले ट्रकों के द़वारा कोरोना वैक्‍सीन को देश के विभिन्‍न स्‍थानों तक पहुंचाएगी। बता दें कि  kool ex कंपनी बीते दस वर्षों से दवाओं और वैक्सीन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का काम करती आ रही है। 
बताते चले कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से पुणे अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट तक वैक्‍सीन के तीन ट्रक पहुंचाये जा चुके हैं। इन ट्रकों में आयी ये वैक्‍सीन आठ फ्लाइट्स के द़वारा देश के 13 अलग-अलग हिस्सों में पहुंचायी जाएगी। एस बी लॉजिस्टिक के एमडी संदीप भोसले ने बताया, वैक्‍सीन की पहली फ्लाइट देश की राजधानी दिल्ली के लिए रवाना होगी। 

गौरतलब है कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप एस पुरी ने जानकारी दी थी कि आज (मंगलवार) एयर इंडिया, स्पाइसजेट और इंडिगो एयरलाइंस 56.5 लाख खुराक के साथ पुणे से दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, गुवाहाटी, शिलांग, अहमदाबाद, हैदराबाद, विजयवाड़ा, भुवनेश्वर, पटना, बेंगलुरु, लखनऊ और चंडीगढ़ के लिए 9 उड़ान भरेगी। हरदीप एस पुरी ने ट्विटर के जरिये बताया कि, "स्पाइसजेट और गोएयर द्वारा पुणे से दिल्ली और चेन्नई के लिए भेजा जा चुका है। " सीरम इंस्टीट्यूट में निर्मित COVID19 वैक्सीन 'कोविशिल्ड' को पुणे एयरपोर्ट से देश के विभिन्न स्थानों पर 16 जनवरी के वैक्सीन रोलआउट के लिए भेजा जा रहा है।


सीरम इंस्टीट्यूट को सरकार से  मिला 11 मिलियन डोज़ का ऑर्डर

पुणे की  सीरम इंस्टीट्यूट को भारत सरकार की मंजूरी मिलने  के साथ ही  11 मिलियन (1 करोड़ 10 लाख) कोविशील्ड वैक्सीन का ऑर्डर मिला है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार इस  शुरुआती तौर पर कोविशील्ड वैक्सीन की कीमत 200 रुपये प्रति डोज रखी गई है। ज्ञात हो कि 16 जनवरी से पूरे देश  में कोरोना वैक्‍सीनेशन की  शुरुआत हो रहा है। DCG की ओर से दो कोरोना वैक्‍सीन को आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी दे दी गई है। इसमें ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन है।

इन वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने तैयार किया है, जबकि पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ने इसका भारत में निर्माण किया है।  स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि, हम फार्मा पीएसयू एचएलएल लाइफकेयर के जरिए वैक्सीन खरीदेंगे। सरकारी उपयोग के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) को भी खरीदा गया था। सरकार इसकी खरीद के लिए अब भारत बायोटेक के साथ समझौते पर चर्चा कर रही है। 

दिल्‍ली पहुंची Covishield Vaccine की पहली खेप

दिल्‍ली पहुंची Covishield Vaccine की पहली खेप

  कोरोना की वैक्सीन पहली खेप पुणे एयरपोर्ट पहुची

भारत सरकार से मंजूरी मिलने के साथ ही कोविशील्‍ड वैक्‍सीन को लोगों तक पहुंचाने के काम ने तेजी पकड़ ली है। पुणे से कोविशिल्ड वैक्सीन की पहली खेप इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंच चुकी है। DIAL मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया  कि  कोविड -19 वैक्‍सीन के लिए बनाये गए हमारे दो  दो कार्गो टर्मिनलों पर -20 डिग्री सेल्सियस से लेकर +25 डिग्री सेल्सियस तक तापमान रखा गया है। यहां वैक्‍सीन को  कुशलतापूर्वक सुरक्षित तरीके से रखा जा सकता है।
 COVID19 वैक्सीन वितरण प्रक्रिया पर तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन ने कहा कि  पुणे से 5.56 लाख वैक्सीन की खुराक भेजी गई है। हम आज लगभग 10.30 बजे टीके प्राप्त करेंगे। हालांकि COVAXIN की शेष 20,000 खुराक का विवरण अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। एक बार जब यह राज्य के वैक्सीन केंद्र में आ जाएगी तो हम आश्वस्त होंगे कि सब कुछ ठीक है। वैक्‍सीन को यहां आने पर शाम तक वितरित किया जाएगा। बाद में, यह ठंडे बक्सों में  रखकर वास्तविक टीकाकरण स्थल पर पहुंचाया जाएगा। 
गुजरात सरकार परिवार कल्याण के अतिरिक्त निदेशक डॉ पटेल ने बताया कि COVID19 वैक्सीन की पहली खेप आज अहमदाबाद पहुंचने वाली है। आज यहां पहुंचने वाली 2.76 लाख खुराक अहमदाबाद, गांधीनगर और भावनगर क्षेत्रों को दी जाएगी। टीकाकरण 16 जनवरी से 287 सत्र साइटों पर शुरु होगा।
इन वैक्‍सीन को महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में भेजने का कार्य एस बी लॉजिस्टिक कंपनी को सौंपा गया है।  ये कंपनी अपने रेफ्रिजरेटर वाले ट्रकों के द़वारा कोरोना वैक्‍सीन को देश के विभिन्‍न स्‍थानों तक पहुंचाएगी। बता दें कि  kool ex कंपनी बीते दस वर्षों से दवाओं और वैक्सीन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का काम करती आ रही है। 
बताते चले कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से पुणे अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट तक वैक्‍सीन के तीन ट्रक पहुंचाये जा चुके हैं। इन ट्रकों में आयी ये वैक्‍सीन आठ फ्लाइट्स के द़वारा देश के 13 अलग-अलग हिस्सों में पहुंचायी जाएगी। एस बी लॉजिस्टिक के एमडी संदीप भोसले ने बताया, वैक्‍सीन की पहली फ्लाइट देश की राजधानी दिल्ली के लिए रवाना होगी। 

गौरतलब है कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप एस पुरी ने जानकारी दी थी कि आज (मंगलवार) एयर इंडिया, स्पाइसजेट और इंडिगो एयरलाइंस 56.5 लाख खुराक के साथ पुणे से दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, गुवाहाटी, शिलांग, अहमदाबाद, हैदराबाद, विजयवाड़ा, भुवनेश्वर, पटना, बेंगलुरु, लखनऊ और चंडीगढ़ के लिए 9 उड़ान भरेगी। हरदीप एस पुरी ने ट्विटर के जरिये बताया कि, "स्पाइसजेट और गोएयर द्वारा पुणे से दिल्ली और चेन्नई के लिए भेजा जा चुका है। " सीरम इंस्टीट्यूट में निर्मित COVID19 वैक्सीन 'कोविशिल्ड' को पुणे एयरपोर्ट से देश के विभिन्न स्थानों पर 16 जनवरी के वैक्सीन रोलआउट के लिए भेजा जा रहा है।


सीरम इंस्टीट्यूट को सरकार से  मिला 11 मिलियन डोज़ का ऑर्डर

पुणे की  सीरम इंस्टीट्यूट को भारत सरकार की मंजूरी मिलने  के साथ ही  11 मिलियन (1 करोड़ 10 लाख) कोविशील्ड वैक्सीन का ऑर्डर मिला है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार इस  शुरुआती तौर पर कोविशील्ड वैक्सीन की कीमत 200 रुपये प्रति डोज रखी गई है। ज्ञात हो कि 16 जनवरी से पूरे देश  में कोरोना वैक्‍सीनेशन की  शुरुआत हो रहा है। DCG की ओर से दो कोरोना वैक्‍सीन को आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी दे दी गई है। इसमें ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन है।

इन वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने तैयार किया है, जबकि पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ने इसका भारत में निर्माण किया है।  स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि, हम फार्मा पीएसयू एचएलएल लाइफकेयर के जरिए वैक्सीन खरीदेंगे। सरकारी उपयोग के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) को भी खरीदा गया था। सरकार इसकी खरीद के लिए अब भारत बायोटेक के साथ समझौते पर चर्चा कर रही है। 

यातायात व्यवस्था के प्रति आखिर क्यों गंभीर नहीं हैं मऊ के जनप्रतिनिधि, नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन, हज़ारों गाड़ियों के हुजूम से शहर का काफिया तंग, परेशान हैं जनता जनार्दन

यातायात व्यवस्था के प्रति आखिर क्यों गंभीर नहीं हैं मऊ के जनप्रतिनिधि, नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन, हज़ारों गाड़ियों के हुजूम से शहर का काफिया तंग, परेशान हैं जनता जनार्दन
                   फजलुर्रहमान अंसारी

मऊ जिला मुख्यालय के निर्माण के बाद मऊ नगरवासियों के गुमान में भी यह बात नहीं रही होगी कि जमाने की गर्दिश के साथ उनके शहर का काफिया कभी इतना तंग हो जायेगा और उसके यातायात की व्यवस्था दिन-प्रतिदिन इस कदर संगीन और तकलीफदेह हो जाएगी जिसमें उनका सांस लेना तक दूभर हो जायेगा। परिस्थिति ये है कि कलेक्ट्रेट से लेकर गाजीपुर तिराहा, भीटी, आजमगढ़ मोड़ और फिर खासतौर से शहर के पश्चिमी क्षेत्र मिर्जाहादीपुरा चौक जैसी कोई ऐसी व्यस्ततम जगह बाकी नहीं है जहां हजारों की संख्या में छोटी-बड़ी गाड़ियों का सैलाब लोगों की राह रोके न खड़ा हो जिसके चलते शहर की सभी शाहराहों पर लगने वाले लम्बे जाम के कारण आम नगरवासियों को न केवल दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है बल्कि अनावश्यक रूप से लोगों का काफी समय बरबाद होने के सबब इस महान औद्योगिक नगरी के आर्थिक और व्यापारिक हितों को भी ज़ोरदार झटका लग रहा है क्योंकि रोजमर्रा के इस जाम के चलते जो काम आधे घण्टे में मुकम्मल होना था, अब वह घण्टों में अंजाम पा रहा है। शहर की एक बड़ी मुसीबत तो यह भी है कि इसके लगभग सभी बैंक और सरकारी व गैर-सरकारी अस्पताल सामान्य रूप से शहर के सार्वजनिक मार्गाें पर ही स्थित हैं जहां बड़ी तादाद में लोगों का समूह और दायें-बायें खड़ी सैकड़ों छोटी-बड़ी गाड़ियां भी इस कष्टदायक जाम के खास कारणों में शामिल हैं। इसी प्रकार, सुब्ह होते ही जिले के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों मजदूर और आम जन जिला मुख्यालय का ही रूख करते हैं जिनके वाहनों, बाईकों और हजारों साईकिलों के हुजूम से अमूमन शहर की शाहराहें भरी-पटी रहती हैं।

मुश्किल यह भी है कि शहर में ई-रिक्शा की तादाद तकरीबन् 2500 बताई जा रही है जिसमें प्रतिदिन इजाफा भी इसलिये हो रहा है कि लाकडाऊन के सबब व्याप्त आम बेकारी, बेरोजगारी और रोजगार के अवसर पूर्णतः समाप्त हो चुके हैं जिसके चलते अक्सर नौजवान बैंकों से कर्ज लेकर एक रिक्शा खरीदते और फिर उसे लाकर शहर की तंग शाहराह पर डाल देते हैं जो चींटियों की कतार की भांति शहर की इकलौती सड़क पर रेंगते और कछुवे की चाल से अपना रास्ता तय करते नजर आते हैं जिनके लगातार आवागमन से लोगों का सड़क पार करना तक दुश्वार हो गया है। कभी-कभार तो गभ्भीर मरीजों को समय से अस्पताल पहुंचाना भी मुहाल हो जाता है। सबसे बुरा हाल तो मिर्जाहादीपुरा चौक का है जहां से प्रतिदिन हजारों छोटी-बड़ी गाड़ियों का गुजर होेता है जिसकी दोनों पटरियों पर सैकड़ोंफल और सब्जीफरोशों का मुकम्मल कब्जा है लेकिन नगरपालिका, स्थानीय पुलिस या लोकल प्रशासन को कण मात्र भी ट्रैफिक की इस दुर्व्यवस्था की कोई चिन्ता नही है और लोगों को समझ में ये नहीं आता कि आखिर उन्हें शहर या जिले की किस अथारिटी की इजाज़त या रजामन्दी हासिल है जिसके बल पर वे बेखौफ होकर न केवल सड़क की पटरी बल्कि अक्सर आधी सड़क तक ठेला और खांचा लगाकर आम राहगीरों का चलना-फिरना दूभर किये हुये हैं।

याद रहे कि मऊ जनपद का सृजन 1988 में दिवंगत कल्पनाथ राय के दौर में हुआ था। उसी दौर में कलेक्ट्रेट की इमारतें और आफिसर्स कॉलोनीज़ तो बन गईं लेकिन भविष्य में इस शहर को पेश आने वाली गभ्भीर समस्याओं और ट्रैफिक की व्यवस्था से संबंधित कोई मन्सूबाबन्दी इसलिये नहीं हो पाई कि दि0 रहनुमा ही इस संसार को अलविदा कह गये और फिर उसके बाद मऊ शहर को कोई प्रभावशाली नेतृत्व नसीब नहीं हुआ। हालांकि यह शहर चार विधायक, एक सांसद और कई राज्यमंत्रियों तक की राजनैतिक गतिविधियों का केन्द्र है लेकिन बदकिस्मती से उनमें से किसी का जनता और उसके हितों से कोई लेना-देना नहीं रहा और इन जनप्रतिनिधियों में से तो अक्सर लम्बे समय से जेल में हैं जिसके परिणामस्वरूप इस शहर को अनार्थ जीवन गुज़ारना पड़ रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि अगर सम्पूर्ण रूप से नहीं तो कम से कम आंशिक रूप से ही सही जनता को राहत पहुंचाने के लिये मऊ के इन चुने हुये रहनुमाओं को कोई कदम तो उठाना ही चाहिये।

यातायात व्यवस्था के प्रति आखिर क्यों गंभीर नहीं हैं मऊ के जनप्रतिनिधि, नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन, हज़ारों गाड़ियों के हुजूम से शहर का काफिया तंग, परेशान हैं जनता जनार्दन

यातायात व्यवस्था के प्रति आखिर क्यों गंभीर नहीं हैं मऊ के जनप्रतिनिधि, नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन, हज़ारों गाड़ियों के हुजूम से शहर का काफिया तंग, परेशान हैं जनता जनार्दन
                   फजलुर्रहमान अंसारी

मऊ जिला मुख्यालय के निर्माण के बाद मऊ नगरवासियों के गुमान में भी यह बात नहीं रही होगी कि जमाने की गर्दिश के साथ उनके शहर का काफिया कभी इतना तंग हो जायेगा और उसके यातायात की व्यवस्था दिन-प्रतिदिन इस कदर संगीन और तकलीफदेह हो जाएगी जिसमें उनका सांस लेना तक दूभर हो जायेगा। परिस्थिति ये है कि कलेक्ट्रेट से लेकर गाजीपुर तिराहा, भीटी, आजमगढ़ मोड़ और फिर खासतौर से शहर के पश्चिमी क्षेत्र मिर्जाहादीपुरा चौक जैसी कोई ऐसी व्यस्ततम जगह बाकी नहीं है जहां हजारों की संख्या में छोटी-बड़ी गाड़ियों का सैलाब लोगों की राह रोके न खड़ा हो जिसके चलते शहर की सभी शाहराहों पर लगने वाले लम्बे जाम के कारण आम नगरवासियों को न केवल दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है बल्कि अनावश्यक रूप से लोगों का काफी समय बरबाद होने के सबब इस महान औद्योगिक नगरी के आर्थिक और व्यापारिक हितों को भी ज़ोरदार झटका लग रहा है क्योंकि रोजमर्रा के इस जाम के चलते जो काम आधे घण्टे में मुकम्मल होना था, अब वह घण्टों में अंजाम पा रहा है। शहर की एक बड़ी मुसीबत तो यह भी है कि इसके लगभग सभी बैंक और सरकारी व गैर-सरकारी अस्पताल सामान्य रूप से शहर के सार्वजनिक मार्गाें पर ही स्थित हैं जहां बड़ी तादाद में लोगों का समूह और दायें-बायें खड़ी सैकड़ों छोटी-बड़ी गाड़ियां भी इस कष्टदायक जाम के खास कारणों में शामिल हैं। इसी प्रकार, सुब्ह होते ही जिले के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों मजदूर और आम जन जिला मुख्यालय का ही रूख करते हैं जिनके वाहनों, बाईकों और हजारों साईकिलों के हुजूम से अमूमन शहर की शाहराहें भरी-पटी रहती हैं।

मुश्किल यह भी है कि शहर में ई-रिक्शा की तादाद तकरीबन् 2500 बताई जा रही है जिसमें प्रतिदिन इजाफा भी इसलिये हो रहा है कि लाकडाऊन के सबब व्याप्त आम बेकारी, बेरोजगारी और रोजगार के अवसर पूर्णतः समाप्त हो चुके हैं जिसके चलते अक्सर नौजवान बैंकों से कर्ज लेकर एक रिक्शा खरीदते और फिर उसे लाकर शहर की तंग शाहराह पर डाल देते हैं जो चींटियों की कतार की भांति शहर की इकलौती सड़क पर रेंगते और कछुवे की चाल से अपना रास्ता तय करते नजर आते हैं जिनके लगातार आवागमन से लोगों का सड़क पार करना तक दुश्वार हो गया है। कभी-कभार तो गभ्भीर मरीजों को समय से अस्पताल पहुंचाना भी मुहाल हो जाता है। सबसे बुरा हाल तो मिर्जाहादीपुरा चौक का है जहां से प्रतिदिन हजारों छोटी-बड़ी गाड़ियों का गुजर होेता है जिसकी दोनों पटरियों पर सैकड़ोंफल और सब्जीफरोशों का मुकम्मल कब्जा है लेकिन नगरपालिका, स्थानीय पुलिस या लोकल प्रशासन को कण मात्र भी ट्रैफिक की इस दुर्व्यवस्था की कोई चिन्ता नही है और लोगों को समझ में ये नहीं आता कि आखिर उन्हें शहर या जिले की किस अथारिटी की इजाज़त या रजामन्दी हासिल है जिसके बल पर वे बेखौफ होकर न केवल सड़क की पटरी बल्कि अक्सर आधी सड़क तक ठेला और खांचा लगाकर आम राहगीरों का चलना-फिरना दूभर किये हुये हैं।

याद रहे कि मऊ जनपद का सृजन 1988 में दिवंगत कल्पनाथ राय के दौर में हुआ था। उसी दौर में कलेक्ट्रेट की इमारतें और आफिसर्स कॉलोनीज़ तो बन गईं लेकिन भविष्य में इस शहर को पेश आने वाली गभ्भीर समस्याओं और ट्रैफिक की व्यवस्था से संबंधित कोई मन्सूबाबन्दी इसलिये नहीं हो पाई कि दि0 रहनुमा ही इस संसार को अलविदा कह गये और फिर उसके बाद मऊ शहर को कोई प्रभावशाली नेतृत्व नसीब नहीं हुआ। हालांकि यह शहर चार विधायक, एक सांसद और कई राज्यमंत्रियों तक की राजनैतिक गतिविधियों का केन्द्र है लेकिन बदकिस्मती से उनमें से किसी का जनता और उसके हितों से कोई लेना-देना नहीं रहा और इन जनप्रतिनिधियों में से तो अक्सर लम्बे समय से जेल में हैं जिसके परिणामस्वरूप इस शहर को अनार्थ जीवन गुज़ारना पड़ रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि अगर सम्पूर्ण रूप से नहीं तो कम से कम आंशिक रूप से ही सही जनता को राहत पहुंचाने के लिये मऊ के इन चुने हुये रहनुमाओं को कोई कदम तो उठाना ही चाहिये।

आश्रय केंद्र में नही मिल रहा पशुओं को शरण पावर हाउस में पशुओं ने डाला डेरा

आश्रय केंद्र में नही मिल रहा पशुओं को शरण पावर हाउस में पशुओं ने डाला डेरा 
                    गोंडा पवन कुमार द्विवेदी
सरकार छुट्टा पशुओं को संरक्षण देने के लिए आश्रय केंद्रों पर हर महीने करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा रही है इसके बावजूद  भी क्षेत्र में आश्रय केंद्र से अधिक मवेशी सड़कों पर घूमते नज़र आ रहे हैं, मुज़ेहना ब्लॉक क्षेत्र में बनी प्रदेश की मॉडल गौ शाला में छुट्टा मवेशियों को शरण ना मिलने की वजह से मवेशियों ने पावर हॉउस को अपना बसेरा बना लिया है, शाम होते ही ये पशुओ अपना पेट भरने के लिए आस पास के खेतों में अपना तांडव शुरू कर देते है, इन छुट्टा पशुओं से ग्राम सिंहपुर बेलहरी, जोतिया, सरजू पुरवा, लालक पुरवा, सहित इर्द गिर्द के किसान अपनी फसलें बचाने के लिए रात भर जागने को मजबूर हैं।
ऐसे में ये बड़ा सवाल है की अगर किसानों को इन पशुओं की वजह से उतपन्न संकट से बचाया नही जा सकता तो फिर आश्रय केंद्र पर करोणों रूपये खर्च करने का आशय क्या है, इस परिस्थिति में यह कहा जाना अतिशयोक्ति नही होगी की जिला व स्थानीय प्रशासन छुट्टा मवेशियों से किसान की फसलें बचाने में बड़ी लापरवाही करता नज़र आ रहा है।

आश्रय केंद्र में नही मिल रहा पशुओं को शरण पावर हाउस में पशुओं ने डाला डेरा

आश्रय केंद्र में नही मिल रहा पशुओं को शरण पावर हाउस में पशुओं ने डाला डेरा 
                    गोंडा पवन कुमार द्विवेदी
सरकार छुट्टा पशुओं को संरक्षण देने के लिए आश्रय केंद्रों पर हर महीने करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा रही है इसके बावजूद  भी क्षेत्र में आश्रय केंद्र से अधिक मवेशी सड़कों पर घूमते नज़र आ रहे हैं, मुज़ेहना ब्लॉक क्षेत्र में बनी प्रदेश की मॉडल गौ शाला में छुट्टा मवेशियों को शरण ना मिलने की वजह से मवेशियों ने पावर हॉउस को अपना बसेरा बना लिया है, शाम होते ही ये पशुओ अपना पेट भरने के लिए आस पास के खेतों में अपना तांडव शुरू कर देते है, इन छुट्टा पशुओं से ग्राम सिंहपुर बेलहरी, जोतिया, सरजू पुरवा, लालक पुरवा, सहित इर्द गिर्द के किसान अपनी फसलें बचाने के लिए रात भर जागने को मजबूर हैं।
ऐसे में ये बड़ा सवाल है की अगर किसानों को इन पशुओं की वजह से उतपन्न संकट से बचाया नही जा सकता तो फिर आश्रय केंद्र पर करोणों रूपये खर्च करने का आशय क्या है, इस परिस्थिति में यह कहा जाना अतिशयोक्ति नही होगी की जिला व स्थानीय प्रशासन छुट्टा मवेशियों से किसान की फसलें बचाने में बड़ी लापरवाही करता नज़र आ रहा है।

कुशीनगर में दो कौवे की मौत, बर्ड फ्लू की आशंका से डरे ग्रामीण

कुशीनगर में दो कौवे की मौत, बर्ड फ्लू की आशंका से डरे ग्रामीण

                    SEK NEWS

उ0प्र0 कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया में शनिवार को दो कौवे मृत मिले। इसकी जानकारी होते ही ग्रामीण बर्ड फ्लू की आशंका से लोग सहम गए और पुलिस प्रशासन को सूचना दी। पुलिस ने कौवों को दफनाने के साथ मरने वाले स्थान पर चूने का छिड़काव कराया। जिले की खड्डा तहसील क्षेत्र के नौरंगिया तिराहे पर अनिल मद्धेशिया दुकान चलाकर परिवार की आजीविका चलाता है। उसकी दुकान में लगे कटरैन (टिनशेड) पर सुबह लोगों ने एक कौए को मृत देखा। 

ग्रामीण अभी इसकी चर्चा कर ही रहे थे कि किसी ने बताया कि अनिल के पड़ोसी योगेश्वर मद्धेशिया के दुकान के पीछे स्थित कब्रिस्तान में भी एक कौवा मृत पड़ा है। एक साथ दो कौवों के मरने की सूचना पूरे चौराहे पर आम हो गई। लोग बर्ड फ्लू को लेकर सशंकित हो गए। चौराहे के दुकानदार 112 टोल फ्री नम्बर डायल करने लगे। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि संतोष तिवारी ने एसओ को अवगत कराया। कुछ ही देर में एसआई अजय कुमार सिंह हमराहियों के साथ चौराहे पर पहुंचकर अनिल के कटरैन पर मृत मिले कौवे को सुनसान स्थान पर दफन कराया। कब्रिस्तान में मिले मृत कौवे तक पुलिस के पहुंचने के पहले ही उसे किसी ने कहीं दफना दिया था। पुलिस ने दोनों स्थानों पर चूने का छिड़काव कराया। एसआई अजय कुमार सिंह ने बताया कि कौवों को दफनाकर उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई है। अधिकारियों के निर्देश पर मिलने आगे की कार्रवाई की जायेगी।

कुशीनगर में बर्ड फ्लू फैलने की आशंका बहुत कम है। इसके बावजूद सतर्कता बरती जा रही है। तहसील स्तर पर टीम गठित की गई है। कौओं के मरने की जानकारी नहीं है लेकिन दो कौए मरे हैं तो वह स्वाभाविक होगी। बर्ड फ्लू की सम्भावना तब है, जबकि समूह में अचानक दर्जनों-सैकड़ों की संख्या में पक्षी मरने लगे। ऐसी स्थिति कहीं होती है तो तत्काल नोडल अधिकारी डॉ. एचएन सिंह के मोबाइल नम्बर 9415363344 पर सूचना दें। 

पशु चिकित्साधिकारी, डॉ. विनय कुमार, प्रभारी जिला

आज ही टास्क फोर्स की मीटिंग में बर्ड फ्लू के लिए टीम गठित की गई है। 10 या अधिक की संख्या में पक्षी एक साथ मरें तो बर्ड फ्लू की आशंका में जांच कराई जाती है। यह मौत स्वाभाविक हो सकती है। नेबुआ नौरंगिया क्षेत्र की टीम को विशेष निगरानी व सतर्कता के निर्देश दिए गए हैं।

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शहरो की तर्ज पर प्रधान ने गांव को बना दिये स्मार्ट गांव तथा स्मार्ट पार्क-: काम बोलता है। जयप्रकाश यादव

शहरो की तर्ज पर प्रधान ने गांव को बना दिये स्मार्ट गांव तथा स्मार्ट पार्क-: काम बोलता है। जयप्रकाश यादव।   जनपद कुशीनगर के ग्रामसभा ठाड़ीभार ...