दुदही नगर पंचायत ने चार लोगों को दिया रंगदारी वसूलने का सरकारी लाइसेंस?,100 + 100 मीटर की दूरी पर चालको से जबरन तहबाजारी के नाम पर अवैध वसूली, क्या सही है?
दुदही नगर पंचायत ने चार लोगों को दिया रंगदारी वसूलने का सरकारी लाइसेंस?,100 + 100 मीटर की दूरी पर चालको से जबरन तहबाजारी के नाम पर अवैध वसूली, क्या सही है?
नगर पंचायत दुदही टैक्सी स्टैंड की नीलामी प्रक्रिया पूरी हुई, जांच की मांग, 4 टेंडर 4 ही लोग, मौजूद लोगों ने मिली भगत से टेंडर देने आरोप लगाया
नगर पंचायत दुदही टैक्सी स्टैंड की नीलामी प्रक्रिया पूरी हुई 4 टेंडर 4 ही लोग, मौजूद लोगों ने मिली भगत से टेंडर देने आरोप लगाया
नव निर्मित नगर पंचायत दुदही में 4 टैक्सी स्टैंड की नीलामी प्रक्रिया पूरी हुई।
गहमागहमी के बीच 3 लाख 13 हजार 3 सौ की बोली लगाकर 3 लोगो ने जीती बाजी
दुदही। नगर पंचायत कार्यालय में बुधवार को दुदही ईओ और उपजिलाधिकारी के प्रतिनिधि जितेंद्र की देखरेख में टैक्सी स्टैंड के ठेके की नीलामी गहमागहमी के बीच सुरु हुई। इसमें एक महिला समेत तीन लोगों ने भाग लिया। कैलाशी देवी ने की सर्वोच्च बोली लगाकर नीलामी अपने पक्ष में कर ली। दूसरे नंबर पर बोली लगाने वाले 1 लाख 58 हजार पर जयप्रकाश ने बाजी मारी।
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नगर पंचायत कार्यकाल में पूर्व निर्धारित सूचना के अनुसार बुधवार को दुदही नगर पंचायत के 4 टैक्सी स्टैंड की नीलामी प्रक्रिया शुरू हुई, जो सुबह 11 बजे से अपराह्न पांच बजे तक चलती रही। विवाद की स्थिति को देखते हुए कार्यालय के अंदर व बाहर पुलिस तैनात रही। नीलामी में भाग लेने आये सैकड़ो लोगो ने आरोप लगाया कि सम्बन्धित अधिकारी पहले से ही तय लोगो का फार्म जमा किया गया और बाकी लोगो का फार्म नही जमा हो सका स्थानीय लोगो का आरोप है कि अधिकारियों की मिली भगत से 4 टेंडर की नीलामी में सिर्फ 4 लोगो ने आवेदन किया बाकियो का फार्म जमा करने का नम्बर आता उससे पहले ही फार्म जमा करने का समय खत्म हो गया बता कर दफ्तर बन्द कर दिया गया और दोपहर करीब 3:30 बजे नीलामी प्रक्रिया सुरु की गई जिसमें चार लोगों ने भाग लिया और बहुत ही कम समय मे नीलामी प्रक्रिया खत्म हो गयी। नीलामी में मौजूद अन्य लोगो ने आक्रोश जाहिर करते हुए वापस लौट गए।
नगर पंचायत दुदही टैक्सी स्टैंड की नीलामी प्रक्रिया पूरी हुई, जांच की मांग, 4 टेंडर 4 ही लोग, मौजूद लोगों ने मिली भगत से टेंडर देने आरोप लगाया
नगर पंचायत दुदही टैक्सी स्टैंड की नीलामी प्रक्रिया पूरी हुई 4 टेंडर 4 ही लोग, मौजूद लोगों ने मिली भगत से टेंडर देने आरोप लगाया
नव निर्मित नगर पंचायत दुदही में 4 टैक्सी स्टैंड की नीलामी प्रक्रिया पूरी हुई।
गहमागहमी के बीच 3 लाख 13 हजार 3 सौ की बोली लगाकर 3 लोगो ने जीती बाजी
दुदही। नगर पंचायत कार्यालय में बुधवार को दुदही ईओ और उपजिलाधिकारी के प्रतिनिधि जितेंद्र की देखरेख में टैक्सी स्टैंड के ठेके की नीलामी गहमागहमी के बीच सुरु हुई। इसमें एक महिला समेत तीन लोगों ने भाग लिया। कैलाशी देवी ने की सर्वोच्च बोली लगाकर नीलामी अपने पक्ष में कर ली। दूसरे नंबर पर बोली लगाने वाले 1 लाख 58 हजार पर जयप्रकाश ने बाजी मारी।
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नगर पंचायत कार्यकाल में पूर्व निर्धारित सूचना के अनुसार बुधवार को दुदही नगर पंचायत के 4 टैक्सी स्टैंड की नीलामी प्रक्रिया शुरू हुई, जो सुबह 11 बजे से अपराह्न पांच बजे तक चलती रही। विवाद की स्थिति को देखते हुए कार्यालय के अंदर व बाहर पुलिस तैनात रही। नीलामी में भाग लेने आये सैकड़ो लोगो ने आरोप लगाया कि सम्बन्धित अधिकारी पहले से ही तय लोगो का फार्म जमा किया गया और बाकी लोगो का फार्म नही जमा हो सका स्थानीय लोगो का आरोप है कि अधिकारियों की मिली भगत से 4 टेंडर की नीलामी में सिर्फ 4 लोगो ने आवेदन किया बाकियो का फार्म जमा करने का नम्बर आता उससे पहले ही फार्म जमा करने का समय खत्म हो गया बता कर दफ्तर बन्द कर दिया गया और दोपहर करीब 3:30 बजे नीलामी प्रक्रिया सुरु की गई जिसमें चार लोगों ने भाग लिया और बहुत ही कम समय मे नीलामी प्रक्रिया खत्म हो गयी। नीलामी में मौजूद अन्य लोगो ने आक्रोश जाहिर करते हुए वापस लौट गए।
मंगलदोष हटाने के लिए, 13 साल के छात्र से शादी फिर सुहागरात फिर विधवा, ऐसे दिया गया अंजाम
जालंधर : जालंधर में एक अजब मामला सामने आ रहा है जिसको सुन आप भी हैरान हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि जालंधर की एक स्कूल टीचर ने अपना मांगलिक दोष हटाने के लिए अपने 13 साल के स्टूडेंट के साथ शादी रचा ली। यह पूरी घटना अंधविश्वास के चलते हुई है। आपको बता दें कि नाबालिक स्टूडेंट के घर वालों ने इस टीचर और उसके घर वालों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
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टीचर ने की प्रतीकात्मक शादी
जालंधर की इस टीचर ने एक नाबालिक बच्चे को टयूशन का लालच देकर अपने घर 6 दिनों तक रखा। इसके बाद इस टीचर ने 13 साल के नाबालिक के साथ जबरन शादी रचाई। उसके बाद सुहागरात का नकली नाटक किया। बताया जा रहा है कि यह शादी और इसकी सारी रस्में प्रतीकात्मक थी। जिसके बाद यह टीचर विधवा होने का नाटक किया और उसके बाद एक शोक सभा का आयोजन किया।
मामले को रफा -दफा कर दिया
बताया जा रहा है कि शादी की सारी रस्में पूरी होते ही इस नाबालिक को उसके घर वापस भेज दिया। घर पहुंचकर बच्चे ने अपने परिवार वालों को अपने साथ हुई इस घटना की पूरी आपबीती बताई। ये सारी बाते सुन घरवाले भड़क गए। जिसके बाद उन्होंने बस्ती बावा खेल पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने टीचर और अंधविश्वासी पंडित को जेल भेज दिया। लेकिन मामले को रफा -दफा कर टीचर को छोड़ दिया गया। बच्चे के घर वाले ने भी अपना केस वापस ले लिया है।
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टीचर ने की प्रतीकात्मक शादी
जालंधर की इस टीचर ने एक नाबालिक बच्चे को टयूशन का लालच देकर अपने घर 6 दिनों तक रखा। इसके बाद इस टीचर ने 13 साल के नाबालिक के साथ जबरन शादी रचाई। उसके बाद सुहागरात का नकली नाटक किया। बताया जा रहा है कि यह शादी और इसकी सारी रस्में प्रतीकात्मक थी। जिसके बाद यह टीचर विधवा होने का नाटक किया और उसके बाद एक शोक सभा का आयोजन किया।
मामले को रफा -दफा कर दिया
बताया जा रहा है कि शादी की सारी रस्में पूरी होते ही इस नाबालिक को उसके घर वापस भेज दिया। घर पहुंचकर बच्चे ने अपने परिवार वालों को अपने साथ हुई इस घटना की पूरी आपबीती बताई। ये सारी बाते सुन घरवाले भड़क गए। जिसके बाद उन्होंने बस्ती बावा खेल पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने टीचर और अंधविश्वासी पंडित को जेल भेज दिया। लेकिन मामले को रफा -दफा कर टीचर को छोड़ दिया गया। बच्चे के घर वाले ने भी अपना केस वापस ले लिया है।
भूतों का अस्पताल, जहां से रात को आती हैं खौफनाक आवाजें, कुशीनगर के भूतिया डिग्री कालेज का पर्दाफाश
भूतों का अस्पताल, जहां से रात को आती हैं खौफनाक आवाजें, दीवारों पर पंक्षी तक नहीं बैठते
1982 में बने इस अस्पताल के बनने के बाद होने लगी थीं डराने वाली घटनाएं।
मऊ. भूत-प्रेत की कहानियां को बचपन से हम अक्सर हम अपने दादा दादी , या फिर नाना नानी से सुनते चले आ रहे है। पर मऊ के अस्पताल वाले भूत के बारे में दावा किया जाता है कि यह किस्सा नहीं बल्कि सच्चाई है। इसी से समझा जा सकता है कि आज भी शाम होने पर गांव में बच्चों को अस्पताल वाले भूत से डराकर चुप कराया जाता है। लोग भी कहते हैं कि वहां से ऐसी आवाजें आती हैं कि गांव के लोगों के लिये रात काटना मुश्किल हो जाता है। किसी में आज तक हिम्मत नहीं हुई कि वह अस्पताल में जाकर देखे कि कराहने की और खौफनाक आवाजें कहां से आती हैं।
कुशीनगर के पडरौना भूतिया UNPG डिग्री कालेज का हकीकत जानने के लिए क्लिक करे।👈🏻
ये है पूरी कहानी
मऊ जिले के परदहा ब्लाक अन्तर्गत रैनी गांव में में बना सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र अस्पताल खण्डहर की तरह खड़ा है। यहां का मंजर झाड़ियों और खण्डहर के चलते डरावना लगता है। दिन में भी लोग इस रास्ते से गुजरने से डरते हैं। घनी झाड़ियों के बावजूद रास्ता इतना साफ दिखता है जैसे अभी किसी ने साफ किया हो, जबकि बताते हैं कि वहां सफाई नहीं होती।
गांव वालों की माने तो अगर दिन के 12 बजे अस्पताल के पास से कोई गुजरा तो उसकी हालत खराब हो जाती है। कई बार तो लोगों को लगता है कि अस्पताल में खूब भीड है और लोगों के रोने की आवाजें आती हैं। यही नहीं खौफ इस बात से भी होता है कि पक्षी भी इस खण्डहर और इसकी दीवारों पर नहीं बैठते।
सूरज डूबते गांव के लोग उस रास्ते को सुनसान छोड़ देते हैं। अगर बहुत मजबूरी हुई तो वहां से झुण्ड बनाकर गुजरते हैं। उन्हें हर समय इस बात का डर लगा रहता है कि किसी भूत का साया न पड़ जाए। रैनी गांव के लोग ऐसे ही रहते हैं। यह भी दावा किया जाता है कि आधी रात के समय उल्लुओं के रोने की आवाजें आती हैं। आवाजों को सुनकर ऐसा लगता है जैसे किसी ने पिघला हुआ सीसा कान में डाल दिया है।
रात होती है तो गांव वाले किसी इंतजार करते हैं कि किसी तरह से यह रात कटे और सुबह हो, क्योंकि उन्हें गांव की रात डाराती है। वह रात में दहशत में रहते हैं। गांव के लोग कहते हैं कि ऐसा लगता है जैसे रात कटती ही नहीं।
यह भी दावा किया जाता है कि कभी-कभी अस्पताल कि खिडकी से रोशनी आती दिखायी पडती है। वहां से कराहने की आवाजें सुनायी पड़ती हैं। गांव के लोगों की मानें तो ये आवाजें लम्बे समय से आती हैं पर किसी में हिम्मत नहीं कि वो वहां जाकर देखे। इसकी पड़ताल करे। गांव के लोगों का कहना है कि जिस रात अस्पताल से रोने की आवाजें आती हैं उसके दूसरे दिन गांव में जैसे मरघट का सन्नाटा छाया रहता है। हर किसी को इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं कोई घटना न हो जाए।
अस्पताल के भूत का सच
गांव के रहने वाले 75 साल के केदार बताते है कि अस्पताल ग्रामीणों को इलाज की सुविधा के लिये बना था। पर क्या पता था कि इस अस्पताल में जिंदों का नहीं मुर्दों का इलाज होगा। केदार बताते हैं कि बात पुश्तों की है। जब गांव में रहने वाले दो पट्टीदारों के बीच आपसी लड़ाई हुई तो एक की मौत इलाज के अभाव में हो गयी। पर इसके कुछ दिनों बाद गांव में उन्हें इसी स्थान पर बैठे देखे जाने की बातें कही जाने लगीं। कहा जाता है कि वह किसी से कुछ बोलते नहीं। पर बचाव-बचाव की आवाजें जरूर आतीं।
किसी की हिम्मत नहीं होती कि वहां जाए। इस घटना के कुछ दिन बाद उनका पड़ोसी भी गांव छोड़कर गया और उस परिवार का आज तक पता नहीं कहां चले गए। उसके बाद से जिनकी मौत हुयी वह कभी यहां या फिर गांव के आसपास नहीं दिखायी पड़े। पर 1982 में जब पर यह चिकित्सा उपकेन्द्र बनकर तैयार हुआ तो कुछ दिन बाद ही टूटने-फूटने की आवाजें आने लगीं। कुछ दिन तो लोगों ने नजर अंदाज किया। पर बाद में ये बढ़ता गया।
यहां तक बताया कि जब अस्पताल के डॉक्टर चले जाते तो रात में अस्पताल का दरवाजा अपने आप खुल जाता। कुछ दिनों तक ऐसा लगा कि लापरवाही में डाक्टर से खुला रह गया होगा। पर थोड़े दिनों बाद जब यह घटना सही लगने लगी तो रात के समय तेज रोने की आवाजें भी सुनायी पड़ने लगीं। अस्पताल के डाक्टर भी परेशान हो गए। इसके बाद से जबसे अस्पताल बना है बंद ही चल रहा है। अस्पताल दिखने में नया जैसा लगता है पर अंदर सारे मेडिकल उपकरण बेकार पड़े हैं। गांव के लोगों का दावा है कि इन सामानों से भूतों का इलाज होता है।
कर्मचारी गांव में तो आती है पर अस्पताल नहीं जाती
ग्राम प्रधान मुकेश राय बताते है कि यहां पर वर्तमान में तैनात मेडिकल विभाग की मेडवाइफ यहां कभी नहीं आती। प्रधान की बातें सुनने के बाद जब पड़ताल की गयी तो अस्पताल की बिल्डिंग के आसपास तक यहां तक कि दरवाजे के पास भी लोगों के मलमूत्र फैले हुए थे। वहां जाना भी कठिन था गंदगी के चलते। उपकेन्द्र पर तैनात मेडवाइफ गांव में तो आती है पर अस्पताल नहीं जाती क्योंकि लोग कहते हैं कि वहां भूत रहता है।
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