दूदही में दर्जनों मुन्ना भाई MBBS डाक्टरो की भरमार, कुशीनगर का स्वास्थ्य विभाग निरंकुश
बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही दर्जनों पैथालॉजी
मुख्य सचिव मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार
राधेश्याम शास्त्री स्वतंत्र पत्रकार हिंदी साप्ताहिक शान ए कुशीनगर
बिशुनपुरा थाना/दुदही, (कुशीनगर)
कुशीनगर के दूदही के खास सूत्रों के अनुसार कयीयों ने तो पैसे के बदौलत फर्जी डिग्रियां भी खरीद ली है और मरीजों की जिंदगी से कि कर रहे हैं।ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य महकमा ऐसे मुन्ना भाइयों से अंजान है, बल्कि हर माह बंधी-बंधाई रकम लेकर
कुशीनगर जनपद में स्वास्थ्य विभाग की मिली -भगत से सैकड़ों निजी पैथालॉजी, एक्सरे एवं अल्टासाउंड केंद्र कुकुरमुत्ते की तरह चलाया जा रहा है। जिससे गरीबों को इलाज के नाम पर जमकर लुटा जा रहा है। साथ ही इससे अब तक करीब मरीज काल के गाल में समा चुके हैं। ऐसे अवैध धंधेबाजों के खिलाफ आखिर प्रशासन क्यों कार्रवाई नहीं कर रहीं हैं।यह समझ से परे है।
कुशीनगर जनपद के दूदही में करीब सैकड़ों अस्पताल ऐसे हैं जिनके संचालकों द्वारा ही मरीजों का इलाज किया जाता है। जबकि ऐसे लोगों में अधिकांश के पास न तो बैध डिग्री है और न ही रजिस्ट्रेशन। यहां तक की डायग्नोस्टिक सेंटर भी बिना किसी डिग्री या विशेषज्ञ के ऐसे लोगों के द्वारा चलाया जा रहा है।जिनका पूर्व में ऐसे पेशे से कोई दूर दूर तक का रिश्ता नहीं रहा।
इस गोरखधंधे को फलने-फूलने का भरपूर अवसर देता रहता है। कभी-कभार कार्रवाई भी तभी होती है जब किसी का सुविधा शुल्क तय समय के मुताबिक नहीं पहुंच पाता। इतना ही नहीं जब कोई कार्रवाई होनी होती है चाहें स्थानीय स्तर से हो या बाहरी बीच द्वारा इन मुन्ना भाइयों को जांच टीम के पहुंचने के पूर्व ही सूचनाएं मिल जाती है और ऐसे में इन सेंटरों पर पहले से ही ताले लटक जाते हैं।
मालूम हो कि शासन ने अवैधानिक रूप से चल रहे नसि॔गह़ोमों तथा पैंथालोजी सेंटर की जांच का आदेश व कार्रवाई करने का आदेश समय-समय पर देता रहा है। जिससे पूरे क्षेत्र इन पैथालॉजी सेंटरों की दुकान अस्पतालों के पास ही है। जहां चित्र की पची॔ पर तत्काल जांच की जाती है।इन केन्द्रों पर सुगर,खून, पेशाब, मलेरिया,गले, एक्सरे,अलटासाउंड के अलावा लिंग परीक्षण की भी सुविधा उपलब्ध है। लेकिन पैथालॉजी के कर्मचारी रिपोर्ट देने के बजाए केवल स्क्रीन पर दिखा देता है।और चार सौ लेकर एक हजार तक रुपए लेता है। यही हाल सूगर, ब्लड, पेशाब, मलेरिया, टायफाइड, गले ऱ़ोगों की है। जहां मुंहमांगा दाम वसूला जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो रिपोर्ट दी जाती है उस पर डाक्टर के हस्ताक्षर को अपठनीय बना दिया जाता है। जिससे उनकी रिपोर्ट महज मरीज को सांत्वना भर दे जाती है और किसी सरकारी विभाग अध॔सरकारी विभाग में नौकरी पेशा वाले आदमी नहीं लगा पाते। जिससे इन मरीजों का शोषण अस्पताल कर्मचारियों की मिली-भगत से हो रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता व कथित लापरवाही के कारण दुदही,सेवरही, तमकुही राज, खड्डा, नेबुआ नौरंगिया, फाजिल नगर, हाटा, कप्तानगंज, व पडरौना के ग्रामीण इलाकों व बाजारों में इन दिनों अवैध रूप से बिना अनज्ञपति की दवा दुकानों एवं फजी॔ झोला छाप चिकित्सकों की बाढ़ सी आ गई है। बाजार हो या ग्रामीण इलाकों दोनों में ही अवैध दवा दुकानों व नीम हकीम खानदानी बैद्य, फर्जी चिकित्सकों की संख्या तकरीबन सौ के आस-पास पहुंच गई है। जो क्षेत्र के गरीब,निरीह एवं पीड़ित दलित लोगों की अज्ञानता एवं अंध विश्वास तथा विवशता का फायदा उठाकर खुलेआम उनका शोषण कर रहे हैं।गौर तलब है कि बिना अनुज्ञप्ति प्राप्त किए दवा की दुकानें बिहार औषधि अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुए बिना किसी रोक-टोक से चल रही है।ऐ सी दुकानों में मरीजों का शोषण किया जाता है।
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि अधिकांश दुकानदारों द्वारा उत्तर प्रदेश से नकली एवं एक्सपायरी तथा फिजिशियन सेम्पल की दवा भी बेची जा रही है।क्षेत्र में ऐसी चर्चा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग तथा जिला प्रशासन द्वारा साल दो साल में एक छोटी मछली (दवा) दुकान को पकड़ कर डृग इंस्पेक्टर अपनी खाना पूर्ति कर लेते हैं। बड़ी-बड़ी दुकानों पर तों वे झांकने तक नहीं जाते। क्योंकि वहां से सलामी हेड क्वार्टर पर पहुंच जाता है।जिन कारण वे इन बड़ी दुकानों पर ध्यान नहीं करता हैं।
विदित हो कि दवा बिक्रेता ऐसे अनभिज्ञ तथा अशिक्षित गरीब वर्ग के लोगों को नकली व एक्सपायरी दवा थमा देते हैं।नतीजतन इसके सेवन से नये-नये रोग उभरकर सामने आ जाते हैं, जो बाद में असहाय एवं गम्भीर रूप अखतियार कर लेता है। फजी॔ चिकित्सक के चिकित्सक के चंगुल में अशिक्षित गरीब ग्रामीण महिला तथा मज़दूर किस्म के लोग ही अधिकांश फसते हैं।इन चिकित्सकों का धंधा है कि किसी भी ग़रीब मरीज को कोई भी बीमारी हुई हो तो उसे दो,तीन सूई,दो चार बोतल पानी चढ़ाकर मोटी रकम लेकर आथि॔क शोषण करना, ऐसे चिकित्सक के पास न कोई डिग्री डिप्लोमा है और न ही किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सा संस्थान का पंजीयन ही। चर्चा है कि कुछ दिन किसी चिकित्सक के यहां काम करने वाले कम्पाउन्डर या नर्स की क्लिनिक खोलकर चिकितसक बन जाते हैं।
बताया जाता है कि इन फजी॔ चिकित्सकों को अपने दलाल भी होते हैं जो ग्रामीण परिवेश में पुरुष व महिला मरीजों को बहला-फुसलाकर नीम -हकीम, तथा बैद्य के क्लिनिक में ले जाते हैं। बदलें में उन्हें कमीशन दिया जाता है। वहीं कुछ फर्जी चिकित्सकों की आड़ में छिपे रूप से गभ॔पात भी कराते हैं, तथाजि ए्वज में मोटी रकम लेते हैं। इसके बाद भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के सर पर जूं तक नहीं रेंगते हैं।
क्षेत्र के ग्रामीण जनता , समाजसेवियों, जन-प्रतिनिधियों ने एक स्वर से हिंदी दैनिक अमिट रेखा समाचार पत्र के माध्यम से माननीय मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार से कुशीनगर जनपद के अप्रशिक्षित बिना मान्यता प्राप्त झोला छाप डाक्टरों व स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह व निरंकुश अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ निष्पक्ष व निर्भीक रुप से जांच-पड़ताल कराकर इन हत्यारे रूपी डाक्टरों के खिलाफ विधिक कार्यवाही करने की पुरजोर मांग किया है।
--------------------------------
क्रमशः शेष अगले अंक में
मोबाइल वाट्सएप नम्ब र
८०५२८५५२५९