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पड़ोसी ने मारपीट कर बाप बेटी को किया लहुलुहान नही हुई कोई कार्यवाही।

पड़ोसी ने मारपीट कर बाप बेटी को किया लहुलुहान नही हुई कोई कार्यवाही। 
रिपोर्टर कैमरा पर्सन मनोज कुमार के साथ संवाददाता मुमताज हाशमी सी न्यूज़ भारत कुशीनगर


 कुशीनगर जनपद के सीओ सर्किल क्षेत्र तमकुहीराज के हाईटेक थाना विशुनपुरा क्षेत्र के  ग्राम सभा बांसगाँव टोला कोईलहवा का एक सनसनी खेज मामला प्रकाश में आया है जिसमें अपने ही पाटीदार को दबंगई से जमीन हड़पने के संबंध में मारपीट कर लहू लोहान कर दिया एक बृध्द सहित कई महिलाओं को पिट कर लहुलुहान कर दिया गया  थाने पर प्रार्थना पत्र देने के बाद हफ्ता बीत जाने के बाद भी अभी तक मौके पर नहीं पहुंची विशुनपुरा थाने की पुलिस। जब हमारी मीडिया की टीम मौके पर पहुंची पीड़िता की बात जाने के लिए तो पीड़िता मजदूर तबके के मजदूरी करने वाला दौलत अंसारी नामक व्यक्ति अपनी आपबीती रो-रो कर बताने लगा वही विपक्षी का कहना है कि जमीन का विवाद  नहीं है हमारा घर बन चुका है ।जब कि पीड़ित व्यक्ति का कहना है कि बिपक्षियो द्वारा मुझे जान - माल की धमकी भी दी जा रही है लेकिन अभी तक उन पर कोई कार्यवाही नही हुई है। बताते चले कि दौलत अंसारी की बेटी 5 अप्रैल की शादी है दबंगों ने उसको भी मारपीट कर लहूलुहान कर दिया है । मुहम्मद दौलत का आरोप है कि मेरे पडो़स में ही एक व्यक्ति से जमीन का बिवाद चल रहा है जिसको लेकर उक्त लोग मुझे गाली गुफ्ता दे रहे थे जब मेरे द्वारा विरोध करने पर हमलावर होकर लाठी डंडे से मारने लगे मुझे पिटता देख मेरी लड़की और पत्नी मुझे बचाने आई तो उन्हें भी बुरी तरह से मार पिट कर लहुलुहान कर दिया गया। उक्त प्रकरण में थाना विशुनपुरा में प्रार्थना पत्र देने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई है ना ही मौके पर कोई जांच पड़ताल हुई है।

पड़ोसी ने मारपीट कर बाप बेटी को किया लहुलुहान नही हुई कोई कार्यवाही।

पड़ोसी ने मारपीट कर बाप बेटी को किया लहुलुहान नही हुई कोई कार्यवाही। 
रिपोर्टर कैमरा पर्सन मनोज कुमार के साथ संवाददाता मुमताज हाशमी सी न्यूज़ भारत कुशीनगर


 कुशीनगर जनपद के सीओ सर्किल क्षेत्र तमकुहीराज के हाईटेक थाना विशुनपुरा क्षेत्र के  ग्राम सभा बांसगाँव टोला कोईलहवा का एक सनसनी खेज मामला प्रकाश में आया है जिसमें अपने ही पाटीदार को दबंगई से जमीन हड़पने के संबंध में मारपीट कर लहू लोहान कर दिया एक बृध्द सहित कई महिलाओं को पिट कर लहुलुहान कर दिया गया  थाने पर प्रार्थना पत्र देने के बाद हफ्ता बीत जाने के बाद भी अभी तक मौके पर नहीं पहुंची विशुनपुरा थाने की पुलिस। जब हमारी मीडिया की टीम मौके पर पहुंची पीड़िता की बात जाने के लिए तो पीड़िता मजदूर तबके के मजदूरी करने वाला दौलत अंसारी नामक व्यक्ति अपनी आपबीती रो-रो कर बताने लगा वही विपक्षी का कहना है कि जमीन का विवाद  नहीं है हमारा घर बन चुका है ।जब कि पीड़ित व्यक्ति का कहना है कि बिपक्षियो द्वारा मुझे जान - माल की धमकी भी दी जा रही है लेकिन अभी तक उन पर कोई कार्यवाही नही हुई है। बताते चले कि दौलत अंसारी की बेटी 5 अप्रैल की शादी है दबंगों ने उसको भी मारपीट कर लहूलुहान कर दिया है । मुहम्मद दौलत का आरोप है कि मेरे पडो़स में ही एक व्यक्ति से जमीन का बिवाद चल रहा है जिसको लेकर उक्त लोग मुझे गाली गुफ्ता दे रहे थे जब मेरे द्वारा विरोध करने पर हमलावर होकर लाठी डंडे से मारने लगे मुझे पिटता देख मेरी लड़की और पत्नी मुझे बचाने आई तो उन्हें भी बुरी तरह से मार पिट कर लहुलुहान कर दिया गया। उक्त प्रकरण में थाना विशुनपुरा में प्रार्थना पत्र देने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई है ना ही मौके पर कोई जांच पड़ताल हुई है।

UP Panchayat Election 2021 : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट का फैसला, 2015 के आधार पर होगा आरक्षण

UP Panchayat Election 2021 : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट का फैसला, 2015 के आधार पर होगा आरक्षण

यूपी पंचायत चुनाव में सीटों पर आरक्षण व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि वर्ष 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू किया जाए। इसके पूर्व राज्य सरकार ने कहा कि वह वर्ष 2015 को आधार मानकर आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। इस पर न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने 25 मई तक यूपी पंचायत चुनाव 👈🏻 संपन्न कराने के आदेश दिया है। 

साइबर क्राइम से जुड़ी खबरों के लिए क्लिक करे 👈🏻

आपको बता दें कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका देकर 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किए जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, सेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। कहा गया कि आरक्षण लागू किए जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।

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याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किए जाने को कहा गया। उक्त शासनादेश में ही कहा गया कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है। लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किया जाना उचित नहीं होगा। कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे।

UP Panchayat Election 2021 : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट का फैसला, 2015 के आधार पर होगा आरक्षण

UP Panchayat Election 2021 : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट का फैसला, 2015 के आधार पर होगा आरक्षण

यूपी पंचायत चुनाव में सीटों पर आरक्षण व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि वर्ष 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू किया जाए। इसके पूर्व राज्य सरकार ने कहा कि वह वर्ष 2015 को आधार मानकर आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। इस पर न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने 25 मई तक यूपी पंचायत चुनाव 👈🏻 संपन्न कराने के आदेश दिया है। 

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आपको बता दें कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका देकर 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किए जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, सेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। कहा गया कि आरक्षण लागू किए जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।

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याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किए जाने को कहा गया। उक्त शासनादेश में ही कहा गया कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है। लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किया जाना उचित नहीं होगा। कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे।

2.5 लाख से ज्यादा समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त 804 अखबारों को सूची से बाहर निकालने की खबर अफवाह है

आवश्यक सूचना ये खबर 2017 में किसी ब्लॉग से पोस्ट की गई थी इसको किसी के अब सेयर करके वायरल की जा रही है ये मामला गलत और निराधार है अफवाहों पर ध्यान न दें। वो खबर इस प्रकार है। पढ़े

पुराने विज्ञापनों की जांच शुरू, अपात्र अखबारों से वसूली के निर्देश 
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने पिछले एक साल की जांच के बाद ढाई लाख से अधिक अखबारों का टाईटल निरस्त कर दिया है साथ ही सैंकड़ों अखबारों को डीएवीपी की सूची से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम को पुरानी सारी गड़बड़ी की जांच के निर्देश दिए हैं। इसमें अपात्र अखबारों और मैंगजीन को सरकारी विज्ञापन देने की शिकायतों की जांच भी शामिल है। इसमें गड़बड़ी पाए जाने पर रिकवरी और कानूनी कार्रवाई के निर्देश भी हैं। इसके चलते मीडियाजगत में हड़कंप है।
मोदी सरकार द्वारा सख्ती के इशारे के बाद आरएनआई यानि समाचार पत्रों के पंजीयक का कार्यालय और डीएवीपी यानि विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय काफी सख्त हो चुके हैं. समाचार पत्र के संचालन में जरा भी नियमों को नजरअंदाज किया गया तो आरएनआई समाचार पत्र के टाईटल पर रोक लगाने को तत्पर हो जा रहा है. उधर, डीएवीपी विज्ञापन देने पर प्रतिबंध लगा दे रहा है. देश के इतिहास में पहली बार हुआ है जब लगभग 269,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए गए और 804 अखबारों को डीएवीपी ने अपनी विज्ञापन सूची से बाहर निकाल दिया है. इस कदम से लघु और माध्यम समाचार पत्रों के संचालकों में हड़कम्प मच गया है.
पिछले काफी समय से मोदी सरकार ने समाचार पत्रों की धांधलियों को रोकने के लिए सख्ती की है. आरएनआई ने समाचार पत्रों के टाइटल की समीक्षा शुरू कर दिया है. समीक्षा में समाचार पत्रों की विसंगतियां सामने आने पर प्रथम चरण में आरएनआई ने प्रिवेंशन ऑफ प्रापर यूज एक्ट 1950 के तहत देश के 269,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए. इसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के अखबार-मैग्जीन (संख्या 59703) और फिर उत्तर प्रदेश के अखबार-मैग्जीन (संख्या 36822) हैं. 

इन दो के अलावा बाकी कहां कितने टाइटिल निरस्त हुए हैं, देखें लिस्ट.... बिहार 4796, उत्तराखंड 1860, गुजरात 11970, हरियाणा 5613, हिमाचल प्रदेश 1055, छत्तीसगढ़ 2249, झारखंड 478, कर्नाटक 23931, केरल 15754, गोआ 655, मध्य प्रदेश 21371, मणिपुर 790, मेघालय 173, मिजोरम 872, नागालैंड 49, उड़ीसा 7649, पंजाब 7457, चंडीगढ़ 1560, राजस्थान 12591, सिक्किम 108, तमिलनाडु 16001, त्रिपुरा 230, पश्चिम बंगाल 16579, अरुणाचल प्रदेश 52, असम 1854, लक्षद्वीप 6, दिल्ली 3170 और पुडुचेरी 523

2.5 लाख से ज्यादा समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त 804 अखबारों को सूची से बाहर निकालने की खबर अफवाह है

आवश्यक सूचना ये खबर 2017 में किसी ब्लॉग से पोस्ट की गई थी इसको किसी के अब सेयर करके वायरल की जा रही है ये मामला गलत और निराधार है अफवाहों पर ध्यान न दें। वो खबर इस प्रकार है। पढ़े

पुराने विज्ञापनों की जांच शुरू, अपात्र अखबारों से वसूली के निर्देश 
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने पिछले एक साल की जांच के बाद ढाई लाख से अधिक अखबारों का टाईटल निरस्त कर दिया है साथ ही सैंकड़ों अखबारों को डीएवीपी की सूची से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम को पुरानी सारी गड़बड़ी की जांच के निर्देश दिए हैं। इसमें अपात्र अखबारों और मैंगजीन को सरकारी विज्ञापन देने की शिकायतों की जांच भी शामिल है। इसमें गड़बड़ी पाए जाने पर रिकवरी और कानूनी कार्रवाई के निर्देश भी हैं। इसके चलते मीडियाजगत में हड़कंप है।
मोदी सरकार द्वारा सख्ती के इशारे के बाद आरएनआई यानि समाचार पत्रों के पंजीयक का कार्यालय और डीएवीपी यानि विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय काफी सख्त हो चुके हैं. समाचार पत्र के संचालन में जरा भी नियमों को नजरअंदाज किया गया तो आरएनआई समाचार पत्र के टाईटल पर रोक लगाने को तत्पर हो जा रहा है. उधर, डीएवीपी विज्ञापन देने पर प्रतिबंध लगा दे रहा है. देश के इतिहास में पहली बार हुआ है जब लगभग 269,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए गए और 804 अखबारों को डीएवीपी ने अपनी विज्ञापन सूची से बाहर निकाल दिया है. इस कदम से लघु और माध्यम समाचार पत्रों के संचालकों में हड़कम्प मच गया है.
पिछले काफी समय से मोदी सरकार ने समाचार पत्रों की धांधलियों को रोकने के लिए सख्ती की है. आरएनआई ने समाचार पत्रों के टाइटल की समीक्षा शुरू कर दिया है. समीक्षा में समाचार पत्रों की विसंगतियां सामने आने पर प्रथम चरण में आरएनआई ने प्रिवेंशन ऑफ प्रापर यूज एक्ट 1950 के तहत देश के 269,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए. इसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के अखबार-मैग्जीन (संख्या 59703) और फिर उत्तर प्रदेश के अखबार-मैग्जीन (संख्या 36822) हैं. 

इन दो के अलावा बाकी कहां कितने टाइटिल निरस्त हुए हैं, देखें लिस्ट.... बिहार 4796, उत्तराखंड 1860, गुजरात 11970, हरियाणा 5613, हिमाचल प्रदेश 1055, छत्तीसगढ़ 2249, झारखंड 478, कर्नाटक 23931, केरल 15754, गोआ 655, मध्य प्रदेश 21371, मणिपुर 790, मेघालय 173, मिजोरम 872, नागालैंड 49, उड़ीसा 7649, पंजाब 7457, चंडीगढ़ 1560, राजस्थान 12591, सिक्किम 108, तमिलनाडु 16001, त्रिपुरा 230, पश्चिम बंगाल 16579, अरुणाचल प्रदेश 52, असम 1854, लक्षद्वीप 6, दिल्ली 3170 और पुडुचेरी 523

आदर्श बाली बॉल प्रतियोगिता में, बाँसगंगाव कोईलहवाँ टीम प्रथम स्थान पा कर जीत हांसिल की तो वहीं सिकटा की टीम दूसरा स्थान हांसिल कर उपविजेता रही

आदर्श बाली बॉल प्रतियोगिता में, बाँसगंगाव कोईलहवाँ टीम प्रथम स्थान पा कर जीत हांसिल की तो वहीं सिकटा की टीम दूसरा स्थान हांसिल कर उपविजेता रही
      आदर्श बाली बॉली टीम के खिलााडी

कुशीनगर के वि0ख0 दुदही के ग्रामसभा बांसगांव कोइलहवां के नव युवकों ने आज आदर्श बाली बॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें दर्जनों गांव के टीमो ने हिस्सा लिया। बाली बाल प्रतियोगिता का फाइनल मैच सिकटा और बांसगांव कोईलहवाँ के बीच खेला गया फाइनल मैच में वांसगांव की आदर्श टीम ने प्रथम स्थान हांसिल कर विजेता रही तो वहीं दूसरे स्थान पर सिकटा टीम उपविजेता रही।

कार्यक्रम का आगाज बांसगांव के टोला कोइलहवा के युवकों ने किया। कार्यक्रम के आयोजक विद्यानन्द कुशवाहा, अशोक गुड्डू कुशवाहा सहित गांव दर्जनो गणमान्यों ने किया। 

कार्यक्रम की शुरुआत बड़ी अर्षोउल्लास, जोश के साथ सुरु किया गया। कार्यक्रम में दर्जनों गांव के हजारो लोगो ने शिरकत की और लोगो ने प्रतियोगिता का भरपूर आनंद उठाया। बांसगांव के हरिशंकर कुशवाहा ने बताया कि बाली बॉल खेलने से मनोरंजन भी होता और लड़को का सेहत भी सही रहता है।

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शहरो की तर्ज पर प्रधान ने गांव को बना दिये स्मार्ट गांव तथा स्मार्ट पार्क-: काम बोलता है। जयप्रकाश यादव

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