SEK IN INDIA NEWS: नक्‍सलियों के हाथों शहीद सीआरपीएफ जवान का शव पहुंचने पर चौरीचौरा में उमड़ा आंसुओं का सैलाब। चौरी चौरा गोरखपुर।

नक्‍सलियों के हाथों शहीद सीआरपीएफ जवान का शव पहुंचने पर चौरीचौरा में उमड़ा आंसुओं का सैलाब। चौरी चौरा गोरखपुर।

नक्‍सलियों के हाथों शहीद सीआरपीएफ जवान का शव पहुंचने पर चौरीचौरा में उमड़ा आंसुओं का सैलाब

Sek In India News-Last Modified: Fri, Feb 28 2020. 13:51 

नक्‍सलियों केे हाथों शहीद और पिछले साल 29 दिसम्‍बर से गायब चल रहे गोरखपुर के चौरी चौरा क्षेत्र के सीआरपीएफ जवान धर्मदेव का शव शुक्रवार को घर पहुंचा तो चौरी चौरा में आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

शहीद को नमन करने हजारों की तादाद में लोग उनके घर पहुंचे। सांसद, विधायक और वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भी शहीद के घर पहुंचकर परिवारीजनों को ढांढस बंधाया और शहादत के प्रति अपना सम्‍मान प्रकट किया। इस दौरान भारत माता की जय के नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा है। चौरीचौरा क्षेत्र के गौनर गांव के रमदसहा निवासी धर्मदेव ( उम्र 50 वर्ष) को उडीसा के रामगडा जिले में  ड्यूटी पर जाते समय नक्सलियों ने शहीद कर दिया था। लेकिन तब उनका शव भी सुरक्षा बलों को नहीं मिला था। करीब 50 दिन बाद 22 फरवरी को उनका शव कंकाल के रूप में मिला।

इस सूचना पर चौरी चौरा के गौनर गांव में कोहराम मच गया। लोग  शव का इंतजार करने लगे। धर्मदेव पासी उड़ीसा के रामगडा में  सीआरपीएफ हेडक्वार्टर में हवलदार के पद पर तैनात थे। उनकी पत्नी अनारी के मुताबिक 29 दिसम्‍बर 2019 को दोपहर में 12:30 बजे धर्मदेव से बात हुई थी। तब उन्होंने बताया था कि सीआरपीएफ कैंट से हेडक्वार्टर ड़यूटी करने जा रहे हैं।  लेकिन जब 1:30 बजे पत्‍नी ने दोबारा फोन किया तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया था। वह लगातार फोन करती रहीं लेकिन मोबाइल स्विच आफ मिला। उसके बाद उन्होंने हेडक्वार्टर से सम्पर्क किया तो पता चला कि वह ड़यूटी पर पहुंचे ही नहीं हैं।

तब उनकी पत्नी ने फोन पर उनके साथियों से  संपर्क किया। सथियों ने बताया कि हवलदार धर्मदेव पासी रामगडा हेडक्वार्टर के लिए ड़यूटी पर निकले थे। धर्मदेव पासी के बेटे राकेश ने तीन दिन तक लगातार फोन से सम्पर्क किया। जब कोई पता नहीं मिला तो वह अपने चाचा रामसिगारे के साथ उड़ीसा पहुंचा। उसने कैंट थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। दस दिन तक वहीं रहकर अपने पिता की तलाश किया। जब कोई सुराग नहीं मिला तो लौट कर वापस घर आ गया। राकेश फिर फरवरी के पहले ही सप्ताह में अपने मामा ओमप्रकाश, सदावृक्ष और जनार्दन के साथ अपने पिता को ढूंढने उड़ीसा पहुंच गया। इस बीच हेडक्वार्टर से लगातार संपर्क रहा और खुद भी मामा के साथ पिता की तलाश करता रहा। 22 फरवरी को उसके मोबाइल पर हेडक्वार्टर से फोन आया कि धर्मदेव का शव हेडक्वार्टर से 15 किलोमीटर दूर झाड़ी में मिला है। लेकिन शव कंकाल में तब्दील हो गया है। उनकी पहचान उनके कपड़े और पहचान पत्र से हुई है। पुत्र राकेश को बताया गया कि शायद नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी है। शव को चौरीचौरा उनके घर के लिए रवाना कर दिया गया।

मूल रूप से देवरिया के निवासी थे धर्मदेव
धर्मदेव मूलरूप से देवरिया के एकौना के पचौली वटलिया के निवासी थे। वह 1991 में सीआरपीएफ बटालियन बी कम्पनी रामगडा उड़ीसा मे बतौर कांस्टेबल भर्ती हुए थे। इस समय हवलदार पद पर तैनात थे। धर्मदेव अपने पांच भाईयों में सबसे छोटे थे। उनकी शादी चौरीचौरा क्षेत्र के गौनर रमदसहा हुई थी। उसी दौरान उन्होंने ससुराल में जमीन खरीद कर मकान बनवा लिया था। पूरा परिवार रमदसहा रहा था। धर्मदेव अपने पीछे तीन बेटियां रिकी (24), सुमन (19), सोनी (17) और बेटा राकेश (23) को छोड़ गए हैं। 

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