SEK IN INDIA NEWS: 2021

शहरो की तर्ज पर प्रधान ने गांव को बना दिये स्मार्ट गांव तथा स्मार्ट पार्क-: काम बोलता है। जयप्रकाश यादव

शहरो की तर्ज पर प्रधान ने गांव को बना दिये स्मार्ट गांव तथा स्मार्ट पार्क-: काम बोलता है। जयप्रकाश यादव।

 जनपद कुशीनगर के ग्रामसभा ठाड़ीभार का स्मार्ट पार्क
प्रदेश सरकार लाख दावे करे परंतु गाँव का विकास कार्यो पर प्रश्न उठ ही जाते है। लेकिन उत्तर प्रदेश के जनपद कुशीनगर के दूदही ब्लाक अंतर्गत ग्रामसभा ठाड़ीभार में लगातार दूसरी बार नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान जय प्रकाश यादव का वाकई काम बोलता नजर आ रहा है। गौरतलब है कि ग्राम प्रधान जयप्रकाश यादव दूसरी बार लोगो के दिलो में जगह बना कर लोकप्रियता हांसिल की और भारी मतों से दूसरी बार विजय हुए। लोगो की माने और ग्रामसभा ठाड़ीभार को 10 साल पहले से अब तुलना करें तो गांव पहले के मुकाबले अब प्रधान की कड़ी मेहनत के बाद गांव का विकास इस समय के शहरो की तर्ज पर आज गांव स्मार्ट गांव में तब्दील है। इतना ही नही ग्रामसभा ठाड़ीभार में स्मार्ट गांव के साथ अक्सर चुनिदा शहरो में देखे जाने वाले स्मार्ट पार्क जैसा पार्क का निर्माण ठाड़ीभार के टोला इनरपट्टी में जिम के सुसज्जित यंत्रो के साथ साथ इसी पार्क में बच्चों को खेलने के लिए विशेष यंत्र के साथ साथ कई सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है।  विभिन्न सुविधाओ सहित पार्क का निर्माण कराया जा रहा है। ग्राम प्रधान जयप्रकाश यादव ने कड़ी मेहनत और अपनी सूझ बूझ से अपने गांव को स्मार्ट गांव को स्ट्रीट लाईट सहित सैकड़ों सुविधाएं से सुसज्जित है। ग्राम प्रधान और पेशे से एडवोकेट के साथ साथ समाज वादी पार्टी के दिग्गज नेता जयप्रकश यादव है इनके कार्यो से लोगो मे लोक प्रियता बढ़ती जा रही है। लेटेस्ट वीडियो न्यूज अपडेट के लिए चैनल को लाइक और सब्सक्राइब करे न्यूज चैनल शान ए कुशीनगर न्यूज से मैं नवीन अंसारी। खुदा हाफिज, नमस्कार।

PPNEWS-फतेहपुर में मनचले बेलगाम, आबरू बचाने के लिए दो किशोरियों ने चुना मौत, एक ने फांसी लगाई तो दूसरी ने कीटनाशक खाकर दे दी अपनी जान

फतेहपुर में मनचले बेलगाम, आबरू बचाने के लिए दो किशोरियों ने चुना मौत... 

एक ने फांसी लगाई तो दूसरी ने कीटनाशक खाकर दे दी अपनी जान,

उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार और पुलिस भले ही महिला उत्पीड़न और हिंसा के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए पुरजोर प्रयास में जुटी हो लेकिन, फतेहपुर जनपद में मनचलों का इस कदर बेलगाम हो  जाना कई सवाल खड़े करती है। शोहदों से तंग आकर लड़कियां आत्महत्या करने को मजबूर हो जा रही हैं। ऐसा ही दो मामला मलवां थानाक्षेत्र और लालौली थानाक्षेत्र में सामने आए हैं। मलवां  गांव में सामूहिक दुष्कर्म के प्रयास से शर्मसार किशोरी ने जहर खाकर अपनी जान दे दी तो ललौली के गांव में छेड़छाड़ से आहत किशोरी ने फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी।
सामूहिक दुष्कर्म के प्रयास से परेशान किशोरी छात्रा ने कीटनाशक खाकर आत्महत्या ली,
मलवां थाने के गांव में रहने वाली 15 वर्षीय किशोरी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हाईस्कूल की छात्रा थी। जानकारी के मुताबिक विगत शुक्रवार की देर रात में अपने परिवार के साथ छात्रा सो रही थी, और मध्यरात्रि उठकर घर के बाहर बाथरूम गई रात में घर के बाहर मौजूद युवकों ने उसे बदनीयती से पकड़ लिया और घसीटते हुए खेत खलियान की ओर ले गए। पीड़ित किशोरी छात्रा के पिता का आरोप है कि कुलदीप उर्फ मंटू यादव व लवकुश यादव ने बेटी को धमकी देते हुए दुष्कर्म का प्रयास किया और उसे बेहोश छोड़कर रफूचक्कर हो गए। होश में आने के बाद भोर पहर लगभग तीन बजे किशोरी अपने घर वापस लौटी बेटी ने मां को अपने उप्पर हुये वारदात को बताई और फिर चुपके से कीटनाशक खा लिया। कीटनाशक खाने के बाद किशोरी की हालत खराब होने लगी परिजन किशोरी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां किशोरी छात्रा की जीवन लीला समाप्त हो गई। सर्किल सीओ संजय कुमार सिंह ने बताया है कि पिता की तहरीर पर कुलदीप यादव और लवकुश यादव पर पाक्सो एक्ट, छेड़छाड़ और आत्महत्या को प्रेरित करने सहित विभिन्न धाराओं में अभियोग दर्ज की गई है। एसओ अरविंद कुमार यादव ने पत्रकारों से बताया कि आरोपियो की गिरफ्तारी के लिए जगह जगह छापेमारी की जा रही हैं जल्द ही आरोपी पुलिस की जद में होंगे। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए शव गृह भेज कर आवश्यक कार्यवाही में जुटी हुई है।

प्रस्तुत कर्ता है-: PEOPLE PUBLIC NEWS & SEK IN INDIA NEWS

कुशीनगर/दूदही-: कोरोना गाइडलाइन का पालन कर भारी उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया गया विजयदशमी दशहरे का त्योहार।

कुशीनगर/दूदही-: कोरोना गाइडलाइन का पालन कर भारी उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया गया विजयदशमी दशहरे का त्योहार।

कुशीनगर। जनपद के क्षेत्र भर में असत्य पर सच्चाई की जीत तथा बुराइयों पर अच्छाई पर विजय का प्रतीक विजयदशमी दशहरे का पर्व भारी उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया गया है इस अवसर पर श्रद्धा के साथ दशहरा पूजन किया गया तथा बहीखाता आदि का पूजन किया गया है। दूदही कस्बे और क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रो में अच्छाइयों पर बुराई तथा अधर्म पर धर्म की जीत बुराइयों से अच्छाई पर विजय का प्रतीक विजय दशमी दशहरा भारी उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया गया है। हालांकि कोविड-19 कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इस बार कस्बे में मेले का आयोजन कोरोना गाइडलाइन का पालन कर किया गया और मां दुर्गा की पूजा अर्चना की गई।
गौरतलब है कस्बे में मां दुर्गा पूजा समिति नव युवक दल दूदही गोला बाजार, गांधी चौक, धर्मशाला, किराना मंडी, स्टेशन बाज़ार आदि जगहों पर प्रत्येक वर्ष श्री मां दुर्गा की स्थापना कर दशहरे का आयोजन किया गया। कस्बे के मुख्य मार्गो से दशहरे के उपलक्ष पर प्रत्येक वर्ष निकाले जाने वाली यात्रा तथा आयोजित मेले में विशेष डोल में झांकी के कार्यक्रम में कोविड-19 के मद्देनजर कोरोना गाइड लाइन का कड़ाई से पालन किया गया।

कुशीनगर/तरयासुजान पुलिस -: चोरी के मोबाइल के साथ वांछित अभियुक्त दबोचा गया

कुशीनगर/तरयासुजान पुलिस -: चोरी के मोबाइल के साथ वांछित अभियुक्त दबोचा गया
    निज संवादाता तमकुहीराज रामआधार दृवेदी 
कुशीनगर। जनपद के तरयासुजान पुलिस ने बीती रात्रि एक युवक को चोरी के मोबाइल के साथ उस समय पकड़ा जब वह सलेमगढ़ कस्बा के शिवमंदिर के पास इधर -उधर घूम रहा था।
बताते चले की पुलिस अधीक्षक कुशीनगर  सचिन्द्र पटेल के निर्देशन में अपराध एवं अपराधियो की रोक थाम हेतु चलाये जा रहे अभियान के  अपर पुलिस अधीक्षक कुशीनगर के निकट पर्यवेक्षण व श् क्षेत्राधिकारी तमकुहीराज फूलचंद  के नेतृत्व में  प्रभारी निरीक्षक तरया सुजान  कपिल देव चौधरी ,चौकी प्रभारी बहादुरपुर धनन्जय राय  
 हेड कांस्टेबल बिजली सिंह, आरक्षी रितेश यादव,बाबूराम के टीम ने रात्रि गस्त के दौरान  सलेमगढ़ शिवमंदिर के पास से स्थानीय थाने के वांछित अभियुक्त दुर्गेश कुमार पुत्र परमेश्वर गुप्ता निवासी सरगटिया  थाना सेवरही जिला कुशीनगर को चोरी की मोबाईल के साथ गिरफ्तार करने में कामयाब हुई है।  अभियुक्त के पास से एक अदद चोरी की मोबाईल सिम नं0 0621EC899100904980531177U व मो0नं0 7317316836 की बरामदगी की गई है। मुकामी पुलिस अभियोग पंजीकृत करते हुये गिरफ्तार अभियुक्त को आज जेल भेज दिया।

कुशीनगर/विशुनपुरा: शर्मनाक : दहेज के लिए पत्नी पर ढाया कहर, तीन बार गर्भ गिराया, मार पीट कर घर से निकला

शर्मनाक : दहेज के लिए पत्नी पर ढाया कहर, तीन बार गर्भ गिराया, मार पीट कर घर से निकला

2018 में हुई थी शादी, सोते समय मारने पीटने का आरोप।
दहेज के लिए एक युवक ने अपनी पत्नी पर कई जुल्म किए। मामला कुशीनगर के थाना विशुनपुरा का है। बांसगांव टोला (कोइलहवाँ) निवासी अनिल कुशवाहा की पत्नी किरण ने  पति पर शराब के नशे में मारपीट करने और दहेज प्रताड़ना सहित तीन बच्चो का गर्भपात कराने का आरोप लगाया हैं। पीड़िता ने बताया कि उसकी शादी 2018 मे अनिल से हुई थी। शादी के बाद से ही पति ने कम दहेज लाने की बात कहकर नशे की हालत में मारपीट करनी शुरू कर दी। उसने तीन लाख रुपये की मांग की। लगातार मारपीट से परेशान होकर उसने पिता से रुपये लेकर पति को दिए। कुछ दिन ठीक रखा, लेकिन दोबारा दहेज की मांग की। विशुनपुरा थाने में दी शिकायत में पीड़िता ने बताया कि पति ने उस पर सोते समय मारपीट कर धमकी दी कि अगली बार वह तेजाब डाल देगा। पीड़िता ने बताया कि 2018 में वह गर्भवती हुई तो सास और पति ने लड़का न होने पर बच्चा गिराने की बात कही और जबरन गर्भपात करा दिया। उसके बाद फिर गर्भवती हुई तो पति की रोजाना की मारपीट के कारण गर्भपात हो गया। इसके बाद 2019 में तीसरीबार गर्भवती हुई तो लड़का न होने के वजह से निजी अस्पताल के डॉक्टर से मिल के पत्नी का बर्भपात कराया। शराब पीकर पति ने लात-मुक्के भी मारे थे। पत्नी ने बताया कि तीन माह पूर्व पुनः गर्भवती हुई है परंतु पति व सास फूलमती ससुर द्वारिका और द्यादिन संगीता, भसुर मुन्ना, सत्येंद्र के द्वारा पुनः गर्भपात कराने के लिए मारपीट कर 10 दिन तक दूसरे के घर मे बन्द करके रखा गया था ताकि थाना पर शिकायत न कर सके। पत्नी का आरोप है की कुछ दिन पहले विशुनपुरा थाने पर शिकायत की थी परंतु स्थानीय पुलिस द्वारा अनिल से मोटी रिश्वत लेकर किरण से जबरन सुलहनामा कराया गया है। पीड़ित ने महिला थाना पडरौना पर तहरीर दे कर न्याय की गुहार लगाई है।👇👇👇

पति ने पार कीं यातनाएं की हदें: पत्नी को बनाया दस दिन तक बंधक, कमरे में बदमाशों को भेज कराता था अश्लील हरकतें।

यूपी के कुशीनगर के विशुनपुरा थानाक्षेत्र के बांसगांव  टोला कोईलहवाँ में सोमवार को दिलदहला देने वाली एक घटना सामने आई। बांसगांव टोला कोइलहवाँ निवासी अनिल कुशवाहा पर अपनी पत्नी को कमरे में बन्द कर दस दिन से बंधक बना कर रखा था

और कस्बा के कुछ असामाजिक तत्वो को बुला कर कमरे में भेज कर करवाता था अश्लील हरकत किसी तरह भाग निकली पीड़िता।


पडरौना महिला थाना प्रभारी ने बताया कि मामला संज्ञान में नही है आज तहरीर दी है जल्द ही कार्यवाही की जाएगी।

पुलिसिया के सरक्षंण में चल रहा देह व्यापार का धंधा

पुलिसिया के सरक्षंण में चल रहा देह व्यापार का धंधा
तमकुहीराज/कुशीनगर:-ब्लाक तमकुहीराज  सहित क्षेत्र भर में सेक्स रैकेट का गोरखधंधा हाईप्रोफाइल तरीके से चल रहा है। तमकुहीराज के रिलायंस पेट्रोल पंप औऱ इंडिया पेट्रोल पंप के सामने खुलियाम चल रहा है देह व्यापार लेकिन कुछ महिला द्वारा होटल खोलकर बैठ गयी है लेकिन खाने तक का कोई सामग्री नही लेकिन ढावा के आर में होता है जिस्म का गोरखधंधा  विभिन्न खाली पड़े भवनों  में उपयोग भी शाम के बाद इस अनैतिक कार्य के लिए होने लगा है। इस कार्य के लिए मोबाइल फोन सहित सोशल नेटवर्किंग साइट के माध्यम से लोग दलालों के संपर्क में आ रहे हैं और लड़कियों का सौदा कर रहे हैं। शाम होते ही रिलायंस पैट्रोल पंप इंडिया पेट्रोल पम्प के सामने ही ट्रक और तमकुहीराज के ग्रामीण का भीड़ इकठा होता नजर आता है  युवक-युवतियों को देखा जा सकता है। 

ढावा के आर में खाली पड़ी भवनों में रात्रि के समय चौकीदार रखने की जरूरत है ताकि यहां गलत कार्य पर पाबंदी लग सके। गौरतलब हो कि सक्ती में जिस्मफरोशी का धंधा खूब फल-फूल रहा है। यह गोरखधंधा किराए के मकान से लेकर कई खाली पड़े भवनों में धड़ल्ले से चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक बाहरी राज्यों से कॉल गर्ल ठेके पर लाई जाती हैं। हर राज्य के शहर के नाम के मुताबिक रेट तय हैं। रैकेट चलाने वाले दलाल के माध्यम से सौदा कर उससे अपनी डिमांड बता देते हैं। वे कीमत के हिसाब से उन तक इन युवतियों को भवन में पहुंचा देता है। समय समाप्त होते ही दलाल उन्हें वापस अपने साथ ले जाते हैं। यदि पुलिस सक्रिय होकर कार्रवाई करें तो तमकुहीराज क्षेत्र के इंडिया पेट्रोल पंप औऱ रिलायंस पेट्रोल पंप में ऐसे कई सैक्स रैकेट गिरोहों को पकड़ सकती है। ब्लॉक तमकुहीराज में ज्यादातर कॉल गर्ल ट्रक से  ही आती हैं। देह व्यापार का जाल पूरी तरह से नगर में फैल चुका है सूत्रों के जनकारी के मुताबित  पुलिसिया के सरक्षंण में चल रहा है देह व्यापार का धंधा  तमकुहीराज चौकी इंचार्ज को जाती हैं एक मोटी रकम पुलिसिया को जनकारी के बावजूद नही होती कोई कार्यवाही 
खबर के माध्यम से कई बार दिखाया गया देह व्यापार का गोरखधंधा पुलिसिया क्यों नही उठाती ठोस कदम कब होगा देह व्यापार का धंधा बन्द

Kushinagar: सिस्टम पर भारी सिपाही की भौकालबाजी

        सिस्टम पर भारी सिपाही की भौकालबाजी
तमकुहीराज सर्किल से रामआधार दृवेदी की खास रिपोर्ट
कुशीनगर। हर जगह -हर क्षेत्र में कुछ खास भौकाली लोग दिखाई दे जाते है। भौकाल तब बढ़ जाता है, जब अपने उच्च पदस्थ की हाथ सर पर रहती है, इस लिये यह कहना गलत नही होता ---की जब साहब मेहरबान, तब गदहा पहलवान! ऐसे में पुलिस वाले भी भौकाल बाजी दिखाने में पीछे क्यो रहे?

   जी हाँ इस जनपद के उत्तरप्रदेश -बिहार सीमा पर स्थित चर्चित पुलिस चौकी बहादुरपुर पर  कृपा पात्र तैनाती पाए 2020 वेंच की एक सिपाही की भौकाल बाजी सर चढ़ कर बोल रही है।जो अपने कारस्तानी से आमजनो के अलावे विभाग में चर्चा बनाया हुआ है। आँख में काले चश्मे बुलेट की सवारी करने वाले इस भौकाली अपने को इस चौकी का सब कुछ मान बैठा है, इतना ही नही झूठ की महारत की गिनती में अवल रहने के लिये सबसे आगे है,स्थानीय साहब की कृपा पात्र उक्त सिपाही से मिले बेगार आपकी आवेदन ठंडे बस्ते में रहेगी, । जहाँ एक तरफ योगी सरकार पुलिसकर्मियों को आम जनता के साथ मित्रवत ब्यवहार करने का दिशा निर्देश दे रही है। वही यह भौकाल बाज सिपाही इस निर्देश का धज्जियाँ उधेड़ रहा है।

   मामला सोमवार का है, चौकी पर ड्यूटी पर तैनात भौकाल बाज सिपाही ने आवेदन लेकर चौकी पर पहुँची हफुआ निवासी सुलेखा से अपना भौकाल गिना रहा था,सुलेखा अपनी पति से परीशान जी बखान सुनाई जा रही थी,सिपाही जी भोकलबाजी बताये जा रहे,थे। इस बीच एक जागरूक ने अपने मोबाइल में इस वाक्य को कैद किया, भौकालबाज सिपाही कह रहे थे,जो चाहूंगा यहाँ वही होगा। पहले पूनिया, फिर काम,उसके बाद दाम देना होगा।
    बहरहाल! चर्चाओ पर यकीन करें तो आजकल उक्त सिपाही की कारस्तानी की लम्बी फिरहिस्त है, कृपा पात्र एक कमाऊ पुत्र यहां के साहब के लिये है। विबेचना कि खेल में फारवर्ड पर खेलने वाले इस सिपाही की इतने कम समय की सर्विस में चौकी पर पोस्टिंग भी एक कबिले गौर मसला है??

कुशीनगर के हाटा थाने का वांछित अभियुक्त गिरफ्तार

कुशीनगर के हाटा थाने का वांछित अभियुक्त गिरफ्तार
        गिरफ्तार अभियुक्त के साथ हाटा पुलिस
              संवादाता रामआधार दृवेदी

हाटा कुशीनगर, पुलिस अधीक्षक  सचिन्द्र पटेल के निर्देशन में अपर पुलिस अधीक्षक अयोध्या प्रसाद सिंह के पर्यवेक्षण तथा पीयूष कान्त राय क्षेत्राधिकारी कसया कुशीनगर के कुशल मार्गदर्शन में चलाये जा रहे अपराध एवं अपराधियों के बिरुद्व अभियान के अंतर्गत वृहस्पतिवार को अभियान के क्रम में वृहस्पतिवार को उ0नि0बीरेंद्र कुमार यादव मय फोर्स मु अ स359/2017धारा 272/273भादवि60आव0एक्ट के वांछित केसारी मेस्तर पुत्र नोखेलाल सा0 कस्बा हाटा थाना को0 उसके घर से वांछित को गिरफ्तार कर  मा0 न्यायालय आवश्यक कार्यवाही हेतु भेजा गया  ।  इस दौरान का0दीपेश कुमार अंय मौजूद रहे।

गैर संगीन मामलों मे घर बैठे दर्ज करा सकते है एफआईआर, एक क्लिक में जाने पूरी खबर

गैर संगीन मामलों मे घर बैठे दर्ज करा सकते है एफआईआर, एक क्लिक में जाने पूरी खबर
 सामान्य और गैर संगीन मामलो मे भी मुकदमा दर्ज कराने के लिए फरियादी लगा रहे हे थाने की परिक्रमा

तमकुहीराज सर्किल से रामआधार दृवेदी की खास रिपोर्ट

कुशीनगर । जागरुकता के अभाव मे नागरिकों की सहूलियत के लिए पुलिस द्वारा शुरू की गई ई-एफआईआर की सुविधा के बावजूद यहां बड़ी संख्या में लोग थाने का चक्कर लगाने के लिए मजबूर है। कहना न होगा कि अज्ञात अभियुक्त तथा गैर संगीन अपराध के मामलों में लोग सीधे थाने का परिक्रमा करने बजाय पुलिस महकमा द्वारा शुरू की गयी ई-एफआईआर सुविधा के जरिए घर बैठे ही मुकदमा दर्ज कराया सकता है

 ई-एफआईआर दर्ज कराने का तरीका

काबिलेगोर है कि ई-एफआईआर दर्ज कराने के लिए पीड़ित व्यक्ति को सिर्फ ई-थाना प्रभारी के नाम संबोधित शिकायत सादे कागज पर लिखकर वाट्सएप कर देना है। शिकायती पत्र के साथ शिकायतकर्ता का आधार कार्ड होना जरुरी है। सुविधा का दुरुपयोग न हो इसलिए झूठी सूचना देने वालों के विरुद्ध भी कार्रवाई का प्रविधान है। कुशीनगर में ई-एफआईआर सुविधा सुचारु रूप से संचालित हो इसे लेकर स्वयं पुलिस अधीक्षक सचिन्द्र पटेल की इस पर नजर है। ई-एफआईआर के लिए संबंधित व्यक्ति को ई-थाना प्रभारी को संबोधित शिकायती पत्र सादे कागज पर लिखकर वाट्सएप नंबर 9454401003 पर भेजना होता है। यह सुविधा सिर्फ अज्ञात अभियुक्त और गैर संगीन अपराध के मामलों के लिए ही है। ई-थाना पर जो रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी, उसे ई-थाना प्रभारी द्वारा स्वीकृत किए जाने के उपरांत ही प्रथम सूचना रिपोर्ट समझी जाएगी। शिकायत के स्वीकृत-अस्वीकृत की सूचना आवेदक को तथ्य सहित ई-मेल, एसएमएस के माध्यम से सूचित किया जाता है। यदि आवेदन स्वीकृत किया जाएगा तो पूरी एफआइआर की प्रति पीडीएफ फारमेट में ई-मेल पर उपलब्ध कराई जाएगी। रिपोर्ट फार्म को भरने के लिए हिदी-अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जा सकता है।

 संगीन अपराध के मामले नही दर्ज होगे ई-एफआईआर

हत्या, डकैती, दुष्कर्म के अलावा संगीन अपराध के अन्य मामलों में ई- एफआईआर के जरिए मुकदमा नही दर्ज कराया जा सकता है। जिन प्रकरणों में अभियुक्त ज्ञात है, उन प्रकरणों को भी ई-थाना की कार्रवाई में शामिल नहीं किया जाता है।

 बीते वर्ष नगण्य रही ई-एफआईआर की संख्या

कहना न होगा कि जागरूकता के अभाव मे बीते वर्ष 2020 मे महज 30 लोगों ने ही इस सुविधा का प्रयोग किया। जबकि थाने पहुंच शिकायती पत्र देने वालों की संख्या एक हजारो से अधिक रही।

शिकायती पत्र में यह दें जानकारी

ई-थाना प्रभारी को संबोधित शिकायत सादे कागज पर लिखा जायेगा। सबसे पहले घटना का विवरण, समय, दिनांक व स्थान सहित। इसके बाद आवेदक का हस्ताक्षर, नाम, पता, राज्य, जिला,राष्ट्रीयता, आधार कार्ड नंबर, ई-मेल, विदेशी नागरिक को पासपोर्ट की प्रथम व आखिरी पृष्ठ एवं वीजा की फोटो देनी होगी।

 कुशीनगर एसपी बोले-

एसपी सचिन्द्र पटेल ने बताया कि ई-एफआईआर की सुविधा अज्ञात तथा गैर संगीन अपराध के मामलों के लिए ही उपलब्ध है। पीड़ित व्यक्ति थाने जाने की बजाय घर बैठे ही इस सुविधा का लाभ ले सकता है। हत्या, डकैती व दुष्कर्म जैसे मामलों को ई-थाना की कार्रवाई में शामिल नहीं किया गया है। गलत शिकायत करने वाले के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।  एसपी ने कहा कि जनपद में ई-एफआईआर सेल दिन-रात सक्रिय है।

कुशीनगर-PS विशुनपुरा : रिश्वत न देने पर सिपाहीयो ने स्वर्ण ब्यवसायी को थाने में बंद करके पीटा

कुशीनगर-PS विशुनपुरा : रिश्वत न देने पर सिपाहीयो ने स्वर्ण ब्यवसायी को थाने में बंद करके पीटा

उत्तर प्रदेश जनपद कुशीनगर के थाना विशुनपुरा में रिश्वत न देने के आरोप में सिपाहीयो ने स्वर्ण ब्यवसायी को थाने में पीटाई करने का समाचार प्रकाश में आया है। मिली जानकारी के अनुसार इस मामले की शिकायत IGRS के माध्यम से पुलिस अधीक्षक कुशीनगर से की गई है।


          गौरतलब है कि ब्यवसायी से पैसे के लेनदेन को लेकर दो पक्षों में आपसी विवाद था। दोनों में कहा सुनी होने पर पुलिस ने उनका शांतिभंग में चालान किया था।
विशुनपुरा थानाक्षेत्र के कस्बा दूदही के रवि वर्मा ने बताया कि उनका टेक्सी स्टैंड के किशोर नमाज ब्यक्ति से पैसे को लेकर झगड़ा हो गया था इसी मामले में दूसरे पक्ष ने थाने पर शिकायत की थी जिसमे दिनांक 06 सितम्बर 2021 को विशुनपुरा के सिपाही उमेश यादव व तीन अन्य पुलिस कर्मियों ने दूदही गिदहवाँ टेक्सी स्टैंड से स्वर्ण ब्यवसायी रवि वर्मा को पुलिस ने अभद्र गाली गुप्ता देते हुए पुलिस ने हिरासत में ले लिए और वाइक भी थाने ले गए थाने ले जाने के बाद रवि वर्मा का सोने का चैन सोने की अंगूठी और जेब रखा नगद मूल रकम 1800 सौ रुपया ले लिए और अगले दिन शांति भंग में चालान कर दिया गया स्वर्ण ब्यवसायी ने जमानत के बाद थाने जा कर अपना समान बाइक वापस मांगा तो सिपाहियों ने बाइक चैन अंगूठी के बदले 50 हजार रिश्वत की मांग की ब्यवसायी ने रिश्वत देने से मना किया तो सिपाहियों ने ब्यवसायी को पकड़ कर जम कर पट्टे और लाठी से पिटाई कर दी। जिससे स्वर्ण ब्यवसायी बेहोस हो कर जमीन पर गिर गया जिसके बाद सिपाहियों ने स्वर्ण ब्यवसायी के घर वालो को बुला कर ब्यवसायी को सौंप दिया गया और बाइक चैन अंगूठी लेने के लिए पुनः 50 हजार की मांग की गई है। इसके बाद ब्यवसायी ने इन रिश्वतखोर सिपाहियों की लिखित शिकायत पुलिस अधिक्षक कुशीनगर से की गई है। समाचार लिखे जाने तक शिकायत का निदान नही हो सका था।

Triple Murder: Kushinagar में ट्रिपल मर्डर से सनसनी, पत्नी और दो बच्चों की गला रेतकर हत्या**पत्नी ने पति को नपुंसक बना था, नाराज पति अपने दो बच्चों और पत्नी की गला रेत कर हत्या कर दी

तमकुहीरोड पेंचर की दुकान में फंदे से लटकता मिला युवक का शव, घरवालों को सुबह मिली जानकारी

तमकुहीरोड पेंचर की दुकान में फंदे से लटकता मिला युवक का शव, घरवालों को सुबह मिली जानकारी

      वारदात की Exclusive तस्वीर sek news
कुशीनगर के सेवरही थाना क्षेत्र के तमकुहीरोड पूर्वी रेलवे ढाला के दक्षिण पेंचर की दुकान में एक 25 वर्षीय युवक का शव पंखे से लटकता मिला। परिजनों ने हत्या करने शक जताया है। सुबह परिजनों को इसकी जानकारी होने के बाद परिवार में कोहराम मच गया। 
सेवरही थाना क्षेत्र के तमकुहीरोड पुरानी बाज़ार निवासी धीरज उम्र 25 पुत्र जयप्रकाश का शव एक पंचर की दुकान के पंखे से लटकता बरामद किया गया। सूचना पर थाना प्रभारी मय फोर्स पहुंच कर शव को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज कर पुलिस जांच में जुट गयी हैं।
गौरतलब है कि कल दिनांक 18 अगस्त 2021 की शाम को धीरज घर से निकले देर रात तक धीरज घर नही लौटे तो परिजन काफी चिंतित थे सुबह घटना की जानकारी होते ही परिवार में कोहराम मच गया।

दूदही, बाइक की टक्कर से महिला की मौत, ग्रामीणों ने चक्काजाम किया

बाइक की टक्कर से महिला की मौत, ग्रामीणों ने चक्काजाम किया


कुशीनगर जनपद के थाना विशुनपुरा क्षेत्र के बड़हरा उमा बाबू चौराहे के सामने बीते सोमवार रात करीब नौ बजे दूदही पडरौना रोड पर अनियंत्रित बाइक ने  एक महिला को टक्कर मार दी। हादसे में महिला की मौत मौके पर ही हो गई बाइक पर सवार तीन युवकों में से एक युवक टक्कर के वक्त ही वहाँ गिर गया जिसको स्थानीय लोगो ने पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया जबकि महिला के साथ आ रही महिलाएं भी गंभीर रूप से घायल हो गई। हादसे से नाराज लोगों ने आज पडरौना तमकुही मार्ग पर चक्काजाम कर दिया।  23/8/2021 को रात्रि 9 बजे बड़हरा टोले की चार महिलाएं अपने घर के समीप रोड के किनारे टहल रही थी कि तभी अचानक तेज़ गति से एक पल्सर बाइक चारों महिलाओं से आ टकराई जिसमें शिला देवी पत्नी शुकयी उम्र 45 वर्ष की मौके पर ही मौत हो गई जबकि राखी बांधने माईके  में आई शुसीला देवी उम्र 20 वर्ष का पैर फैक्चर हो गया और सर मैं भी चोटे आई है वहीं कुन्ती देवी 40 वर्ष तथा काजल देवी उम्र 20 वर्ष को भी गंभीर चोटे आई है जिनका इलाज चल रहा है।
दुर्घटना में मृत महिला शीला देवी के पति शुकयी अपने बच्चों के परवरिश खातिर बैंगलोर कमाने गया हुआ है और शीला देवी के छः बच्चे हैं संजय कुमार 22 वर्ष कु नितू 17 वर्ष कु सोनम 16 वर्ष कु करीना 12 वर्ष चन्दन 5 वर्ष तथा मल्लू 3 वर्ष ।
इन बच्चों का चीख पुकार सुनकर वहां मौजूद लोगों की आंखें भर आईं अब इन मासूमों को कौन और कैसे संभालेगा । आक्रोशित ग्रामीणों ने 24/8/2021 को सुबह से ही शव को तमकुही, पडरौना मुख्य मार्ग पर रख कर रोड़ जाम कर दिए ।बिशुनपुरा थानाध्यक्ष अनिल कुमार उपाध्याय , एस आई निरंजन कुमार राय,एस आई अखिलेश यादव बरवापटी थाना सहित दोनों थाने से भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात रहें। काफी मुश्किल से डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका एक बार तो कुछ लोगों द्वारा आटो रिक्शा से डेड बॉडी उतार कर पुनः सड़क जाम कर दिया गया था।
दुर्घटना के समय बाइक पर पीछे बैठे लड़के का बैलेंस बिगड़ा और वो नीचे गिर पड़ा जिसे ग्रामीणों ने पुलिस को सौंप दिया ।
थानाध्यक्ष अनिल कुमार उपाध्याय ने पंचनामा पोस्टमार्टम के लिए भेजते हुए कहा कि बहुत जल्द ही उक्त बाइक चालक को भी बाइक सहित अरेस्ट कर लिया जाएगा। उपाध्याय ने पिड़ीत परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए हर प्रकार की सहायता करने का असवाशन दिया।

कुशीनगर दूदही: घटना के 6 घण्टे बाद पहुंची NDRF की टीम दो बच्चों की तलाश जारी

4 मासूम बच्चों को लेकर महिला ने नहर में लगाई छलांग, एक साल का नवजात बच्चा भी था साथ

घटना के 6 घण्टे बाद पहुंची NDRF की टीम दो बच्चों की तलाश जारी


जबरन पुलिसिया समझौता से नाराज थी महिला सूत्र

लोगो के मुताबिक महिला विशुनपुरा थाना क्षेत्र के दशहवाँ (धोबिघटवा) गांव की रहने वाली है।

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से एक सनसनीखेज मामले सामने आया है, जहां एक महिला अपने चार बच्चों के साथ दूदही चटगंवा गंडक नहर में कूद गई. पूरा मामला सोमवार दोपहर का है. बताया जा रहा है कि महिला घरेलू विवादों से परेशान थी, जिसकी वजह से उसने ऐसा दिल दहला देने वाला कदम उठाया।  मिली जानकारी के अनुसार मां के साथ नहर में कूदे दो बच्चे को बचा लिया गया है जबकि उसके दो अन्य बच्चों की तलाश की जा रही है। महिला और दो बच्चों का इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दूदही में चल रहा है।

बरवापट्टी थाना क्षेत्र के दशहवा गांव के धोबीघटवा टोला निवासी उमेश बैठा रोजगार के सिलसिले में बाहर है। घर में उनकी पत्नी सुनीता उम्र (35) चार बच्चे सोनी उम्र (6), शिवानी उम्र (4), सलोनी वर्ष (2) और राकेश उर्फ खेसारी वर्ष (एक) के साथ रहती है। कहा जा रहा है कि उसका कई दिनों से सास लाइची देवी से किसी बात को लेकर झगड़ा चल रहा है।

जबरन पुलिसिया समझौता से नाराज थी महिला सूत्र

सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार महिला और इसकी सास से काफी दिनों से विवाद चल रहा था सूत्रों के अनुसार महिला बरवापट्टी थाने पर इसकी शिकायत दर्ज कराई थी जिसमे पुलिस द्वारा जबरन समझौता कराने का समाचार सामने आया यह बात कितनी सच है ये जांच के बाद ही पता चल पाएगा। फिलहाल NDRF की टीम मौके पर पहुंच कर लापता बच्चो की तलाश कर रही है।


कुशीनगर दूदही: 4 मासूम बच्चों को लेकर महिला ने नहर में लगाई छलांग, एक साल का नवजात बच्चा भी था साथ

4 मासूम बच्चों को लेकर महिला ने नहर में लगाई छलांग, एक साल का नवजात बच्चा भी था साथ

जबरन पुलिसिया समझौता से नाराज थी महिला सूत्र

लोगो के मुताबिक महिला विशुनपुरा थाना क्षेत्र के दशहवाँ (धोबिघटवा) गांव की रहने वाली है।

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से एक सनसनीखेज मामले सामने आया है, जहां एक महिला अपने चार बच्चों के साथ दूदही चटगंवा गंडक नहर में कूद गई. पूरा मामला सोमवार दोपहर का है. बताया जा रहा है कि महिला घरेलू विवादों से परेशान थी, जिसकी वजह से उसने ऐसा दिल दहला देने वाला कदम उठाया।  मिली जानकारी के अनुसार मां के साथ नहर में कूदे दो बच्चे को बचा लिया गया है जबकि उसके दो अन्य बच्चों की तलाश की जा रही है। महिला और दो बच्चों का इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दूदही में चल रहा है।

बरवापट्टी थाना क्षेत्र के दशहवा गांव के धोबीघटवा टोला निवासी उमेश बैठा रोजगार के सिलसिले में बाहर है। घर में उनकी पत्नी सुनीता उम्र (35) चार बच्चे सोनी उम्र (6), शिवानी उम्र (4), सलोनी वर्ष (2) और राकेश उर्फ खेसारी वर्ष (एक) के साथ रहती है। कहा जा रहा है कि उसका कई दिनों से सास लाइची देवी से किसी बात को लेकर झगड़ा चल रहा है।

जबरन पुलिसिया समझौता से नाराज थी महिला सूत्र

सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार महिला और इसकी सास से काफी दिनों से विवाद चल रहा था सूत्रों के अनुसार महिला बरवापट्टी थाने पर इसकी शिकायत दर्ज कराई थी जिसमे पुलिस द्वारा जबरन समझौता कराने का समाचार सामने आया यह बात कितनी सच है ये जांच के बाद ही पता चल पाएगा। फिलहाल NDRF की टीम मौके पर पहुंच कर लापता बच्चो की तलाश कर रही है।

घटना के 6 घण्टे बाद पहुंची NDRF की टीम दो बच्चों की तलाश जारी


दूदही CHC के लापरवाह डॉक्टर, को वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए भटक रहे मरीजो में आक्रोश

दूदही CHC के लापरवाह डॉक्टर, को वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए भटक रहे मरीजो में आक्रोश

दूदही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की मनमानी से बेहाल हो गया है। मरीज बेबस हैं। स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाएं भी नदारद हैं। हालत यह है कि मरीजों को निजी अस्पतालों की सेवाएं लेनी पड़ रही हैं जिससे मरीजों को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है। डॉक्टरों की लापरवाही से लोगों में आक्रोश है। आपको बताते चले कि एक माह पूर्व दूदही कस्बा निवासी आशीष जायसवाल, अमरदीप, गीता देवी,हरिश्चन्द्र, दीपक ने कोविड वैक्सीन लगवाया था और दूसरी डोज के लिए 03 अगस्त 2021 को दुबारा दूदही सरकारी अस्पताल पँहुचे तो यहाँ कार्यरत डॉक्टर और स्टॉप ने कहाँ की आपका रजिस्टेशन तो हुआ ही नही है आपको एक माह बाद दूसरी डोज लगाया जाएगा। ये सुन कर लोगो के होश उड़ गए लोगो ने दूदही CHC प्रभारी AK पांडेय से मोबाइल पर वार्ता कर अपनी आप बीती बताए कहा कि लापरवाही डाक्टरो की है हमारी नही हमको तो कार्ड मिला है इतना सुनते ही प्रभारी भड़क गए और बोले कि तुमको जो करना है करलो हम एक सप्ताह बाद आएंगे हमसे आ कर मिलना प्रभारी के इस रवैये से लोग काफी आहात है। इस तरह कितने मरीज दर दर भटक रहे है। बात यही खत्म नही होती लोगो का आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टर कब आते हैं और कब चले जाते हैं इसका पता ही नहीं चलता। स्वास्थ्य केंद्र लेबोरेटरी इंचार्ज नहीं मिलने से दूरदराज क्षेत्र से आए मरीजों को निराश होना पड़ता है। यहां एक्स-रे मशीन होने के बाद भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। मरीजों को निजी लेबोरेटरी से एक्स-रे कराना पड़ता है। डॉक्टरों एवं टेक्नीशियनों की लापरवाही की शिकायत कई बार नागरिकों ने सीएम हेल्पलाइन पर भी की लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। विगत दिनों स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा अस्पताल की आकस्मिक चेकिंग की गई थी। तब भी डॉक्टर नदारद थे। लेकिन इसके बाद भी डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

         डॉक्टरो द्वारा जारी, को वैक्सीन कार्ड🖕

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प्रशासन और पब्लिक के बिच बवाल होने का खतरा टला, भाजपा सरकार में तहसीलदार के सौतेले ब्यवहार से लोगो मे आक्रोष

प्रशासन और पब्लिक के बिच बवाल होने का खतरा टला, भाजपा सरकार में तहसीलदार के सौतेले ब्यवहार से लोगो मे आक्रोष
भाजपा सरकार में दलित विधवा बुजुर्ग महिला के साथ तहसीलदार के सौतेले ब्यवहार से लोगो मे आक्रोष ब्याप्त है

कुशीनगर जनपद के नव निर्मित नगर पंचायत दूदही के जिरात में वर्षो से रह रही एक बुजुर्ग दलित विधवा महिला के साथ तहसीलदार तमकुहीराज के द्वारा सौतेला ब्यवहार करते हुए दलित महिला का घर तोड़वाने का आदेश दिए जाने का सनसनीखेज खबर प्रकाश में आया है।
मिली जानकारी के अनुसार पडरौन मडूरही जिरात के सीलिंग की भूमि पर वैसे तो हजारो के तादात में पक्के घर बने हुए है यहाँ के लोगो ने बताया कि दिलीप नगर कुडवा स्टेट के आश्रितों के द्वारा बारी बारी से पडरौन मडूरही जिरात सीलिंग के जमीन को मोटी रकम लेकर बेचा जाता है जो जग जाहिर है। आपको बताते चले कि कुछ बिचौलियों द्वारा सीलिंग का सैकड़ो एकड़ जमीन अवैध तरीके से बेची जा चुकी है जिस पर हजारो की संख्या में आज बड़े बड़े पक्के मकान बने हुए है। सीलिंग के सटे आराजी नम्बर 562 परती की जमीन में एक विधवा बुजुर्ग दलित महिला ने भी अपना घर बना कर बर्षो से गुजर बसर कर रही है पीड़िता के अनुसार महेंद्र सिंह के द्वारा महिला से पैसा मांगा गया था जैसा कि और लोगे ने भी पैसा दे कर अपना घर बनाया है पीड़ित महिला का कहना है कि मैंने भी 5 लाख 60 हजार रुपया जमीन के बदौलत मजबूर करके लिया गया है पीड़ित से और पैसों की मांग की जा रही थी महिला पैसा नही दे पायी तो इन बडे राजाओ के रसूख बड़े बड़े लोगो से होने के वजह तहसीलदार तमकुहीराज से महिला का घर सीलिंग की जमीन में बता कर घर तोड़वाने का आदेश देने के मामले में लोगो गुस्सा फूटा। मजे की बात तो यह है कि यहाँ सीलिंग में हजारो घर बने है और बन रहे है लेकिन सबका मकान छोड़ कर सिर्फ इस दलित बुजुर्ग विधवा महिला का घर तोड़ने का तहसीलदार के द्वारा आदेश दिये जाने का मामला सामने आया है। इस आदेश से साफ है कि दलित महिला के साथ सौतेला ब्यवहार हो रहा है क्यो महिला के घर के अगल बगल सैकड़ो पक्के मकान बने हुए है परंतु सबका घर छोड़ कर सिर्फ गरीब असहाय दलित महिला का घर तोड़ने के आदेश से कस्बा में खलबली मची हुई इस आदेश को लेकर लोगो मे काफी आक्रोश ब्याप्त है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि रविवार को तहसीलदार के आदेश पर कई थानो की फोर्स विशुनपुरा थाने पहुंची थी परंतु कस्बा के लोगो का आक्रोष की भनक बड़े बड़े भाजपा के नेताओ को हुई और नेताओं ने मामले का संज्ञान लेकर उच्च अधिकारियों से बात चित की जिसके बाद प्रशासन को पीछे हटना पड़ा तब जा कर स्थानीय लोगो का गुस्सा सांत हुआ। लोगो का कहना है कि सिर्फ पीड़ित महिला पर कार्यवाही हुई होती तो भारी बवाल होने का अंदेशा था जो अब लगभग टल गया है।

           उपजिलाधिकारी का आदेश
पीड़ित महिला ने उपजिलाधिकारी तमकुहीराज को ज्ञापन सौंप कर न्याय की गुहार लगाई थी जिस पर उपजिलाधिकारी के द्वारा तहसीलदार को आदेशित किया गया है कि नियमानुसार कार्यवाही करें।

      भाजपा प्रवक्ताओ ने हिस्सा लिया।

 1- राजन जायसवाल ने कहा कि किसी भी कीमत पर भाजपा सरकार में किसी के साथ ना इंसाफी हुई तो बर्दाश्त नही किया जाएगा। 

2- भाजपा प्रवक्ता मनोज कुंदन ने इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए मनोज कुंदन की टीम ने तहसीदार से मिल कर हाल का जायजा लिया और नियमानुसार कार्यवाही करने की बात कही और कहा कि किसी के साथ प्रशासन सौतेला रवैया अपनाता है तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

3-  पूर्व प्रधान प्रतिनिधि शिवशंकर कुशवाहा ने भी गुस्साए लोगो को सांत कराया और हर सम्भव मदद करने का आश्वासन देते हुए पीड़ित महिला के साथ खड़े रह कर हौसला बढ़ाये। 
इसी क्रम में स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और तहसीलदार के सौतेले रवैये की सख्त शब्दो मे निंदा की। समाचार लिखे जाने तक मौके पर शांति ब्यवस्था कायम रही।
दलित विधवा महिला पर तहसीलदार के सौतेले रवैये से क्षेत्र वासियो में आक्रोश, बवाल का अंदेशा

कुशीनगर जनपद के नव निर्मित नगर पंचायत दूदही के जिरात में वर्षो से रह रही एक दलित विधवा महिला के साथ तहसीलदार तमकुहीराज के द्वारा सौतेला ब्यवहार करते हुए दलित महिला का घर तोड़वाने का आदेश देने का समाचार प्रकाश में आया है।
मिली जानकारी के अनुसार पडरौन मडूरही जिरात के सीलिंग की भूमि पर वैसे तो हजारो के तादात में पक्के घर बने हुए है यहाँ के लोगो ने बताया कि दिलीप नगर कुडवा स्टेट के आश्रितों के द्वारा बारी बारी से पडरौन मडूरही जिरात सीलिंग के जमीन को मोटी रकम लेकर बेचा जाता है जो जग जाहिर है कुछ बिचौलियों द्वारा सीलिंग का सैकड़ो एकड़ जमीन अवैध तरीके से बेची जा चुकी है जिस पर हजारो की संख्या में आज बड़े बड़े पक्के मकान बने हुए है। सीलिंग के सटे आराजी नम्बर 562 परती की जमीन में एक विधवा बुजुर्ग दलित महिला ने भी अपना घर बना कर बर्षो से रह रही है इसी दरमियान महेंद्र सिंह के द्वारा महिला से पैसा मांगा गया था महिला पैसा नही दे पायी तो इन बडे राजाओ के रसूख बड़े बड़े लोगो से होने के वजह तहसीलदार तमकुहीराज से मिल कर महिला का घर सीलिंग की जमीन में बता कर तोड़वाने का आदेश देने का मामला सामने आया है। मजे की बात तो यह है कि यहाँ सीलिंग हजारो घर बने है और बन रहे है लेकिन सबका मकान छोड़ कर सिर्फ इस दलित महिला का घर तोड़ने का तहसीलदार के द्वारा आदेश दिया गया है इस आदेश से साफ है कि दलित महिला के साथ सौतेला ब्यवहार हो रहा है क्यो महिला के घर के अगल बगल सैकड़ो पक्के मकान बने हुए है परंतु सबका घर छोड़ कर गरीब असहाय दलित महिला का घर तोड़ने के आदेश से कस्बा में खलबली मची हुई लोगो मे काफी आक्रोश ब्याप्त है। विशेष सूत्रों के हवाले से खबर है कि कल रविवार को अगर सिर्फ महिला पर कार्यवाही हुई तो भारी बवाल होने का अंदेशा है।

अमीरों के जूते गरीबो के सर पर सदा से रहे हैं। क्या सदा तक रहेगें ?

Sek in india news अमीरों के जूते गरीबो के सर पर सदा से रहे हैं। क्या सदा तक रहेगें ?
जमीदारों की जमीनी हकीकत का जिता जागता नमूना, जो देखेगा तो यह नही कहेगा कि अभी हमने जी भर के देखा नही। हमारा देश आजाद तो हो गया  लेकिन जमीदारो की कुचकी चक्रवात से गरीबो को निजात अब तक नही मिला, क्या नई सरकार गरीबो को निजात दिला पाएगी ?

 दुदही जनपद कुशीनगर। अमीरो के जूते गरीबो के सर पर सदा से रहे है। ऐसा लगता है की सदा तक रहेगें। सरकार सरकसो को सर करने के लिए कानून बनाती है।उसी कानून को ढाल बनाकर सरकसी करने वाले लोग अपने मकसद में कामयाब होते रहते है। आज कल लोग अपने दुश्मनो को शिकस्त कर जेल भेजवाने के लिए हरिजन उत्पीड़न, महिला उत्पीड़न जैसे जघन्य अपराधिक धाराओ में जेल भेजवाने के लिए पैसे को पानी की तरह बहा कर अपने मकशद में कामयाब हो कर अपने जित का जश्न मनाते है।
दूसरी तरफ हक और इंसाफ की लड़ाई लड़ने वाला आदमी हरिजन उत्पीड़न, महिला उत्पीड़न का शिकार होता है।
इसी क्रम में थाना विशुनपुरा अंतर्गत ग्राम बांसगांव टोला गीदहवां निवासी स्व नूर मियां नामक गरीब बेसहारा आदमी कुडवां स्टेट की भूमि जिसे सरकार ने वर्षो पूर्व में सीलिंग में निकाल दिया स्टेट के द्वारा हाईकोर्ट में मुकदमा किया गया तथा सरकार और जनता के आँख में धूल झोंक गैर कानूनी तरीके से धीरे धीरे आधे से अधिक जमीन को बिना कागज पत्र के बेंच दिया गया। नूर मियां भी कुछ जमीन स्टेट के बाबू साहब से खरीदी, पैसे के अभाव में जमीन पर पक्का निर्माण नही करा पाए। और अब जब निर्माण कराने लगे तो बाबू साहब के मैनेजर व सिपाही रोक दिए, बताते चले की जितने भी लोग सीलिंग की जमीन बाबू साहब से खरीदे हैं उन सब को खरीदते समय कोई कागज नही दिया गया है। बाबू साहब के बाद मैनेजर साहब भी पैसा लेते आये है। अलग सिपाही लोग भी पैसा लेते है। इसी क्रम में बाबू साहब का डिमांड भी बढ़ा दी। उसके बाद भी स्टेट के बाबू साहब के लालची मैनेजर व सिपाही निर्माण करने से मना किये। नही मानने पर नूर मियां के पनाती को पुलिस से पकड़वा दिए। पुरे मामले को स्थानीय पुलिस ने संज्ञान में लिया। विशुनपुरा पुलिस ने पकड़े गए आदमी को अगले दिन कुछ रूपये लेकर छोड़ दिया गया जैसा की सूत्रो ने बताया। सूत्रो ने यह भी बताया की नूर मियां के परिवार वालो से स्टेट के मैनेजर द्वारा अलग से कुछ पैसो की डिमांड की गई, डिमांड नही पूरा करने पर नूर मियां के पनाती द्वारा कराये जा रहे कार्य को रोका जाने लगा। इसी बात को लेकर बात बात में बतबढ़ हो गई बात बात में हो गई रार्र। काम रोकने के लिए स्टेट के मैनेजर के आदेश पर हमीद नामक सिपाही जबरन काम रोकने लगा न रुकने पर हवा में लाठी भांजने लगा और कई लोग घायल हो गए गुस्साए लोगो ने भी सिपाही की जमकर खातिदारी की। सिपाही लहू लुहान हो गया।सूत्र यह भी बताते है कि कुडवां स्टेट के बाबू साहब के जिरात में बाढ़ से घर से बेघर हुए यूपी बिहार के सीमावर्ती गरीब लोग बाबू साहब से जमीन खरीद कर बसने लगे स्टेट ने बिक्री किये जमीन का कोई कागज पत्र किसी को नही दिया। लोग जमीन खरीदते समय पैसे देते फिर बनाते समय भी पैसे देते ऐतराज करने वालो को उजाड़ देने की धमकी दी जाती, लोग सहम जाते मकान बनवाते समय बलरेज निकालने का अलग से पैसा लोगो को देना पड़ता है। इसी नियम और स्टेट द्वारा बनाये गए कानून से आज तक जमीन बेचीं जाती है। कुडवां स्टेट के बाबू साहब द्वारा नूर मियां के परिवार वालो को सबक सिखाने के लिए बाबू साहब का नौकर जो जाती का मुसहर है के नाम से तहरीर दे कर हरिजन उत्पीड़न का फर्जी मामला दर्ज कराया गया। मैनेजर साहब ने उन लोगो का नाम दर्ज कराया जिनसे उनको पुरानी दुश्मनी थी अथवा जो मौके पर नही थे। समाचार लिखे जाने तक मामला विचारा धिन था। समस्त विषय प्रकरण जांच का विषय है जांचोपरांत ही पता चल जायेगा की जमीनी हकीकत क्या है। बसर्तें की जांच अधिकारी ईमानदार हो।
इसी सम्बन्ध में तकरीबन 2 साल पहले कुल आठ लोगो पर स्थानीय थाना विशुनपुरा में धारा 504,506,AC एक्ट यानि हरिजन उत्पीड़न के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया है इस मुकदमे में उनका भी नाम है जिनका दूर दूर तक इससे कुछ लेना देना नही है। अब हाल ही में जुलाई 2021 में तुर्कपट्टी थाना में भी इसी तरह का मामला सामने आया है जिसमे कुडवा स्टेट के महेंद्र प्रताप के द्वारा किसी गोंड जाती के द्वारा तहरीर देकर पडरौन मडूरही जिरात के दो लोगो पर फर्जी मुकदमा लिखवाने का समाचार प्रकाश में आया है। इन लोगो का कसूर बस इतना है कि ये लोग एक अबला नारी को उसका हक दिलाने के लिए कुछ दिन से लगे है परंतु इन लोगो को डराने और धमकाने के लिए फर्जी तहरीर के आधार पर स्टेट के लोगो द्वारा फसाये जाने का मामला प्रकाश में आया है। अभी तो यह ट्रेलर है इस तरह के सैकड़ो मामले आपको स्टेट के द्वारा थाना विशुनपुरा में फर्जी मुकदमा लिखवाने के मामले है। कुडवां स्टेट द्वारा ग्रामसभा पडरौन मडूरही तप्पा रामपुर रोगहा सिधुआ जोबना तहसील तमकुहीराज जनपद कुशीनगर में स्थित सीलिंग की जमीन को आधे से अधिक जमीन को स्थानीय लेखपाल/कानूनगो की मिली भगत से बेचा जा चूका है जो गैर कानूनी है। शासन प्रशासन इसको नजर अंदाज आज तक क्यों कर रही है यह भी जांच का विषय है।

रास्ते पर बह रहा गंदा पानी, बजबजाती नालियां

रास्ते पर बह रहा गंदा पानी, बजबजा रही नालियां

खबर के साथ छपी फोटो पर गौर करें। यह तस्वीर दूदही ब्लॉक के नव निर्मित नगर पंचायत दूदही के गांधी चौक राजन मिष्ठान भंडार की पीछे की है। यहां रास्ते पर भरा पानी और गंदगी से पटी बजबजाती नालियां स्वच्छता कार्यक्रम व विकास कार्यो की पोल खोल रही हैं। ये जगह दो ग्राम पंचायतों के बीच स्थित यह जगह अपेक्षा का शिकार आज तक रहा है। यहां के लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं।
दूदही ब्लॉक के नगर पंचायत दूदही व बांसगांव के बीच की स्थिति बदहाल है। यहां मुख्य सड़क पर जलभराव व गंदगी इस कदर है कि लोगों का रास्ता चलना भी दूभर है। चारों ओर पसरी पड़ी गंदगी स्वच्छ भारत अभियान को मुंह चिढ़ा रही है। यहां के लोगों को स्वच्छ पेयजल की भी किल्लत झेलनी पड़ रही है। नल के चारों ओर बजबजाती गंदगी व बदबू पेयजल को दूषित कर रही है। उमेश व योगेंद्र कहते हैं कि यहां पर कभी सफाई कर्मी नहीं आता है। नगर पंचायत की ओर से साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। पंडा बाबा व सुनील ने बताया कि सफाई के अभाव में नालियां चोक हो गई है, जिससे बाजार का गंदा पानी सड़क पर बह रहा है। साफ-सफाई न होने से संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। राजन व पवन कहते हैं कि नालियां चोक होने से गंदा पानी रास्ते पर भरा रहता है। इसी के बीच से लोगों को निकलना पड़ता है। नगर पंचायत अधिकारी ने बताया कि गंदगी के बारे में उन्हें कभी सूचित नहीं किया गया है। इस मामले को तत्काल संज्ञान में लेकर बाजार में टीम भेज कर सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराई जाएगी।

बाहरी दवाओं के भरोसे कुशीनगर जिला अस्पताल, सामान्य दवाओं को भी मोहताज हैं मरीज

बाहरी दवाओं के भरोसे कुशीनगर जिला अस्पताल, सामान्य दवाओं को भी मोहताज हैं मरीज

कुशीनगर: कुशीनगर के जिला अस्पताल का हाल बेहाल होता जा रहा है। दलालों का मंहगी दवाएं लिखवाने का दबाव और डॉक्टरों का बाहरी दवाओं में कमीशन होना रोगियों एवं उनके तीमारदारों की कमर तोड़ने का काम कर रहा है। अस्पताल की ऐसी हालत के बावजूद जिला प्रशासन जानबूझकर मुंह फेरे हुए है।

जनपद में बढ़ते संक्रामक रोगों के कारण रोगियों के आने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं अस्पताल निशुल्क दवाओं के नाम पर खोखला हो चुका है। आलम यह है कि साधारण बुखार और दर्द में दी जाने वाली सामान्य दवाईयां भी नहीं हैं। एेसे में जनता को सुलभ चिकित्सा का दावा की पोल खुलती नजर आ रही है। अस्पताल में आए मरीज रोज बाहर से दवाएं लेने को मजबूर हैं।
गौरतलब है कि दवा खत्म होने का यह सिलसिला पिछले वर्ष 2019 से लेकर अभी तक जारी है। बताते चलें कि जिला अस्पताल में आने वाली 138 दवाओं में कुल 18 दवाएं ही शेष रह गई हैं। अब वह भी समाप्ति की ओर हैं। जिले के आला अधिकारी को अस्पताल की इन समास्यायों के बारे में जानने के बावजूद अनजान बनने का प्रयास करते रहते हैं। वहीं जब इस मामले पर असपताल प्रशासन से बात करनी चाही तो किसी ने बात नहीं की और कहते रहे कि पूरे मामले की जानकारी शासन को है फिर भी कुछ कार्रवाई नहीं की जा रही है।
मरीजो से डॉक्टर साहब का दूरब्यवहार
आपको जानकर हैरानी होगी कि कोई मरीज गलती से भी डाक्टरो से पूछ लें कि दवा अस्पताल में मिलेगी या बाहर तो उस मरीज की खैर नही दिनांक 12 जुलाई 2021 को जिला अस्पताल के वार्ड नम्बर 37 में सुबह से ही भीड़ इकट्ठी रही और डॉक्टर साहब 11 बजे अस्पताल पहुंचे और आधा घण्टा बाद चाय नास्ता करने के बाद मरीजो को बारी बारी देखने का नम्बर आया तो डॉक्टर साहब किसी बात को लेकर परेशान थे और इलाज कराने आये मरीजो को फटकार लगाते हुए मात्र पांच मिनट में ही लगभग 10 मरीजो को इलाज को आस्वासन दे कर लौटा दिए लगभग लगभग सभी वार्ड के डॉक्टर साहब का ब्यहव्हार ऐसा ही है। हमे लगता है किसी को भी इस तरह इलाज कराने का शौक तो नही ही होगा। अधिक जानकारी के लिए जिला अस्पताल में इलाज करने अवश्य पधारे।
कलमकार की कलम से:- Mr. N Ansari

दूदही ब्लाक प्रमुख पद के दावेदार भाजपा समर्थित रमावती देवी 71 मत पाकर विजेता बनी

कुशीनगर के दूदही ब्लाक प्रमुख पद के दावेदार भाजपा समर्थित रमावती देवी 71 मत पाकर विजेता बनी

Kushinagar 2021 कुशीनगर में उम्‍मीदवारों की रातें जहां बीडीसी की अपने पक्ष में संंख्‍या जुटाने के लिए गुणा गणित में बीती वहीं अपने पाले के बीडीसी प्रत्‍याशियों की रखवाली भी अंतिम समय तक सियासी दलों के लिए चुनौती बनी रही।
भाजपा का बड़ा गढ़ साबित हुआ है। पंचायत चुनावों के अंतिम दौर में आज आनगर ब्‍लॉक प्रमुख पद पर मतदान हो रहा है। उम्‍मीदवारों की रातें जहां बीडीसी की अपने पक्ष में संंख्‍या जुटाने के लिए बीतीं तो वहीं अंतिम समय तक सियासी दलों के लिए बीडीसी को जुटाए रखना चुनौती बनी रही।

कुशीनगर में परिणाम घोषित : जिले के दूदही विकास खंड का परिणाम घोषित हो गया है। विकास खंड दूदही से भाजपा के रमावती देवी पत्नी लल्लन गोंड, 71 मत पाकर प्रमुख पद का चुनाव जीत गईं है वही माला देवी पत्नी सुनील गोंड को 67 वोट मिले है। जीत के बात समर्थकों में काफी उत्साह देखने को मिला।

वही चुनाव के बाद मतदान केंद्र पर बवाल होने की भी खबर आ रही है।

दूदही ब्लाक प्रमुख पद के दावेदार भाजपा समर्थित रमावती देवी 71 मत पाकर विजेता बनी

कुशीनगर के दूदही ब्लाक प्रमुख पद के दावेदार भाजपा समर्थित रमावती देवी 71 मत पाकर विजेता बनी

Kushinagar 2021 कुशीनगर में उम्‍मीदवारों की रातें जहां बीडीसी की अपने पक्ष में संंख्‍या जुटाने के लिए गुणा गणित में बीती वहीं अपने पाले के बीडीसी प्रत्‍याशियों की रखवाली भी अंतिम समय तक सियासी दलों के लिए चुनौती बनी रही।
भाजपा का बड़ा गढ़ साबित हुआ है। पंचायत चुनावों के अंतिम दौर में आज आनगर ब्‍लॉक प्रमुख पद पर मतदान हो रहा है। उम्‍मीदवारों की रातें जहां बीडीसी की अपने पक्ष में संंख्‍या जुटाने के लिए बीतीं तो वहीं अंतिम समय तक सियासी दलों के लिए बीडीसी को जुटाए रखना चुनौती बनी रही।

कुशीनगर में परिणाम घोषित : जिले के दूदही विकास खंड का परिणाम घोषित हो गया है। विकास खंड दूदही से भाजपा के रमावती देवी पत्नी लल्लन गोंड, 71 मत पाकर प्रमुख पद का चुनाव जीत गईं है वही माला देवी पत्नी सुनील गोंड को 67 वोट मिले है। जीत के बात समर्थकों में काफी उत्साह देखने को मिला।

वही चुनाव के बाद मतदान केंद्र पर बवाल होने की भी खबर आ रही है।

दूदही में दर्जनों मुन्ना भाई MBBS डाक्टरो की भरमार, कुशीनगर का स्वास्थ्य विभाग निरंकुश- आर.डी.एस शास्त्री की खास रिपोर्ट

दूदही में दर्जनों मुन्ना भाई MBBS डाक्टरो की भरमार, कुशीनगर का स्वास्थ्य विभाग निरंकुश
बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही दर्जनों पैथालॉजी
मुख्य सचिव मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार

           राधेश्याम शास्त्री स्वतंत्र पत्रकार      
         हिंदी साप्ताहिक शान ए कुशीनगर          
         बिशुनपुरा थाना/दुदही, (कुशीनगर)         

कुशीनगर के दूदही के खास सूत्रों के अनुसार कयीयों ने तो पैसे के बदौलत फर्जी डिग्रियां भी खरीद ली है और मरीजों की जिंदगी से कि कर रहे हैं।ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य महकमा ऐसे मुन्ना भाइयों से अंजान है, बल्कि हर‌ माह बंधी-बंधाई ‌रकम लेकर
कुशीनगर जनपद में स्वास्थ्य विभाग की मिली -भगत से सैकड़ों निजी पैथालॉजी, एक्सरे एवं अल्टासाउंड केंद्र कुकुरमुत्ते की तरह चलाया जा रहा है। जिससे गरीबों को इलाज के नाम पर जमकर लुटा जा रहा है। साथ ही इससे अब तक करीब मरीज काल के गाल में समा चुके हैं। ऐसे अवैध धंधेबाजों के खिलाफ आखिर प्रशासन क्यों कार्रवाई नहीं कर रहीं हैं।यह समझ से परे है।
कुशीनगर जनपद के दूदही में करीब सैकड़ों अस्पताल ऐसे हैं जिनके संचालकों द्वारा ही मरीजों का‌ इलाज किया जाता है। जबकि ऐसे लोगों में अधिकांश के पास न तो बैध  डिग्री है और न ही रजिस्ट्रेशन। यहां तक की डायग्नोस्टिक सेंटर भी बिना किसी ‌डिग्री या‌ विशेषज्ञ के ऐसे लोगों के द्वारा चलाया जा रहा है।जिनका पूर्व में ऐसे पेशे से कोई दूर दूर तक का रिश्ता नहीं रहा।
इस गोरखधंधे को फलने-फूलने का भरपूर अवसर देता रहता है। कभी-कभार कार्रवाई  भी  तभी होती है जब किसी का सुविधा शुल्क तय समय के मुताबिक नहीं पहुंच पाता। इतना ही नहीं जब कोई कार्रवाई होनी होती है चाहें स्थानीय स्तर से हो‌ या बाहरी बीच द्वारा इन मुन्ना भाइयों को जांच टीम के पहुंचने के पूर्व ही सूचनाएं मिल जाती है और ऐसे में इन सेंटरों पर पहले से ही  ताले लटक  जाते हैं।
मालूम हो कि शासन ने अवैधानिक रूप से चल रहे नसि॔गह़ोमों तथा पैंथालोजी सेंटर की जांच का आदेश व कार्रवाई करने का  आदेश समय-समय पर देता रहा है। जिससे पूरे क्षेत्र इन पैथालॉजी सेंटरों की दुकान अस्पतालों के पास ही है। जहां चित्र की पची॔ पर तत्काल जांच की जाती है।इन  केन्द्रों पर सुगर,खून, पेशाब, मलेरिया,गले, एक्सरे,अलटासाउंड के अलावा ‌लिंग परीक्षण की भी सुविधा उपलब्ध है। लेकिन पैथालॉजी के कर्मचारी रिपोर्ट देने के बजाए केवल  स्क्रीन पर दिखा देता है।और चार सौ लेकर एक हजार तक रुपए लेता है। यही हाल सूगर, ब्लड, पेशाब, मलेरिया, टायफाइड, गले ऱ़ोगों की है। जहां मुंहमांगा दाम वसूला जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो रिपोर्ट दी जाती है उस पर डाक्टर के हस्ताक्षर को अपठनीय बना दिया जाता है। जिससे उनकी रिपोर्ट महज मरीज को सांत्वना भर‌ दे जाती है और किसी सरकारी विभाग अध॔सरकारी विभाग में नौकरी पेशा ‌वाले आदमी नहीं लगा पाते। जिससे इन  मरीजों का शोषण अस्पताल कर्मचारियों की मिली-भगत से हो रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता व कथित लापरवाही के कारण   दुदही,सेवरही, तमकुही राज‌‌, खड्डा, नेबुआ‌ नौरंगिया, फाजिल नगर, हाटा, कप्तानगंज, व पडरौना के ग्रामीण इलाकों व बाजारों में इन दिनों अवैध रूप से बिना अनज्ञपति की दवा दुकानों एवं फजी॔ झोला छाप चिकित्सकों की बाढ़ सी आ गई है। बाजार हो या ग्रामीण इलाकों दोनों में ही अवैध दवा दुकानों ‌व  नीम हकीम खानदानी बैद्य, फर्जी चिकित्सकों की संख्या तकरीबन सौ के ‌आस-पास पहुंच गई है। जो क्षेत्र के गरीब,निरीह एवं पीड़ित दलित लोगों की अज्ञानता  एवं अंध विश्वास तथा विवशता का फायदा उठाकर खुलेआम उनका शोषण कर रहे हैं।‌गौर तलब है कि बिना अनुज्ञप्ति प्राप्त किए दवा की दुकानें बिहार औषधि अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुए बिना किसी  रोक-टोक से चल रही है।ऐ सी दुकानों में मरीजों का शोषण किया जाता है।
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि अधिकांश दुकानदारों द्वारा उत्तर प्रदेश से नकली एवं  एक्सपायरी तथा फिजिशियन सेम्पल की  दवा भी  बेची जा रही है।क्षेत्र में ऐसी चर्चा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग तथा जिला प्रशासन द्वारा साल दो साल में एक छोटी मछली (दवा) दुकान को पकड़ कर डृग इंस्पेक्टर अपनी खाना पूर्ति कर लेते हैं। बड़ी-बड़ी दुकानों पर तों वे झांकने तक नहीं जाते। क्योंकि वहां से सलामी हेड क्वार्टर पर पहुंच जाता है।जिन कारण वे इन बड़ी दुकानों पर ध्यान नहीं करता हैं।
विदित हो कि दवा बिक्रेता‌  ऐसे अनभिज्ञ तथा अशिक्षित गरीब वर्ग के लोगों को नकली व एक्सपायरी  दवा थमा देते हैं।नतीजतन इसके सेवन से नये-नये रोग उभरकर सामने आ जाते हैं, जो बाद में असहाय एवं गम्भीर रूप ‌अखतियार कर लेता है। फजी॔‌ चिकित्सक के चिकित्सक के चंगुल में अशिक्षित गरीब ग्रामीण महिला तथा मज़दूर किस्म के लोग ही अधिकांश फसते हैं।इन चिकित्सकों का धंधा है कि किसी भी ग़रीब मरीज को कोई भी बीमारी हुई  हो तो उसे दो,तीन  सूई,दो चार बोतल पानी चढ़ाकर  मोटी रकम लेकर आथि॔क शोषण ‌करना, ऐसे चिकित्सक के पास न कोई डिग्री ‌डिप्लोमा है और न ही किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सा संस्थान ‌का ‍पंजीयन ही। चर्चा है कि कुछ दिन किसी चिकित्सक के ‌यहां काम करने वाले कम्पाउन्डर‌ या नर्स की  क्लिनिक  खोलकर ‌चिकितसक बन जाते हैं।
बताया जाता है कि इन फजी॔ चिकित्सकों को अपने दलाल भी होते हैं  जो ग्रामीण परिवेश में पुरुष व महिला मरीजों को बहला-फुसलाकर नीम -हकीम, तथा बैद्य के क्लिनिक में ले जाते हैं। बदलें में उन्हें कमीशन दिया जाता है। वहीं कुछ फर्जी चिकित्सकों की आड़ में छिपे रूप से गभ॔पात भी कराते हैं, तथाजि ए्वज में मोटी रकम लेते हैं। इसके बाद भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के सर पर जूं तक नहीं रेंगते  हैं।
क्षेत्र के ग्रामीण जनता , समाजसेवियों, जन-प्रतिनिधियों ने एक स्वर से हिंदी ‌दैनिक  अमिट‌‌ रेखा समाचार पत्र के माध्यम से माननीय मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार से कुशीनगर जनपद  के अप्रशिक्षित बिना ‌मान्यता प्राप्त झोला छाप डाक्टरों व स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह ‌व निरंकुश अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ निष्पक्ष व निर्भीक रुप से ‌जांच-पड़ताल कराकर इन हत्यारे ‌रूपी डाक्टरों के खिलाफ विधिक कार्यवाही करने की पुरजोर मांग किया है।
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क्रमशः शेष अगले अंक में
मोबाइल वाट्सएप नम्ब र
८०५२८५५२५९

दूदही में दर्जनों मुन्ना भाई MBBS डाक्टरो की भरमार, कुशीनगर का स्वास्थ्य विभाग निरंकुश- आर.डी.एस शास्त्री की खास रिपोर्ट

दूदही में दर्जनों मुन्ना भाई MBBS डाक्टरो की भरमार, कुशीनगर का स्वास्थ्य विभाग निरंकुश
बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही दर्जनों पैथालॉजी
मुख्य सचिव मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार

           राधेश्याम शास्त्री स्वतंत्र पत्रकार      
         हिंदी साप्ताहिक शान ए कुशीनगर          
         बिशुनपुरा थाना/दुदही, (कुशीनगर)         

कुशीनगर के दूदही के खास सूत्रों के अनुसार कयीयों ने तो पैसे के बदौलत फर्जी डिग्रियां भी खरीद ली है और मरीजों की जिंदगी से कि कर रहे हैं।ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य महकमा ऐसे मुन्ना भाइयों से अंजान है, बल्कि हर‌ माह बंधी-बंधाई ‌रकम लेकर
कुशीनगर जनपद में स्वास्थ्य विभाग की मिली -भगत से सैकड़ों निजी पैथालॉजी, एक्सरे एवं अल्टासाउंड केंद्र कुकुरमुत्ते की तरह चलाया जा रहा है। जिससे गरीबों को इलाज के नाम पर जमकर लुटा जा रहा है। साथ ही इससे अब तक करीब मरीज काल के गाल में समा चुके हैं। ऐसे अवैध धंधेबाजों के खिलाफ आखिर प्रशासन क्यों कार्रवाई नहीं कर रहीं हैं।यह समझ से परे है।
कुशीनगर जनपद के दूदही में करीब सैकड़ों अस्पताल ऐसे हैं जिनके संचालकों द्वारा ही मरीजों का‌ इलाज किया जाता है। जबकि ऐसे लोगों में अधिकांश के पास न तो बैध  डिग्री है और न ही रजिस्ट्रेशन। यहां तक की डायग्नोस्टिक सेंटर भी बिना किसी ‌डिग्री या‌ विशेषज्ञ के ऐसे लोगों के द्वारा चलाया जा रहा है।जिनका पूर्व में ऐसे पेशे से कोई दूर दूर तक का रिश्ता नहीं रहा।
इस गोरखधंधे को फलने-फूलने का भरपूर अवसर देता रहता है। कभी-कभार कार्रवाई  भी  तभी होती है जब किसी का सुविधा शुल्क तय समय के मुताबिक नहीं पहुंच पाता। इतना ही नहीं जब कोई कार्रवाई होनी होती है चाहें स्थानीय स्तर से हो‌ या बाहरी बीच द्वारा इन मुन्ना भाइयों को जांच टीम के पहुंचने के पूर्व ही सूचनाएं मिल जाती है और ऐसे में इन सेंटरों पर पहले से ही  ताले लटक  जाते हैं।
मालूम हो कि शासन ने अवैधानिक रूप से चल रहे नसि॔गह़ोमों तथा पैंथालोजी सेंटर की जांच का आदेश व कार्रवाई करने का  आदेश समय-समय पर देता रहा है। जिससे पूरे क्षेत्र इन पैथालॉजी सेंटरों की दुकान अस्पतालों के पास ही है। जहां चित्र की पची॔ पर तत्काल जांच की जाती है।इन  केन्द्रों पर सुगर,खून, पेशाब, मलेरिया,गले, एक्सरे,अलटासाउंड के अलावा ‌लिंग परीक्षण की भी सुविधा उपलब्ध है। लेकिन पैथालॉजी के कर्मचारी रिपोर्ट देने के बजाए केवल  स्क्रीन पर दिखा देता है।और चार सौ लेकर एक हजार तक रुपए लेता है। यही हाल सूगर, ब्लड, पेशाब, मलेरिया, टायफाइड, गले ऱ़ोगों की है। जहां मुंहमांगा दाम वसूला जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो रिपोर्ट दी जाती है उस पर डाक्टर के हस्ताक्षर को अपठनीय बना दिया जाता है। जिससे उनकी रिपोर्ट महज मरीज को सांत्वना भर‌ दे जाती है और किसी सरकारी विभाग अध॔सरकारी विभाग में नौकरी पेशा ‌वाले आदमी नहीं लगा पाते। जिससे इन  मरीजों का शोषण अस्पताल कर्मचारियों की मिली-भगत से हो रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता व कथित लापरवाही के कारण   दुदही,सेवरही, तमकुही राज‌‌, खड्डा, नेबुआ‌ नौरंगिया, फाजिल नगर, हाटा, कप्तानगंज, व पडरौना के ग्रामीण इलाकों व बाजारों में इन दिनों अवैध रूप से बिना अनज्ञपति की दवा दुकानों एवं फजी॔ झोला छाप चिकित्सकों की बाढ़ सी आ गई है। बाजार हो या ग्रामीण इलाकों दोनों में ही अवैध दवा दुकानों ‌व  नीम हकीम खानदानी बैद्य, फर्जी चिकित्सकों की संख्या तकरीबन सौ के ‌आस-पास पहुंच गई है। जो क्षेत्र के गरीब,निरीह एवं पीड़ित दलित लोगों की अज्ञानता  एवं अंध विश्वास तथा विवशता का फायदा उठाकर खुलेआम उनका शोषण कर रहे हैं।‌गौर तलब है कि बिना अनुज्ञप्ति प्राप्त किए दवा की दुकानें बिहार औषधि अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुए बिना किसी  रोक-टोक से चल रही है।ऐ सी दुकानों में मरीजों का शोषण किया जाता है।
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि अधिकांश दुकानदारों द्वारा उत्तर प्रदेश से नकली एवं  एक्सपायरी तथा फिजिशियन सेम्पल की  दवा भी  बेची जा रही है।क्षेत्र में ऐसी चर्चा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग तथा जिला प्रशासन द्वारा साल दो साल में एक छोटी मछली (दवा) दुकान को पकड़ कर डृग इंस्पेक्टर अपनी खाना पूर्ति कर लेते हैं। बड़ी-बड़ी दुकानों पर तों वे झांकने तक नहीं जाते। क्योंकि वहां से सलामी हेड क्वार्टर पर पहुंच जाता है।जिन कारण वे इन बड़ी दुकानों पर ध्यान नहीं करता हैं।
विदित हो कि दवा बिक्रेता‌  ऐसे अनभिज्ञ तथा अशिक्षित गरीब वर्ग के लोगों को नकली व एक्सपायरी  दवा थमा देते हैं।नतीजतन इसके सेवन से नये-नये रोग उभरकर सामने आ जाते हैं, जो बाद में असहाय एवं गम्भीर रूप ‌अखतियार कर लेता है। फजी॔‌ चिकित्सक के चिकित्सक के चंगुल में अशिक्षित गरीब ग्रामीण महिला तथा मज़दूर किस्म के लोग ही अधिकांश फसते हैं।इन चिकित्सकों का धंधा है कि किसी भी ग़रीब मरीज को कोई भी बीमारी हुई  हो तो उसे दो,तीन  सूई,दो चार बोतल पानी चढ़ाकर  मोटी रकम लेकर आथि॔क शोषण ‌करना, ऐसे चिकित्सक के पास न कोई डिग्री ‌डिप्लोमा है और न ही किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सा संस्थान ‌का ‍पंजीयन ही। चर्चा है कि कुछ दिन किसी चिकित्सक के ‌यहां काम करने वाले कम्पाउन्डर‌ या नर्स की  क्लिनिक  खोलकर ‌चिकितसक बन जाते हैं।
बताया जाता है कि इन फजी॔ चिकित्सकों को अपने दलाल भी होते हैं  जो ग्रामीण परिवेश में पुरुष व महिला मरीजों को बहला-फुसलाकर नीम -हकीम, तथा बैद्य के क्लिनिक में ले जाते हैं। बदलें में उन्हें कमीशन दिया जाता है। वहीं कुछ फर्जी चिकित्सकों की आड़ में छिपे रूप से गभ॔पात भी कराते हैं, तथाजि ए्वज में मोटी रकम लेते हैं। इसके बाद भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के सर पर जूं तक नहीं रेंगते  हैं।
क्षेत्र के ग्रामीण जनता , समाजसेवियों, जन-प्रतिनिधियों ने एक स्वर से हिंदी ‌दैनिक  अमिट‌‌ रेखा समाचार पत्र के माध्यम से माननीय मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार से कुशीनगर जनपद  के अप्रशिक्षित बिना ‌मान्यता प्राप्त झोला छाप डाक्टरों व स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह ‌व निरंकुश अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ निष्पक्ष व निर्भीक रुप से ‌जांच-पड़ताल कराकर इन हत्यारे ‌रूपी डाक्टरों के खिलाफ विधिक कार्यवाही करने की पुरजोर मांग किया है।
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14 अगस्त 1947 की रात को आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था

पढ़िए सत्ता के हस्तांतरण की संधि Transfer of Power Agreement यानि भारत के आज़ादी की संधि |
ये इतनी खतरनाक संधि है की अगर आप अंग्रेजों द्वारा सन 1615 से लेकर 1857 तक किये गए सभी 565 संधियों या कहें साजिस को जोड़ देंगे तो उस से भी ज्यादा खतरनाक संधि है ये | 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में | Transfer of Power और Independence ये दो अलग चीजे है | स्वतंत्रता और सत्ता का हस्तांतरण ये दो अलग चीजे है | और सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आप देखते होंगे क़ि एक पार्टी की सरकार है, वो चुनाव में हार जाये, दूसरी पार्टी की सरकार आती है तो दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री जब शपथ ग्रहण करता है, तो वो शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है, आप लोगों में से बहुतों ने देखा होगा, तो जिस रजिस्टर पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता है, उसी रजिस्टर को ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है और उस पर हस्ताक्षर के बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है | और पुराना प्रधानमंत्री निकल कर बाहर चला जाता है | यही नाटक हुआ था 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजे | लार्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी, और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया | कैसा स्वराज्य और काहे का स्वराज्य ? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? ये भी समझ लीजिये | अंग्रेज कहते थे क़ि हमने स्वराज्य दिया, माने अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा है ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे | ये अंग्रेजो का interpretation (व्याख्या) था | और हिन्दुस्तानी लोगों की व्याख्या क्या थी कि हमने स्वराज्य ले लिया | और इस संधि के अनुसार ही भारत के दो टुकड़े किये गए और भारत और पाकिस्तान नामक दो Dominion States बनाये गए हैं | ये Dominion State का अर्थ हिंदी में होता है एक बड़े राज्य के अधीन एक छोटा राज्य, ये शाब्दिक अर्थ है और भारत के सन्दर्भ में इसका असल अर्थ भी यही है | अंग्रेजी में इसका एक अर्थ है "One of the self-governing nations in the British Commonwealth" और दूसरा "Dominance or power through legal authority "| Dominion State और Independent Nation में जमीन आसमान का अंतर होता है | मतलब सीधा है क़ि हम (भारत और पाकिस्तान) आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | दुःख तो ये होता है की उस समय के सत्ता के लालची लोगों ने बिना सोचे समझे या आप कह सकते हैं क़ि पुरे होशो हवास में इस संधि को मान लिया या कहें जानबूझ कर ये सब स्वीकार कर लिया | और ये जो तथाकथित आज़ादी आयी, इसका कानून अंग्रेजों के संसद में बनाया गया और इसका नाम रखा गया Indian Independence Act यानि भारत के स्वतंत्रता का कानून | और ऐसे धोखाधड़ी से अगर इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी, आजादी है कहाँ ? और इसीलिए गाँधी जी (महात्मा गाँधी) 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में नहीं आये थे | वो नोआखाली में थे | और कोंग्रेस के बड़े नेता गाँधी जी को बुलाने के लिए गए थे कि बापू चलिए आप | गाँधी जी ने मना कर दिया था | क्यों ? गाँधी जी कहते थे कि मै मानता नहीं कि कोई आजादी आ रही है | और गाँधी जी ने स्पस्ट कह दिया था कि ये आजादी नहीं आ रही है सत्ता के हस्तांतरण का समझौता हो रहा है | और गाँधी जी ने नोआखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी | उस प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि मै हिन्दुस्तान के उन करोडो लोगों को ये सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये मै नहीं लाया | ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाये है | मै मानता नहीं कि इस देश में कोई आजादी आई है | और 14 अगस्त 1947 की रात को गाँधी जी दिल्ली में नहीं थे नोआखाली में थे | माने भारत की राजनीति का सबसे बड़ा पुरोधा जिसने हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई की नीव रखी हो वो आदमी 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में मौजूद नहीं था | क्यों ? इसका अर्थ है कि गाँधी जी इससे सहमत नहीं थे | (नोआखाली के दंगे तो एक बहाना था असल बात तो ये सत्ता का हस्तांतरण ही था) और 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई .... ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट लागू हुआ था पंडित नेहरु और अंग्रेजी सरकार के बीच में | अब शर्तों की बात करता हूँ , सब का जिक्र करना तो संभव नहीं है लेकिन कुछ महत्वपूर्ण शर्तों की जिक्र जरूर करूंगा जिसे एक आम भारतीय जानता है और उनसे परिचित है .....

इस संधि की शर्तों के मुताबिक हम आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | वो एक शब्द आप सब सुनते हैं न Commonwealth Nations | अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में Commonwealth Game हुए थे आप सब को याद होगा ही और उसी में बहुत बड़ा घोटाला भी हुआ है | ये Commonwealth का मतलब होता है समान सम्पति | किसकी समान सम्पति ? ब्रिटेन की रानी की समान सम्पति | आप जानते हैं ब्रिटेन की महारानी हमारे भारत की भी महारानी है और वो आज भी भारत की नागरिक है और हमारे जैसे 71 देशों की महारानी है वो | Commonwealth में 71 देश है और इन सभी 71 देशों में जाने के लिए ब्रिटेन की महारानी को वीजा की जरूरत नहीं होती है क्योंकि वो अपने ही देश में जा रही है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ब्रिटेन में जाने के लिए वीजा की जरूरत होती है क्योंकि वो दुसरे देश में जा रहे हैं | मतलब इसका निकाले तो ये हुआ कि या तो ब्रिटेन की महारानी भारत की नागरिक है या फिर भारत आज भी ब्रिटेन का उपनिवेश है इसलिए ब्रिटेन की रानी को पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होती है अगर दोनों बाते सही है तो 15 अगस्त 1947 को हमारी आज़ादी की बात कही जाती है वो झूठ है | और Commonwealth Nations में हमारी एंट्री जो है वो एक Dominion State के रूप में है न क़ि Independent Nation के रूप में| इस देश में प्रोटोकोल है क़ि जब भी नए राष्ट्रपति बनेंगे तो 21 तोपों की सलामी दी जाएगी उसके अलावा किसी को भी नहीं | लेकिन ब्रिटेन की महारानी आती है तो उनको भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है, इसका क्या मतलब है? और पिछली बार ब्रिटेन की महारानी यहाँ आयी थी तो एक निमंत्रण पत्र छपा था और उस निमंत्रण पत्र में ऊपर जो नाम था वो ब्रिटेन की महारानी का था और उसके नीचे भारत के राष्ट्रपति का नाम था मतलब हमारे देश का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक नहीं है | ये है राजनितिक गुलामी, हम कैसे माने क़ि हम एक स्वतंत्र देश में रह रहे हैं | एक शब्द आप सुनते होंगे High Commission ये अंग्रेजों का एक गुलाम देश दुसरे गुलाम देश के यहाँ खोलता है लेकिन इसे Embassy नहीं कहा जाता | एक मानसिक गुलामी का उदहारण भी देखिये ....... हमारे यहाँ के अख़बारों में आप देखते होंगे क़ि कैसे शब्द प्रयोग होते हैं - (ब्रिटेन की महारानी नहीं) महारानी एलिज़ाबेथ, (ब्रिटेन के प्रिन्स चार्ल्स नहीं) प्रिन्स चार्ल्स , (ब्रिटेन की प्रिंसेस नहीं) प्रिंसेस डैना (अब तो वो हैं नहीं), अब तो एक और प्रिन्स विलियम भी आ गए है |
भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया प्रचारित किया जायेगा और सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही नाम से संबोधित किया जायेगा | हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन दस्तावेजों में ये इंडिया है | संविधान के प्रस्तावना में ये लिखा गया है "India that is Bharat " जब क़ि होना ये चाहिए था "Bharat that was India " लेकिन दुर्भाग्य इस देश का क़ि ये भारत के जगह इंडिया हो गया | ये इसी संधि के शर्तों में से एक है | अब हम भारत के लोग जो इंडिया कहते हैं वो कहीं से भी भारत नहीं है | कुछ दिन पहले मैं एक लेख पढ़ रहा था अब किसका था याद नहीं आ रहा है उसमे उस व्यक्ति ने बताया था कि इंडिया का नाम बदल के भारत कर दिया जाये तो इस देश में आश्चर्यजनक बदलाव आ जायेगा और ये विश्व की बड़ी शक्ति बन जायेगा अब उस शख्स के बात में कितनी सच्चाई है मैं नहीं जानता, लेकिन भारत जब तक भारत था तब तक तो दुनिया में सबसे आगे था और ये जब से इंडिया हुआ है तब से पीछे, पीछे और पीछे ही होता जा रहा है |
भारत के संसद में वन्दे मातरम नहीं गया जायेगा अगले 50 वर्षों तक यानि 1997 तक | 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को संसद में उठाया तब जाकर पहली बार इस तथाकथित आजाद देश की संसद में वन्देमातरम गाया गया | 50 वर्षों तक नहीं गाया गया क्योंकि ये भी इसी संधि की शर्तों में से एक है | और वन्देमातरम को ले के मुसलमानों में जो भ्रम फैलाया गया वो अंग्रेजों के दिशानिर्देश पर ही हुआ था | इस गीत में कुछ भी ऐसा आपत्तिजनक नहीं है जो मुसलमानों के दिल को ठेस पहुचाये | आपत्तिजनक तो जन,गन,मन में है जिसमे एक शख्स को भारत भाग्यविधाता यानि भारत के हर व्यक्ति का भगवान बताया गया है या कहें भगवान से भी बढ़कर |
इस संधि की शर्तों के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस को जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजों के हवाले करना था | यही वजह रही क़ि सुभाष चन्द्र बोस अपने देश के लिए लापता रहे और कहाँ मर खप गए ये आज तक किसी को मालूम नहीं है | समय समय पर कई अफवाहें फैली लेकिन सुभाष चन्द्र बोस का पता नहीं लगा और न ही किसी ने उनको ढूँढने में रूचि दिखाई | मतलब भारत का एक महान स्वतंत्रता सेनानी अपने ही देश के लिए बेगाना हो गया | सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाई थी ये तो आप सब लोगों को मालूम होगा ही लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है क़ि ये 1942 में बनाया गया था और उसी समय द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और सुभाष चन्द्र बोस ने इस काम में जर्मन और जापानी लोगों से मदद ली थी जो कि अंग्रेजो के दुश्मन थे और इस आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था | और जर्मनी के हिटलर और इंग्लैंड के एटली और चर्चिल के व्यक्तिगत विवादों की वजह से ये द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ था और दोनों देश एक दुसरे के कट्टर दुश्मन थे | एक दुश्मन देश की मदद से सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजों के नाकों चने चबवा दिए थे | एक तो अंग्रेज उधर विश्वयुद्ध में लगे थे दूसरी तरफ उन्हें भारत में भी सुभाष चन्द्र बोस की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था | इसलिए वे सुभाष चन्द्र बोस के दुश्मन थे |
इस संधि की शर्तों के अनुसार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, रामप्रसाद विस्मिल जैसे लोग आतंकवादी थे और यही हमारे syllabus में पढाया जाता था बहुत दिनों तक | और अभी एक महीने पहले तक ICSE बोर्ड के किताबों में भगत सिंह को आतंकवादी ही बताया जा रहा था, वो तो भला हो कुछ लोगों का जिन्होंने अदालत में एक केस किया और अदालत ने इसे हटाने का आदेश दिया है (ये समाचार मैंने इन्टरनेट पर ही अभी कुछ दिन पहले देखा था) |
आप भारत के सभी बड़े रेलवे स्टेशन पर एक किताब की दुकान देखते होंगे "व्हीलर बुक स्टोर" वो इसी संधि की शर्तों के अनुसार है | ये व्हीलर कौन था ? ये व्हीलर सबसे बड़ा अत्याचारी था | इसने इस देश क़ि हजारों माँ, बहन और बेटियों के साथ बलात्कार किया था | इसने किसानों पर सबसे ज्यादा गोलियां चलवाई थी | 1857 की क्रांति के बाद कानपुर के नजदीक बिठुर में व्हीलर और नील नामक दो अंग्रजों ने यहाँ के सभी 24 हजार लोगों को जान से मरवा दिया था चाहे वो गोदी का बच्चा हो या मरणासन्न हालत में पड़ा कोई बुड्ढा | इस व्हीलर के नाम से इंग्लैंड में एक एजेंसी शुरू हुई थी और वही भारत में आ गयी | भारत आजाद हुआ तो ये ख़त्म होना चाहिए था, नहीं तो कम से कम नाम भी बदल देते | लेकिन वो नहीं बदला गया क्योंकि ये इस संधि में है |
इस संधि की शर्तों के अनुसार अंग्रेज देश छोड़ के चले जायेगे लेकिन इस देश में कोई भी कानून चाहे वो किसी क्षेत्र में हो नहीं बदला जायेगा | इसलिए आज भी इस देश में 34735 कानून वैसे के वैसे चल रहे हैं जैसे अंग्रेजों के समय चलता था | Indian Police Act, Indian Civil Services Act (अब इसका नाम है Indian Civil Administrative Act), Indian Penal Code (Ireland में भी IPC चलता है और Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वही भारत के IPC में "I" का मतलब Indian है बाकि सब के सब कंटेंट एक ही है, कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है) Indian Citizenship Act, Indian Advocates Act, Indian Education Act, Land Acquisition Act, Criminal Procedure Act, Indian Evidence Act, Indian Income Tax Act, Indian Forest Act, Indian Agricultural Price Commission Act सब के सब आज भी वैसे ही चल रहे हैं बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले हुए |
इस संधि के अनुसार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेंगे | शहर का नाम, सड़क का नाम सब के सब वैसे ही रखे जायेंगे | आज देश का संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, राष्ट्रपति भवन कितने नाम गिनाऊँ सब के सब वैसे ही खड़े हैं और हमें मुंह चिढ़ा रहे हैं | लार्ड डलहौजी के नाम पर डलहौजी शहर है , वास्को डी गामा नामक शहर है (हाला क़ि वो पुर्तगाली था ) रिपन रोड, कर्जन रोड, मेयो रोड, बेंटिक रोड, (पटना में) फ्रेजर रोड, बेली रोड, ऐसे हजारों भवन और रोड हैं, सब के सब वैसे के वैसे ही हैं | आप भी अपने शहर में देखिएगा वहां भी कोई न कोई भवन, सड़क उन लोगों के नाम से होंगे | हमारे गुजरात में एक शहर है सूरत, इस सूरत शहर में एक बिल्डिंग है उसका नाम है कूपर विला | अंग्रेजों को जब जहाँगीर ने व्यापार का लाइसेंस दिया था तो सबसे पहले वो सूरत में आये थे और सूरत में उन्होंने इस बिल्डिंग का निर्माण किया था | ये गुलामी का पहला अध्याय आज तक सूरत शहर में खड़ा है |
हमारे यहाँ शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों की है क्योंकि ये इस संधि में लिखा है और मजे क़ि बात ये है क़ि अंग्रेजों ने हमारे यहाँ एक शिक्षा व्यवस्था दी और अपने यहाँ अलग किस्म क़ि शिक्षा व्यवस्था रखी है | हमारे यहाँ शिक्षा में डिग्री का महत्व है और उनके यहाँ ठीक उल्टा है | मेरे पास ज्ञान है और मैं कोई अविष्कार करता हूँ तो भारत में पूछा जायेगा क़ि तुम्हारे पास कौन सी डिग्री है ? अगर नहीं है तो मेरे अविष्कार और ज्ञान का कोई मतलब नहीं है | जबकि उनके यहाँ ऐसा बिलकुल नहीं है आप अगर कोई अविष्कार करते हैं और आपके पास ज्ञान है लेकिन कोई डिग्री नहीं हैं तो कोई बात नहीं आपको प्रोत्साहित किया जायेगा | नोबेल पुरस्कार पाने के लिए आपको डिग्री की जरूरत नहीं होती है | हमारे शिक्षा तंत्र को अंग्रेजों ने डिग्री में बांध दिया था जो आज भी वैसे के वैसा ही चल रहा है | ये जो 30 नंबर का पास मार्क्स आप देखते हैं वो उसी शिक्षा व्यवस्था क़ि देन है, मतलब ये है क़ि आप भले ही 70 नंबर में फेल है लेकिन 30 नंबर लाये है तो पास हैं, ऐसा शिक्षा तंत्र से सिर्फ गदहे ही पैदा हो सकते हैं और यही अंग्रेज चाहते थे | आप देखते होंगे क़ि हमारे देश में एक विषय चलता है जिसका नाम है Anthropology | जानते है इसमें क्या पढाया जाता है ? इसमें गुलाम लोगों क़ि मानसिक अवस्था के बारे में पढाया जाता है | और ये अंग्रेजों ने ही इस देश में शुरू किया था और आज आज़ादी के 64 साल बाद भी ये इस देश के विश्वविद्यालयों में पढाया जाता है और यहाँ तक क़ि सिविल सर्विस की परीक्षा में भी ये चलता है |
इस संधि की शर्तों के हिसाब से हमारे देश में आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं दिया जायेगा मतलब हमारे देश की विद्या हमारे ही देश में ख़त्म हो जाये ये साजिस की गयी | आयुर्वेद को अंग्रेजों ने नष्ट करने का भरसक प्रयास किया था लेकिन ऐसा कर नहीं पाए | दुनिया में जितने भी पैथी हैं उनमे ये होता है क़ि पहले आप बीमार हों तो आपका इलाज होगा लेकिन आयुर्वेद एक ऐसी विद्या है जिसमे कहा जाता है क़ि आप बीमार ही मत पड़िए | आपको मैं एक सच्ची घटना बताता हूँ -जोर्ज वाशिंगटन जो क़ि अमेरिका का पहला राष्ट्रपति था वो दिसम्बर 1799 में बीमार पड़ा और जब उसका बुखार ठीक नहीं हो रहा था तो उसके डाक्टरों ने कहा क़ि इनके शरीर का खून गन्दा हो गया है जब इसको निकाला जायेगा तो ये बुखार ठीक होगा और उसके दोनों हाथों क़ि नसें डाक्टरों ने काट दी और खून निकल जाने की वजह से जोर्ज वाशिंगटन मर गया | ये घटना 1799 की है और 1780 में एक अंग्रेज भारत आया था और यहाँ से प्लास्टिक सर्जरी सीख के गया था | मतलब कहने का ये है क़ि हमारे देश का चिकित्सा विज्ञान कितना विकसित था उस समय | और ये सब आयुर्वेद की वजह से था और उसी आयुर्वेद को आज हमारे सरकार ने हाशिये पर पंहुचा दिया है |
इस संधि के हिसाब से हमारे देश में गुरुकुल संस्कृति को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा | हमारे देश के समृद्धि और यहाँ मौजूद उच्च तकनीक की वजह ये गुरुकुल ही थे | और अंग्रेजों ने सबसे पहले इस देश की गुरुकुल परंपरा को ही तोडा था, मैं यहाँ लार्ड मेकॉले की एक उक्ति को यहाँ बताना चाहूँगा जो उसने 2 फ़रवरी 1835 को ब्रिटिश संसद में दिया था, उसने कहा था "“I have traveled across the length and breadth of India and have not seen one person who is a beggar, who is a thief, such wealth I have seen in this country, such high moral values, people of such caliber, that I do not think we would ever conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, which is her spiritual and cultural heritage, and, therefore, I propose that we replace her old and ancient education system, her culture, for if the Indians think that all that is foreign and English is good and greater than their own, they will lose their self esteem, their native culture and they will become what we want them, a truly dominated nation” | गुरुकुल का मतलब हम लोग केवल वेद, पुराण,उपनिषद ही समझते हैं जो की हमारी मुर्खता है अगर आज की भाषा में कहूं तो ये गुरुकुल जो होते थे वो सब के सब Higher Learning Institute हुआ करते थे |
इस संधि में एक और खास बात है | इसमें कहा गया है क़ि अगर हमारे देश के (भारत के) अदालत में कोई ऐसा मुक़दमा आ जाये जिसके फैसले के लिए कोई कानून न हो इस देश में या उसके फैसले को लेकर संबिधान में भी कोई जानकारी न हो तो साफ़ साफ़ संधि में लिखा गया है क़ि वो सारे मुकदमों का फैसला अंग्रेजों के न्याय पद्धति के आदर्शों के आधार पर ही होगा, भारतीय न्याय पद्धति का आदर्श उसमे लागू नहीं होगा | कितनी शर्मनाक स्थिति है ये क़ि हमें अभी भी अंग्रेजों का ही अनुसरण करना होगा |
भारत में आज़ादी की लड़ाई हुई तो वो ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ था और संधि के हिसाब से ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत छोड़ के जाना था और वो चली भी गयी लेकिन इस संधि में ये भी है क़ि ईस्ट इंडिया कम्पनी तो जाएगी भारत से लेकिन बाकि 126 विदेशी कंपनियां भारत में रहेंगी और भारत सरकार उनको पूरा संरक्षण देगी | और उसी का नतीजा है क़ि ब्रुक बोंड, लिप्टन, बाटा, हिंदुस्तान लीवर (अब हिंदुस्तान यूनिलीवर) जैसी 126 कंपनियां आज़ादी के बाद इस देश में बची रह गयी और लुटती रही और आज भी वो सिलसिला जारी है |
अंग्रेजी का स्थान अंग्रेजों के जाने के बाद वैसे ही रहेगा भारत में जैसा क़ि अभी (1946 में) है और ये भी इसी संधि का हिस्सा है | आप देखिये क़ि हमारे देश में, संसद में, न्यायपालिका में, कार्यालयों में हर कहीं अंग्रेजी, अंग्रेजी और अंग्रेजी है जब क़ि इस देश में 99% लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है | और उन 1% लोगों क़ि हालत देखिये क़ि उन्हें मालूम ही नहीं रहता है क़ि उनको पढना क्या है और UNO में जा के भारत के जगह पुर्तगाल का भाषण पढ़ जाते हैं |
आप में से बहुत लोगों को याद होगा क़ि हमारे देश में आजादी के 50 साल बाद तक संसद में वार्षिक बजट शाम को 5:00 बजे पेश किया जाता था | जानते है क्यों ? क्योंकि जब हमारे देश में शाम के 5:00 बजते हैं तो लन्दन में सुबह के 11:30 बजते हैं और अंग्रेज अपनी सुविधा से उनको सुन सके और उस बजट की समीक्षा कर सके | इतनी गुलामी में रहा है ये देश | ये भी इसी संधि का हिस्सा है |
1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो अंग्रेजों ने भारत में राशन कार्ड का सिस्टम शुरू किया क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों को अनाज क़ि जरूरत थी और वे ये अनाज भारत से चाहते थे | इसीलिए उन्होंने यहाँ जनवितरण प्रणाली और राशन कार्ड क़ि शुरुआत क़ि | वो प्रणाली आज भी लागू है इस देश में क्योंकि वो इस संधि में है | और इस राशन कार्ड को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल उसी समय शुरू किया गया और वो आज भी जारी है | जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें ही वोट देने का अधिकार होता था | आज भी देखिये राशन कार्ड ही मुख्य पहचान पत्र है इस देश में |
अंग्रेजों के आने के पहले इस देश में गायों को काटने का कोई कत्लखाना नहीं था | मुगलों के समय तो ये कानून था क़ि कोई अगर गाय को काट दे तो उसका हाथ काट दिया जाता था | अंग्रेज यहाँ आये तो उन्होंने पहली बार कलकत्ता में गाय काटने का कत्लखाना शुरू किया, पहला शराबखाना शुरू किया, पहला वेश्यालय शुरू किया और इस देश में जहाँ जहाँ अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी वहां वहां वेश्याघर बनाये गए, वहां वहां शराबखाना खुला, वहां वहां गाय के काटने के लिए कत्लखाना खुला | ऐसे पुरे देश में 355 छावनियां थी उन अंग्रेजों के | अब ये सब क्यों बनाये गए थे ये आप सब आसानी से समझ सकते हैं | अंग्रेजों के जाने के बाद ये सब ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ क्योंक़ि ये भी इसी संधि में है |
हमारे देश में जो संसदीय लोकतंत्र है वो दरअसल अंग्रेजों का वेस्टमिन्स्टर सिस्टम है | ये अंग्रेजो के इंग्लैंड क़ि संसदीय प्रणाली है | ये कहीं से भी न संसदीय है और न ही लोकतान्त्रिक है| लेकिन इस देश में वही सिस्टम है क्योंकि वो इस संधि में कहा गया है | और इसी वेस्टमिन्स्टर सिस्टम को महात्मा गाँधी बाँझ और वेश्या कहते थे (मतलब आप समझ गए होंगे) |

ऐसी हजारों शर्तें हैं | मैंने अभी जितना जरूरी समझा उतना लिखा है | मतलब यही है क़ि इस देश में जो कुछ भी अभी चल रहा है वो सब अंग्रेजों का है हमारा कुछ नहीं है | अब आप के मन में ये सवाल हो रहा होगा क़ि पहले के राजाओं को तो अंग्रेजी नहीं आती थी तो वो खतरनाक संधियों (साजिस) के जाल में फँस कर अपना राज्य गवां बैठे लेकिन आज़ादी के समय वाले नेताओं को तो अच्छी अंग्रेजी आती थी फिर वो कैसे इन संधियों के जाल में फँस गए | इसका कारण थोडा भिन्न है क्योंकि आज़ादी के समय वाले नेता अंग्रेजों को अपना आदर्श मानते थे इसलिए उन्होंने जानबूझ कर ये संधि क़ि थी | वो मानते थे क़ि अंग्रेजों से बढियां कोई नहीं है इस दुनिया में | भारत की आज़ादी के समय के नेताओं के भाषण आप पढेंगे तो आप पाएंगे क़ि वो केवल देखने में ही भारतीय थे लेकिन मन,कर्म और वचन से अंग्रेज ही थे | वे कहते थे क़ि सारा आदर्श है तो अंग्रेजों में, आदर्श शिक्षा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श अर्थव्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श चिकित्सा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कृषि व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श न्याय व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कानून व्यवस्था है तो अंग्रेजों की | हमारे आज़ादी के समय के नेताओं को अंग्रेजों से बड़ा आदर्श कोई दिखता नहीं था और वे ताल ठोक ठोक कर कहते थे क़ि हमें भारत अंग्रेजों जैसा बनाना है | अंग्रेज हमें जिस रस्ते पर चलाएंगे उसी रास्ते पर हम चलेंगे | इसीलिए वे ऐसी मूर्खतापूर्ण संधियों में फंसे | अगर आप अभी तक उन्हें देशभक्त मान रहे थे तो ये भ्रम दिल से निकाल दीजिये | और आप अगर समझ रहे हैं क़ि वो ABC पार्टी के नेता ख़राब थे या हैं तो XYZ पार्टी के नेता भी दूध के धुले नहीं हैं | आप किसी को भी अच्छा मत समझिएगा क्योंक़ि आज़ादी के बाद के इन 64 सालों में सब ने चाहे वो राष्ट्रीय पार्टी हो या प्रादेशिक पार्टी, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता का स्वाद तो सबो ने चखा ही है | खैर ...............

तो भारत क़ि गुलामी जो अंग्रेजों के ज़माने में थी, अंग्रेजों के जाने के 64 साल बाद आज 2011 में जस क़ि तस है क्योंकि हमने संधि कर रखी है और देश को इन खतरनाक संधियों के मकडजाल में फंसा रखा है | बहुत दुःख होता है अपने देश के बारे जानकार और सोच कर | मैं ये सब कोई ख़ुशी से नहीं लिखता हूँ ये मेरे दिल का दर्द होता है जो मैं आप लोगों से शेयर करता हूँ |

ये सब बदलना जरूरी है लेकिन हमें सरकार नहीं व्यवस्था बदलनी होगी और आप अगर सोच रहे हैं क़ि कोई मसीहा आएगा और सब बदल देगा तो आप ग़लतफ़हमी में जी रहे हैं | कोई हनुमान जी, कोई राम जी, या कोई कृष्ण जी नहीं आने वाले | आपको और हमको ही ये सारे अवतार में आना होगा, हमें ही सड़कों पर उतरना होगा और और इस व्यवस्था को जड मूल से समाप्त करना होगा | भगवान भी उसी की मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करता है 

14 अगस्त 1947 की रात को आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था

पढ़िए सत्ता के हस्तांतरण की संधि Transfer of Power Agreement यानि भारत के आज़ादी की संधि |
ये इतनी खतरनाक संधि है की अगर आप अंग्रेजों द्वारा सन 1615 से लेकर 1857 तक किये गए सभी 565 संधियों या कहें साजिस को जोड़ देंगे तो उस से भी ज्यादा खतरनाक संधि है ये | 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में | Transfer of Power और Independence ये दो अलग चीजे है | स्वतंत्रता और सत्ता का हस्तांतरण ये दो अलग चीजे है | और सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आप देखते होंगे क़ि एक पार्टी की सरकार है, वो चुनाव में हार जाये, दूसरी पार्टी की सरकार आती है तो दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री जब शपथ ग्रहण करता है, तो वो शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है, आप लोगों में से बहुतों ने देखा होगा, तो जिस रजिस्टर पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता है, उसी रजिस्टर को ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है और उस पर हस्ताक्षर के बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है | और पुराना प्रधानमंत्री निकल कर बाहर चला जाता है | यही नाटक हुआ था 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजे | लार्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी, और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया | कैसा स्वराज्य और काहे का स्वराज्य ? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? ये भी समझ लीजिये | अंग्रेज कहते थे क़ि हमने स्वराज्य दिया, माने अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा है ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे | ये अंग्रेजो का interpretation (व्याख्या) था | और हिन्दुस्तानी लोगों की व्याख्या क्या थी कि हमने स्वराज्य ले लिया | और इस संधि के अनुसार ही भारत के दो टुकड़े किये गए और भारत और पाकिस्तान नामक दो Dominion States बनाये गए हैं | ये Dominion State का अर्थ हिंदी में होता है एक बड़े राज्य के अधीन एक छोटा राज्य, ये शाब्दिक अर्थ है और भारत के सन्दर्भ में इसका असल अर्थ भी यही है | अंग्रेजी में इसका एक अर्थ है "One of the self-governing nations in the British Commonwealth" और दूसरा "Dominance or power through legal authority "| Dominion State और Independent Nation में जमीन आसमान का अंतर होता है | मतलब सीधा है क़ि हम (भारत और पाकिस्तान) आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | दुःख तो ये होता है की उस समय के सत्ता के लालची लोगों ने बिना सोचे समझे या आप कह सकते हैं क़ि पुरे होशो हवास में इस संधि को मान लिया या कहें जानबूझ कर ये सब स्वीकार कर लिया | और ये जो तथाकथित आज़ादी आयी, इसका कानून अंग्रेजों के संसद में बनाया गया और इसका नाम रखा गया Indian Independence Act यानि भारत के स्वतंत्रता का कानून | और ऐसे धोखाधड़ी से अगर इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी, आजादी है कहाँ ? और इसीलिए गाँधी जी (महात्मा गाँधी) 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में नहीं आये थे | वो नोआखाली में थे | और कोंग्रेस के बड़े नेता गाँधी जी को बुलाने के लिए गए थे कि बापू चलिए आप | गाँधी जी ने मना कर दिया था | क्यों ? गाँधी जी कहते थे कि मै मानता नहीं कि कोई आजादी आ रही है | और गाँधी जी ने स्पस्ट कह दिया था कि ये आजादी नहीं आ रही है सत्ता के हस्तांतरण का समझौता हो रहा है | और गाँधी जी ने नोआखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी | उस प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि मै हिन्दुस्तान के उन करोडो लोगों को ये सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये मै नहीं लाया | ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाये है | मै मानता नहीं कि इस देश में कोई आजादी आई है | और 14 अगस्त 1947 की रात को गाँधी जी दिल्ली में नहीं थे नोआखाली में थे | माने भारत की राजनीति का सबसे बड़ा पुरोधा जिसने हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई की नीव रखी हो वो आदमी 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में मौजूद नहीं था | क्यों ? इसका अर्थ है कि गाँधी जी इससे सहमत नहीं थे | (नोआखाली के दंगे तो एक बहाना था असल बात तो ये सत्ता का हस्तांतरण ही था) और 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई .... ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट लागू हुआ था पंडित नेहरु और अंग्रेजी सरकार के बीच में | अब शर्तों की बात करता हूँ , सब का जिक्र करना तो संभव नहीं है लेकिन कुछ महत्वपूर्ण शर्तों की जिक्र जरूर करूंगा जिसे एक आम भारतीय जानता है और उनसे परिचित है .....

इस संधि की शर्तों के मुताबिक हम आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | वो एक शब्द आप सब सुनते हैं न Commonwealth Nations | अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में Commonwealth Game हुए थे आप सब को याद होगा ही और उसी में बहुत बड़ा घोटाला भी हुआ है | ये Commonwealth का मतलब होता है समान सम्पति | किसकी समान सम्पति ? ब्रिटेन की रानी की समान सम्पति | आप जानते हैं ब्रिटेन की महारानी हमारे भारत की भी महारानी है और वो आज भी भारत की नागरिक है और हमारे जैसे 71 देशों की महारानी है वो | Commonwealth में 71 देश है और इन सभी 71 देशों में जाने के लिए ब्रिटेन की महारानी को वीजा की जरूरत नहीं होती है क्योंकि वो अपने ही देश में जा रही है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ब्रिटेन में जाने के लिए वीजा की जरूरत होती है क्योंकि वो दुसरे देश में जा रहे हैं | मतलब इसका निकाले तो ये हुआ कि या तो ब्रिटेन की महारानी भारत की नागरिक है या फिर भारत आज भी ब्रिटेन का उपनिवेश है इसलिए ब्रिटेन की रानी को पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होती है अगर दोनों बाते सही है तो 15 अगस्त 1947 को हमारी आज़ादी की बात कही जाती है वो झूठ है | और Commonwealth Nations में हमारी एंट्री जो है वो एक Dominion State के रूप में है न क़ि Independent Nation के रूप में| इस देश में प्रोटोकोल है क़ि जब भी नए राष्ट्रपति बनेंगे तो 21 तोपों की सलामी दी जाएगी उसके अलावा किसी को भी नहीं | लेकिन ब्रिटेन की महारानी आती है तो उनको भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है, इसका क्या मतलब है? और पिछली बार ब्रिटेन की महारानी यहाँ आयी थी तो एक निमंत्रण पत्र छपा था और उस निमंत्रण पत्र में ऊपर जो नाम था वो ब्रिटेन की महारानी का था और उसके नीचे भारत के राष्ट्रपति का नाम था मतलब हमारे देश का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक नहीं है | ये है राजनितिक गुलामी, हम कैसे माने क़ि हम एक स्वतंत्र देश में रह रहे हैं | एक शब्द आप सुनते होंगे High Commission ये अंग्रेजों का एक गुलाम देश दुसरे गुलाम देश के यहाँ खोलता है लेकिन इसे Embassy नहीं कहा जाता | एक मानसिक गुलामी का उदहारण भी देखिये ....... हमारे यहाँ के अख़बारों में आप देखते होंगे क़ि कैसे शब्द प्रयोग होते हैं - (ब्रिटेन की महारानी नहीं) महारानी एलिज़ाबेथ, (ब्रिटेन के प्रिन्स चार्ल्स नहीं) प्रिन्स चार्ल्स , (ब्रिटेन की प्रिंसेस नहीं) प्रिंसेस डैना (अब तो वो हैं नहीं), अब तो एक और प्रिन्स विलियम भी आ गए है |
भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया प्रचारित किया जायेगा और सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही नाम से संबोधित किया जायेगा | हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन दस्तावेजों में ये इंडिया है | संविधान के प्रस्तावना में ये लिखा गया है "India that is Bharat " जब क़ि होना ये चाहिए था "Bharat that was India " लेकिन दुर्भाग्य इस देश का क़ि ये भारत के जगह इंडिया हो गया | ये इसी संधि के शर्तों में से एक है | अब हम भारत के लोग जो इंडिया कहते हैं वो कहीं से भी भारत नहीं है | कुछ दिन पहले मैं एक लेख पढ़ रहा था अब किसका था याद नहीं आ रहा है उसमे उस व्यक्ति ने बताया था कि इंडिया का नाम बदल के भारत कर दिया जाये तो इस देश में आश्चर्यजनक बदलाव आ जायेगा और ये विश्व की बड़ी शक्ति बन जायेगा अब उस शख्स के बात में कितनी सच्चाई है मैं नहीं जानता, लेकिन भारत जब तक भारत था तब तक तो दुनिया में सबसे आगे था और ये जब से इंडिया हुआ है तब से पीछे, पीछे और पीछे ही होता जा रहा है |
भारत के संसद में वन्दे मातरम नहीं गया जायेगा अगले 50 वर्षों तक यानि 1997 तक | 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को संसद में उठाया तब जाकर पहली बार इस तथाकथित आजाद देश की संसद में वन्देमातरम गाया गया | 50 वर्षों तक नहीं गाया गया क्योंकि ये भी इसी संधि की शर्तों में से एक है | और वन्देमातरम को ले के मुसलमानों में जो भ्रम फैलाया गया वो अंग्रेजों के दिशानिर्देश पर ही हुआ था | इस गीत में कुछ भी ऐसा आपत्तिजनक नहीं है जो मुसलमानों के दिल को ठेस पहुचाये | आपत्तिजनक तो जन,गन,मन में है जिसमे एक शख्स को भारत भाग्यविधाता यानि भारत के हर व्यक्ति का भगवान बताया गया है या कहें भगवान से भी बढ़कर |
इस संधि की शर्तों के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस को जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजों के हवाले करना था | यही वजह रही क़ि सुभाष चन्द्र बोस अपने देश के लिए लापता रहे और कहाँ मर खप गए ये आज तक किसी को मालूम नहीं है | समय समय पर कई अफवाहें फैली लेकिन सुभाष चन्द्र बोस का पता नहीं लगा और न ही किसी ने उनको ढूँढने में रूचि दिखाई | मतलब भारत का एक महान स्वतंत्रता सेनानी अपने ही देश के लिए बेगाना हो गया | सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाई थी ये तो आप सब लोगों को मालूम होगा ही लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है क़ि ये 1942 में बनाया गया था और उसी समय द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और सुभाष चन्द्र बोस ने इस काम में जर्मन और जापानी लोगों से मदद ली थी जो कि अंग्रेजो के दुश्मन थे और इस आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था | और जर्मनी के हिटलर और इंग्लैंड के एटली और चर्चिल के व्यक्तिगत विवादों की वजह से ये द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ था और दोनों देश एक दुसरे के कट्टर दुश्मन थे | एक दुश्मन देश की मदद से सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजों के नाकों चने चबवा दिए थे | एक तो अंग्रेज उधर विश्वयुद्ध में लगे थे दूसरी तरफ उन्हें भारत में भी सुभाष चन्द्र बोस की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था | इसलिए वे सुभाष चन्द्र बोस के दुश्मन थे |
इस संधि की शर्तों के अनुसार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, रामप्रसाद विस्मिल जैसे लोग आतंकवादी थे और यही हमारे syllabus में पढाया जाता था बहुत दिनों तक | और अभी एक महीने पहले तक ICSE बोर्ड के किताबों में भगत सिंह को आतंकवादी ही बताया जा रहा था, वो तो भला हो कुछ लोगों का जिन्होंने अदालत में एक केस किया और अदालत ने इसे हटाने का आदेश दिया है (ये समाचार मैंने इन्टरनेट पर ही अभी कुछ दिन पहले देखा था) |
आप भारत के सभी बड़े रेलवे स्टेशन पर एक किताब की दुकान देखते होंगे "व्हीलर बुक स्टोर" वो इसी संधि की शर्तों के अनुसार है | ये व्हीलर कौन था ? ये व्हीलर सबसे बड़ा अत्याचारी था | इसने इस देश क़ि हजारों माँ, बहन और बेटियों के साथ बलात्कार किया था | इसने किसानों पर सबसे ज्यादा गोलियां चलवाई थी | 1857 की क्रांति के बाद कानपुर के नजदीक बिठुर में व्हीलर और नील नामक दो अंग्रजों ने यहाँ के सभी 24 हजार लोगों को जान से मरवा दिया था चाहे वो गोदी का बच्चा हो या मरणासन्न हालत में पड़ा कोई बुड्ढा | इस व्हीलर के नाम से इंग्लैंड में एक एजेंसी शुरू हुई थी और वही भारत में आ गयी | भारत आजाद हुआ तो ये ख़त्म होना चाहिए था, नहीं तो कम से कम नाम भी बदल देते | लेकिन वो नहीं बदला गया क्योंकि ये इस संधि में है |
इस संधि की शर्तों के अनुसार अंग्रेज देश छोड़ के चले जायेगे लेकिन इस देश में कोई भी कानून चाहे वो किसी क्षेत्र में हो नहीं बदला जायेगा | इसलिए आज भी इस देश में 34735 कानून वैसे के वैसे चल रहे हैं जैसे अंग्रेजों के समय चलता था | Indian Police Act, Indian Civil Services Act (अब इसका नाम है Indian Civil Administrative Act), Indian Penal Code (Ireland में भी IPC चलता है और Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वही भारत के IPC में "I" का मतलब Indian है बाकि सब के सब कंटेंट एक ही है, कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है) Indian Citizenship Act, Indian Advocates Act, Indian Education Act, Land Acquisition Act, Criminal Procedure Act, Indian Evidence Act, Indian Income Tax Act, Indian Forest Act, Indian Agricultural Price Commission Act सब के सब आज भी वैसे ही चल रहे हैं बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले हुए |
इस संधि के अनुसार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेंगे | शहर का नाम, सड़क का नाम सब के सब वैसे ही रखे जायेंगे | आज देश का संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, राष्ट्रपति भवन कितने नाम गिनाऊँ सब के सब वैसे ही खड़े हैं और हमें मुंह चिढ़ा रहे हैं | लार्ड डलहौजी के नाम पर डलहौजी शहर है , वास्को डी गामा नामक शहर है (हाला क़ि वो पुर्तगाली था ) रिपन रोड, कर्जन रोड, मेयो रोड, बेंटिक रोड, (पटना में) फ्रेजर रोड, बेली रोड, ऐसे हजारों भवन और रोड हैं, सब के सब वैसे के वैसे ही हैं | आप भी अपने शहर में देखिएगा वहां भी कोई न कोई भवन, सड़क उन लोगों के नाम से होंगे | हमारे गुजरात में एक शहर है सूरत, इस सूरत शहर में एक बिल्डिंग है उसका नाम है कूपर विला | अंग्रेजों को जब जहाँगीर ने व्यापार का लाइसेंस दिया था तो सबसे पहले वो सूरत में आये थे और सूरत में उन्होंने इस बिल्डिंग का निर्माण किया था | ये गुलामी का पहला अध्याय आज तक सूरत शहर में खड़ा है |
हमारे यहाँ शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों की है क्योंकि ये इस संधि में लिखा है और मजे क़ि बात ये है क़ि अंग्रेजों ने हमारे यहाँ एक शिक्षा व्यवस्था दी और अपने यहाँ अलग किस्म क़ि शिक्षा व्यवस्था रखी है | हमारे यहाँ शिक्षा में डिग्री का महत्व है और उनके यहाँ ठीक उल्टा है | मेरे पास ज्ञान है और मैं कोई अविष्कार करता हूँ तो भारत में पूछा जायेगा क़ि तुम्हारे पास कौन सी डिग्री है ? अगर नहीं है तो मेरे अविष्कार और ज्ञान का कोई मतलब नहीं है | जबकि उनके यहाँ ऐसा बिलकुल नहीं है आप अगर कोई अविष्कार करते हैं और आपके पास ज्ञान है लेकिन कोई डिग्री नहीं हैं तो कोई बात नहीं आपको प्रोत्साहित किया जायेगा | नोबेल पुरस्कार पाने के लिए आपको डिग्री की जरूरत नहीं होती है | हमारे शिक्षा तंत्र को अंग्रेजों ने डिग्री में बांध दिया था जो आज भी वैसे के वैसा ही चल रहा है | ये जो 30 नंबर का पास मार्क्स आप देखते हैं वो उसी शिक्षा व्यवस्था क़ि देन है, मतलब ये है क़ि आप भले ही 70 नंबर में फेल है लेकिन 30 नंबर लाये है तो पास हैं, ऐसा शिक्षा तंत्र से सिर्फ गदहे ही पैदा हो सकते हैं और यही अंग्रेज चाहते थे | आप देखते होंगे क़ि हमारे देश में एक विषय चलता है जिसका नाम है Anthropology | जानते है इसमें क्या पढाया जाता है ? इसमें गुलाम लोगों क़ि मानसिक अवस्था के बारे में पढाया जाता है | और ये अंग्रेजों ने ही इस देश में शुरू किया था और आज आज़ादी के 64 साल बाद भी ये इस देश के विश्वविद्यालयों में पढाया जाता है और यहाँ तक क़ि सिविल सर्विस की परीक्षा में भी ये चलता है |
इस संधि की शर्तों के हिसाब से हमारे देश में आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं दिया जायेगा मतलब हमारे देश की विद्या हमारे ही देश में ख़त्म हो जाये ये साजिस की गयी | आयुर्वेद को अंग्रेजों ने नष्ट करने का भरसक प्रयास किया था लेकिन ऐसा कर नहीं पाए | दुनिया में जितने भी पैथी हैं उनमे ये होता है क़ि पहले आप बीमार हों तो आपका इलाज होगा लेकिन आयुर्वेद एक ऐसी विद्या है जिसमे कहा जाता है क़ि आप बीमार ही मत पड़िए | आपको मैं एक सच्ची घटना बताता हूँ -जोर्ज वाशिंगटन जो क़ि अमेरिका का पहला राष्ट्रपति था वो दिसम्बर 1799 में बीमार पड़ा और जब उसका बुखार ठीक नहीं हो रहा था तो उसके डाक्टरों ने कहा क़ि इनके शरीर का खून गन्दा हो गया है जब इसको निकाला जायेगा तो ये बुखार ठीक होगा और उसके दोनों हाथों क़ि नसें डाक्टरों ने काट दी और खून निकल जाने की वजह से जोर्ज वाशिंगटन मर गया | ये घटना 1799 की है और 1780 में एक अंग्रेज भारत आया था और यहाँ से प्लास्टिक सर्जरी सीख के गया था | मतलब कहने का ये है क़ि हमारे देश का चिकित्सा विज्ञान कितना विकसित था उस समय | और ये सब आयुर्वेद की वजह से था और उसी आयुर्वेद को आज हमारे सरकार ने हाशिये पर पंहुचा दिया है |
इस संधि के हिसाब से हमारे देश में गुरुकुल संस्कृति को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा | हमारे देश के समृद्धि और यहाँ मौजूद उच्च तकनीक की वजह ये गुरुकुल ही थे | और अंग्रेजों ने सबसे पहले इस देश की गुरुकुल परंपरा को ही तोडा था, मैं यहाँ लार्ड मेकॉले की एक उक्ति को यहाँ बताना चाहूँगा जो उसने 2 फ़रवरी 1835 को ब्रिटिश संसद में दिया था, उसने कहा था "“I have traveled across the length and breadth of India and have not seen one person who is a beggar, who is a thief, such wealth I have seen in this country, such high moral values, people of such caliber, that I do not think we would ever conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, which is her spiritual and cultural heritage, and, therefore, I propose that we replace her old and ancient education system, her culture, for if the Indians think that all that is foreign and English is good and greater than their own, they will lose their self esteem, their native culture and they will become what we want them, a truly dominated nation” | गुरुकुल का मतलब हम लोग केवल वेद, पुराण,उपनिषद ही समझते हैं जो की हमारी मुर्खता है अगर आज की भाषा में कहूं तो ये गुरुकुल जो होते थे वो सब के सब Higher Learning Institute हुआ करते थे |
इस संधि में एक और खास बात है | इसमें कहा गया है क़ि अगर हमारे देश के (भारत के) अदालत में कोई ऐसा मुक़दमा आ जाये जिसके फैसले के लिए कोई कानून न हो इस देश में या उसके फैसले को लेकर संबिधान में भी कोई जानकारी न हो तो साफ़ साफ़ संधि में लिखा गया है क़ि वो सारे मुकदमों का फैसला अंग्रेजों के न्याय पद्धति के आदर्शों के आधार पर ही होगा, भारतीय न्याय पद्धति का आदर्श उसमे लागू नहीं होगा | कितनी शर्मनाक स्थिति है ये क़ि हमें अभी भी अंग्रेजों का ही अनुसरण करना होगा |
भारत में आज़ादी की लड़ाई हुई तो वो ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ था और संधि के हिसाब से ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत छोड़ के जाना था और वो चली भी गयी लेकिन इस संधि में ये भी है क़ि ईस्ट इंडिया कम्पनी तो जाएगी भारत से लेकिन बाकि 126 विदेशी कंपनियां भारत में रहेंगी और भारत सरकार उनको पूरा संरक्षण देगी | और उसी का नतीजा है क़ि ब्रुक बोंड, लिप्टन, बाटा, हिंदुस्तान लीवर (अब हिंदुस्तान यूनिलीवर) जैसी 126 कंपनियां आज़ादी के बाद इस देश में बची रह गयी और लुटती रही और आज भी वो सिलसिला जारी है |
अंग्रेजी का स्थान अंग्रेजों के जाने के बाद वैसे ही रहेगा भारत में जैसा क़ि अभी (1946 में) है और ये भी इसी संधि का हिस्सा है | आप देखिये क़ि हमारे देश में, संसद में, न्यायपालिका में, कार्यालयों में हर कहीं अंग्रेजी, अंग्रेजी और अंग्रेजी है जब क़ि इस देश में 99% लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है | और उन 1% लोगों क़ि हालत देखिये क़ि उन्हें मालूम ही नहीं रहता है क़ि उनको पढना क्या है और UNO में जा के भारत के जगह पुर्तगाल का भाषण पढ़ जाते हैं |
आप में से बहुत लोगों को याद होगा क़ि हमारे देश में आजादी के 50 साल बाद तक संसद में वार्षिक बजट शाम को 5:00 बजे पेश किया जाता था | जानते है क्यों ? क्योंकि जब हमारे देश में शाम के 5:00 बजते हैं तो लन्दन में सुबह के 11:30 बजते हैं और अंग्रेज अपनी सुविधा से उनको सुन सके और उस बजट की समीक्षा कर सके | इतनी गुलामी में रहा है ये देश | ये भी इसी संधि का हिस्सा है |
1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो अंग्रेजों ने भारत में राशन कार्ड का सिस्टम शुरू किया क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों को अनाज क़ि जरूरत थी और वे ये अनाज भारत से चाहते थे | इसीलिए उन्होंने यहाँ जनवितरण प्रणाली और राशन कार्ड क़ि शुरुआत क़ि | वो प्रणाली आज भी लागू है इस देश में क्योंकि वो इस संधि में है | और इस राशन कार्ड को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल उसी समय शुरू किया गया और वो आज भी जारी है | जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें ही वोट देने का अधिकार होता था | आज भी देखिये राशन कार्ड ही मुख्य पहचान पत्र है इस देश में |
अंग्रेजों के आने के पहले इस देश में गायों को काटने का कोई कत्लखाना नहीं था | मुगलों के समय तो ये कानून था क़ि कोई अगर गाय को काट दे तो उसका हाथ काट दिया जाता था | अंग्रेज यहाँ आये तो उन्होंने पहली बार कलकत्ता में गाय काटने का कत्लखाना शुरू किया, पहला शराबखाना शुरू किया, पहला वेश्यालय शुरू किया और इस देश में जहाँ जहाँ अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी वहां वहां वेश्याघर बनाये गए, वहां वहां शराबखाना खुला, वहां वहां गाय के काटने के लिए कत्लखाना खुला | ऐसे पुरे देश में 355 छावनियां थी उन अंग्रेजों के | अब ये सब क्यों बनाये गए थे ये आप सब आसानी से समझ सकते हैं | अंग्रेजों के जाने के बाद ये सब ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ क्योंक़ि ये भी इसी संधि में है |
हमारे देश में जो संसदीय लोकतंत्र है वो दरअसल अंग्रेजों का वेस्टमिन्स्टर सिस्टम है | ये अंग्रेजो के इंग्लैंड क़ि संसदीय प्रणाली है | ये कहीं से भी न संसदीय है और न ही लोकतान्त्रिक है| लेकिन इस देश में वही सिस्टम है क्योंकि वो इस संधि में कहा गया है | और इसी वेस्टमिन्स्टर सिस्टम को महात्मा गाँधी बाँझ और वेश्या कहते थे (मतलब आप समझ गए होंगे) |

ऐसी हजारों शर्तें हैं | मैंने अभी जितना जरूरी समझा उतना लिखा है | मतलब यही है क़ि इस देश में जो कुछ भी अभी चल रहा है वो सब अंग्रेजों का है हमारा कुछ नहीं है | अब आप के मन में ये सवाल हो रहा होगा क़ि पहले के राजाओं को तो अंग्रेजी नहीं आती थी तो वो खतरनाक संधियों (साजिस) के जाल में फँस कर अपना राज्य गवां बैठे लेकिन आज़ादी के समय वाले नेताओं को तो अच्छी अंग्रेजी आती थी फिर वो कैसे इन संधियों के जाल में फँस गए | इसका कारण थोडा भिन्न है क्योंकि आज़ादी के समय वाले नेता अंग्रेजों को अपना आदर्श मानते थे इसलिए उन्होंने जानबूझ कर ये संधि क़ि थी | वो मानते थे क़ि अंग्रेजों से बढियां कोई नहीं है इस दुनिया में | भारत की आज़ादी के समय के नेताओं के भाषण आप पढेंगे तो आप पाएंगे क़ि वो केवल देखने में ही भारतीय थे लेकिन मन,कर्म और वचन से अंग्रेज ही थे | वे कहते थे क़ि सारा आदर्श है तो अंग्रेजों में, आदर्श शिक्षा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श अर्थव्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श चिकित्सा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कृषि व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श न्याय व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कानून व्यवस्था है तो अंग्रेजों की | हमारे आज़ादी के समय के नेताओं को अंग्रेजों से बड़ा आदर्श कोई दिखता नहीं था और वे ताल ठोक ठोक कर कहते थे क़ि हमें भारत अंग्रेजों जैसा बनाना है | अंग्रेज हमें जिस रस्ते पर चलाएंगे उसी रास्ते पर हम चलेंगे | इसीलिए वे ऐसी मूर्खतापूर्ण संधियों में फंसे | अगर आप अभी तक उन्हें देशभक्त मान रहे थे तो ये भ्रम दिल से निकाल दीजिये | और आप अगर समझ रहे हैं क़ि वो ABC पार्टी के नेता ख़राब थे या हैं तो XYZ पार्टी के नेता भी दूध के धुले नहीं हैं | आप किसी को भी अच्छा मत समझिएगा क्योंक़ि आज़ादी के बाद के इन 64 सालों में सब ने चाहे वो राष्ट्रीय पार्टी हो या प्रादेशिक पार्टी, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता का स्वाद तो सबो ने चखा ही है | खैर ...............

तो भारत क़ि गुलामी जो अंग्रेजों के ज़माने में थी, अंग्रेजों के जाने के 64 साल बाद आज 2011 में जस क़ि तस है क्योंकि हमने संधि कर रखी है और देश को इन खतरनाक संधियों के मकडजाल में फंसा रखा है | बहुत दुःख होता है अपने देश के बारे जानकार और सोच कर | मैं ये सब कोई ख़ुशी से नहीं लिखता हूँ ये मेरे दिल का दर्द होता है जो मैं आप लोगों से शेयर करता हूँ |

ये सब बदलना जरूरी है लेकिन हमें सरकार नहीं व्यवस्था बदलनी होगी और आप अगर सोच रहे हैं क़ि कोई मसीहा आएगा और सब बदल देगा तो आप ग़लतफ़हमी में जी रहे हैं | कोई हनुमान जी, कोई राम जी, या कोई कृष्ण जी नहीं आने वाले | आपको और हमको ही ये सारे अवतार में आना होगा, हमें ही सड़कों पर उतरना होगा और और इस व्यवस्था को जड मूल से समाप्त करना होगा | भगवान भी उसी की मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करता है 

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