SEK IN INDIA NEWS: राजू लारी की रिपोर्ट
खाकी के रिकॉर्ड में अवैध शराब की बंदरबांट
तमकुही, कुशीनगर। खाकी के रिकॉर्ड में अवैध शराब की बंदरबांट हो रही है। बरामदगी से लेकर उसे ठिकाने लगाने तक कागजों में जबरदस्त खेल खेला जा रहा है। सरकारी रिकॉर्ड में तो तस्करी की शराब का साफ-सुथरा रिकॉर्ड मेंटेन होता है। लेकिन असलियत में विशुद्ध हेराफेरी हो रही है। यही नहीं, अवैध शराब के साथ पकड़े जाने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी दिखाने में भी खेल साफ नजर आ जाता है। जिसे लेकर आबकारी विभाग के साथ ही सबसे ज्यादा अंगुली पुलिस विभाग पर उठ रही हैं।
छिपी नहीं है असलियत
अवैध शराब की तस्करी और उसके खिलाफ होने वाली कार्रवाई की असलियत किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में पकड़ी जाने वाली शराब का होता क्या है, इस सवाल का जवाब पुलिस रिकॉर्ड में दफन होकर रह जाता है। वास्तविकता में तस्करी की अंग्रेजी शराब पकड़ने से लेकर मुकदमा समाप्त होने के बाद तक बड़ा खेल होता है।
पूरी तरह गैरकानूनी धंधा
कच्ची शराब पूरी तरह से गैरकानूनी धंधा है ही, लेकिन दूसरे प्रदेशों या अधिकृत ठेकों से अलग देशी या विदेशी मदिरा का स्टॉक करना या बेचना भी गैरकानूनी है। बात करें तो यहां पर हरियाणा और दूसरे प्रदेशों से लाकर अंग्रेजी शराब की बड़े पैमाने पर तस्करी होती है।
यह उठ रहे सवाल
शराब पकड़े जाने का मुकदमा छह माह से लेकर चार से पांच साल के बीच समाप्त हो जाता है। इस मुकदमे में आर्थिक दंड का प्रावधान होता है। जिसे आरोप सिद्ध होने पर देना होता है। केस खत्म होने के बाद जब्त शराब को खत्म करने का प्रावधान है। जिसे पुलिस अदालत से स्वीकृति लेकर खत्म कर सूचना देती है। लेकिन, यहीं पर खेल होता है। पुलिस सूत्राें की मानें तो कच्ची और सस्ती अंग्रेजी शराब को नष्ट कर उसके फोटो कराये जाते हैं। लेकिन महंगी शराब को सिर्फ कागजों में समाप्त हुआ दर्शा दिया जाता है।
आ जाएगा सच सामने
जितनी शराब कागजों में बरामद दर्शायी जाती है, वास्तव में उतनी शराब इस वक्त थानों के मालखानों में मौजूद नहीं है। यदि इसकी गहनता से जांच की जाए तो पूरा सच खुलकर सामने आ जाएगा।
पकड़े जाते समय भी बड़ा खेल
सूत्रों की माने तो पुलिस या आबकारी विभाग छापामारी के दौरान जितनी शराब पकड़ता है, उसका एक चौथाई या आधा हिस्सा ही दर्शाया जाता है। ऐसे कई मामले पिछले दिनों चर्चा में भी रहे हैं। मुकदमे दर्ज करते समय बरामद शराब से अलग जो शराब होती है, उसे पुलिस सेटिंग कर या तो शराब माफिया को वापस लौटा देती है या फिर उसे खुद अपने प्रयोग और बेचने के लिए रख लेती है। यही नहीं, इनमें से कुछ शराब कभी-कभी गुडवर्क के लिए भी प्रयोग कर ली जाती है।
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